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धूल से एलर्जी के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

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धूल से हर कोई बचना चाहता है, लेकिन कोई कितना भी जतन कर ले धूल से दो-चार होना ही पड़ता है। खासकर, बढ़ते प्रदूषण ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। यह गंभीर विषय इसलिए है, क्योंकि इसकी वजह से कई लोग डस्ट एलर्जी की चपेट में आ जाते हैं। डस्ट एलर्जी धूल के साथ-साथ घर और आस-पास मौजूद कुछ चीजों की वजह से भी हो सकती हैं, जिनके बारे में आपको लेख में बताया जाएगा।  इस लेख में जानिए डस्ट एलर्जी के कारण और डस्ट एलर्जी से बचने के उपाय। डस्ट एलर्जी से बचने के घरेलू उपाय करते समय ख्याल रखें कि यह ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं हो सकते हैं। सिर्फ ये एलर्जी के लक्षणों को कम कर सकते हैं। गंभीर समस्या होने पर आपको डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।

धूल से एलर्जी होने के कारण – 
धूल से एलर्जी का सबसे बड़ा कारण इसके कण हैं, जिसे डस्ट माइट्स (Dust Mites) कहा जाता है। इन कणों में सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गेनाइज्म) मौजूद होते हैं, जो आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, जिन अन्य कारणों से डस्ट एलर्जी होती है, वो कुछ इस प्रकार हैं ।

कॉकरोच : इनके द्वारा छोड़े जाने वाले हानिकारक एलर्जन (बैक्टीरिया), एलर्जी पैदा करते हैं। ये बैक्टीरियल कण सांस लेते वक्त अंंदर जाते हैं और एलर्जी होने लगती है।

मोल्ड (Mold) : मोल्ड्स पर्यावरण में मौजूद एक तरह का फंगस है। आप चाहे घर के अंदर हो या बाहर, हर जगह हमेशा कुछ-न-कुछ मोल्ड मौजूद रहते हैं। ये हवा में और कई सतहों पर रहते हैं। मोल्ड्स पृथ्वी पर लाखों वर्षों से हैं, जहां भी नमी होती है, ये वहां बढ़ते हैं। यह भी एलर्जी का एक कारण है।

जानवरों के बाल व रूसी :  पालतू जानवर जैसे कुत्ते और बिल्ली के शरीर से गिरने वाले बाल और रूसी के कारण भी डस्ट एलर्जी हो सकती है।

पराग : प्रत्येक वर्ष वसंत, ग्रीष्म और पतझड़ के समय पेड़ों से पराग निकलकर हवा में मिल जाते हैं। ये पराग नाक और गले में पहुंचकर एलर्जी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, पेड़-पौधों में लगे फूल के पराग को सूंघने से भी एलर्जी हो सकती है। इस एलर्जी को हे फीवर के नाम से भी जाना जाता है।

धूल से एलर्जी होने के लक्षण – 
धूल से एलर्जी होने के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। नीचे जानिए डस्ट एलर्जी के लक्षणों के बारे में
  • छींक आना
  • अक्सर नाक का बहना और नाक का भरा होना
  • थकान और कमजोरी
  • आंखों में सूजन
  • खांसी
  • आंख, नाक और गले में खुजली होना
  • लाल और पानी से भरी आंखें
  • आंखों के नीचे काले घेरे
  • अस्थमा जैसे लक्षण
  • कान बंद होना और सूंघने की क्षमता में कमी
  • गले में खराश
  • थकान और चिड़चिड़ापन
  • सिरदर्द
  • त्वचा पर लाल चकत्ते 
धूल से एलर्जी के लिए घरेलू उपाय – 
1. सेब का सिरका
सामग्री:
  • दो चम्मच सेब का सिरका
  • 1 गिलास गर्म पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद (वैकल्पिक)

उपयोग का तरीका:
  • एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
  • स्वाद के लिए थोड़ा-सा शहद मिला सकते हैं।
  • इस घोल का सेवन रोजाना 1 से 2 बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
सेब का सिरका (एप्पल साइडर विनेगर) एल्कलाइन नेचर का होता है। यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को हटाने के साथ ही एलर्जी के लक्षण जैसे बहती नाक को रोकने में मदद कर सकता है । साथ ही इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और रोगाणुरोधी (एंटीबैक्टीरियल) गुण भी होते हैं। ये गुण मोल्ड और माइट्स की वजह से होने वाली एलर्जी को कम कर सकते हैं और स्किन को संक्रमण से भी बचा सकते हैं

