इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य भी हो सकती हैं और किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी। ऐसी ही एक बीमारी है क्रोहन। क्रोहन रोग, पेट में दर्द, दस्त या फिर लेख में बताए गए अन्य लक्षणों के साथ शरीर में दाखिल हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि इस रोग के विषय में आवश्यक जानकारी रखी जाए। इस लेख में जानिए कि क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं। इस लेख में क्रोहन रोग से बचने के उपाय के बारे में भी बताया गया है। साथ ही क्रोहन रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस विषय पर भी जानकारी दी गई है।
क्रोहन (क्रोन) रोग के प्रकार -
रोहन रोग के प्रकार को पांच भागों में बांटा जा सकता है –
इलोकैलाइटिस : यह क्रोहन का आम प्रकार है। इसमें पीड़ित व्यक्ति के कोलन (आंत का भाग) और इलीयम (छोटी आंत का अंतिम भाग) प्रभावित होता है।
जेजुनोइलाइटिस: यह आमतौर पर छोटी आंत के बीच वाले भागे जेजुनम (Jejunum) को प्रभावित करता है।
इलाइटिस : क्रोहन रोग का यह प्रकार इलीयम (ileum, छोटी आंत का अंतिम भाग) को प्रभावित करता है। इससे इलीयम में सूजन पैदा होती है।
गैस्ट्रोडोडोडेनल क्रोहन रोग : क्रोहन रोग का यह प्रकार पेट और डूआडनल (Duodenal, छोटी आंत का शुरुआती भाग) को प्रभावित करता है।
क्रोहन (ग्रैनुलोमैटस) कोलाइटिस ) : क्रोहन रोग का यह प्रकार कोलन को प्रभावित करता है, जो बड़ी आंत का मुख्य हिस्सा होता है
क्रोहन रोग के कारण –
क्रोहन रोग के कारण के बारे में साफ तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा। अभी तक इसके सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। डॉक्टर का मानना है कि नीचे बताए गए कारण इनमें शामिल हो सकते हैं
- ऑटोइम्यून रिएक्शन : इस समस्या में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। माना जाता है कि पाचन तंत्र के बैक्टीरिया ऐसे ऑटोइम्यून रिएक्शन की वजह हो सकते हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण जैसे आंत में सूजन जैसी समस्या हो सकती है।
- आनुवंशिक: माना जाता है कि क्रोन रोग आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर किसी के माता-पिता या भाई-बहन को क्रोहन रोग रहा हो तो उस व्यक्ति को भी यह हो सकता है।
- अन्य कारण : क्रोहन रोग के कारण में धूम्रपान, नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां (जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स या एस्पिरिन ) और उच्च फैट युक्त आहार भी शामिल हो सकते हैं।
- क्रोहन रोग के कारण जानने के बाद आइए अब आपको बताते हैं कि क्रोहन रोग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं –
क्रोहन रोग के लक्षण –
क्रोहन रोग के लक्षण सभी में एक समान नहीं होते। यह इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि रोग डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किस भाग में है और कितना गंभीर है। कुछ ऐसे लक्षण हैं जो आम हो सकते हैं, जैसे
- डायरिया
- पट में दर्द और मरोड़
- वजन कम होना
- इसके अलावा, क्रोहन रोग के लक्षण कुछ और भी हो सकते हैं, जैसे :
- खून की कमी (एनीमिया)
- आंखों का लाल होना या दर्द
- थकान
- बुखार
- जोड़ों में दर्द या अकड़न
- मतली या भूख न लगना
क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक –
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग और इसके कई जोखिम कारक हो सकते हैं। क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हो सकते हैं
- धूम्रपान।
- अपेंडिक्स (बड़ी आंत से जुड़ी एक छोटी नली) की सर्जरी।
- गर्भनिरोधक गोलियों या एंटीबायोटिक दवा।
- शुगर और फैट से भरपूर डाइट।
- किसी प्रकार का संक्रमण।
- जिन्हे पहले गैस्ट्रोएंटेराइटिस (आंत से जुड़ा संक्रमण) की समस्या रही हो।
क्रोहन रोग के जोखिम कारक, कारण और लक्षण जानने के साथ यह जानना भी जरूरी है कि क्रोहन रोग का इलाज किस तरह किया जा सकता है। नीचे इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।
क्रोहन (क्रोन) रोग का इलाज –
क्रोहन रोग के उपचार के बारे में बात करें तो इसका इलाज सभी के लिए एक समान काम नहीं करता। इन उपचारों का उपयोग खासकर इसके लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। ये उपचार तीन तरह से किए जा सकते हैं
- दवाइयों की मदद से
- आंत को आराम देकर
- सर्जरी
निम्नलिखित दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को कम करके, क्रोहन रोग का इलाज किया जा सकता है :
अमीनोसिलिलेट्स : इन दवाइयों में एक खास तरह का एसिड (5-ASA) पाया जाता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
- डायरिया
- सिरदर्द
- सीने में जलन
- मलती और उल्टी
- पेट दर्द
