गरुड़ासन का नाम "गरुड़" शब्द पर रखा गया है। गरुड़ का मतलब होता है चील। इस आसन में आप चील की मुद्रा में होते हैं, इस लिए नाम दिया गया "गरुड़ासन"।
इस लेख में गरुड़ासन के आसन को करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें। लेख के अंत में एक वीडियो भी शेयर किया गया है।
गरुड़ासन के फायदे -
गरुड़ासन के फायदे इस प्रकार हैं:
- गरुडासन टाँगों और बाहों की मांसपेशियों को मजबूत करता है, और तंत्रिकाओं को टोन करता है।
- पीठ के ऊपरी हिस्से, कमर, और कंधों में भी खिंचाव लता है।
- गरुडासन कटिस्नायुशूल (साएटिका) और गठिया के लिए चिकित्सीय है।
- एकाग्रता में सुधार लाता है।
- शारीरिक संतुलन में भी सुधार लाता है।
गरुड़ासन करने से पहले आप यह आसन ज़रूर करें:
- अधो मुख श्वानासन
- प्रसारित पादोत्तासन
- सुप्त वीरासन
गरुड़ासन करने का तरीका इस प्रकार है:
- ताड़ासन में आराम से खड़े हो जाएँ। सामान्य रूप से श्वास लेते रहें।
- बाई टाँग को उठा कर दाईं टाँग के ऊपर टिका लें। बाई जांघ दाईं जांघ के ऊपर टिकी होनी चाहिए और बाएँ पैर की उंगलियों को जमीन की ओर रखें।
- अब बाई टाँग को घुमा कर इस तरह दाईं टाँग के पीछे ले आयें ताकि बायाँ पंजा दाईं पिंडली पर टिका हो।
- अब दोनो बाहों को आगे की ओर उठायें।
- दाहिने बाह को बाईं बाह के ऊपर रखें, दोनो कोहनियों को 90 दर्जे मोड़ें और दायें हाथ को घुमा कर बायें हाथ के सामने ले आयें।
- दोनो हथेलियों को जोड़ें।
- कोशिश करें की बाज़ू ज़मीन से समान्तर हों।
- सामान्य रूप से श्वास लें और इस मुद्रा में 30-60 सेकेंड के लिए खड़े रहें।
- आसन से बाहर निकालने के लिए सारे स्टेप विपरीत क्रम में करें+ ताड़ासन में समाप्त करें।
- अब दूसरी ओर भी दौहरायें।
- शुरुआत में गरुड़ासन करने में हो सकता है कि आपको पिंडली के पीछे उठाए गए पैर को टिकाना कठिन लगे, या फिर कि इस मुद्रा में अपना संतुलन बनाए रखना। अगर ऐसा हो तो अपने संतुलन को बनाए रखने के लिए जिस पैर को उठाया हुआ हो, उसका अंगूठा ज़मीन पर टिका कर रखें।
- अगर इस से भी बात ना बने तो दीवार का सहारा ले सकते हैं।
- अगर आप हथेलियान एक दूसरे से ना छू पा रहे हों, तो जितना भी हाथ एक दूसरे के इर्द-गिर्द घूमें, उंता ही घुमायें।
गरुड़ासन करने में यह सावधानियाँ अवश्य बरतें:
- अगर आपके घुटनों में दर्द या चोट हो तो गरुड़ासन ना करें।
- गठिया के मरीज़ों को केवल विशेषज्ञ मार्गदर्शन के तहत इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
गरुड़ासन करने के बाद आप यह आसन ज़रूर करें:
- गोमुखासन
- उत्कटासन
- वृक्षासन
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