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बोतल का आविष्कार किसने और कब किया ?

 
botal ka

दोस्तो हम अपने दैनिक जीवन मे अनेक प्रकार के अनेक ऐसे उपकरण काम मे लेते है । जिनके बिना हम जीने कि कल्पना भी नही कर सकते । उन्ही उत्पादों में से एक उत्पाद है पलास्टिक । दोस्तो क्या आप बता सकते है कि आपके जीवन मे ऐसा कौनसा पल है जब आप बिना प्लास्टिक के रहे हैं । या फिर ये पुछु की आपके दैनिक जीवन का वह कौनसा पल है जब आप बिना प्लास्टिक के जी सकते हैं ।

हो सकता है कि आप बिना सोचे समझे ये बोले कि हमारे दैनिक जीवन मे अनेक ऐसे अवसर है या फिर ये कहे कि दैनिक जीवन मे अनेक ऐसे अवसर है जब हमने प्लास्टिक के बिना अपना दिन निकाला हो ।

जरा रुकिए जनाब और अपने दिमाग और जोर डालिये और ठंडे दिमाग से सोचिए कि क्या ऐसा सच मे है ।

दोस्तो जब आप सोचना शुरू करेंगे तो आप पाएंगे कि दैनिक जीवन मे सुबह उठने से लेकर रात्रि सोने तक शायद ऐसा एक भी पल गुजरता हो जब हम बिना प्लास्टिल के अपनी रोजमर्रा के काम पूरा कर सकते हैं ।

दोस्तो आज के इस आर्टिकल में आज हम बोतल क्या है और बोतल का आविष्कार कब और किसने किया प्लास्टिक की खोज , प्लास्टिक की उपयोगिता , प्लास्टिक से सबसे पहले बोतल बनाने वाले व्यक्ति का नाम और इसका इतिहास जानेंगे ।

बोतल का इतिहास  –

पहला मानव निर्मित प्लास्टिक अलेक्जेंडर पार्क्स द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से लंदन में 1862 की महान अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में इसका प्रदर्शन किया था।

दुनिया का पहला पूरी तरह से सिंथेटिक प्लास्टिक का आविष्कार 1907 में लियो बेकलैंड द्वारा किया गया था जिसने 'प्लास्टिक' शब्द गढ़ा था। इस पदार्थ को बेकेलाइट कहा जाता है, जो उसके रासायनिक नाम से बहुत आसान था। कई केमिस्टों ने प्लास्टिक के भौतिक विज्ञान में योगदान दिया है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता हरमन स्टुडिंगर, जिन्हें "बहुलक रसायन विज्ञान का पिता" और हरमन मार्क जिन्हे "बहुलक भौतिकी के पिता" के रूप में जाना जाता है.

प्लास्टिक का अविष्कार दरसल वर्ष 1862 में एलेग्जेंडर पार्क्स ने किया था, जो पहला मानव रचननित प्लास्टिक था. उन्होंने उसे "ग्रेट इंटेरनेशनल एक्सहिबिशन इन लंदन " में सबके समक्ष प्रदर्शित किया था. यह प्लास्टिक को पार्कसिने नाम दिया गया था, तथा ये एक आर्गेनिक मटेरियल ( कार्बनिक पदार्थ ) का बना था, ये आर्गेनिक मटेरियल\ कार्बनिक पदार्थ सेल्यूलोस था. जिसे पहले गरम किया जाता, फिर मनचाहा आकार दिया जाता, और ठंडा होने के बाद वह उसी आकर का रहता था.

और अब उस प्लास्टिक की बात करते है, जो आज हम इस्तेमाल कर रहे है. जो प्लास्टिक हम आज इस्तेमाल कर रहे है, वह दरसल पॉलीमर प्लास्टिक है, इस प्लास्टिक का अविष्कार " लियो हेंड्रिक बैकलित " ने किया था, जिसे उन्होंने " बकेलिते " नाम दिया था . ये प्लास्टिक का बेस सिंथेटिक पॉलीमर थे, मतलब ये प्लास्टिक "फिनॉल" तथा " फोर्मेल्ड़ेहीदे" से बना था. ये पहला प्लास्टिक था जो कम पैसे तथा सस्ती तकनीक से बना था. तथा ये बोहोत उपयोगी था .