कॉर्टिकोस्टेरॉइड : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करती हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
- मुंहासे
- उच्च रक्तचाप
- हाई ब्लड शुगर
- हड्डियों का घनत्व कम होना
- संक्रमण का खतरा
- मूड स्विंग
- वजन बढ़ना
इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स -ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन को कम करती हैं, जिससे सूजन कम करने में मदद मिल सकती है। इन्हें ठीक से काम करने में कुछ हफ्तों से तीन महीने तक का समय लग सकता है। ये दवाइयां उन्हें दी जाती हैं, जिन पर कोई और दवा काम नहीं करती। इसके दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार हो सकते हैं
सफेद रक्त कोशिकाओं का कम होना, जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- थकान
- उल्टी और मलती
- पैन्क्रियाटाइटिस (अग्न्याशय में सूजन)
आंत को आराम देकर :
अगर किसी के लक्षण ज्यादा गंभीर हो तो दवाइयों के अलावा, क्रोहन रोग का इलाज आंत को आराम देकर भी किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर कुछ खास पेय पदार्थों का सेवन करने की सलाह दे सकता है। यह कुछ इस प्रकार किया जा सकता है –
- पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों का सेवन।
- ट्यूब के माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों को पेट या छोटी आंत तक पहुंचाना।
- खून के माध्यम से शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों को पहुंचाना।
सर्जरी :
क्रोहन रोग का इलाज सर्जरी के जरिए भी किया जा सकता है। यह सर्जरी इस रोग के लक्षणों में सुधार और जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकती है। क्रोहन रोग के उपचार के दौरान कुछ खास परिस्थितियों में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जो निम्नलिखित हो सकती हैं :
- फिस्टुला के कारण(शरीर के दो हिस्सों के बीच एक अप्राकृतिक जोड़)
- जानलेवा रक्तस्त्राव
- आंत में कसावट (खाना, पेय पदार्थ, हवा या मल का आंत से न गुजर पाना)
- दवाइयों के जानलेवा दुष्प्रभाव
- जब दवाइयों से लक्षण बेहतर न हो।
इलाज के साथ आहार का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, क्रोहन रोग के उपचार के बाद जानिए क्रोहन रोग के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है।
क्रोहन रोग आहार –
क्रोहन रोग के प्रकार के अनुसार, आहार के क्या खाना है, इस बारे में सटीक जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे। लेकिन इस दौरान आहार से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखने से फायदा मिल सकता है ।
- सोडा वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें।
- उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पॉपकॉर्न, नट्स आदि खाने से बचें।
- अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें।
- एक साथ बहुत सारा न खाएं।
- समस्या के अनुसार डॉक्टर उच्च कैलोरी, लेक्टोस-फ्री, लो फैट, लो फाइबर या लो सॉल्ट युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।
- इन बातों के अलावा यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि किन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है
ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थ उच्च फाइबर/लेक्टोस/फैट/ग्लूटेन से समृद्ध हैं, जो क्रोहन रोग के लक्षण जैसे डायरिया, पेट दर्द, सूजन, गैस आदि को बढ़ा सकते हैं। इस वजह से इन्हें आहार में शामिल न करने की सलाह दी जाती है ।
क्रोहन रोग से बचने के उपाय –
लेख में हम पहले भी बता चुके हैं कि क्रोहन एक प्रकार का आंत से जुड़ा इंफ्लेमेटरी रोग है। ऐसे में इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज से बचने की टिप्स क्रोहन रोग से बचने के उपाय के रूप में काम कर सकती हैं। इन टिप्स के बारे में नीचे बताया गया है :
- धूम्रपान न करें
- जरूरी टीकाकरण करवाएं। इससे संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
- हर रोज व्यायाम और कुछ शारीरिक गतिविधि करें।
- संतुलित आहार लें।
- एनीमिया से बचें
ऐसी दवाइयों से बचें जो क्रोहन रोग का कारण बन सकती हैं, जैसे नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां।
हम उम्मीद करते हैं कि लेख के माध्यम से आपको क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और इससे जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी मिल गई होंगी। इस बात को भी आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि क्रोन रोग आंत के साथ पूरे शरीर को किस तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए, क्रोहन रोग के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं।
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