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डोटल गाँव (उत्तराखंड) श्याम सिंह बिष्ट

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उत्तराखंड की वादियों में जिला अल्मोडा के अंतर्गत आने वाला एक अपने आप में ही संपूर्ण, चारों, ओर पहाड़ियों, से घिरा हुआ ऊंचे -ऊंचे, चीड,आम,नाशपति, अमरूद,के पेड़ व रंग -बिरंगें फूल, हरियाली से सुशोभित मन व दिल को मोह लेने वाला संपूर्ण आस-पास के क्षेत्रों में एकता का मिसाल देने वाला गांव है मेरा-- डोटल गांव।
पर्यटक स्थान रानीखेत से करीब पच्चीस-तीस किलोमीटर आगे बग्वाली पोखर और बासुरी शेरा बाजार का भ्रमण करते हुए मध्य रास्ते में शिव मंदिर, के शंखनाद,और घंटियों,की ध्वनियों का मधुर स्वर को सुनते हुऐ, आगे पैदल चलते हुए तीन नदियों, का यहां मिलन होता है जो त्रिवेणी संगम का एहसास जैसा प्रतीत व महसूस किया जा सकता है ।
सीधे खेतों के बीच के रास्ते को चलते हुए आगे एक छोटा सा पुलिया को पार करते हुए जैसे ऊपर की ओर चलते हैं, आपको दूर से गांव का मनमोहक दृश्य आपको, आपकी आंखों के सामने दिखाई पड़ता है ।
कुछ वक्त पैदल चलने के बाद रास्ते में एक उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाया हुआ स्कूल, नदी के किनारे सुशोभित है ।
जिसकी भव्यता बारिश के मौसम के आने वाले महीने के बाद देखते ही बनती है । जहां पर गांव के बच्चे शिक्षा लेने आते हैं । पहले इस गांव में एक ही स्कूल था पर समय की आवश्यकतानुसार अब यहां इस गांव में तिन स्कूल, और एक आंगनवाड़ी केंद्र है । पर यहां पर विडंबना यह है कि लोगों का पब्लिक स्कूल की तरफ झुकाव देखकर इन सरकारी स्कूलों में कुछ ही बच्चे पढ़ते हुए दिखते हैं ।

स्कूल से आगे बढ़ते ही कुछ दूरी पश्चात, एक ही रास्ते पर चलते हुए रास्ते का अलग-अलग दिशाओं में विभाजन हो जाता है, जो एक से दो रास्ते बन जाते हैं ।
यहां से यह कह लीजिए इस रास्ते के खेत वाले बिंदु पर खड़े होकर आप एक साथ एक गांव होते हुए भी दो अलग-अलग जगह को भली-भांति एक साथ दैख सकते हैं ।
जहां पर रास्ते दो भागों में विभाजित होतै है वह दोनों ही रास्ते आर -पार डोटल गांव के तरफ अपनी मंजिल को जाते हैं ।
रास्तों और गांव के लोग कि दरियादिली और गांव की हरियाली, का आनंद, और अनुभव लेते हुए जैसे ही आप डोटल गांव पहुंचते हैं, वहां पर आपको कुछ घर उत्तरांचल की संस्कृति का एहसास कराएंगे और कुछ घर आधुनिक युग वाले हैं ।

पहले की अपेक्षा अब गांव में कुछ लोग ही अपने घरों में रहते हैं । शिक्षा और रोजगार के अभाव के कारण अधिकतर लोगों का गांव से शहरों की ओर धीरे-धीरे दिन - प्रतिदिन पलायन होता जा रहा है । इस डोटल गांव में आपको गांव के मध्य बहती हुई छोटी सी नदी के पार की तरफ़, शाही,जाति के लोगों के परिवार कै घर देखने को मिलेंगै, वही नदी के वार की तरफ कूमंया, नेगी, रंगवाल, बिष्ट, जोशी,और राम,जाति के विभिन्न समुदाय के लोग एक ही गांव में अलग-अलग स्थान पर एक साथ आपस में भाईचारे के साथ रहते हुए मिलेंगे, जो गांव की एकता और अखंडता की मिसाल बीते हुए वर्षों से देते हुए आ रहे हैं ।
इस गांव के अंदर के स्थानों के विभिन्न नाम आपको यहां के लोगों द्वारा सुनाई दिए जा सकते हैं जैसे आर, पार, डुटगु,बाखली, चिण,बामणकोट, ढूंगिं, कनकेधार, और ऊपर की ओर रिखार ।
आगे रिखार से ऊपर की ओर चीड़ और देवदार के जंगलों की हरियाली, भिन्न प्रकार के वन्य जीव ओर यहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए ओर चलते हुए दूसरे गांवौ कि तरफ पहुचा जा सकता है।

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