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सोलर पैनल्स का आविष्कार किसने और कब किया

 
solar-painals

सोलर पैनल्स  सौर ऊर्जा  को  विद्युत् ऊर्जा में बदलने का  उपकरण होते है जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करके बिजली उत्पन्न करता है. आज वातावरण को देखते हुए सोलर पेनल्स का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होने लगा क्योकि विद्युत् के बहुत से  स्रोत वातावरण को नुकसान पहुचाते है  और उन्ही  का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है क्योकि बिजली का इतनी ज्यादा जरूरत है की एक सेकंड भी बिजली के बिना काम नही चलता है  और बिजली की मांग को पूरा करने के लिए विद्युत् बनाने के  लिए नए नए स्रोत का इस्तेमाल करना पड़ता है और जितने भी विद्युत् बनाने के तरीके है , उनमे सबसे ज्यादा कोयला से बिजली बनाने के तरीके को इस्तेमाल किया जाता है जो वातावरण में प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण है .

और वातावरण प्रदुषण को देखते हुए  विद्युत् के प्राक्रतिक साधनों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाने लगा है इसी कारण सोलर पैनल का इस्तेमाल पिछले कुछ समय से बहुत ज्यादा मात्रा में होने लगा है क्योंकि सौर ऊर्जा ऊर्जा विद्युत का सबसे सस्ता और प्राकृतिक साधन है पहले तो सोलर पैनल का इस्तेमाल छोटे पैमाने पर किया जाता था लेकिन आज बड़े-बड़े प्लांट लगाकर बहुत ज्यादा मात्रा में सोलर एनर्जी इकट्ठी की जाती है और सोलर पैनल का इस्तेमाल ज्यादा क्षेत्रों में किया जाता है जहां पर बिजली के   नहीं है और दूरदराज के क्षेत्रों में जहां पर बिजली नहीं पहुंची है वहां सोलर पैनल बिजली का एक अच्छा साधन है |

सोलर पैनल्स का आविष्कार किसने किया
सबसे पहले सन,1839 में एलेक्जेंडर एडमंड बैकेलल ने फोटोवोल्टिक के इफेक्ट का पता लगया  उन्होंने पता लगाया कि कैसे सूर्य के प्रकाश की किरण  से बिजली बनाई जा सकती है और कितनी बनाई जा सकती है और  सौर पैनल को बनाने में बहुत  से वैज्ञानिकों का योगदान है .

और इस बात पे बहुत बहस हुई की की किसने सोलर पैनल्स का अविष्कार किया कुछ लोग फ्रांसीसी वैज्ञानिक एडमंड बैकेलल को  सौर पैनल्स के आविष्कार को श्रेय देते हैं लेकिन सन, 1873 में, विलफ्लि स्मिथ ने  सेलेनियम में फोटोकॉन्डक्वास्टिक की  पॉवर का पता गया . क्योकि किसी पैनल के अन्दर फोटोकॉन्डक्वास्टिक का सबसे बड़ा या जरूरी काम होता है क्योकि फोटोकॉन्डक्वास्टिक ही सूर्य की किरणों को अवशोषित करती है और सेलेनियम सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर  बिजली पैदा करता है।

कुछ साल बाद सन, 1883 में, चार्ल्स फ्रिट्स ने रियल में सोलर सेल्स का अविष्कार किया और सन .1954 में बेल लैब्स में डेरिल चैपिन, केल्विन फुलर, और जेराल्ड पियर्सन ने सोलर पैनलों का आविष्कार किया।

सौर ऊर्जा  का इस्तेमाल बहुत पहले बाह्य अंतरिक्ष में उपग्रहों (Satellites) को  ऊर्जा  देने के  लिए किया जाता था सन,  1958 में, मोहरा मैं एक छोटे से उपग्रह पर   एक वाट पैनल का इस्तेमाल किया था सन, 1964 में, नासा ने  उपग्रह पर 470 वाट पैनल का इस्तेमाल किया था।

और उसके बाद सन 1973 में, डेलावेयर विश्वविद्यालय “सोलर वन” नामक पहला सौर भवन तेयार किया गया उसकी पूरी छत के उपर सोलर पैनल लगाये गये जैसे आज लगाये जा रहे है  और सन ,1981 में, पॉल मैकक्री ने सौर ऊर्जा पर चलने वाले पहले विमान सौर चैलेंजर का बनाया।

इसे 1 99 8 में फ्रांस से U.K तक उड़ाया गया यह विमान को  80,000 फीट पर उड़ा कर  का रिकॉर्ड बनाया इसके बाद नासा ने 2001 में उस रिकार्ड को तोड़ दिया जब वे रॉकेट विमानों को  96,000 फीट उड़ा दिया और सन , 2016 में, बर्ट्रेंड पिकाकार्ड ने दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली सौर उर्जा से चलने वाला विमान बनाया।

वर्ष 1980 से, सौर पैनल की कीमतों में हर साल कम से कम 10 प्रतिशत गिरावट आई है लेकिन पिछले कुछ समय से  सौर पैनल की डिमांड बढ़ी है क्योकि यह बिजली का सस्ता और अच्छा साधन है इस से  वातावरण को कोई भी नुकसान नहीं  होता ।

सौर ऊर्जा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी-

सौर ऊर्जा ऊर्जा का पूरी तरह से मुक्त स्रोत है और यह भरमार पाया जाता है। हालांकि सूर्य पृथ्वी से 90 मिलियन मील की दूरी पर है, लेकिन प्रकाश इस दूरी को तय  करने में 10 मिनट से कम समय लेता  है। वायुमंडल से आने वाली 174 पेटावाट सौर विकिरण  पृथ्वी को मिलती है। लगभग 30%  वापस प्रतिबिंबित हो जाती  है और बाकी महासागरों, बादलों और जमीन वाले लोगों द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं।सौर ऊर्जा का उपयोग  खाना पकाने के लिए किया जा सकता है.और गर्म पानी करने के लिए भी इसका उपयोग होता है . और सबसे महत्वपूर्ण उपयोग ये है की विभिन्न देशों के अंतरिक्ष मिशन में  सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके अपने अंतरिक्ष यान को नियंत्रित किया जाता है . दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र कैलिफोर्निया में Mojave Desert में स्थित है जो की  1000 एकड़ में बनया गया है।

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