शलभासन में आप "शलभ" यानी टिड्डे (जिसे अँग्रेज़ी में ग्रासहोपर कहते हैं) की मुद्रा में होते हैं। इस लिए इस आसान का नाम शलभासन रखा गया है। शलभासन आपकी रीढ़ की हड्डी की सेहत के लिए बहुत ही अच्छा होता है।
इस लेख में शलभासन के आसन को करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें। लेख के अंत में एक वीडियो भी शेयर किया गया है।
शलभासन के फायदे -
शलभासन करने के फायदे इस प्रकार हैं:
- यह पीठ के निचले हिस्से और श्रोणि अंगों को मजबूत करता है, और सूक्ष्म तंत्रिकाओं को मजबूत करता है, जो कि पीठ दर्द, हल्के कटिस्नायुशूल (साइटिका) और स्लिप-डिस्क से पीड़ित लोगों को राहत प्रदान करती है। लेकिन अगर परेशानी गंभीर हो तो पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर करें।
- यह यकृत (लिवर) और अन्य पेट के अंगों के कामकाज को संतुलित करता है और पेट और आंत के रोगों को कम करता है।
- शलभासन भूख को विनियमित करता है।
- पीठ के निचले हिस्से और गर्दन की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति में सुधार लाता है, और शरीर के इन भागों में कठोरता से राहत दिलाता है।
शलभासन करने से पहले यह आसन ज़रूर करें। इन्हे करने से आपकी गर्दन और रीढ़ की हड्डी शलभासन के लिए उचित स्थिति में आ जाएगी और आप इस आसन का पूरा लाभ पाएँगे।
- भुजंगासन
- गोमुखासन
- ऊर्ध्व मुख श्वानासन
- वीरभद्रासन 1
शलभासन करने का तरीका -
शलभासन करने की विधि इस प्रकार है:
- पेट के बल लेट जायें। दोनो पैर एक साथ रखें, और दोनो पंजे भी। पैरों के तलवे उपर की ओर रखें।
- हाथों को जांघों के नीचे दबा लें, हथेलियन खुली और नीचे के ओर रखें।
- ठोड़ी को तोड़ा आगे लायें और ज़मीन पर टीका लें। आसन के पूरे अभ्यास में थोड़ी ठोड़ी को नीचे ही लगा कर रखें।
- आँखें बंद कर लें और शरीर को शिथिल करने की कोशिश करें।
- यह आरंभिक स्थिति है।
- धीरे-धीरे टाँगों को जितना ऊंचा हो उतना ऊंचा उठाने की कोशिश करें। टाँगों को सीधा और साथ रखें। टाँगों को ऊपर उठना आसान बनाने के लिए दोनो हाथों से ज़मीन पर दबाव डालें, और पीठ के निचले हिस्से की मासपेशियों को संकुचित कर लें।
- पैर जब और ऊपर ना जेया सकें, वह आपकी अंतिम स्थिति है। बिना किसी तनाव के इस मुद्रा में 30-60 सेकेंड या कम देर (अपनी क्षमता के अनुसार) के लिए रुकें।
- आसान से बाहर आने के लिए धीरे से पैरों को ज़मीन पर ले आयें।
शलभासन का आसान रूपांतर -
अगर आपको शलभासन करने में परेशानी हो रही हो तो अर्ध शलभासन कर सकते हैं। इसमें एक समय पर केवल एक टाँग को उठाना होता है, और दूसरी टाँग ज़मीन पर रहती है।
शलभासन करने में क्या सावधानी बरती जाए -
शलभासन करने से पहले इन बातों का अवश्य ध्यान रखें:
- शलभसन को करने के लिए बहुत अधिक शारीरिक प्रयास की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे दिल की बीमारी या हाई बीपी से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए।
- पेप्टिक अल्सर, हर्निया, आंतों में तपेदिक और अन्य ऐसी स्थिति से पीड़ित लोगों को भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
शलभासन करने के बाद आसन -
शलभासन करने के बाद आप यह आसन करें:
- ऊर्ध्व धनुरासन या चक्रासन
- सेतुबंधासन
- सर्वांगासन
- शीर्षासन
शलभासन का वीडियो -
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