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सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका और फायदे

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सुप्त मत्स्येन्द्रासन एक सरल आसन है जो लगभग कोई भी कर सकता है। लेकिन इसकी सरलता में इसकी उपयोगिता छिपी है: लेट कर किए जाने वाला यह आसन रीढ़ की हड्डी में मोड़ लाकर उसे लंबा और मजबूत करता है। और साथ में ही आंतरिक अंगों की मालिश करके उन्हे विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है।

इस लेख में सुप्त मत्स्येन्द्रासन के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें। लेख के अंत में एक वीडियो भी शेयर किया गया है।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन एक बहुत ही सरल आसन है। इस आसन को कोई भी कर सकता है। यह जितना सरल होता है उतना ही उपयोगी भी है। इस आसन को लेट कर किया जाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को मोड़कर लंबा और मजबूत बनाता है। इसके साथ ही यह आंतरिक अंगों की मालिश करके उन्हें विषाक्त पदार्थों से मुक्त करवाता है।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन 3 शब्दों से मिलकर बना है। सुप्त, मत्स्येन्द्र, आसन, जिसमे सुप्त यानी लेटना, मत्स्येन्द्र यानी मछलियों के भगवान और आसन यानी मुद्रा है।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन को सुपाइन ट्विस्ट, द रिसाइक्लिंग ट्विस्ट, द रिसाइक्लिंग लार्ड ऑफ द फिश पोज़ और द जथारा परिवर्तनासना भी कहा जाता है।

इस आसन को करने से कई रोग दूर होते हैं और इसको करने से कुण्डली शक्ति जागृत होती है। इस आसन को हलासन, भुजंगासन और सर्वांगासन का पूरक माना जाता है। आइये जानते हैं सुप्त मत्स्येन्द्रासन के फायदे, विधि और सावधानियों के बारे में।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के फायदे 
सुप्त मत्स्येन्द्रासन के लाभ इस प्रकार हैं:
  • 1. यह आसन पीठ और नितंब की मांसपेशियों में खिचाव लाता है।
  • 2. यह रीढ़ की हड्डी को लंबा करता है और आराम देता है।
  • 3. यह पाचन अंगों की मालिश करता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। नतीजतन, यह कमर का टोन करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ को हटाने में भी मदद करता है। 
  • 4. यह आसन खून के प्रवाह को पाचन अंगों तक पहुंचने में मदद करता है, जिससे आपके पूरे पाचन तंत्र का स्वास्थ्य और कार्य बेहतर होता है।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने का सही तरीका 
यह आसन शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में सहायता करता है और पीठ में खिंचाव लाता है। इस आसन में सारा शरीर शांत और रिलेक्स हो जाता है। इस आसन का नाम मछली के भगवान, मत्स्येंद्र के नाम पर है, जो योगी थे और भगवान शिव के छात्र थे।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने की विधि 
  • 1. इस आसन को शुरू करने के लिए सबसे पहले आसन बिछाकर उस पर लेट जाएं।
  • 2. इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे की सीध में दोनों तरफ फैला लें।
  • 3. फिर दाई टांग को घुटने के पास से मोड़ ले और ऊपर कि ओर उठायें।
  • 4. दायें पैर को बाएं घुटने पर टिका लें।
  • 5. इसके बाद सांस को छोड़ते हुए, दायें कूल्हे को उठायें और पीठ को बायीं तरफ मोड लें व दांये घुटने को नीचे कि तरफ जाने दे और ऐसा करते वक्त दोनों हाथ जमीन पर ही रखें।
  • 6. प्रयास करें कि दांया घुटना पूरी तरह से शरीर के बायीं तरफ टिक सके।
  • अब सर को दाईं तरफ घुमायें।
  • 8. इस मुद्रा में आप 30 से 60 सेकंड तक ही रुकें। फिर सामान्य स्थिति में आ जायें।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें
  • 1. यदि आपका घुटना जमीन तक नहीं पहुंचता है, तो समर्थन के लिए इसके नीचे एक योगा ब्लॉक या तौलिया मोड़ कर रखें।
  • 2. यदि आपकी रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन कम है, तो आप दोनों घुटनों को एक साथ घुमा सकते हैं।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने में क्या सावधानी बरती जाए 
  • 1. यदि पीठ दर्द, पीठ की चोट या रीढ़ की हड्डी की डिस्क्स में कोई परेशानी हो, तो यह आसन बहुत सावधानी के साथ करें। बेहतर यही होगा कि केवल एक अनुभवी और जानकार प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में इस आसन का अभ्यास करें।
  • 2. यदि आपके घुटनों या कूल्हों में चोट हो, तो इस आसन का अभ्यास ना करें।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने से पहले ये आसन करें
  • पवनमुक्तासन
  • उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन 
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के बाद ये आसन करें
  • बद्ध कोणासन 
  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन 
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के लिए इस वीडियो की मदद लें -


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