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अल्जाइमर रोग के कारण, लक्षण और उपचार

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रोजमर्रा के कामकाज के दौरान छोटी-छोटी बातों को भूल जाना आम है। हां, अगर कोई अहम बातों को भी भूलने लगे, तो अल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। दुनियाभर में कई लोग इस रोग की चपेट में हैं। अल्जाइमर से पीड़ित मरीज अपनों के साथ होते हुए भी नहीं होते, क्योंकि उनके दिमाग में मौजूद तमाम बातें व यादें मिटने लगती हैं। अफसोस, इस भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है । यह समय के साथ और गंभीर होती चली जाती है, लेकिन डॉक्टर की दवा और अल्जाइमर के लिए घरेलू उपाय का इस्तेमाल कर इसके लक्षण को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इस लेख में हम अल्जाइमर रोग, इसके विभिन्न स्टेज और इस भूलने की बीमारी का इलाज न होने के बावजूद, इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है, इस बारे में विस्तार से बताएंगे।

अल्जाइमर रोग क्या है? –
अल्जाइमर रोग (AD) न्यूरोलॉजिकल (दिमाग से संबंधित) विकार है। इसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं खत्म व नष्ट होने लगती हैं, जिससे याददाश्त और दैनिक गतिविधियों की क्षमता प्रभावित होती है। अल्जाइमर डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम प्रकार है। शुरुआती दौर में अल्जाइमर के लक्षण कम होते हैं, लेकिन समय के साथ यह समस्या काफी गंभीर होती जाती है। इस बीमारी से प्रभावित लोगों को भूलने की बीमारी लग जाती है, जिस कारण वह परिवार के सदस्यों को पहचान नहीं पाते। कई बार बोलने, पढ़ने और लिखने में भी समस्या होने लगती है। कई बार तो मरीज दांत ब्रश करना और बालों को कंघी करना तक भूल जाते हैं। बाद में बीमारी से ग्रसित लोग, चिंतित और आक्रामक व गुस्सैल हो जाते हैं। आमतौर पर अल्जाइमर रोग 60 साल के बाद होना शुरू होता है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ गंभीर होता जाता है ।

माना जाता है कि युवा लोगों को भी अल्जाइमर रोग हो सकता है, लेकिन यह आम नहीं है। हालांकि, अभी भी अल्जाइमर डिजीज का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है, इसलिए वैज्ञानिक इस मामले में काफी शोध कर रहे हैं । एक शोध में यह भी सामने आया था कि अल्जाइमर रोग भी एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही न्यूरोन्स को खत्म करने लगती है

अल्जाइमर रोग के चरण – 
व्यापक रूप से अल्जाइमर को 7 चरणों में विभाजित किया गया। इन सभी सात स्टेज के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं ।

स्टेज 1: नो कॉग्निटिव इंपेयरमेंट 
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति अगर कमजोर नहीं हैं, तो इस दौरान स्मृति से संबंधित किसी तरह की समस्याओं का अनुभव नहीं होता। साथ ही डॉक्टर भी इस स्टेज का पता नहीं लगा पाते, क्योंकि इस चरण के दौरान एक प्रभावित व्यक्ति में आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते।

स्टेज 2: मामूली गिरावट
इस स्टेज में अल्जाइमर प्रभावित व्यक्ति को लगता है कि उसकी याददाश्त कम हो रही है और वह परिचित शब्दों, जगह और लोगों के नाम को भूल रहा है। जैसे चाबियां, चश्मा और अन्य रोजमर्रा की चीजों को रखने की जगह को भूलना।

स्टेज 3: माइल्ड कॉग्निटिव डिकलाइन 
इस स्टेज पर रोगी के मानसिक (संज्ञानात्मक) व्यवहार में बदलाव दिखने लगते हैं। इनकी याददाश्त और एकाग्रता में कमी आने लगती है। इस स्टेज के लोगों का निदान संभव होता है। डॉक्टर परीक्षण के दौरान इसका पता लगा सकता है। ऐसे मरीज परिवार व करीबी लोगों के नाम भूल जाते हैं और नए लोगों से मिलने पर उनका नाम याद नहीं रख पाते। साथ ही किसी भी प्लान को बनाने और उसे याद रखने की क्षमता में कमी आने लगती है। कुछ भी पढ़ने के बाद उसे याद न रख पाना, सामान खोना या किसी गलत जगह पर रख देना।