प्लास्टिक के अविष्कार से उस समय के लोगो को बहुत फायदा हुआ, क्योँकि वह किफायती था, काम कहरचे में बन रहा था, तथा जो उसकी विशेषताएं भी थी जैसे पानी उसके आरपार नहीं जा सकता था, वह इलास्टिक था, और सबसे बड़ा फायदा वह वज़न में हल्का था. प्लास्टिक के अविष्कार में सबसे बड़ा कारण ये मन जाता है, की उस समय लोगो छोटी चीज़ो को भी कही पर ले जाने के लिए लकड़ी के दबो का इस्तेमाल करना पड़ता था जो काफी भरी होते थे, तथा लकड़ियों के लिए पेड़ो को भी काटना पड़ता था, तोह ये दोने परेशानियों के इलाज का समाधान आज प्लास्टिक के रूप में हमारे सामने है.


दोस्तो बोतल का निर्माण तीन तरीके से किया जाता हैं ।

1. कांच की बोतल – 

दोस्तो कांच की बोतल का निर्माण करने के लिए रेत को बहुत ही अधिक तापमान पर गर्म किया जाता हैं।  जिससे यह पिघल जाती हैं । इस पिघली हुई रेत को कुछ कैमिकल डालकर इसे पारदर्शी बनाया जाता हैं । इस पारदर्शी द्रव को सांचो में डालकर बोलता का निर्माण किया जाता हैं ।

2. धातु की बोतल –

धातु की बोतल का निर्माण भी इसी तरह से किया जाता हैं । जिस धातु से बोतल का निर्माण किया जाना होता है । उस धातु को बहुत ज्यादा तापमान पर पिघला कर उसे तरल में बदला जाता हैं । उस तरल को साँचो में डालकर बोतल का निर्माण किया जाता हैं । धातु की बोतल का निर्माण इसके अलावा लोहे या अन्य धातु को पीटकर भी बोतल का निर्माण किया जाता है।

3. प्लास्टिक की बोतल –
दोस्तो दुनिया मे सबसे ज्यादा काम प्लास्टिक की बोतल ही ली जाती हैं । आज बाजार में जाने के बाद जिधर नजर जाती है उसी तरफ हमे सिर्फ प्लास्टिक की बॉटल दिखाई देती हैं । प्लास्टिक की बोतल का निर्माण पाली एथिन जैसे रसायनों के साथ किया जाता हैं । इन रसायनों को सांचे में डालकर बोतल का निर्माण किया जाता हैं ।

प्लास्टिक की बोतलों पर लिखे कोड का अर्थ क्या होता है –

कोड – 1
पीईटी या पीईटीई – 
इस प्रकार की बोतल का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता हैं ।  इस प्रकार की बोतल का उपयोग कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल , ओवन जार , ट्रे आदि में प्रमुखता से किया जाता हैं।

इस कोड की बोतल का निर्माण पॉलीएथिलीन ट्रैपथिलीन नाम के रसायन की सहायता से किया जाता हैं । इस प्रकार की प्लास्टिक का उपयोग किया जाना सबसे खतरनाक हो सकता हैं । साथ ही साथ इस प्रकार की प्लास्टिक से बनी बोतल का उपयोग लंबे समय तक नही करना चाहिए क्योकि कुछ समय के बाद एंटीमनी नाम का पदार्थ रिसने लगता हैं ।

कोड – 2
एचडीपीई प्लास्टिक –
इस प्रकार की प्लास्टिक का निर्माण हाई डेंसिटी पोलीएथिन की सहायता से किया जाता हैं।  इस प्रकार की प्लास्टिक का उपयोग बहुत ज्यादा उपयोग में लाया जाता हैं । इस प्रकार की प्लास्टिक ज्यादा समय तक उपयोग करने में सुरक्षित रहती हैं । इस प्रकार की प्लास्टिक कम कीमत में ही मिल जाती हैं । इसलिए दुकानों में मिलने वाले पोलएथिन बेग, दूध का थैली , जूस के कंटेनर में इस प्लास्टिक का ही उपयोग किया जाता हैं ।

इस प्लास्टिक एक उपयोग स्टोर करने में भी किया जा सकता हैं । इस प्रकार की प्लास्टिक से किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायन का स्त्राव समान्य परिस्थिति में नही होता है । लेकिन कुछ अध्ययनों से ये बात सामने आई है कि इस प्रकार का प्लास्टिक सूरज की रोशनी में ज्यादा देर तक रहने पर नोनिफेनॉल नाम के खतरनाक रासायन का स्त्राव करने लगता हैं । इस रसायन से व्यक्ति में हार्मोनल समस्याएं उतपन्न हो जाती हैं ।

