बुध ग्रह आकार में बहुत छोटा और सूर्य के सबसे नजदीक है। धरती से इसे अच्छी तरह सिर्फ भोर तथा संध्या के समय ही देखा जा सकता है; क्योंकि इन दोनों ही समय आकाश में सूरज का चमकीला प्रकाश बहुत ही कम होता है। वर्ष 1974 से पहले इसके छोटे आकार के कारण टेलीस्कोप से इसका अवलोकन भी मुश्किल होता था, जिस कारण पहले खगोलशास्त्रियों को इस ग्रह के बारे में बहुत कम जानकारी थी।
इस पोस्ट में मैं आपको नीचे दिये गए तथ्यों के माध्यम से बुध ग्रह की संरचना से लेकर हाल में इसके अध्ययन के लिए भेजे गए मिशन तक के बारे में जानकारी दूंगा।
#1. बुध, सूर्य के सबसे करीब स्थित ग्रह है तथा सौर-मंडल के सभी 8 ग्रहों में सबसे छोटा है। यह पृथ्वी के चंद्रमा से बस थोड़ा ही बड़ा है।
#2. पृथ्वी की तुलना में बुध की सतह से सूर्य तीन गुना अधिक बड़ा दिखाई देता है तथा उसका प्रकाश सात गुना अधिक चमकीला होता है।
#3. बहुत से लोगों को गलतफहमी है कि सूरज के सबसे करीब होने के कारण बुध ही सौर-मंडल का सबसे गर्म ग्रह है; लेकिन ऐसा नहीं है। सौर-परिवार का सबसे गर्म ग्रह शुक्र (Venus) है।
बुध सूर्य के सबसे नजदीक होते हुए भी सबसे गर्म इसलिए नहीं है; क्योंकि बुध का अपना कोई वायुमंडल नहीं है, जिससे इसके सतह पर पड़ने वाली सूरज की गरमी तुरन्त ही सतह से टकराकर बाहरी अंतरिक्ष में प्रसारित हो जाती हैं।
#4. बुध ग्रह के सतह का तापमान गर्म तथा ठंडा दोनों स्थितियों अत्यधिक होता है। दिन के समय तापमान 430°C से भी अधिक हो जाता है वही रात के समय यह -180°C से भी कम हो जाता है।
#5. बुध अण्डाकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा आठों ग्रहों में सबसे तेज गति (46 Km/s) से करता है। सूरज की एक परिक्रमा पूर्ण करने में इसे 88 दिन का समय लगता हैं।
#6. बुध की कक्षा अण्डाकार है; इसलिए परिक्रमा के वक्त अलग-अलग समय पर सूर्य से इसकी दूरी अलग-अलग होती है। फिर भी सूर्य से इसकी औसत दूरी 5.8 करोड़ किलोमीटर और पृथ्वी से 7.7 करोड़ किलोमीटर हैं। सूर्य के प्रकाश को बुध तक पहुंचने में 3.2 मीनट का समय लगता है।
#6. इस ग्रह का नाम ‘Mercury’ यूनानियों द्वारा रखा गया था। मर्क्यरी को यूनानी देवताओं का संदेशवाहक माना जाता है। जिस प्रकार संदेशवाहक संदेश पहुंचाने के लिए अपना स्थान बदलते रहते है, ठीक उसी प्रकार मर्क्यरी ग्रह भी आकाश में तेजी से स्थान बदलता रहता है। यही समानता देखकर यूनानियों ने इस ग्रह का नाम मर्क्यरी रख दिया था।
#7. इस ग्रह का व्यास 4,879 Km हैं, जोकि धरती के व्यास का लगभग 38% है। वही अगर इसकी तुलना बृहस्पति से करें तो, इसका व्यास (142,984 Km) भी बुध से 29.3 गुना अधिक हैं। आयतन के अनुसार बृहस्पति में बुध जैसे 24,462 ग्रह समा सकते हैं।
#8. मर्क्यरी अपनी धुरी पर 2 डिग्री झुका है। यह अपनी धुरी पर धीरे-धीरे धूमते हुए, एक घूर्णन (rotation) 59 दिनों में पूरा करता हैं।
#9. बुध ग्रह का निर्माण आज से 4.5 अरब साल पहले तब हुआ था; जब सूर्य के नजदीक चारों ओर चक्कर लगा रहे गैस और धूल के बादल गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आपस में मिल गए थे।
#10. पृथ्वी के बाद मर्क्यरी दूसरा सबसे घना ग्रह है तथा इसका कोर धात्विक है। कोर का रेडीअस 2,074 किलोमीटर है, जोकि इस ग्रह के पूरे रेडीअस का लगभग 85% है। इसका बाहरी आवरण व क्रस्ट 400 किलोमीटर मोटा है।
#11. बुध की सतह हमारे चंद्रमा की सतह से काफी मिलती-जुलती है। चंद्रमा की तरह इसकी सतह पर भी कई छोटे-बड़े इम्पैक्ट क्रेटर हैं, जिनका निर्माण उल्कापिंडों और धूमकेतुओं के टक्कर से हुआ है। इसकी सतह कई जगहों पर समतल है तथा अनेक जगह कई किलोमीटर लंबी एवं ऊंची चट्टानें भी हैं।
