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उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी कौन-सा है

 
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उत्तर प्रदेश में पक्षियों की लगभग 500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इन पक्षियों में कई प्रवासी पक्षी भी हैं, जो अलग-अलग मौसम में दूसरे देशों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर इस राज्य में कुछ महीनों के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि Uttar Pradesh ka rajya pakshi konsa hai? तो इसका उत्तर है सारस क्रेन (Sarus crane)। स्थानीय भाषा में इस पक्षी को सरहंस, नीलांग, रक्तमस्तक आदि कई नामों से जाना जाता है। इसका जीव वैज्ञानिक नाम ग्रस एंटीगोन है। उत्तर प्रदेश के इस राज्य पक्षी पर एक रुपये का डाक टिकट भी जारी किया गया है।

दुनिया का सबसे लंबा उड़ने वाला पक्षी सारस क्रेन को उत्तरी और केन्द्रीय भारत में खेतों, तालों एवं दलदल के आस-पास बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।

साढ़े चार से पांच फुट ऊंचा यह पक्षी स्लेटी रंग का होता है जिसकी गर्दन के ऊपरी हिस्से का रंग हल्का होता है। इस पक्षी के सिर का भाग लाल रंग का और टांगें गुलाबी रंग की होती हैं। इसकी टांगें लम्बी और मजबूत होती हैं। ये अक्सर जोड़े में देखे जाते हैं। नर और मादा सारस लगभग एक जैसे ही होते हैं पर नर मादा से थोड़ा बड़ा होता है।

यह एक दूसरे के प्रति बेहद वफादार होते हैं। यदि जोड़े में से किसी एक की मौत हो जाये तो दूसरा बेहद सुस्त हो जाता है और खाना-पीना छोड़ देता है। जिससे कभी-कभी उसकी भी मृत्यु हो जाती है। सारस की इसी प्रवृत्ति से प्रभावित होकर मुगल बादशाह जहांगीर ने सारस क्रेन का संरक्षण किया और अपने शाही बाग में इन्हें पलवाया।

इनका मुख्य भोजन अनाज एवं बीज हैं पर यह कीड़े-मकोड़े, मछली, मेंढक एवं घोंघे को भी बड़े चाव से खाता है।

मादा जून-जुलाई में 2 से 3 अंडे देती है। ये ताल या पानी वाले स्थानों पर सरकण्डे के तिनकों, घास-फूस, लकड़ी आदि से बड़ा-सा घोंसला बनाते हैं। नर एवं मादा बड़े प्यार से मिल-जुलकर अपने बच्चों की देख-भाल करते हैं।

मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी क्या है?

मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी दूधराज है। इसका जीव वैज्ञानिक नाम टेरसीफोन पैरादिसी है। यह पक्षियों के मछरमरनी परिवार का सदस्य है। मछरमरनी परिवारा के पक्षी हवा में कीट पतंगों को पकड़ कर अपना भोजन करते हैं। इनकी इसी विशेषता के कारण इनका नाम मछरमरनी पड़ा। अंग्रेजी में इसे Indian paradise flycatcher कहते है।

भारत में दूधराज की तीन प्रजातियां पायी जाती हैं। मध्य प्रदेश के राजकीय पक्षी का निवास स्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ब्रह्मपुत्र के मैदानों तथा दक्षिणी भारत के आखिरी छोर तक है।

वयस्क दूधराज की लंबाई लगभग 18 से 19 इंच होती है। जिसमें से 10 इंच लंबी तो पूंछ ही होती है। नर सफेद रंग का होता है जिसका सर, गर्दन और चोटी चमकीले काले रंग की होती है। मादा चमकीले काले रंग की होती है। मादा की ठोडी, गला एवं छाती का ऊपरी हिस्सा हल्का काला होता है।

दूधराज पक्षी का में किशोर नर का रंग हूबहू मादा जैसा ही होता है। वयस्क होने पर उसके रंग में परिवर्तन होता है। इसके पैर स्लेटी नीले रंग के होते हैं। इसकी चटक नीली चोंच थोड़ी फैली एवं उठी हुई होती है। आंखों का रंग काला होता है। आंखों के चारों ओर नीले रंग का घेरा रहता है।

यह घूमने वाला पक्षी है तथा गर्मियों में ठंडे स्थानों की ओर बढ़ जाता है। यह गुफाओं, छायादार स्थानों एवं जलाशयों के निकट रहना पसंद करता है। भोजन के मामले में उड़ते कीट-पतंगों पर ही निर्भर रहता है तथा उड़ते पतंगों को पकड़ना जैसे इसके बायें हाथ का खेल होता है।

यह भूमि पर कम ही उतरता है। यह चंचल एवं बहुत खुश रहने वाला पक्षी है। इसका घोंसला सुन्दर एवं मजबूत होता है। इसके घोंसले की एक खास बात यह है कि यह ऐसे छिपे स्थानों पर होता है जिन्हें देख पाना लगभग असंभव होता है। घोंसला बनाने में मकड़ी के जाले का प्रयोग भी इसकी विशिष्टता है।

मादा दूधराज अप्रैल से जून में 2 से 4 अंडे देती है, जो धूमिल गुलाबी रंग के होते हैं। अंडों पर भूरे एवं धूमिल लाल रंग के धब्बे होते हैं। इस सुन्दर चिड़िया के जोड़े पर एक डाक टिकट भी भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी किया गया है। 


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