गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

निन्यानवे का चक्कर - असमिया लोक-कथा

Image SEO Friendly

प्राचीनकाल की बात है । असम के ग्रामीण इलाके में तीरथ नाम का कुम्हार रहता था । वह जितना कमाता था, उससे उसका घर खर्च आसानी से चल जाता था । उसे अधिक धन की चाह नहीं थी । वह सोचता था कि उसे अधिक कमा कर क्या करना है । दोनों वक्त वह पेट भर खाता था, उसी से संतुष्ट था ।

वह दिन भर में ढेरों में बर्तन बनाता, जिन पर उसकी लागत सात-आठ रुपये आती थी । अगले दिन वह उन बर्तनों को बाजार में बेच आता था । जिस पर उसे डेढ़ या दो रुपये बचते थे । इतनी कमाई से ही उसकी रोटी का गुजारा हो जाता था, इस कारण वह मस्त रहता था ।

रोज शाम को तीरथ अपनी बांसुरी लेकर बैठ जाता और घंटों से बजाता रहता । इसी तरह दिन बीतते जा रहे थे । धीरे-धीरे एक दिन आया कि उसका विवाह भी हो गया । उसकी पत्नी का नाम कल्याणी था ।

कल्याणी एक अत्यंत सुघड़ और सुशील लड़की थी । वह पति के साथ पति के काम में खूब हाथ बंटाने लगी । वह घर का काम भी खूब मन लगाकर करती थी । अब तीरथ की कमाई पहले से बढ़ गई । इस कारण दो लोगों का खर्च आसानी से चल जाता था ।

तीरथ और कल्याणी के पड़ोसी यह देखकर जलते थे कि वे दोनों इतने खुश रहते थे । दोनों दिन भर मिलकर काम करते थे । तीरथ पहले की तरह शाम को बांसुरी बजाता रहता था । कल्याणी घर के भीतर बैठी कुछ गाती गुनगुनाती रहती थी ।

एक दिन कल्याणी तीरथ से बोली कि तुम जितना भी कमाते हो वह रोज खर्च हो जाता है । हमें अपनी कमाई से कुछ न कुछ बचाना अवश्य है ।

इस पर तीरथ बोला - "हमें ज्यादा कमा कर क्या करना है ? ईश्वर ने हमें इतना कुछ दिया है, मैं इसी से संतुष्ट हूं । चाहे छोटी ही सही, हमारा अपना घर है । दोनों वक्त हम पेट भर कर खाते हैं, और हमें क्या चाहिए ?"

इस पर कल्याणी बोली - "मैं जानती हूं कि ईश्वर का दिया हमारे पास सब कुछ है और मैं इसमें खूब खुश भी हूं । परन्तु आड़े वक्त के लिए भी हमें कुछ न कुछ बचाकर रखना चाहिए ।"

तीरथ को कल्याणी की बात ठीक लगी और दोनों पहले से अधिक मेहनत करने लगे । कल्याणी सुबह 4 बजे उठकर काम में लग जाती । तीरथ भी रात देर तक काम करता रहता । लेकिन फिर भी दोनों अधिक बचत न कर पाते । अत: दोनों ने फैसला किया कि इस तरह अपना सुख-चैन खोना उचित नहीं है और वे पहले की तरह मस्त रहने लगे ।

एक दिन तीरथ बर्तन बेचकर बाजार से घर लौट रहा था । शाम ढल चुकी थी । वह थके पैरों खेतों से गुजर रहा था कि अचानक उसकी निगाह एक लाल मखमली थैली पर गई । उसने उसे उठाकर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा । थैली में चांदी के सिक्के भरे थे ।

तीरथ ने सोचा कि यह थैली जरूर किसी की गिर गई है, जिसकी थैली हो उसी को दे देनी चाहिए । उसने चारों तरफ निगाह दौड़ाई । दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दिया । उसने ईश्वर का दिया इनाम समझकर उस थैली को उठा लिया और घर ले आया ।
घर आकर तीरथ ने सारा किस्सा कल्याणी को कह सुनाया । कल्याणी ने ईश्वर को धन्यवाद दिया ।
तीरथ बोला - "तुम कहती थीं कि हमें आड़े समय के लिए कुछ बचाकर रखना चाहिए । सो ईश्वर ने ऐसे आड़े समय के लिए हमें उपहार दिया है ।"
"ऐसा ही लगता है ।" कल्याणी बोली - "हमें गिनकर देखना चाहिए कि ये चांदी के रुपये कितने हैं ।"