टेलीस्कोप से बुध की सतह हल्का भूरा रंग का दिखता है। इस पर दिखने वाली चमकीली धारियां; जिन्हें “crater rays” कहा जाता है, उल्का और धूमकेतु के टक्कर से निकले बारीक धूल-कण है, जो सूर्य की रोशनी से चमकते है।
#12. मर्क्यरी के दो सबसे बड़े क्रेटर – कालोरिस (Caloris) और राचमानिनाॅफ (Rachmaninoff) है। इनका व्यास क्रमशः 1550 km तथा 306 km है।
#13. बुध का कोई वायुमंडल नहीं है; हालांकि इसके सतह से लगभग 200 किलोमीटर ऊपर गैसों की एक पतली परत है, जिसे आयतन मंडल (exosphere) कहा जाता है। इसके आयतन मंडल में निम्नलिखित गैसें पायी गयी हैं –
गैस | गैस का प्रतिशत |
ऑक्सीजन | 42% |
सोडियम | 29% |
हाइड्रोजन | 22% |
हीलियम | 6% |
पोटैशियम | 0.5% |
थोड़ी मात्रा में ये तत्व भी हैं – आर्गन, कार्बन-डाइऑक्साइड, ज़ेनन, क्रिप्टन, नियाॅन, कैल्शियम और मैग्नीशियम
#14. बुध के उत्तरी और दक्षिणी धुव्र पर बड़ी मात्रा में जमी हुई बर्फ हैं। धुव्रों पर बर्फ मिलने की मुख्य वजह बुध का अपनी धुरी पर लगभग न के बराबर (2°) झुका होना है, जिसके कारण वहां सूर्य का प्रकाश पहुंच ही नहीं पाता और तापमान शून्य से नीचे बना रहता है।
#15. मर्क्यरी के अध्ययन के लिए भेजा गया पहला स्पेसक्राफ्ट Mariner 10 था; जिसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 3 नवंबर, 1973 को लाॅन्च किया था।
इस मिशन का उद्देश्य बुध के वातावरण, सतह तथा भौतिक विशेषताओं का पता लगाना था। इस पूरे मिशन के दौरान Mariner 10 ने बुध की कुल 2,700 तस्वीरें ली थी।
#16. बुध के लिए नासा ने दूसरा स्पेसक्राफ्ट- MESSENGER, 3 अगस्त, 2004 को लाॅन्च किया था; जिसका मुख्य उद्देश्य इस ग्रह के भू-गर्भ, चुम्बकीय क्षेत्र और रासायनिक संघटकों (chemical constituents) का अध्ययन करना था।
स्पेसक्राफ्ट लाॅन्च होने के सात साल बाद 11 मार्च, 2011 को मर्क्यरी की कक्षा में पहुंचा। मर्क्यरी की कक्षा में रहते हुए इसने इस ग्रह की 4 वर्षों से अधिक समय तक परिक्रमा कि तथा 2,00,000 से ज्यादा तस्वरीरें भी खींची।
#17. इस ग्रह के लिए तीसरा अंतरिक्षयान- BepiColombo, अभी हाल में 20 अक्टूबर, 2018 को यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने लाॅन्च किया है। यह अंतरिक्षयान बुध की कक्षा में दिसंबर, 2025 में पहुंचेगा।
#18. जब पृथ्वी से बुध को सूरज के बिल्कुल सामने से गुजरता हुआ देखा जाता है; जिसमें यह सूरज पर एक छोटे काले धब्बे के समान दिखाई देता है, तब इस खगोलीय घटना को बुध पारगमन (Mercury transit) कहा जाता है।
यह घटना हर शताब्दी में 13 से 14 बार होती है। इस शताब्दी में पहली बार यह घटना 7 मई, 2003, दूसरी बार 8 नवंबर, 2006, तीसरी बार 9 मई, 2016 और चौथी बार अभी पिछले वर्ष ही 11 नवंबर, 2019 को हुई।
#19. बुध का द्रव्यमान 3.3011×1023 kg है, जो कि 33,00,00,000 ट्रिलियन मीट्रिक टन के बराबर है।
#20. इस ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल (surface gravity) 3.7 m/s2 है, जोकि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का केवल 39% है।
Q,अगर आपका वजन पृथ्वी पर 50 Kg है, तो बुध पर कितना होगा?
उत्तर: अगर आपका वजन पृथ्वी पर 50 Kg है, तो बुध की सतह का गुरुत्वाकर्षण बल कम होने के कारण उसकी सतह पर आपका वजन लगभग 19 Kg होगा।
#21. इस ग्रह को लोग अति-प्राचीनकाल से ही जानते है। आज से हजारों साल पहले अस्तित्व में रही प्राचीन मेसोपोटामिया की पहली सभ्यता ‘सुमेर‘ के चित्र लेखों से यह पता चलता है कि सुमेरियन लोगों को इस ग्रह की जानकारी थी।
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