आज के समय में बच्चों में कई प्रकार की बीमारियाँ पनप रही है। आज कल के समय में इन बिमारियों का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण और असंतुलित भोजन। एक व्यक्ति को जीवन के लिए अच्छी और शुद्ध हवा की जरुरत होती है और संतुलित पौष्टिक भोजन की। लेकिन यही दोनों चीज़ें व्यक्ति को नहीं मिल पाती। अगर अब बच्चों की बात करें तो एक बच्चे को प्रदूषित हवा बहुत जल्दी नुकसान पहुँचाती है और असंतुलित भोजन बच्चे को कमजोर बनाता है।
कई बार कई वजहों से माता पिता अपने बच्चों पर पूर्ण रूप से ध्यान नहीं दे पाते जिसके परिणाम कई बार खरतनाक रूप लेकर सामने आते हैं। एक बच्चे के लिए उसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है उसकी जरूरतें जैसे उसे क्या खाना चाहिए, क्या पीना चाहिए कहाँ खेलना चाहिए और बच्चे को शुद्ध हवा मिल रही है या नहीं ये सभी चीज़े बच्चे के लिए जरूरी होती हैं। लेकिन आज के समय में माता पिता इतने व्यस्त हो जाते हैं कि बच्चों को कई बार नौकरों की निगरानी में छोड़ देते हैं और जिसके कारण बच्चे को कभी ठीक से खाना मिलता है तो कभी नहीं मिलता।
जो ध्यान माता पिता अपने बच्चे को दे सकते हैं वह ध्यान कोई और नहीं दे सकता। हम ये सब यहाँ इसलिए बता रहे हैं क्योंकि कई बार बच्चों को इन वजहों से कई बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। और ऐसी बीनारियों में हम उदहारण के तौर पर दिल की बीमारियों भी ले सकते हैं।
दिल की या हृदय की बीमारियों होने ओर बच्चे को कई बार सीने में दर्द होता है और सांस लेने में तकलीफ होती है लेकिन हम इन सभी को सामन्य तौर पर ले लेते हैं। और कई बार हम ये सोचते हैं बच्चा कहीं गिर गया होगा या खाने में कुछ बाहर का खा लिया होगा इस वजह से ऐसा हो रहा है। लेकिन बच्चे को अगर सीने में दर्द है तो आपको इसकी तुरंत जाँच करवाना चाहिए। बच्चे को हो रहर हृदय रोग कभी-कभी अचानक सामने आते हैं।
क्या बच्चे का सीने में हो रहा दर्द हृदय रोग हो सकता है:
यह एक बड़ा प्रश्न है और कई लोगों के मन में इस प्रकार के प्रश्न उठते होंगे। तो अगर बच्चे को कई दिन से सीने में दर्द हो रहा है और सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो उसे हृदय रोग होने की सम्भावना होती है। बच्चे को इस प्रकार की समस्या होने पर थोड़ी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यह थोड़ी सी लापरवाही आपको महंगी भी पड़ सकती है। अगर आपके बच्चे को सीने में दर्द हो रहा है तो हो सकता है उसे दिल से या हृदय से सम्बंधित कोई रोग हो। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
बच्चे के हृदय रोग के लक्षण:
बच्चे को अगर हृदय रोग है तो वह जन्म के समय ही पता चल जाता है लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसे हृदय के आस पास वाली जगह पर परेशानी होने लगती है और भी कई सामान्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे:
खेलते हुए अचानक गिर जाना:
अगर बच्चे को हृदय रोग सम्बन्धी समस्या है तो कई बार बच्चे अचानक खेलते हुए गिर जाते हैं उन्हें चक्कर आते हैं और वे बेहोश हो जाते हैं। हम लोग सोचते हैं कि उन्हें कमजोरी की वजह से ऐसा हो रहा है लेकिन यह बच्चों में हृदय रोग का एक लक्षण भी होता है। इसलिए इसकी जाँच करवाना चाहिए।
आँखों के सामने अचानक काला हो जाना:
बच्चे को अगर कभी आँखों से सामने अंधेरा सा लगने लगे और बच्चा इस बारे में आपको बताये तो इसे आँखों की कमजोरी समझने की गलती ना करें। यह हृदय रोग का कारण भी हो सकता है। अक्सर हृदय रोग होने पर बच्चों में इस प्रकार की समस्या देखने को मिलती है।