2. एसेंशियल ऑयल
सामग्री:
  • यूकलिप्टस (Eucalyptus) या लैवेंडर ऑयल की 3 से 4 बूंदें
उपयोग का तरीका:
  • यूकलिप्टस या लैवेंडर ऑयल की बूंदों को भाप लेने वाले डिफ्यूजर में डालें।
  • अब आप इसकी भाप ले सकते हैं।
  • इस प्रक्रिया को आप रोजाना 1 से 2 बार दोहरा सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
आप डस्ट एलर्जी से बचने के लिए यूकलिप्टस या लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन दोनों ही तेलों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन कम करने और एनाल्जेसिक गुण एलर्जी की वजह से होने वाले दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल एलर्जी की वजह से होने वाले श्वास संबंधी परेशानी व विकारों जैसे अस्थमा के इलाज के लिए भी किया जा सकता है ।

3. शहद
सामग्री:
  • दो चम्मच कच्चा शहद
उपयोग का तरीका:
  • सीधे दो चम्मच शहद का सेवन किया जा सकता है। 
  • इसे एक कप पानी में मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है। 
  • रोजाना एक से दो बार इस प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
धूल की वजह से होने वाली एलर्जी को ठीक करने में शहद लाभदायक माना जा सकता है। NCBI के एक अध्ययन के मुताबिक, शहद की अधिक मात्रा चार से आठ हफ्तों तक लेने के बाद एलर्जी में राहत मिल सकती है । दरअसल, शहद में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। ये गुण एलर्जी की वजह से होने वाली सूजन और मोल्ड्स को खत्म करने का काम कर सकते हैं।

4. डीह्यूमिडिफायर
डीह्यूमिडिफायर ऐसे उपकरण होते हैं, जो हवा में मौजूद नमी को कम करने का काम करते हैं। जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि मोल्ड मॉइस्चर यानी की नमी की वजह से पनपते हैं, तो ऐसे में डस्ट मोल्ड्स को खत्म करने में डीह्यूमिडिफायर काम कर सकते हैं। इसलिए, माना जाता है कि धूल से होने वाली एलर्जी और इसके लक्षणों पर डीह्यूमिडिफायर प्रभावी ढंग से काम कर सकता है ।

5. हल्दी
सामग्री:
  • आधा चम्मच हल्दी
  • एक कप दूध
  • एक चुटकी काली मिर्च
  • आवश्यकतानुसार शहद (वैकल्पिक)
उपयोग का तरीका:
  • एक कप दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाएं।
  • सॉस पैन में इसे उबाल लें।
  • दूध को ठंडा होने के बाद इसमें शहद मिलाएं।
  • अब इस मिश्रण को पी लें।
कैसे लाभदायक है:
डस्ट एलर्जी से राहत दिलाने में भी हल्दी उपयोगी साबित हो सकती है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में एलर्जी को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। दरअसल, इसमें मौजूद केमिकल कंपाउंड करक्यूमिन में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण एलर्जी को फैलने से रोकने के साथ ही इससे राहत दिलाने में मदद करते हैं । हल्दी में मौजूद करक्यूमिन बतौर एंटीएलर्जिक काम करता है। यह एलर्जी बढ़ाने वाले तत्वों के खिलाफ काम करके इन्हें रोक सकता है ।

6. एलोवेरा
सामग्री:
  • आवश्कतानुसार ताजा एलोवेरा
 उपयोग का तरीका:
  • जूस बनाने के लिए सबसे पहले एलोवेरा के पत्ते को काट लें।
  • एलोवेरा के छिलके के साथ ही इससे पीले रंग की परत को भी निकाल लें। 
  • अब इसमें से सफेद जेल निकालकर ग्राइंड कर लें।
  • ग्राइंड करते समय आप इसमें आवश्यकतानुसार पानी डाल सकते हैं।
  • अब करीब एक चौथाई कप एलोवेरा का जूस पिएं।
  • आप बाजार से एलोवेरा जूस खरीद कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
  • धूल से होने वाली एलर्जी से राहत पाने के लिए रोज दो बार इसका सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:
एलोवेरा जेल अपने अनेक औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। शायद इसलिए, डस्ट एलर्जी के उपचार में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एलर्जी की वजह से होने वाले सूजन और दर्द से राहत दिलाने में कुछ हद तक मदद करते हैं। साथ ही एलोवेरा जेल में बैक्टीरिया और फंंगस को खत्म करने वाले गुण भी होते हैं।

