जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन इस पृथ्वी पर सभी जीवों के जीवित रहने के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस रासायनिक तत्व के बिना धरती पर जीवन असंभव है। इसके विभिन्न रासायनिक गुणों के पता चल जाने से आज इसका उपयोग स्टील, प्लास्टिक, वस्त्र आदि उद्योगों में बड़े स्तर पर किया जा रहा हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है, इतने महत्वपूर्ण गैस Oxygen ki khoj kisne ki थी और कब? तो इसका उत्तर है, इस गैस की खोज आज से लगभग 245 वर्ष पहले अंग्रेज रसायन विज्ञानी जोसेफ प्रिस्टले (Joseph Priestley) ने 1774 ई.वी. में की थी।
हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि जोसेफ प्रिस्टले से पहले ही लगभग सन् 1772 में स्वीडेन के रसायनज्ञ कार्ल विल्हेल्म शीले (Carl Wilhelm Scheele) ने स्वतंत्र रूप से इस गैस की खोज कर ली थी, लेकिन उन्होंने इस खोज को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करवाया था; जिस कारण इस गैस की खोज का श्रेय प्रिस्टले को ही दिया जाता है।
उस समय प्रिस्टले ने इस गैस का नाम ‘dephlogisticated air’ रखा था। इस गैस को ‘ऑक्सीजन’ नाम सन् 1777 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक एंटोनी लेवोज़ियर ने दिया था। लेवोज़ियर ने ही इसकी पहचान एक रासायनिक तत्व के रूप में कि थी तथा किसी चीज के जलने में इसकी भूमिका का पता लगाया था।
जोसेफ प्रिस्टले तथा अन्य गैसों की खोज
जोसेफ प्रिस्टले 18वीं सदी के प्रसिद्ध धर्मशास्त्री, प्राकृतिक दर्शनशास्त्री, प्रगतिशील व्याकरणाचार्य तथा रसायनज्ञ थे। उनका जन्म 13 मार्च, 1733 को इंग्लैंड के वेस्ट यॉर्कशायर प्रांत के एक छोटे से गांव ब्रिस्टल में हुआ था।
उनके माता-पिता का नाम जोनास प्रिस्टले तथा मैरी स्विफ्ट था। जब वे पाँच साल के थे तो उनकी माता की मृत्यु हो गई, इसलिए प्रिस्टले की देखरेख के लिए पिता ने उन्हें उनके बुआ के पास भेज दिया। बुआ के पास उन्होंने धर्मशास्त्र, दर्शनशास्त्र आदि की पढ़ाई की तथा फ्रेंच, जर्मन, इटालियन, आरामाइक तथा अरेबिक भाषा सिखी।
सन् 1758 में वे नैंटविच चेशायर, इंग्लैंड में ही एक चर्च के पादरी बन गए। चेशायर में ही उन्होंने एक स्कूल खोला, इस स्कूल में वे छात्रों को प्राकृतिक दर्शनशास्त्र पढ़ाया करते थे। स्कूल में पढ़ाते वक्त उन्हें अंग्रेजी व्याकरण की अच्छी पुस्तक की कमी महसूस हुई; इस कमी से विस्मित होकर प्रिस्टले ने स्वयं ही इस कमी को पूरा करने का निर्णय लिया तथा अंग्रेजी व्याकरण की एक उत्कृष्ट पुस्तक – ‘The Rudiments of English Grammar’ की रचना कि। उनकी इस रचना को देखते हुए 20वीं सदी के विद्वानों ने उन्हें ‘अपने समय का महान व्याकरणाचार्य’ कहा था।
सन् 1767 में वे वेस्ट यॉर्कशायर के एक शहर लीड्स के गिरजाघर के पादरी बन गए। इसी शहर में रहकर उन्होंने गैसों पर प्रयोग शुरू किया था तथा अपनी दूसरी सबसे प्रसिद्ध कृति – ‘The History and Present State of Electricity’ लिखि। 700 पन्नों वाली इस पुस्तक में बिजली की खोज व इतिहास और उस पर भविष्य में होने वाले संभावित अनुंसधानों की चर्चा कि गई थी। उस समय के वैज्ञानिकों ने इस पुस्तक की खुब शराहना कि एवं लगभग 150 सालों तक यह विद्युत के इतिहास पर लिखी गई एक मानक पुस्तक के रूप में दुनिया भर में पढ़ी जाती रही।
उत्तरी इंग्लैंड के इसी लीड्स शहर में 1774 में उन्होंने ‘ऑक्सीजन’ तथा 9 अन्य गैसों की खोज कि। उन नौ गैसों के नाम इस प्रकार हैं –
क्र. सं. | गैसों के नाम | रासायनिक सूत्र |
1. | नाइट्रिक ऑक्साइड (नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड) | NO |
2. | नाइट्रोजन डाइऑक्साइड | NO2 |
3. | नाइट्रस ऑक्साइड (laughing gas) | N2O |
4. | हाईड्रोजन क्लोराईड | HCI |
5. | अमोनिया | NH3 |
6. | सल्फर डाइऑक्साइड | SO2 |
7. | सिलिकॉन टेट्रफ्लुओराइड | SiF4 |
8. | नाइट्रोजन | N |
9. | कार्बन मोनोऑक्साइड | CO |
Carbon Dioxide गैस की खोज किसने की और कब?
कार्बन डाइऑक्साइड गैस की खोज ऑक्सीजन से भी पहले हो चुकि थी। इसकि खोज इंग्लैंड के ही भौतिक विज्ञानी और रसायनज्ञ जोसेफ ब्लैक (Joseph Black) ने 11 जून, 1754 में कर ली थी। उस समय इसे ‘स्थिर हवा’ व ‘fixed air’ कहा जाता था। इन्होंने ने ही रासायनिक तत्व ‘मैग्नीशियम’ (Mg) की भी खोज की थी।
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