कर्नलगंज-गोण्डा। मानसून की बारिश से घाघरा का पानी तेजी से बढ़ते हुए खतरे के निशान तक पहुंच गया है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने को बेताब है। जबकि अभी तक बांध की मरम्मत व रेन कट्स, रैट होल भरने का काम भी पूरा नही हुआ है। जिससे बांध के आसपास के ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ने लगी है। पिछले एक सप्ताह से आसपास के जिलों व पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश व बैराजों से छोड़े गए पानी से घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है। जिससे बाढ़ क्षेत्र के ग्रामीणों व बांध पर विस्थापितों की धड़कनें बढ़ गईं हैं। केंद्रीय जल आयोग संस्थान घाघरा घाट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सोमवार को घाघरा का टोटल डिस्चार्ज 2 लाख 93 हजार 9 सौ क्यूसेक था। जो मंगलवार को बढ़कर 3 लाख 7 हजार 9 सौ 12 क्यूसेक हो गया। जिससे नदी का जलस्तर खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 106.16 पर पहुंच गया है। लगातार बढ़ रहे घाघरा के जलस्तर से ग्रामीणों में जहां दहशत है वहीं सिंचाई विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की चहलकदमी बढ़ गईं है। गोंडा व बाराबंकी जिलों के बॉर्डर पर घाघरा के जद में आने वाले मजरों के ग्रामीण अपने परिवार व मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है प्रशासन स्तर से अभी तक उन्हें कोई भी सुविधा मुहैया नहीं कराई गयी है। करीब 54 किमी लंबे एल्गिन चरसडी बांध पर फूस का मकान बनाकर रह रहे लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ आती है नेताओं और अधिकारियों की तो बल्ले बल्ले रहती है। मगर गरीबों की किसी को चिंता नहीं रहती है। वर्षों से ऐसे ही जीवन यापन कर रहे हैं। बाढ़ की विभीषिका झेल रहे करीब दो दर्जन मजरों के सापेक्ष 7 मजरे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इनमें तपेसिपा, बेहटा, नकहरा, मांझा रायपुर, नैपुरा व परसावल शामिल है। बाढ़ से घिरे ग्रामीणों तक राहत सामग्री पहुंचने के लिए तहसील स्तर से गौरा सिंहपुर, पाल्हापुर, भटपुरवा, शाहपुर, चरसडी व नरायनपुर मांझा सहित कुल 17 जगहों पर बाढ़ चैकियां स्थापित की जाती हैं। जिन्हें एलर्ट कर दिया गया है। एल्गिन चरसडी बांध से कुछ ही दूरी पर तपेसिपा गांव के पास बांध की सुरक्षा के लिए बनाये गए स्पर व नोज के अगल-बगल पत्थरों को तार से बांधने का कार्य हो रहा है। साथ ही जेसीवी व पोकलैंड मशीनों से मिट्टी पटाई का कार्य बरसात के बावजूद में जोर-तोड़ से जारी है।
करनैलगंज के नवागत एसडीएम हीरालाल यादव ने बताया की बाढ़ क्षेत्र का भ्रमण किया जाता है। वहाँ के ग्रामीणों, मवेशियों के चारे व भोजन के साथ रहने की व्यवस्था आदि की कार्ययोजना तैयार किया है। इसके अलावा बाढ़ राहत चैकियों की स्थापना करके एलर्ट कर दिया गया है।
बाढ़ खण्ड के एई अमरेश सिंह ने बताया की घाघरा खतरे के निशान के बराबर लगभग पहुंच चुकी है मगर डिस्चार्ज बढ़ने के चलते कोई दबाव नही है। बाढ़ आने से पहले 30 जून तक हर हाल में बांध मरम्मत कार्य पूरा हो जाएगा। बांध को इस बार कोई खतरा नहीं है।
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