वर्ष 1903 में राईट बंधुओं द्वारा हवाई जहाज की खोज से मनुष्य का शताब्दियों पुराना उड़ने का सपना पूरा हो गया, लेकिन हवाई जहाज की भी अपनी एक सीमा थी। यह धरती के वायुमंडल के बाहर नहीं उड़ सकता था। लेकिन वैज्ञानिकों ने मात्र कुछ ही दशकों में रॉकेट का आविष्कार कर इस समस्या का भी हल निकाल दिया। इस महान खोज ने मनुष्य को न केवल अंतरिक्ष की बल्कि 1969 ईसवीं तक चंद्रमा तक की सैर करवा दि। लेकिन क्या आप जानते है, Rocket ka avishkar kisne kiya और कब? तो हम बता दे, इसे सबसे पहले आज से 93 वर्ष पहले 16 मार्च 1926 को अमेरिकी प्रोफेसर और वैज्ञानिक ‘राॅबर्ट हचिंग्स गोडार्ड‘ (Robert Hutchings Goddard) द्वारा बनाया गया था।
रॉबर्ट गोडार्ड इंजीनियर, प्रोफेसर, भौतिक विज्ञानी और एक अन्वेषक थे, जिन्हें विश्व के पहले तरल ईंधन से चलने वाले रॉकेट को बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने अपने दल के साथ 1926 और 1941 के बीच कुल 34 राॅकेटों को प्रक्षेपित किया था, जो लगभग 2.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक 885 km/h की रफ्तार से उड़े थे।
हालांकि दुनिया का उड़ने वाला प्रथम सफल रॉकेट रॉबर्ट गोडार्ड ने ही बनाया था लेकिन इस तरह के यान की कल्पना सबसे पहले रूसी वैज्ञानीक कोन्स्तान्त्ति त्सिओल्कोवस्की (Konstantin Tsiolkovsky) ने कि थी। उन्होंने ने ही सबसे पहली बार यह विचार व्यक्त किया था कि राॅकेट यान ही अंतरिक्ष यात्राओं को सम्पन्न कर सकता हैं। त्सिओल्कोवस्की बड़े परिश्रमी व्यक्ति थे। बचपन में ही वह बहरे हो गए थे। अपनी मेहनत और लगन पर अध्यापक हो गए। प्रारंभ से ही उनकी अंतरिक्ष विज्ञान में दिलचस्पी थी। आगे चलकर उन्होंने गणित और भौतिकी का गंभीर अध्ययन किया और बताया कि अंतरिक्ष के निर्वात (vacuum) में केवल राॅकेट से ही यात्रा संभव है।
उन्होंने रॉकेट संचालन के अपने सिद्धांत 1903 में प्रकाशित कराए। जैसा कि हम जानते है इसी वर्ष दिसम्बर में किटीहाक, उत्तरी कैरोलिना (अमेरिका) की निर्जन भूमि में राइट बंधुओं ने अपने हवाई जहाज की उड़ान का सर्वप्रथम प्रदर्शन किया था।
त्सिओल्कोवस्की ने सैद्धांतिक रूप में अपने विचार लोगों के सामने रखे थे। उन्होंने 1898 में ‘राॅकेट द्वारा ब्रह्माण्ड के अंतरिक्ष की खोज’ शीर्षक पुस्तक लिखी थी। इसे उन्होंने ‘साइंटिफिक रिव्यू’ में छपने के लिए भेजा। उन दिनों इन बातों पर कोई भरोसा नहीं कर सकता था। अतः उसके छपने में अनावश्यक विलम्ब हुआ। अन्ततः 1903 में, यानी 5 साल की प्रतीक्षा के बाद किताब छपकर सामने आयी।
उन्होंने कई चरणों वाले राॅकेटों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला था और अंतरिक्ष यात्राओं में यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या संभव उपाय किए जाने चाहिए, इस पर भी अपने विचार व्यक्त किए थे। इसी वजह से त्सिओल्कोवस्की को आधुनिक राॅकेट विज्ञान का संस्थापक माना जाता है। यह अलग बात है कि उन्होंने राॅकेटों के निमार्ण और उन्हें अंतरिक्ष में भेजने सम्बन्धी कोई कार्य नहीं किया। उन्होंने राॅकेट विज्ञान की केवल सैद्धांतिक विवेचना (Theoretical explanation) ही कि थी। फिर भी राॅकेट विज्ञान की नींव का पत्थर रखने वाले मेधावी वैज्ञानिकों के रूप में विज्ञान जगत उन्हें याद करता है।
अपनी प्रख्यात पुस्तक के अतिरिक्त उन्होंने रूसी पत्रिकाओं में अंतरिक्ष यात्रा सम्बन्धी कई लेख भी प्रकाशित किए और ‘पृथ्वी से दूर’ नाम से एक वैज्ञानिक उपन्यास भी लिखा था। 1917 में रूसी क्रांति हुई, तब नयी सरकार ने इस औपन्यासिक कृति के लिए उनका सम्मान भी किया।
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