आजकल इतिहास को पुरावशेषों से सर्टिफाइड किया जाता है। रामायण में क्या लिखा है, महाभारत में क्या लिखा है या वेदों में क्या लिखा है इसका कोई महत्व नहीं, परंतु यदि खुदाई में मिट्टी के बर्तन पाए गए हैं, रथ निकले हैं, आभूषण निकले हैं तो उससे तय होगा कि इस जगह का इतिहास क्या है। यह कैसी बात है कि अपनी कलम से इतिहास लिखने वाले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है मिट्टी के बर्तन बनाने वाले हाथ। खैर, लेकिन अब वक्त है कि भारत के इतिहास को बर्तन बनाने वालों या निर्माण करने वालों के हाथों से लिखा जाए। इसी के चलते अब फिर से भारत के प्राचीन अवशेषों को नई तकनीक के साथ शोध करके बताया जाना चाहिए कि यह कितने पुराने हैं और किस काल के किसके हैं। भारत में पुरातात्विक अवशेषों की कमी नहीं है परंतु उस पर प्रॉपर रूप में अभी बहुत कुछ होना बाकी है।
1. अखंड भारत (पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित) में कई प्राचीन रहस्यमी मंदिर, स्तंभ, महल और गुफाएं हैं। बामियान, बाघ, अजंता-एलोरा, एलीफेंटा और भीमबेटका की गुफाएं, 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठों के अलावा कई पुरातात्विक महत्व के स्थल, स्मारक, नगर, महल आदि को संवरक्षित कर इनके इतिहास को लिखे जाने की आवश्यकता है। उदाहरणार्थ मिस्र के पिरामिड और स्मारकों पर लगातार शोध होता रहता है और उनके संवरक्षण की प्रक्रिया भी चलती रहती है। इस सब पर कई शोध किताबें लिखे जाने का सिलसिला भी चलता रहता है, परंतु भारत में ऐसा नहीं होता। क्यों?
2. सिंधुघाटी की सभ्यता की बात करें तो मेहरगढ़, हड़प्पा, मोहनजोदेड़ो, चनहुदड़ो, लुथल, कालीबंगा, सुरकोटदा, रंगपुर और रोपड़ से भी कहीं ज्यादा प्राचीन स्थानों की वर्तमान में खोज हुई है जिसमें बुर्जहोम, गुफकराल, चिरांद पिकलीहल और कोल्डिहवा, लोथल, कोल्डिहवा, महगड़ा, रायचूर, अवंतिका, नासिक, दाइमाबाद, भिर्राना, बागपद, सिलौनी, राखीगढ़ी, बागोर, आदमगढ़, भीमबैठका आदि ऐसे सैकड़ों स्थान है जहां पर हुई खुदाई से भारतीय इतिहास, धर्म और संस्कृति के नए राज खुले हैं। इन स्थानों से प्राप्त पुरा अवशेषों से पता चलता है कि 9000 ईसा पूर्व भारतीय संस्कृति और सभ्यता अपने चरम पर थी। बागपत और सिलौनी से हाल ही में महाभारत काल का एक रथ और उसके पहिये पाए गया है। इनकी जांच करने के बाद पता चला है कि यह ईसा से लगभग 3500 वर्ष पूर्व के हैं। तांबे के पहिये आज भी वैसे के वैसे ही रखे हुए हैं।
3. दरअसल, भारत को अपने पुराअवशेष और स्मारकों को अच्छे से संवरक्षित रखने की जरूरत है। उक्त सभी की जानकारी का एक डेटाबेस भी तैयार कर भारतीय इतिहास पर फिर से शोध कार्य किया जाने की जरूरत है। हालांकि शोध कार्य तो सतत जारी ही रहना चाहिए लेकिन जरूरत हमें इस बात कि है कि वर्तमान तकनीक और खोज पर आधारित इतिहास को फिर से क्रमबद्ध लिखा जाए और उसे स्कूली और कॉलेज की किताबों में भी अपडेट किया जाए। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो निश्चित ही हम अपने देश के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। पहले लिखे गए इतिहस से भारत और भारतीय समाज का विभाजन ही ज्यादा हुआ है।
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।