स्टेज- 4: माडरेट कॉग्निटिव डिकलाइन 
इस दौरान हाल ही में हुई घटनाओं को भूलना व इससे संबंधित कुछ ही बातों का याद होना। किसी भी तरह का बिल भरना, पैसों से संबंधित कामों को करना व खुद से जुड़ी हुई बीती बातों को भूलना।

स्टेज-5: मॉडेरटली सीवियर कॉग्निटिव डिक्लाइन
इस चरण में अल्जाइमर के लक्षण काफी ज्यादा दिखने लगते हैं। कई नई समस्याएं होने लगती हैं, जैसे खुद से संबंधित बातों को भूलना, मोबाइल नंबर, घर का पता, तारीख, महीने और मौसम को याद रखने में समस्या व गिनती भूलना आदि। इस स्टेज में व्यक्ति को अपना नाम और अपने घर परिवार वालों का नाम याद रहता है। साथ ही खाना खाने और शौचालय इस्तेमाल करने में कोई समस्या नहीं होती।

स्टेज -6:  गंभीर गिरावट 
इस अवस्था में स्मृति से संबंधित समस्याएं इतनी ज्यादा गंभीर हो जाती हैं कि व्यक्ति कई तरह की महत्वपूर्ण बातों को भूलने लगता है। प्रभावित व्यक्तियों को दैनिक गतिविधियों जैसे कपड़े पहने और बाथरूम इस्तेमाल करने में भी समस्या होने लगती है। सामान्य तौर पर इस दौरान व्यक्ति अपने घरवालों का नाम भूल जाता है, लेकिन अपना नाम याद रखता है और परिचितों को भी पहचान लेता है। इस स्टेज में नींद आने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

स्टेज – 7: लेट स्टेज  
अल्जाइमर डिजीज का यह अंतिम चरण होता है। इसमें व्यक्ति प्रतिक्रिया करने, बोलने और शरीर को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। हालांकि, कभी-कभी पीड़ित शब्द या छोटे-छोटे वाक्य बोल लेता है। इस दौरान व्यक्ति को खाने और शौचालय जाने में सहायता की जरूरत पड़ती है। साथ ही सहायता के बिना चलने, उठने व बैठने की क्षमता भी लगभग खत्म हो जाती है। इसके अलावा, मांसपेशियां भी कठोर होने लग जाती हैं। खाना निगलने में भी समस्या होने लगती है।

अल्जाइमर रोग के कारण – 
अल्जाइमर रोग का वैसे तो कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क में कुछ परिवर्तन होने की वजह से ही अल्जाइमर रोग होता है । इसके कुछ संभावित कारण हम नीचे बता रहे हैं : 
  • मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के नर्व सेल्स (तंत्रिका कोशिकाओं) का काम न करना व नष्ट होना ।
  • माना जाता है कि पूरी नींद न लेना भी आगे चलकर अल्जाइमर रोग का कारण बन सकता है ।
  • ताउ प्रोटीन (Tau protein) का जमा होना ।
  • न्यूरोपिल थ्रेड (असामान्य न्यूरोनल प्रक्रियाएं) ।
  • ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कारण हो सकता है ।
  • भूलने की बीमारी का इलाज भले ही न हो, लेकिन अल्जाइमर रोग के लक्षण दिखते ही इन्हें कम करने के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। इसलिए, नीचे हम विस्तार से अल्जाइमर के लक्षण के बारे में बता रहे हैं।

