खून की कमी के कारण कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। आज कल के समय में हम देख सकते हैं कि लोग किस तरह से भाग दौड़ कर रहे हैं लेकिन वे अपने खान पान पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। खाने में भी लोग ज्यादातर फ़ास्ट फ़ूड ही पसंद कर रहे हैं जिनसे शरीर को पोषण मिलने की जगह बीमारियाँ मिलती है। इन बिमारियों का पूरा श्रेय मनुष्य को ही जाता है क्योंकि मनुष्य खुद ही खुद का ध्यान नहीं रखता। और जब बीमारियाँ घेर लेती हैं तब समझ आता है कि ये खुद की गलतियों का ही परिणाम है। आज हम यहाँ बात करने जा रहे हैं खून की कमी से होने वाले रोग एनीमिया के बारे में।
एनीमिया क्या है?:
एनीमिया का सीधा मतलब है शरीर में खून की कमी। शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व होता है जिससे हमें शरीर में खून की मात्रा का पता चलता है। एनीमिया को पांडु रोग भी कहा जाता है। तीन दोषों में से किसी एक दोष के होने से या तीनों दोषों के होने से एनीमिया बीमारी होती। खून की कमी किसी भी कारण से हो सकती है जैसे दुर्घटना, सर्जरी, पीलिया,बबासीर इत्यादि। एनीमिया से रोकथाम बहुत जरुरी होती है और आसानी से अनीमिया का इलाज किया जा सकता है।
एनीमिया के लक्षण:
एनीमिया के कई लक्षण होते हैं। अगर आप अनीमिया से ग्रसित होंगे तो आपको स्वयं में कई परिवर्तन देखने को मिलेंगे। और अगर आपको ये परिवर्तन देखने को मिले तो इसका मतलब है कि आपको एनीमिया हो सकता है। इसकी जाँच अवश्य करवाएं इन लक्षणों को नज़रअंदाज न करें।
भूख कम लगना:
भूख कम लगना भी एनीमिया का एक लक्षण है अगर आपको भूख कम लगती है तो यह खून की कमी के कारण होना भी संभव है। क्योंकि जब शरीर में खून ही नहीं होगा तो भूख नहीं लगेगी। क्योंकि पूरा पाचन तंत्र ही बिगड़ जायेगा। इसलिए अगर आपको अपने अंदर यह परिवर्तन दिखाई देता है तो तुरंत ही इसकी जाँच कराएं।
थकान होना:
थकान अगर अत्यधिक काम करने से होती है तो वह जायज कारण है। लेकिन अगर बिना किसी काम के आपको थकान होती है तो यह चिंता का विषय है और यह खून कि कमी के कारण भी हो सकता है। इसलिए अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा है तो हीमोग्लोबिन की जाँच कराएं और इसका इलाज करें।
त्वचा और नाखून का सफ़ेद होना:
अगर आपकी त्वचा या नाखून सफ़ेद पड़ रहे हैं या पीले पड़ रहे हैं तो हो सकता है आपको एनीमिया हो। अगर आपको कमजोरी महसूस हो रही है और आपके नाखून और त्वचा सफ़ेद लग रहे हैं तो इसके लिए आपको बिना किसी देरी के जाँच करवा चाहिए। जिसे आपको पता चले कि आपको कहीं एनीमिया तो नहीं है।
दिल की धड़कन अचानक तेज हो जाना:
यह भी एनीमिया का एक लक्षण है अगर बिना किसी शारीरिक काम के आपके दिल की धड़कन तेज हो जाती है इसका मतलब है कि आपके अंदर खून की कमी है और आपको एनीमिया होने की सम्भावना है। इसके प्रति सतर्क रहे। और इसकी जाँच करवाएं और इसका इलाज करवाएं।
चक्कर आना:
अगर आपको बैठने और उठने में अचानक चक्कर आते हैं और आँखों के आगे कालापन आ जाता है इसका सीधा मतलब है कि आपके शरीर में खून की कमी है और इसकी पुष्टि करने के लिए आप हीमोग्लोबिन की जाँच जरूर करवाएं। क्योंकि यह बहुत गंभीर रूप ले सकती है।
एनीमिया का आयुर्वेदिक उपचार:
आयुर्वेद में सभी उपचार जड़ी बूटियों से किये जाते हैं। और कई बार घर में मौजूद खाने के सामान से भी इलाज करना संभव है। आयुर्वेद में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ऐसी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें लौह तत्व मतलब आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जैसे:
आंवला:
