आज इंटरनेट विश्वस्तर पर अपने पैर फैला चूका है, यदि हम कहें इंटरनेट आज के समय में एक मूलभूत आवश्यकता बन गया है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इंटरनेट को इस मुकाम तक पहुंचाने में विभिन्न कारकों ने अहम भूमिका निभाई है, जिनमें एक है "भाषा "। जिसे हम इंटरनेट का अभिन्न अंग भी कह सकते हैं। इंटरनेट पर विश्व की अधिकांश भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, किंतु वास्तविक तथा उपयोगी जानकारी उन्हीं भाषाओं में उपलब्ध होती हैं, जो विश्व में शिक्षित वर्ग के मध्य ज्यादा प्रचलित हैं। इसी कारणवश अंग्रेजी भाषा इंटरनेट पर प्रयोग की जाने वाली भाषाओं के शीर्ष पर है, जो एक वैश्विक भाषा बनने की ओर भी अग्रसर है। वर्ष 2017 में इंटरनेट वर्ल्ड स्टैट्स (Internet World Stats) ने इंटरनेट में सर्वाधिक प्रयोग होने वाली भाषा पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें 10 शीर्ष भाषाऐं निम्वत हैं:-
एक रोचक तथ्य यह भी है कि संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएँ (अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश) सभी उपरोक्त शीर्ष दस इंटरनेट भाषाओं की तालिका में शामिल हैं। यदि हम उपरोक्त सूची को देखें तो इसमें हिन्दी भाषा का नाम नहीं है, जबकि विश्व में बोली जाने वाली शीर्ष भाषाओं की दृष्टि में हिन्दी भाषा का चौथा स्थान है। विश्व में बोली जाने वाली शीर्ष 20 भाषाएँ कुछ इस प्रकार हैं
विगत कुछ समय से इसके स्वरूप में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अब लोग सर्वप्रचलित भाषा की अपेक्षा स्थानीय भाषा में इंटरनेट का प्रयोग करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। अप्रैल 2017 में प्रकाशित गूगल और केपीएमजी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में 23.4 करोड़ भारतीय-भाषा इंटरनेट उपयोगकर्ता थे, जबकि केवल 17.5 करोड़ अंग्रेजी उपयोगकर्ता थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 और 2021 के बीच दस नए इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से नौ स्थानीय भाषाओं का उपयोग करेंगे, जिनकी संख्या लगभग 53.4 करोड़ तक पहुंचने की संभावना लगाई जा रही है।
तमिल, हिंदी, कनाड़ा, बंगाली और मराठी भाषी उपयोगकर्ता उच्चस्तर पर ऑनलाइन सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं, इसके बाद तेलुगू, गुजराती और मलयालम हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अगले चार वर्षों में, अकेले हिंदी बोलने वाले उपयोगकर्ता अंग्रेजी बोलने वाले उपयोगकर्ताओं से आगे निकल जाएंगे तथा हिन्दी भारत में इंटरनेट पर सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली भाषा होगी। भारतीय भाषा में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में मराठी, बंगाली, तमिल और तेलुगू का 30% हिस्सा होगा।
रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय भाषाओं की मिश्रित वार्षिक विकास दर कुछ इस प्रकार रहने वाली है, संदेश और मनोरंजन के लिए 19%; सोशल मीडिया के लिए, यह 21% है; ऑनलाइन समाचार के लिए, यह 22% है; डिजिटल भुगतान में 30% की वृद्धि देखी जाएगी; ऑनलाइन सरकारी सेवाओं में 33% की वृद्धि देखी जाएगी; ई-टेलिंग के लिए, यह 32% है और डिजिटल वर्गीकृत में 32% की वृद्धि देखी जाएगी।
फेसबुक विश्व स्तर पर व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने वाला एप है, जो भारत में भी अत्यंत लोकप्रिय है तथा यह भी भारत की 13 स्थानीय भाषाओं का समर्थन करता है। यदि गूगल की बात की जाए तो इसके एप और अन्य सेवाएं तथा कुछ विशेष एंड्रॉइड स्मार्टफ़ोनों (Android smartphones) में भारत की स्थानीय भाषाओं को भी स्थान दिया गया है। दो साल पहले, माइक्रोसॉफ्ट ने स्विफ्टकी (Swiftkey), आईओएस (iOS) और एंड्रॉइड कीबोर्ड ऐप (Android keyboard app) को अधिग्रहित किया, जोकि 24 भारतीय भाषाओं में भावी सूचक अवतरण प्रदान करते हैं।
स्थानीय भाषा उपयोगकर्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियों के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि 60% भारतीय भाषा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने "सीमित भाषा समर्थन और सीमित सामग्री" को ऑनलाइन सेवाएं अपनाने के लिए सबसे बड़ा अवरोध बताया। 80% भारतीय भाषा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को अंग्रेजी कीबोर्ड का उपयोग करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लगभग 55% उपयोगकर्ता नियमित रूप से इंटरनेट का उपयोग करने के लिए "उच्च लागत और सीमित इंटरनेट ऐक्सेस" को मुख्य अवरोध बताया है। परिस्थितियां कुछ भी हों किंतु डिजिटल भारत की भाषाएं इंटरनेट जगत में अपना स्थान बनाने की ओर तीव्रता से अग्रसर हैं।
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