लगातार बदलती दुनिया मे लगातार तकनीक भी बदल रही हैं । पहले जहाँ डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए तारो का एक भारी भरकम एक जाल होता था वही आज बिना तार के ही ये काम पूरा किया जा सकता हैं । पहले जहां बात करने के लिए तार के फोन काम आते थे । आज बिना तार के हम कही भी बात कर सकते है । पहले बात करने की ही सुविधा मिलती थी आज तकनीक इतनी बदल गई है कि वीडियो कॉल के माध्यम से हम घर बैठे दूर किसी व्यक्ति से प्रत्यक्ष बात कर सकते है और उसे देख भी सकते है । इसी प्रकार आज बदलती तकनीक का एक उदाहरण है ब्लू टूथ । जिसने बिना तार के ही किसी भी प्रकार के डेटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजने में सहायता की है । आज हम इस आर्टिकल में ब्लू टूथ से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे । इस आर्टिकल के माध्यम से आप ब्लू टूथ की उस विकास यात्रा को देख पाएंगे । जिसने बिना तार के ही डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में सफलता प्राप्त की । आज हम इस आर्टिकल में इस प्रश्न का जवाब भी जानेंगे कि ब्लू टूथ बनाने का विचार सबसे पहले किसका था ।
ब्लूटूथ क्या है ? –
यह एक प्रकार का डिवाइस है जिसकी सहायता से हम किसी भी प्रकार के डाटा को बिना किसी माध्यम के एक जगह से दूसरी जगह आसानी से भेज सकते है । यह एक ऐसा माध्यम है जो कम दूरी पर एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस को वायरलेस के माध्यम से एक दूसरे को आसानी से जोड़ता है ।
इससे आप किसी भी डिवाइस को डेटा भेज सकते है और उसे आसानी से प्राप्त भी कर सकते है । यह डिवाइस इतना ज्यादा पॉपुलर है कि आज कल मोबाइल , कंप्यूटर , लैपटॉप में भी इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है ।
ब्लूटूथ का आविष्कार कब और किसने किया था-
ब्लूटूथ का आविष्कार सन 1994 में हार्टसन द्वारा किया गया था । हार्टसन एक रेडियो वैज्ञानिक थे । जिस समय उन्होंने ब्लूटूथ की खोज की उस समय ये नीदरलैंड्स में एम्मेन जगह पर रेडियो प्रणाली पर काम कर रहे थे । इसी काम के दौरान उन्होंने ब्लूटूथ खोज निकाला । ऐसा माना जाता है कि ब्लूटूथ का नाम उन्होंने स्कैंडेनेविया बलोंटेंड के एक अंग्रेजी वर्जन से लिया था । लेकिन ऐसा भी माना जाता है की ब्लूटूथ नाम दसवीं सदी के एक राजा जिसका नाम हेराल्ड ब्लूटूथ ब्लैंकेट था , से लिया गया है । 20 मई 1999 में ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप की स्थापना की गई । इसकी स्थापना ऐरिसोंन , आई बी एम , इंटेल , तोशिबा और नोकिया द्वारा मिलकर की गई थी । इस टेक्नोलॉजी को बहुत ज्यादा प्रसिद्धि मिली । जहाँ 2008 में मात्र 5 प्रतिसत मोबाइल में ब्लूएटूथ तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था , वही आज लगभग 95 प्रतिशत मोबाइल डिवाइस में इस डिवाइस को काम लिया जाता है । इसके अनेक वर्जन आते रहते है । यह भी समय के साथ अपडेट किया जाता रहता है । इसका पहला वर्जन 1.1 था । जिसके बाद 1.2 , 2. 0 , प्लस , इ डी आर ये सब इनकी स्पीड और इनकी कंनेटिविटी की रेन्ज के आधार पर बांटे जाते है ।
ब्लूटूथ के फ़ीचर्स –
- यह बहुत ही समान्य तकनीक है । इसमें किसी भी प्रकार की कोई कठिन युक्ति को काम नही लिया गया है ।
- इसकी प्रसिद्धि का एक कारण यह भी है कि यह ज्यादा पावर का इस्तेमाल नही करता है इसमें बहुत ही कम पावर की आवश्यकता होती है ।
- दूसरी वायरलेस तकनीक की तुलना में काफी सस्ते होते है । यह भी एक कारण है इसके प्रसिद्ध होने का ।
- इन्हें इस्तेमाल करने की कोई पाबंदी नही है ।।इन्हें कही भी काम लिया जा सकता है । ये हर जगह पर काम करता है ।
