इस आसन का नाम “त्रिकोण” शब्द से रखा गया है। इस आसन की मुद्रा में आपका शरीर एक त्रिकोण रूप में होता है इस कारण से इस आसन का नाम त्रिकोणासन रखा गया है। और उत्थित मतलब “उठा हुआ”, जिस से इस आसन का पूरा नाम मिलता है।
इस लेख में त्रिकोणासन करने के तरीके व उससे होने वाले लाभों के बारे में बताया गया है। साथ ही लेख में यह भी बतायाा गया है कि त्रिकोणासन के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
उत्थित त्रिकोणासन के फायदे -
हर आसन की तरह उत्थित त्रिकोणासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:
- पैरों, जांघों और टख़नों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।
- कूल्हों, ग्राय्न, हैमस्ट्रिंग और पिंदलियों, तथा कंधे, छाती, और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है।
- तनाव से छुटकारा पाने में मदद करता है।
- पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।
- रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत देता है।
- कमर दर्द से राहत दिलाता है, ख़ास तौर से गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में।
उत्थित त्रिकोणासन करने से पहले यह आसन करें -
उत्थित त्रिकोणासन करने से पहले आप यह आसन कर सकते हैं इनसे आपकी हॅम्स्ट्रिंग, कूल्हे, और जांघे पर्याप्त मात्रा में खुल जाएँगे।
- सूर्य नमस्कार — 3-5 बार
- अधो मुख श्वानासन
- उत्तानासन
- पादंगुष्ठासन
- पादहस्तासन
उत्थित त्रिकोणासन करने का तरीका -
उत्थित त्रिकोणासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और 3.5 से 4 फीट पैर खोल लें।
- अपने बायें पैर को 10 से 20 दर्जे अंदर को मोड़ें, और दाहिने पैर को 90 दर्जे बहार को मोड़ें। बाईं एड़ी के साथ दाहिनी एड़ी संरेखित करें।
- धीरे से अपने हाथ उठाएँ जब तक हाथ सीधा आपके कंधों की सीध में ना आ जायें। हथेलियाँ नीचे ज़मीन की तरफ होनी चाहिए।
- साँस छोड़ते हुए अपने धड़ को दाहिनी ओर मोड़ें। धड़ एकदम दाहिनी पैर की सिधाई में नीचे आना चाहिए। ध्यान रखिएं की आप अपने कूल्हे के जोड़ों से मुड़ें ना की अपनी पीठ के जोड़ों से। शुरू में शायद आपको अपना संतुलन बनाए रखने में परेशानी हो ऐसा हो तो धीरे धीरे धड़ को नीचे लायें। शुरू में ऐसा भी हो सकता है की आपके कुहले आयेज की तरफ आयें। ऐसा हो तो यह सामान्य है जैसे आपकी शरीर में लचीलापन बढ़ेगा, ऐसा होना कम हो जाएगा।
- अपने दाहिने हाथ को अपनी क्षमता के मुताबिक दाहिनी पैर से बाहर की तरफ फर्श पर, या टख़नों पर, या घुटनों पर रखें। ध्यान रखें की ऐसा करते वक़्त आपका धड़ और दाहिना पैर एक सीध में बने रहें।
- अपने बाएँ हाथ को छत की तरफ बढ़ायें अंत में आपके दोनो हाथ और छाती एक सीध में होने चाहिए। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ ताकि आप अपने बाएँ हाथ की उंगलियों को देख सकें।
- कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
- जब 5 बार साँस लेने के बाद आप आसान से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए सिर को सीधा कर लें, बाएँ हाथ को नीचे कर लें, धड़ को वापिस सीधा कर लें और पैरों को वापिस अंदर ले आयें ख़तम ताड़ासन में करें।
- दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।
उत्थित त्रिकोणासन का आसान तरीका -
अगर आपको अपने आप को स्थाई रखने या नीचे की तरफ जाने में परेशानी हो तो आप एक ब्लॉक (block) का सहारा ले सकते हैं। अगर हाथ नीचे तक ना पहुँचे तो उसे इस ब्लॉक पर टीका लें। ब्लॉक की हाइट अपने आराम अनुसार चुन लें। अगर आपके पास योग ब्लॉक ना हो तो उसके बजाए आप किसी भी और ऐसी वस्तु का इस्तेमाल कर सकते हैं जिस पर आप हाथ को टीका सकें और वह आपका वज़न झेल सके।
उत्थित त्रिकोणासन करने में क्या सावधानी बरती जाए -
- जिन्हे दस्त, सिर दर्द, या कम रक्त दबाव की समस्या हो, वह उत्थित त्रिकोणासन ना करें। (और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलू उपाय)
- अगर आपको दिल की कोई समस्या हो तो दीवार से सट कर अभ्यास करें। अपना उपर वाला हाथ सीधा उठा कर रखने की जगह कूल्हे पर रखें।
- अगर आपको हाई बीपी की शिकायत हो तो आख़िरी मुद्रा में सिर ऊपर की तरफ उठाने की जगह नीचे की तरफ रखें ताकि आपकी दृष्टि आपके पैर की उंगलियों पर हो।
- अगर आपकी गर्दन में दर्द हो तो आख़िरी मुद्रा में सिर ऊपर की तरफ उठाने की जगह सीधा रखें ताकि आपकी गर्दन पर ज़ोर ना पड़े (ध्यान रखें की नीचे भी ना देखें)।
- अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।
उत्थित त्रिकोणासन करने के बाद आसन -
- परिवृत्त त्रिकोणासन
- उत्थित पार्श्वकोणासन
- प्रसारित पादोत्तासन
- पर्श्वोत्तनासन
उत्थित त्रिकोणासन का वीडियो -
उत्थित त्रिकोणासन को ठीक से करने के लिए यह वीडियो ध्यान से देखें
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