7. नेती पॉट 
सामग्री:
  • एक नेती पॉट (Neti pot)
  • नमक का पानी
उपयोग का तरीका:
  • दो कप गुनगुने पानी में आधे से 1 चम्मच नमक डालें।
  • अब प्रति कप पानी में चुटकी भर बेकिंग सोडा डालकर अच्छे से मिला लें।
  • घोल तैयार होने के बाद नेती पॉट को इससे भर दें। 
  • अब आगे की ओर झुकते हुए नेती पॉट के नुकीले हिस्से को एक नासिका में डालें।
  • अगर आप बाईं नासिका में नुकीले हिस्से को डाल रहे हैं, तो सिर को हल्का दाईं ओर झुकाएं और फिर पानी को नासिका में डालें।
  • ऐसा करते ही नमक का पानी अपने आप दूसरी नासिका से बाहर निकल जाएगा।
  • अब दूसरी नासिका से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
  • इस प्रक्रिया को  एक से दो बार दोहराया जा सकता है।
नोट: इस प्रक्रिया को स्वयं न करें, बल्कि किसी योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। स्वयं करने से लाभ की जगह नुकसान हो सकता है।
कैसे लाभदायक है:
योग पद्धति में इसे नेती क्रिया कहा जाता है। नेती पॉट न केवल नाक में फंसे धूल और मोल्ड्स को बाहर निकाल सकता है, बल्कि नाक में होने वाली जकड़न व सूजन को भी कम कर सकता है (20)। इसमें मौजूद बेकिंग सोडा इंफेक्शन को दूर करने का काम कर सकता है । सोडियम बाइकार्बोनेट त्वचा के विभिन्न विकारों के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके पेस्ट और घोल को एंटीप्रायटिक (खुजली को ठीक करने वाली दवा) के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है ।

8. पुदीना (Peppermint) चाय
सामग्री:
  • एक चम्मच सूखे पुदीना के पत्ते
  • 1 कप गर्म पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद 
उपयोग का तरीका:
  • एक कप गर्म पानी में पुदीने के पत्तों को मिलाएं।
  • पत्तों को 5 मिनट तक पानी में रहने दें। 
  • अब इस चाय को छानकर थोड़ा ठंडा होने दें।
  • आवश्यकतानुसार शहद डालकर सेवन करें।
  • रोजाना तीन बार पुदीने की चाय का सेवन किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
पुदीने में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण को डस्ट एलर्जी के इलाज में प्रभावी माना जा सकता है। साथ ही पुदीने में मौजूद मेन्थॉल एलर्जी के लक्षण जैसे सांस लेने में दिक्कत और बंद नाक से तत्काल राहत दिलाने में मदद कर सकता है ।

9. नेटल लीफ
सामग्री:
  • 1 चम्मच सूखे नेटल (बिच्छू) के पत्ते
  • 1 कप पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद
उपयोग का तरीका:
  • सॉस पैन में एक कप पानी के साथ सूखे नेटल लीफ को उबालें।
  • 5 मिनट के लिए उबालने के बाद पानी को छान लें।
  • जब चाय थोड़ी ठंडी हो जाए, तो उसमें स्वादानुसार शहद मिलाकर पिएं।
  • प्रतिदिन 2 से 3 बार इस चाय का सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:
नेटल लिफ में प्राकृतिक एंटी-हिस्टामाइन गुण होते हैं, जो एलर्जी पैदा करने वाले हिस्टामाइन को शरीर में रिलीज होने से रोकते हैं। साथ ही यह डस्ट एलर्जी के लक्षणों को भी कम करने का काम कर सकते हैं। इसमें मौजूद  एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण वायु मार्ग में होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद कर सकते हैं  ।

10. ग्रीन टी
सामग्री:
  • 1 ग्रीन टी बैग
  • 1 कप गर्म पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद
उपयोग का तरीका:
  • एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी के बैग को 5-10 मिनट के लिए डालें।
  • जब चाय थोड़ी ठंडी हो जाए, तो इसमें शहद मिलाकर पिएं। 
  • इस उपाय को रोजाना दो से तीन बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
ग्रीन टी में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह गुण एलर्जी से लड़ने और इससे राहत दिलाने में मदद कर सकता है । साथ ही यह गुण पराग की वजह से होने वाले एलर्जी के लक्षणों को भी कुछ हद तक ठीक कर सकता है 