अल्जाइमर रोग के लक्षण –
भूलने की बीमारी जिसकी वजह से हर दिन प्रभावित हो, वह सामान्य रूप से बढ़ती उम्र का हिस्सा नहीं है। यह डिमेंशिया के एक प्रकार एल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। ऐसे में भूलने की बीमारी से घर में कोई भी जूझ रहा हो, तो सतर्क होना जरूरी है। नीचे हम 10 संकेत व लक्षण बता रहे हैं। इन लक्षणों से यह साफ हो जाएगा कि इस भूलने की बीमारी का इलाज करना जरूरी है, क्योंकि यह बुढ़ापे का संकेत नहीं, बल्कि उसे कहीं बढ़कर है (4)।
  • स्मर्ण शक्ति का कम होना।
  • घर से संबंधित कार्य करने में परेशानी होना।
  • कुछ भी बोलने व समझने में समस्या होना।
  • समय और स्थान को लेकर भ्रम होना व पहचान न पाना।
  • निर्णय लेने की क्षमता का कम व खत्म होना।
  • सोचने में परेशानी व क्षमता में कमी।
  • चीजों का खो जाना।
  • बर्ताव और मन की स्थिति में बदलाव होना।
  • व्यक्तित्व में परिवर्तन।
  • आत्मबल में कमी।

अल्जाइमर रोग के लक्षण तो आप जान ही चुके हैं, अब हम अल्जाइमर रोग के लिए घरेलू उपाय के बारे में बता रहे हैं। यह घरेलू उपाय अल्जाइमर रोग के उपचार तो नहीं हैं, लेकिन इनके जरिए लक्षण कम करने में मदद जरूर मिल सकती है।

अल्जाइमर रोग के लिए घरेलू उपाय –
1. गिंको बाइलोबा (जिन्‍कगो) 
सामग्री:
  • जिन्कगो बाइलोबा की पत्तियां या सप्लीमेंट

उपयोग का तरीका:
  • जिन्कगो बाइलोबा की पत्तियां को महीन पीस लें।
  • अब इसमें से आधा कप जूस निकालकर पी लें।
  • डॉक्टर की सलाह पर इसके सप्लीमेंट का भी सेवन किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:
जिन्कगो बाइलोबा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसलिए, माना जाता है कि यह अल्जाइमर रोग से संबंधित कुछ लक्षणों को कम कर सकता है। अल्जाइमर रोग के इलाज में जिन्कगो बाइलोबा की गुणवत्ता और प्रभावशिलता को परखने के लिए अभी और शोध किए जाने जरूरी हैं (11) (12)।

2. विटामिन-ई 
सामग्री:
  • विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट 
  • उपयोग का तरीका: 
  • सीधे विटामिन-ई से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
  • विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों में बादाम, सूरजमुखी के बीज, पालक, कीवी और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं।
  • विटामिन-ई के अतिरिक्त सप्लीमेंट डॉक्टर की सलाह पर लिए जा सकते हैं। 

कैसे लाभदायक है:
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी फॉर इंफोर्मेशन) में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, अल्जाइमर होने का मुख्य कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी माना गया है। ऐसे में अल्जाइमर के इलाज और इसके लक्षण को ठीक करने में विटामिन-ई अहम भूमिका निभा सकता है। अल्जाइमर को लेकर की गई स्टडी के मुताबिक, विटामिन-ई न केवल ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने में सक्षम है, बल्कि यह याददाश्त और मस्तिष्क स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर डाल सकता है । विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों के अलावा विटामिन-ई 15mg तक के सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं ।

3. हल्दी 
सामग्री:
  • 1 चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1 गिलास गर्म दूध

उपयोग का तरीका: 
  • एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिक्स कर लें।
  • इसे अच्छी तरह से मिलाएं और फिर पी लें।
  • इस मिश्रण का रोजाना एक बार सेवन किया सकता है।

कैसे लाभदायक है:
हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है, जो एक प्रकार का पॉलीफेनोल कंपाउंड है। माना जाता है कि यह कंपाउंड अल्जाइमर के उपचार और रोकथाम में भूमिका निभा सकता है। दरअसल, करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी व लिपोफिलिक गुण होता है, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद कर सकता है। शोध के मुताबिक, करक्यूमिन में कई गुण होते हैं, जो न्यूरोन्स को नष्ट होने से रोककर अल्जाइमर के रोगियों की स्मृति में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, माना जाता है कि हल्दी के प्रयोग से अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है ।

4. ओमेगा-3 
सामग्री:
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ व सप्लीमेंट