भूख अचानक कम हो जाना और सांस लेने में तकलीफ:
अगर बच्चे को अचानक से भूख लगना कम हो गई है और उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है तो हो सकता है आपका बच्चा हृदय रोग से पीड़ित हो। कई बार माता पिता इसे कमजोरी समझ लेते हैं। लेकिन इस बात को गम्भीरता से लीजिये।
सीने में दर्द बना रहना:
अगर बच्चों को सीने में दर्द होता है और बिल्कुल वैसा ही दर्द पीठ की तरफ होता है तो इस स्थति में हृदय रोग होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है। अगर बच्चे में ऐसी कोई समस्या देखने को मिल रही है तो उसके टेस्ट कराएँ और डॉक्टर को दिखाएं।
ये कुछ आम लक्षण है जो बच्चे में हृदय रोग होने की सम्भावना को दर्शाते हैं। लेकिन जब तक आप इसकी जाँच ना करा लें इसे हृदय रोग ना समझें। लेकिन इसके प्रति सतर्क भी रहें लापरवाही ना बरतें।
कैसे करें बच्चे की देखभाल:
कोई भी माता पिता यह नहीं चाहते कि उनके बच्चे को किसी भी प्रकार की परेशानी या बीमारियों से गुजरना पड़े। अगर जन्म से ही बच्चे को हृदय रोग है तो उसका इलाज जो भी डॉक्टर बताएँगे वैसे ही करवाना होगा। लेकिन अगर बच्चे को भविष्य में होने वाले हृदय रोग से बचाना है तो उसके लिए कुछ उपाय हैं।
बच्चों को योग सिखाएं:
छोटी उम्र में बच्चों को योग सिखाना काफ़ी मुश्किल होता है लेकिन किसी ट्रेनर की देख रेख में बच्चे को इसकी आदत डालना शुरू कीजिये। बचपन से हम बच्चे को जो सिखाते हैं वाह उसकी दिनचर्या बन जाता है। योग स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है इसलिए बच्चों को योग जरूर सिखाएं।
स्वास्थ्य वर्धक खेल:
बच्चों को स्वास्थ्य वर्धक खेल खेलना सिखाएं। जैसे जम्प करना, दौड़ लगाना, बेड मिण्टन इत्यादि। ये ऐसे गेम हैं जिससे बच्चे को चोट लगने की सम्भावना कम होगी और बच्चे के शरीर का व्यायाम भी होगा।
मैदा न खिलाएँ:
मैदा सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता है और आज कल के बच्चे मैदे की बनी हुई चीज़ों को बहुत पसंद करते हैं जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्ड इत्यादि। ये खाने में जितने स्वादिस्ट लगते हैं उतने ही नुकसानदायक होते हैं। इसलिए बच्चों को इस प्रकार का भोजन कम से कम खिलाने का प्रयास करें। हो सके तो उन्हें ये सब न ही खिलाएँ।
संतुलित आहार:
बच्चों को संतुलित आहार में सभी कुछ खिलाएँ जैसे डेरी प्रोडक्ट अंडा, दूध, दही, पनीर आदि। इसके साथ ही बच्चों को तरल हरी सब्जियाँ खाने की आदत डालें, सब्जियों और फलों का जूस और सूप दें, अंकुरित अनाज खिलाएँ। ये सभी कुछ बच्चे को खाना सिखाएं।
दवाओं से दूर रखें:
बच्चों को अंग्रेजी दवाओं का सेवन कम से कम कराएँ। जब बहुत ही अधिक जरुरत हो तो ही बच्चों को अंग्रेजी दवाएं दें। आज के समय में होम्योपैथिक दवाएँ और आयुर्वेदिक दवाओं से भी जल्दी ही आराम मिल जाता है। अगर बच्चा सर्दी, जुखाम या किसी छोटी बीमारियों में है तो आप आयुर्वेद और होम्योपैथिक का सहारा ले सकते हैं। अंग्रेजी दवाएं किडनी पर असर करती है और किडनी के बाद हृदय पर।
ये सभी तरीके अपनाकर आप बच्चे को हृदयरोग से बचा सकते हैं। बच्चे की एक दिनचर्या बनाये जो बहुत जरूरी है। आप जैसे बच्चे को दिनचर्या में ढालेंगे बच्चा ढल जायेगा लेकिन अगर आप बच्चे के बड़े होने पर ये कोशिश करेंगे तो यह मुश्किल हो जायेगा। लेकिन यह सब आपको स्वयं ही करना होगा आपके बच्चे के लिए आपको खुद ही समय निकालना होगा।
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