भारत देश को विश्व गुरु कहा जाता है क्योंकि भारत ने विश्व को बहुत कुछ दिया है चाहे वो भाषा हो, अविष्कार को या सभ्यता। भारतीय संस्कृति आज विश्व भर में प्रसिद्ध है। आज हम आपके लिए कुछ ऐसे अविष्कार लाए है जो भारत ने विश्व को दिए है और शायद इन अविष्कारों के बिना आज का आधुनिक जीवन अधूरा है। भारत में हुए प्रमुख आविष्कार.
विमान का आविष्कार
किताबों और स्कूलों के कोर्स में पढ़ाया जाता है कि विमान का आविष्कार राइट ब्रदर्स ने किया, लेकिन यह बात सही नही है,हाँ हम यह कह सकते है कोआज के आधुनिक विमान की शुरुआत ओरविल और विल्बुर राइट बंधुओं ने 1903 में की थी।
लेकिन इनसे भी हजारों वर्ष पहले ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र लिखा था जिसमें हवाई जहाज बनाने की तकनीक का वर्णन मिलता है।
चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित ‘वैमानिक शास्त्र’ में एक उड़ने वाले यंत्र ‘विमान’ के कई प्रकारों का वर्णन किया गया था तथा हवाई युद्ध के कई नियम व प्रकार बताए गए थे।
‘गोधा’ ऐसा विमान था, जो अदृश्य हो सकता था। ‘परोक्ष’ दुश्मन के विमान को पंगु कर सकता था। ‘प्रलय’ एक प्रकार की विद्युत ऊर्जा का शस्त्र था जिससे विमान चालक भयंकर तबाही मचा सकता था। ‘जलद रूप’ एक ऐसा विमान था, जो देखने में बादल की भांति दिखता था।
स्कंद पुराण के खंड 3 अध्याय 23 में उल्लेख मिलता है कि ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी जिसके द्वारा कहीं भी आया-जाया सकता था। रामायण में भी पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है जिसमें बैठकर रावण सीताजी को हर ले गया था।
प्लास्टिक सर्जरी का आविष्कार
भारत में सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है। आज से करीब 3,000 साल पहले सुश्रुत जब युद्ध या प्राकृतिक विपदाओं में जिनके अंग-भंग हो जाते थे या नाक-कान खराब हो जाती थी, तो उन्हें ठीक करने का काम वे करते थे। सुश्रुत ने 1,000 ईसापूर्व अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत किए थे। हालांकि कुछ लोग सुश्रुत का काल 800 ईसापूर्व का मानते हैं। सुश्रुत से पहले धन्वंतरि हुए थे। भारत के प्रमुख आविष्कार
बटन का भारत में आविष्कार
आज से 2500 से 3000 ईसा पूर्व पहली बार शर्ट में बटन का उपयोग सिन्धु घाटी की सभ्यता के नगर मोहनजोदड़ो के लोगों ने किया था। क्योंकि खुदाई के समय यहाँ बटने पाई गई है जो बताती है कि सिंधु सभ्यता के लोग बटन का प्रयोग करते थे।
बोधायन
बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुल्व सूत्र तथा श्रौतसूत्र के रचयिता हैं। पाइथागोरस के सिद्धांत से पूर्व ही बौधायन ने ज्यामिति के सूत्र रचे थे लेकिन आज विश्व में यूनानी ज्यामितिशास्त्री पाइथागोरस और यूक्लिड के सिद्धांत ही पढ़ाए जाते हैं।
दरअसल, 2800 वर्ष (800 ईसापूर्व) बौधायन ने रेखागणित, ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियमों की खोज की थी। उस समय भारत में रेखागणित, ज्यामिति या त्रिकोणमिति को शुल्व शास्त्र कहा जाता था। लेकिन अब धीरे धीरे बदलाव आ रहा है अब schools और colleges में पाइथागोरस प्रमेय को बोधायन प्रमेय के नाम से पुकारा जाता है
शुल्व शास्त्र के आधार पर विविध आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाई जाती थीं। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में परिवर्तन करना, इस प्रकार के अनेक कठिन प्रश्नों को बौधायन ने सुलझाया।
शतरंज का आविष्कार
प्राचीन समय में शतरंज को चतुरंज के नाम जाना जाता रहा है इसका अविष्कार 6 वीं शताब्दी में गुप्त राजवंश के समय हुआ। पहले यह खेल राजा महाराजाओं का हुआ करता था, लेकिन बाद में समय के साथ यह साधारण लोग भी इसे खेलने लगे। यह खेल भारत से अरब होते हुए यूरोप पहुंचा
स्केल का आविष्कार
रूलर स्केल का आविष्कार सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान हुआ था, मोहनजोदड़ो की खुदाई में हाथी दांत के बने हुए स्केल मिले हैं, जो की वाकई अद्भुत हैं।
साँप सीढ़ी का आविष्कार
साँप सीढ़ी खेल बच्चों में काफी लोकप्रिय हुआ। पहले इस खेल का उपयोग बच्चों को हिन्दू धर्म के मूल सिद्धान्तों की शिक्षा देने के लिये किया जाता था लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इसे ‘स्नेक्स् ऐण्ड लैडर्स्’ नाम दे दिया। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसका आविष्कार तेरहवीं शताब्दी में सन्त ज्ञानेश्वर ने किया लेकिन कुछ सूत्रों के अनुसार इसकी जड़ें द्वितीय शताब्दी ईसापूर्व तक जाती हैं।
शुरुआत में यह खेल मोक्षपट या मोक्षपटामु नाम से जाना जाता था लेकिन कई जगहों पर इसे ‘लीला’ नाम से भी जाना जाता था. ‘लीला’ नाम होने के पीछे की वजह थी मनुष्य का धरती पर तब तक जन्म लेते रहना, जब तक वह अपने बुरे कर्मों को छोड़ नहीं देता। और शायद साँप उन बुरे कर्मो को दर्शाता है।
शून्य और दशमलव
शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत में हुआ था। महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव का अविष्कार किया।
मोतियाबिंद का ऑपरेशन
भारतीय चिकित्साशास्त्र के रचयिता और शल्यचिकित्सा के जनक सुश्रुत ने 600 ईसा पूर्व पहले मोतियाबिन्द की शल्यचिकित्सा को अंजाम दिया था, समय के साथ इसका विस्तार चीन तक पहुंच गया था।
फ्लश टॉयलेट
पहली बार इस तरह के टॉयलेट का इस्तेमाल सिन्धु घाटी की सभ्यता के लोगों ने किया था। क्योकि हम सब जानते है कि सिंधु सभ्यता एक नगरीय व विकसित सभ्यता थी। यहां के लोग हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग में खास पहचान रखते थे।
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