उपयोग का तरीका:
  • रोजाना ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन का सेवन करें।
  • ओमेगा-3 से भरपूर खाद्य पदार्थों में वसा युक्त मछली, अलसी, अखरोट, सोया और चिया बीज शामिल हैं।
  • डॉक्टर की सलाह पर ही सप्लीमेंट ले सकते हैं। 

कैसे लाभदायक है:
ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क संबंधी कार्यों व गतिविधियों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। जानवरों पर किए गए शोध के मुताबिक, यह फैटी एसिड बीटा-एमिलॉइड (न्यूरोन में जमने वाला अमिनो एसिड) को कम करने के साथ ही अल्जाइमर रोग की वजह से न्यूरोन्स को पहुंचने वाले नुकसान को भी रोकने में मदद कर सकता है। इसलिए, माना जाता है कि अल्जाइमर रोग के हल्के लक्षण नजर आने पर ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है ।

अल्जाइमर रोग के जोखिम कारक –
अल्जाइमर का जोखिम कारक सेरेब्रोवास्कुलर (Cerebrovascular) रोग भी है। यह रोग मरीज के मस्तिष्क और रक्त वाहिकाओं में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ती को रोकता है। इसके अलावा, रक्त वाहिका से संबंधित वास्कुलोपैथी (Vasculopathies) नामक विकार होने पर भी अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों के साथ ही अल्जाइमर के अन्य जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हैं: 
  • उम्र का बढ़ना अल्जाइमर का जोखिम कारक हो सकता है।
  • परिवार या करीबी रिश्तेदार में किसी का अल्जाइमर रोग से पीड़ित होना।
  • शरीर में अल्जाइमर रोग से जुड़े कुछ जीन का होना।
  • महिलाओं को अल्जाइमर होना का ज्यादा खतरा होता है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याओं का होना।
  • सिर में किसी तरह की चोट का लगना।
  • पर्यावरण का प्रभाव भी एक जोखिम कारक है।
  • मधुमेह।
  • उच्च रक्तचाप।
  • धूम्रपान।
  • मोटापा।

अल्जाइमर रोग के उपचार के साथ ही इससे बचने के कुछ टिप्स को भी अपनाया जा सकता है, जिससे भूलने की बीमारी के इलाज में मदद मिल सकती है।

अल्जाइमर रोग से बचने के उपाय – 
भूलने की बीमारी का इलाज करवाना तो जरूरी है ही, लेकिन दिनचर्या में कुछ बदलाव भी अल्जाइमर रोगियों के लिए जरूरी होते हैं। यह बदलाव शुरुआती स्टेज के अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने के साथ ही स्वस्थ लोगों को इस बीमारी से बचा सकते हैं।
  • नियमित रूप से व्यायाम और अन्य शारीरिक गतिविधियों को करना।
  • ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखना।
  • संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करना। खासकर मेडिटेरेनियन डाइट।
  • खाली समय में साइकलिंग, घुड़सवारी व स्विमिंग आदि करना।
  • दिमाग से संबंधित गतिविधियों में हिस्सा लेना।
  • सिर को चोट लगने से बचाएं रखना।
  • सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेना।
  • डिप्रेशन व तनाव से बचना।
  • धूम्रपान को छोड़ना।
  • वजन को नियंत्रित रखना।
  • अच्छी नींद लेना।

अल्जाइमर से निपटना और इससे प्रभावित व्यक्ति को संभालना काफी मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से अल्जाइमर ग्रसित व्यक्ति को संभालने और इस रोग को समझने में मदद मिल सकती है। हम समझ सकते हैं कि अपने प्रियजनों में अल्जाइमर रोग से संबंधित बदलाव को स्वीकार करना आसान नहीं, लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में हार नहीं माननी चाहिए। आर्टिकल में दी गई जानकारी की सहायता से आप अल्जाइमर रोगी को भावनात्मक और मानसिक सहायता देकर उनके साथ खड़े रहे सकते हैं। अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने के लिए दवाओं के साथ ही घरेलू उपचार का भी डॉक्टर की सलाह पर इस्तेमाल किया जा सकता है।


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