11. देसी घी
सामग्री:
  • एक चौथाई चम्मच घी
  • आवश्यकतानुसार गुड़  (वैकल्पिक)
उपयोग का तरीका:
  • लगातार आ रही छींक को रोकने के लिए एक-चौथाई चम्मच घी को खाया जा सकता है।
  • बेहतर परिणाम के लिए घी के साथ गुड़ को भी मिलाया जा सकता है।
  • जब भी डस्ट एलर्जी हो, इस उपाय को किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
आयुर्वेद में घी का इस्तेमाल एलर्जी का उपचार करने के लिए किया जाता रहा है। घी सूजन को रोकने में भी मदद कर सकता है ।

12. हर्बल टी
सामग्री:
  • आवश्यकतानुसार हर्बल टी (तुलसी, अदरक)
  • स्वादानुसार शहद (वैकल्पिक)
उपयोग का तरीका:
  • एक कप गर्म पानी में हर्बल टी के बैग को डाल दें।
  • दो से तीन मिनट बाद टी-बैग को निकाल लें।
  • अब इसे गरमा गरम पी लें।
  • अगर इसका स्वाद पसंद न हो, तो इसमें शहद को भी मिलाया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
तुलसी, अदरक, दालचीनी और इलायची जैसी जड़ी-बूटियों की चाय भी एलर्जी से राहत पाने के लिए पी जा सकती हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करते हैं। इसके अलावा, अदरक श्वसन प्रणाली में होने वाले ब्लॉकेज को भी रोक सकता है। अदरक के राइजोम यानी जड़ व तनों के घटकों को एलर्जी प्रतिक्रियाओं को रोकने में सक्षम माना जाता है। इसका उपयोग एलर्जी रोगों के लिए भी किया जा सकता है (30)। तुलसी में भी एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो धूल से होने वाली एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं (31)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि हर्बल टी एलर्जी के सिर्फ लक्षणों को कुछ कम कर सकती है। वहीं, अगर एलर्जी नहीं है, तो हर्बल टी आपको स्वस्थ रख सकती है।

धूल से एलर्जी का इलाज – 
डस्ट एलर्जी से संबंधित हल्के लक्षण नजर आने पर यह कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो सकते हैं। अगर लंबे समय से खांसी या सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो धूल से एलर्जी का इलाज करने के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एलर्जी के प्रकार के आधार पर ही डॉक्टर मेडिकेटेड क्रीम, लोशन व खाने वाली दवा दे सकते हैं।

धूल से एलर्जी से बचने के उपाय –
एलर्जी का इलाज करने के बजाए कुछ टिप्स की मदद से डस्ट एलर्जी से खुद को बचाया जा सकता है ।
मोल्ड को कंट्रोल करने के लिए ह्यूमिडिटी को नियंत्रित करें।
  • घर में मॉइस्चर न आने दें। अगर खिड़कियों और पाइप से लीकेज हो रही है, तो उसे ठीक कर दें।
  • गर्म पानी (130 ° F) में सप्ताह में एक बार चादर धोएं और गर्म हवा वाले ड्रायर में सुखाएं।
  • तकिये या फाइबर वाले कंबल का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि इनमें डस्ट ज्यादा होती है।
  • घर में वॉल-टू-वॉल कार्पेट की जगह हार्डवुड, लिनोलियम या टाइल्स लगाएं।
  • अगर घर में कालीन बिछा रखा है, तो उसकी धुलाई भी नियमित रूप से करते रहें।
  • ह्यूमिडिटी का स्तर 50% से कम बनाए रखें।
  • घर में मौजूद धूल को साफ करने के लिए वैक्यूम का उपयोग नियमित रूप से करें।
  • धूल हटाने के लिए एक नम पोंछे का इस्तेमाल करें।
धूल से एलर्जी होने पर इससे कैसे बचा जा सकता है और इसके क्या घरेलू उपाय हो सकते हैं, यह तो हम विस्तार से बता ही चुके हैं। बस थोड़ी सी सावधानी, साफ-सफाई और जागरूकता किसी को भी डस्ट एलर्जी से बचा सकती है। अब हम लेख में आगे पाठकों द्वारा पूछे गए कुछ सवालों के जवाब देंगे। 

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