दोनों बैठकर रुपये गिनने लगे । पूरे निन्यानवे रुपये थे । दोनों खुश होकर विचार-विमर्श करने लगे । कल्याणी बोली - "इन्हें हमें आड़े समय के लिए उठा कर रख देना चाहिए, फिर कल को हमारा परिवार बढ़ेगा तो खर्चे भी बढ़ेंगे ।"
तीरथ बोला - "पर निन्यानवे की गिनती गलत है, हमें सौ पूरा करना होगा, फिर हम इन्हें बचा कर रखेंगे ।"

कल्याणी ने हां में हां मिलाई । दोनों जानते थे कि चांदी के निन्यानवे रुपये को सौ रुपये करना बहुत कठिन काम है, परंतु फिर भी दोनों ने दृढ़ निश्चय किया कि इसे पूरा करके ही रहेंगे । अब तीरथ और कल्याणी ने दुगुनी-चौगुनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया । तीरथ भी बर्तन बेचने सुबह ही निकल जाता, फिर देर रात तक घर लौटता ।

इस तरह दोनों लोग थक कर चूर हो जाते थे । अब तीरथ थका होने के कारण बांसुरी नहीं बजाता था, न ही कल्याणी खुशी के गीत गाती गुनगुनाती थी । उसे गुनगुनाने की फुरसत ही नहीं थी। न ही वह अड़ोस-पड़ोस या मोहल्ले में कहीं जा पाती थी ।

दिन-रात एक करके दोनों लोग एक-एक पैसा जोड़ रहे थे । इसके लिए उन्होंने दो वक्त के स्थान पर एक भक्त भोजन करना शुरू कर दिया, लेकिन चांदी के सौ रुपये पूरे नहीं हो रहे थे ।

यूं ही तीन महीने बीत गए । तीरथ के पड़ोसी खुसर-फुसर करने लगे कि इनके यहां जरूर कोई परेशानी है, जिसकी वजह से ये दिन-रात काम करते हैं और थके-थके रहते हैं ।

किसी तरह छ: महीने बीतने पर उन्होंने सौ रुपये पूरे कर लिए । अब तक तीरथ और कल्याणी को पैसे जोड़ने का लालच पड़ चुका था । दोनों सोचने लगे कि एक सौ से क्या भला होगा । हमें सौ और जोड़ने चाहिए । अगर सौ रुपये और जुड़ गए तो हम कोई व्यापार शुरू कर देंगे और फिर हमारे दिन सुख से बीतेंगे ।

उन्होंने आगे भी उसी तरह मेहनत जारी रखी । इधर, पड़ोसियों की बेचैनी बढ़ती जा रही थी । एक दिन पड़ोस की रम्मो ने फैसला किया कि वह कल्याणी की परेशानी का कारण जानकर ही रहेगी । वह दोपहर को कल्याणी के घर जा पहुंची । कल्याणी बर्तन बनाने में व्यस्त थी ।

रम्मो ने इधर-उधर की बातें करने के पश्चात् कल्याणी से पूछ ही लिया - "बहन ! पहले जो तुम रोज शाम को मधुर गीत गुनगुनाती थीं, आजकल तुम्हारा गीत सुनाई नहीं देता ।"

कल्याणी ने 'यूं ही' कहकर बात टालने की कोशिश की और अपने काम में लगी रही । परंतु रम्मो कब मानने वाली थी । वह बात को घुमाकर बोली - "आजकल बहुत थक जाती हो न ? कहो तो मैं तुम्हारी मदद कर दूं ।"

कल्याणी थकी तो थी ही, प्यार भरे शब्द सुनकर पिघल गई और बोली - "हां बहन, मैं सचमुच बहुत थक जाती हूं, पर क्या करूं हम बड़ी मुश्किल से सौ पूरे कर पाए हैं ।"

"क्या मतलब ?" रम्मो बोली तो कल्याणी ने पूरा किस्सा कह सुनाया । रम्मो बोली - "बहन, तुम दोनों तो गजब के चक्कर में पड़ गए हो, तुम्हें इस चक्कर में पड़ना ही नहीं चाहिए था । यह चक्कर आदमी को कहीं का नहीं छोड़ता ।"

कल्याणी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा - "तुम किस चक्कर की बात कर रही हो ? मैं कुछ समझी नहीं ।"
"अरी बहन, निन्यानवे का चक्कर ।" रम्मो का जवाब था ।

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"