आंवले में भपूर मात्रा में लौह तत्व पाए जाते हैं और अगर अवले का सेवन रोज किया जाये तो इससे बहुत ही जल्दी खून की कमी पूरी होती है। अगर आप ऐसे नहीं खा सकते तो आप आंवले को सुखा लें और फिर इसका चूर्ण बना लें और उस चूर्ण को रोज रात को गुनगुने पानी से लें। इससे एनीमिया में फायदा तो होगा ही साथ ही साथ इससे त्वचा और बाल भी बहुत अच्छे हो जायेंगे।
अनार:
ये तो सभी को पता है कि अनार से खून की कमी पूरी होती है लेकिन अनार को खाने का भी एक समय और तरीका होता है। अनार के दाने निकाल लें और अनार के दानों में काला नमक और काली मिर्च का पाउडर छिड़क लें और फिर इसका सेवन रोज सुबह करें। इससे भूख भी खुलेगी और पेट साफ़ रहेगा और खून की कमी भी पूरी होगी।
पंचकर्म थेरेपी:
पंचकर्म थेरेपी में मृदु विरेचन किया जाता है जिसमें हलके दस्त होते हैं और इससे एनीमिया को नष्ट किया जाता है। और शरीर में खून बनने की प्रक्रिया का जन्म होता है। पंचकर्म से कई प्रकार के रोगों को दूर किया जाना संभव है और यह आयुर्वेद की बहुत पुरानी प्रक्रिया है जो सफल है।
दूध में अंजीर:
दूध में अंजीर डालकर पीने से भी खून की कमी पूरी होती है और इससे पेट साफ़ होता है और कई प्रकार के रोग नष्ट होते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो घरेलु भी है और आयुर्वेद में भी इसे विशेष स्थान प्राप्त है। इसलिए अगर आप प्रतिदिन रात को सोते समय अंजीर वाला दूध पीते है तो इसके कई फायदे आपको मिलेंगे।
पिप्पली और सोंठ:
पिप्पली और सोंठ का मिश्रण एनीमिया के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में एनीमिया को दूर करने के लिए और शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए पिप्पली और सोंठ के मिश्रण को दिया जाता है। या तो इसे गरम पानी के साथ सेवन करना होता है या फिर शहद के साथ। इससे सर्दी, खांसी जैसी परेशानियाँ भी दूर होती हैं।
एनीमिया की रोकथाम:
अगर आप एनीमिया से रोकथाम करना चाहते हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा जैसे आपको क्या खाना है क्या नहीं, और किन चीज़ों से आपको बचना है इत्यादि।
खाने में मौसमी फल जरूर खाएँ:
अगर आप खाने में रोज कोई न कोई मौसमी फल खाते हैं तो इससे आपके शरीर में पोषक तत्व पहुंचेंगे इसके साथ ही अनार, सेब, पपीता इनका सेवन जरूर करें। ये सभी फल खून को बढ़ाने में सहायक है। मौसमी फल खाने से कई और भी फायदे होते हैं और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
चुकंदर:
चुकंदर का सेवन रोज करना चाहिए या तो सलाद के रूप में या जूस के रूप में। इससे खाने से शरीर में से टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं और खून की कमी पूरी होती है। यह खून को तेजी से बढ़ाता इसलिए चुकंदर रोज खाएँ और स्वस्थ रहे। चुकंदर बहुत ही अच्छा आहार होता है जिससे वजन कम करने में भी फायदा होता है और त्वचा में भी चमक आती है।
हरी सब्जियों का सेवन:
हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है और इनके नियमित सेवन से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है। आयरन का सीधा सम्बन्ध होता है हीमोग्लोबिन से। हरी पत्तेदार सब्जियों में आप सेवन कर सकते हैं पालक, मैथी, भतुआ, मूली के पत्ते इत्यादि का। इनके सेवन से एनीमिया जैसे रोगों को दूर रखा जा सकता है।
अगर आप इन सभी चीज़ों का ध्यान रखते हैं तो एनीमिया से रोकथाम संभव है। और साथ ही आपको शराब जैसी चीज़ों से दूर रहना होगा। शराब शरीर से खून और पानी को सुखा देता है जिसकी वजह से एनीमिया या खून की कमी वाले रोग हो जाते हैं। खून की कमी को पूरा करने के लिए आयुर्वेदिक दवा या जड़ी बूटी का विशेष योगदान रहा है इसलिए अगर आप आयुर्वेदिक इलाज लेते हैं तो इसके सिर्फ परिणाम देखने को मिलेंगे। आयुर्वेदिक दवा के किसी भी प्रकार के दुष्परिणाम नहीं हैं।
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