( वर्तिका श्रीवास्तव )
घेवर के एक राजस्थानी मिठाई है जो सावन के महीने में बहुत शौक से खाई जाती है। यह एक पारंपरिक मिठाई है जो विशेषकर त्यौहारों के अवसर पर बनती है। और यह अपने स्वाद के कारण बच्चों और बड़ों के बीच बहुत पसंद की जाती है। सादे घेवर (बिना रबड़ी की टॉपिंग के) फ्रिज में रखकर एक सप्ताह तक उपयोग में लाए जा सकते हैं लेकिन रबड़ी की टॉपंग लगाने के बाद इन्हें दो दिनों से अधिक नहीं रखना चाहिए अन्यथा ये खराब हो जाते हैं और उनका स्वाद भी बिगड़ जाता है। तो फिर आइए जानते हैं घेवर बनाने की रेसिपी के बारे में….
राजस्थानी घेवर बनाने के लिये आवश्यक सामग्री-
क्रम संख्या | नाम आवश्यक सामग्री | सामग्री मात्रा |
---|---|---|
01 | मैदा | 250 ग्राम (2 कप) |
02 | घी | 50 ग्राम ( 1/4 कप) |
03 | दूध | 50 ग्राम (1/4 कप) |
04 | पानी | 800 ग्राम ( 4 कप) |
05 | घी या तेल | घेवर तलने के लिये |
06 | चीनी | 400 ग्राम( 2 कप) |
07 | पानी | 200 ग्राम (1 कप) |
राजस्थानी घेवर बनाने की विधि-
राजस्थानी घेवर बनाने के लिए सबसे पहले आप एक बर्तन में घी लेकर उसमें बर्फ के कुछ टुकड़ें डालें और उसे हाथ से फेंटें जब घी क्रीम जैसी दिखने लगे तो फिर बर्फ निकाल दें और घी को एकबार फिर से फेंट लें। जब घी क्रीम जैसा लगने लगे तो उसमें आधा मैदा डालें और और फिर से फेंटें।
जब मैदा पूरी तरह से घुल जाए तो बचा हुआ मैदा भी उसमें मिला लें और दूध और पानी मिला कर अच्छी तरह से फेंट लें इस बात का ध्यान रहे कि मिश्रण में गुठली नहीं रहनी चाहिए और घोल बिलकुल एकसार होना चाहिए।
और साथ ही वह इतना पहता होना चाहिए कि चम्मच में लेकर गिराने से एक पतली धार बनकर गिरना चाहिए।
घोल तैयार होने पर एक पतला लेकिन मोटे तले का गहरा सा भगोना लें और उसमें करीब आधा भगोना घी भरकर गर्म करें। घी गर्म होने पर एक बड़े चम्मच में मैदे का घोल लेकर भगोने में गोलाई से गिराएं। घोल इतना गिराएं कि भगोने में गोलाई में एक परत जैसी बन जाए।
मैदे का यह मिश्रण अब घी के ऊपर तैरने लगेगा। अगर मैदा बीच में जमा हो रहा हो तो उसे चाकू या किसी अन्य नुकीली चीज़ से किनारे की और कर दें और मिश्रण के बीच में एक बड़ा सा छेद कर दें।
करीब दो मिनट के बाद फिर से मैदे का घोल गोलाई से भगोने में डालें और एक के ऊपर एक करके दो या तीन (जितनी भी मोटाई आप चाहें) बना लें। जब घेवर की परत भगोने में मनचाहे साइज की बन जाए तो फिर उस पर मैदे का घोल न डालें और उसे सुनहरा होने तक अच्छे से सेंक लें। सुनहरा होने पर घेवर के बने छेद में चाकू या सींक डाल कर निकाल लें और उसे किसी बर्तन के ऊपर लटका कर रख दें जिससे उसका अतिरिक्त सारा घी निचुड कर निकल जाए।
सारे घेवर सिंक जाने के बाद चाशनी बनाने की तैयारी करें। इसके लिए पानी में शक्कर मिलाकर और उसे पका कर दो तार की चाशनी बना लें।
चाशनी बन जाने पर सिंके हुए घेवर चौड़े बर्तन में रखें और ऊपर से चाशनी डाल दें। 15 मिनट तक चाशनी में भीगने के बाद घेवर को चाशनी से बाहर निकाल लें और उसे एक स्टील की रॉड या कलछुल में पहना कर किसी बर्तन के ऊपर रख दें जिससे उसमें लगी हुई अतिरिक्त सारी चाशनी निकल जाए।
अब आपके घेवर बनकर तैयार हैं। बस इनके ऊपर रबड़ी की एक पर्त लगाएं और ऊपर से कटे हुए बादाम पिस्ता छिड़क कर सर्व करें और खाएं।
आवश्यक सुझाव-
यदि आप राजस्थानी घेवर बनाने के लिए दिए गये तकनीकों को सीखते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी करें, या दूसरों की मदद करने के लिए इस लेख को साझा करे।
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