-पूरे मामले की शासन स्तर से हो जांच,तो पूर्व में किए गये जांच में कई अधिकारी पर गिर सकती है गाज
गोण्डा । सात वर्षों से पत्र पर पत्र तारीख पर तारीख और अपने ही अभिलेखों में दिन प्रतिदिन बझने वाले AR व समिति के अधिकारी व कर्मचारी बचने का रास्ता ढूंढ रहे हैं परंतु उनको कोई रास्ता नहीं मिल रहा क्योंकि पूर्व में उनके द्वारा समिति के अभिलेखों में काफी हेरा फेरी किया जा चुका है। उन सभी कर्मचारी व अधिकारियों को यह नहीं पता था कि आने वाले दिन में हमारे लिए आफत हो जाएगी और हम अभिलेख व पूरा साक्ष्य नहीं दे पाएंगे जिससे इन सभी का मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती नजर आ रही हैं। बताते चलें कि सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता अशोक कुमार को बार-बार पीड़ित द्वारा शिकायती पत्र देने के बावजूद साक्ष्य ना देने में आनाकानी करने का कार्य सात वर्षों से खेल खेला जा रहा है, और साक्ष्य नहीं दिया जा रहा है। जानकारी देते हुए पीड़ित आलोक जयसवाल ने बताया कि मेरे द्वारा एआर व समिति से सात वर्षों से जो साक्ष्य मांगा जा रहा है। वह साक्ष्य हमको नहीं दिया जा रहा है और उसी साक्ष्य के तौर पर एआर व समिति के कर्मचारियों द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार कर हमको जेल भिजवाने का भी कार्य किया गया था। आलोक जयसवाल का साफ तौर पर कहना है कि सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता तथा रेलवे एम्प्लाइज कन्ज्यूमर कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड बड़गांव समिति द्वारा सात वर्षों से साक्ष्य ना देना सीधा-सीधा यह दर्शाता है कि इन लोग के पास कुछ नहीं है और इन्होंनें हमारे साथ कूट रचना कर जेल भिजवाने का गलत कार्य किया गया है। पीड़ित आलोक ने बताया कि जब हम जेल से छूट कर आए तब मेरे द्वारा समिति के कार्यत कर्मचारियों के खिलाफ समिति के अभिलेखों में हेराफेरी करने के मामले को लेकर मुकदमा लिखवाया था जिसका अपराध संख्या 515/2015 -छःलोगों के खिलाफ दर्ज कराया था तभी से पूरा मामला न्यायालय में विचाराधीन था न्यायालय द्वारा सुनवाई कर दो अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेजा गया है। और शेष अभियुक्तों के विरुद्ध धारा 82 की कार्रवाई न्यायालय में लंबित है उन्होंने इतना तक बताया कि अगर समित के पास मेरे द्वारा मांगी जा रहे साक्ष्य है तो देने में विभाग को क्या परेशानी हो रही है।अगर नहीं है तो एआर को मेरे शिकायती पत्र को गंभीरता पूर्वक लेते हुए लिखकर दे देना चाहिए कि बड़गांव समिति द्वारा मुझको साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। वही लास्ट में अपनी बात को दोहराते हुए पीड़ित आलोक जायसवाल ने यहां तक बताया है कि हमको विशेष सूत्रों से जानकारी मिली है कि एआर द्वारा भारी सुविधा शुल्क लेकर अभिलेखों में हेराफेरी करने वाले अधिकारीयों व कर्मचारियों को बचाने के लिए एक फर्जी अभिलेख तैयार किया जा रहा है। पूरे मामले पर जब AR अशोक कुमार के दूरभाष पर बात किया गया तो उन्होंने मामले को घुमाते फिर आते हुए बताया कि पत्र मिला है आलोक से भी कुछ साक्ष्य मांगे गए हैं जो भी AR, व समिति के पास होगा तो उपलब्ध कराया जाएगा।


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