- इसकी यही एक सबसे बड़ी कमी है कि यह बहुत ही कम दूरी तक ही कंनेटिविटी कि सुविधा देता है । इसकी कंनेटिविटी की दूरी सिर्फ 10 मीटर से 50 मीटर तक ही होती है ।
- इसकी डेटा लेने और देने की स्पीड बहुत ही फ़ास्ट होती है । यह एक एम बी का डेटा हर एक सैकेंड में प्राप्त कर सकता है और शेयर कर सकता है ।
ब्लूटूथ के फायदे –
- इसे काम लेना काफी आसान होता है । इसे तुरन्त ही किसी भी ब्लूटूथ डिवाइस से कनेट किया जा सकता है ।
- इसकी सहायता से डाटा को आप दो दीवारों के बीच से भेज सकते है और प्राप्त कर सकते है।
- ये हर कम्पनी के ब्लूटूथ डिवाइस से कनेट किये जा सकते है । क्योकि ये एक ओपन सोर्स वायरलेस डिवाइस है ।
- इसके इस्तेमाल से आप किसी से बात भी कर सकते है इसलिए ये साउंड और डेटा दोनों ही ट्रांसफर कर सकते है ।
- इससे जुड़ने वाले डिवाइस को काम लेना आसान होता है साथ ही साथ इसमें।वायरलेस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है ईसलिये किसी भी प्रकार की समस्या का समना नही करना पड़ता ।
ब्लूटूथ के नुकसान –
- हर एक चीज के कुछ सही और गलत दिनों पहलू होते है । जिस प्रकार इतने काम के डिवाइस ब्लूटूथ के इतने ज्यादा फायदे है उसी प्रकार इसके अनेक नुकसान भी है या कहे कि इसमें अनेक कमियां भी है ।
- इसमें किसी भी प्रकार के सिक्योरटी फ़ीचर्स का इस्तेमाल नही किया जाता है ओर यह सिर्फ रेडियो फ्रेक़वेंसी पर ही काम करता है । इस कारण इससे भेजे जाने वाले डेटा की कोई सिक्युरिटी नन्ही होती है और यह अनसेफ होता है । इसलिए ब्लूटूथ से किसी भी प्रकार का सीक्रेट डेटा ट्रांसफर और रिसीव नही करना चाहिए ।
- ये रेडियो फ्रेक़वेंसी पर काम करने वाला डिवाइस है इसलिए यह कई बार दूसरे डिवाइस से भी तरन्त कनेट हो जाता है । इसलिये किसी का डेटा किसी के पास भी पहुंच जाता है ।
- जब ब्लूटूथ चालू मोड़ पर रहता है तब यह उस डिवाइस की पावर को बहुत ही ज्यादा काम लेता है और इसिलए जब ब्लूटूथ काम नही आ रहा हो तब हमें ब्लूटूथ को बंद कर देना चाहिए ।
ब्लूटूथ एप्पलेक्शन –
- ब्लूटूथ तकनीक क्या है ये हमने ऊपर अच्छे से जान लिया है । ब्लूटूथ तकनीक के फायदे और नुकसान भी हमने अच्छे से समझ लिए है । अब हम इस टॉपिक में जानेंगे कि कैसे हम ब्लुटूथ तकनीक का इस्तेमाल कर सकते है और करते है ।
- इसका उपयोग हम किसी भी प्रकार की फाइल्स को रिसीव कर सकते है और भेज भी सकते है । फिर वह फ़ाइल कैसी भी हो सकती है । जैसे ऑडियो , वीडियो , जी आई एफ , एम पी 3 को एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल में आसानी से ट्रंसफर किया जा सकता है ।
- बहुत ही कम बैंडविथ के साथ हम किसी लैपटॉप को लैपटॉप से कंप्यूटर को कंप्यूटर से और किसी मोबाइल को मोबाइल से आसानी से जोड़ सकते है और उनकी फाइल्स को एक दूसरे में ट्रांसफर किया जा सकता है ।
- सभी प्रकार के छोटे डिवाइस जो कंप्यूटर में काम आते है उन्हें हम आसानी से जोड़ सकते है और काम ले सकते है । जैसे कि हम कंप्यूटर से कीबोर्ड , माउस , प्रिंटर , स्पीकर , को बड़ी आसानी के साथ कंप्यूटर लैपटॉप के साथ जोड़कर काम लिया जा सकता हैं।
- ब्लूटूथ की सहायता से आप बिना किसी तार के ही प्रिंटर से प्रिंट निकाल सकते है ।
- पूरे घर को ब्लूटूथ से जोड़कर आप घर के डिवाइसों को नियंत्रित कर सकते है ।
- कार को दूर बैठे ही ज्यादा सिक्योरिटी के साथ आप लॉक कर सकते है ।
- ब्लूटूथ हेडसेट
- स्टीरियो हेडसेट
- इन कार ब्लूटूथ हेडसेट
- ब्लूटूथ एक्विपड प्रिंटर में
- ब्लूटूथ वेबकेम में
- ब्लूटूथ कीबोर्ड
- ब्लूटूथ जी ली एस डिवाइस
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