 कोड – 3
पीवीसी –
इस प्रकार के प्लास्टिक के निर्माण में पाली वयनील क्लोराइड का इस्तेमाल किया जाता हैं । यह काफी रफ होती है और साथ ही साथ कठोर भी होती हैं । इस प्रकार की प्लास्टिक के उपयोग से प्लास्टिक के पाइप बनाये जाते हैं । जिनका उपयोग आज कल बहुत ही ज्यादा मात्रा में किया जाता हैं।  इस प्रकार के प्लास्टिक को बहुत ही खतरनाक माना जाता हैं। इसके खतरनाक होने के बावजूद भी इसका दैनिक जीवन में बहुत ही ज्यादा उपयोग किया जाता है । 

जैसी की खिलोने बनाने में इसी प्लास्टिक का उपयोग किया जाता हैं।  इसके अलावा इसका उपयोग शेम्पू की बोतल , माउथ वॉश की बोतलों, डिटर्जेंट और क्लीनर की बोतलों, खून की बोतलों, खिड़की के फ्रेम बनाने में भी किया जाता हैं ।

इस पलास्टिक से निकलने वाला रसायन फाथेलेट्स व्यक्ति में अनेक प्रकार की बीमारियों को उतपन्न कर देता हैं । इसके इस्तेमाल से व्यक्ति में हार्मोनल समस्याएं उतपन्न हो जाती है और साथ ही साथ इससे व्यक्ति का विकास भी अवरुद्ध हो जाता हैं ।

कोड – 4
एलडीपीई –
यह प्लास्टिक लौ डेंसिटी का प्लास्टिक है । जिसका उपयोग दवाओं के निमार्ण को पैकिंग करने में  , , पैकेजों, खाद्य और दवा उत्पादों की पैकेजिंग के किया जाता है । इस प्रकार की प्लास्टिक को स्थायी माना जाता है और कम खतरनाक भी मानी जाती हैं । 

इस प्रकार की प्लास्टिक में पाए जाने वाले एलडीपीई रसायन के कारण यह पलास्टिक काफी लचीला होता है और इसे काफी पतला भी बनाया जा सकता हैं । यही कारण है कि इसका उपयोग पैकिंग के लिए सबसे ज्यादा किया जाता हैं । 

ब्रेड, किराना, अख़बारों, आदि में इसकी पतली फ़िल्म का उपयोग किया जाता है । हालांकि इसे नियमित रूप से व्यापक भण्डारण के लिए सुरक्षित माना गया  हैं । इसे रिसायकिल नही किया जा सकता है । 

और इस प्लास्टिक में पाए जाने वाले रेजिन के कारण यह काफी स्थायी होती है और भोजन और द्रव कंटेनर में इसका उपयोग व्यपकता के साथ किया जाता हैं ।

कुछ अध्ययनों से इस बात से भी इनकार नही किया जा सकता कि यह पूर्णत सुरक्षित है क्योकि कई अध्ययनों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि इस प्लास्टिक से नोनिफेनॉल नाम का खतरनाक रसायन स्त्रावित होता है ।

कोड – 5
पीपी –
इस प्रकार के व्यंजन प्रो-पॉलीप्रोपाइलीन से बने होते हैं ।  आमतौर पर यह प्लास्टिक कंटेनरों का उत्पादन करने के लिए उपयोग की जाती है, जैसे दही का कप, कुछ पानी की बोतलें, केचप की बोतलें और दवा के कंटेनर इत्यादि. ये व्यंजन गर्मी प्रतिरोधी हैं, और उबलते प्रतिरोधी भी हैं और इसमें सामग्री के गुण भी नहीं बदलते हैं ।

ऐसे उत्पादों में, आप माइक्रोवेव ओवन में भोजन को गर्म कर सकते हैं या उनसे गर्म पानी या पेय पदार्थों को भी पी सकते हैं । पॉलीप्रोपाइलीन भंडारण के उपयोग के लिए बहुत सुरक्षित है और इसे रीसाइक्लिंग के लिए भी व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है ।

 लेकिन अगर ये फैटी खाद्य पदार्थ या मादक पेय पदार्थों के संपर्क में आजाए, तो पदार्थ की क्वालिटी गिर जाएगी और खतरनाक फॉर्मल्डेहाइड को छोड़ना शुरू कर देगी, जिससे कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं ।


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