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Bar code की खोज किसने और कब किया था ?

 
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जब हम दुकान से सामान लेते हैं और सामान लेने के बाद कई बार हमारे सामने एक ऐसी चीज आ जाती है जिससे देखकर हम हैरान से हो जाते हैं और उस चीज के बारे में बार-बार में सोचने लगते हैं कई बार जब हम समान लेते हैं तो हमारे सामने किसी भी तरह के पैकेट के ऊपर या किसी और अन्य समान के ऊपर हमें काली काली पतली पतली लाइन दिखाई देती है और उन लाइनों के नीचे गणित के अंकों में कुछ लिखे होते हैं हालाँकि वे गणित के अंक लाइन के हिसाब से तो नहीं होते हैं लेकिन उनके नीचे जरूर लिखे हुए मिलते हैं और कई बार हम उनके बारे में गहराई से सोचने लगते हैं कि आखिर यह चीज है क्या लेकिन हमें पता नहीं चलता की ये चीज क्या होती है और फिर भी हम उसे जानने की कोशिश जरूर करते हैं लेकिन शायद आप यह बात कभी जान भी नहीं पाए होंगे कि यह चीज क्या होती है और यह लगभग सभी समान के ऊपर बनी होती है.

तो आज हम आपको इस पोस्ट के अंदर उन्हीं काली लाइनों के बारे में बताएंगे कि आखिर भी काली लाइनें क्या होती है और उनका क्या काम होता है हम आपको बता दें कि उन काली लाइनों को Barcode  कहा जाता है और वह काली लाइने कोई सीधी या सिंपल लाइने नहीं होती क्योंकि वह एक कोड होता है जिसे हम सिर्फ काली लाइन हीं समझते हैं लेकिन वे मशीनों द्वारा समान के ऊपर लगाया गया कोड होता है और उससे सामान की क्वांटिटी का भी पता चलता है तो Barcode  क्या है Barcode  का क्या काम है और Barcode  का आविष्कार किस तरह किया गया इस तरह की जानकारी आज हम आपको इस पोस्ट में नीचे बता रहे हैं यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही आवश्यक है क्योंकि शायद आप इस तरह की जानकारी कभी ना जान पाए हो और ना ही आप इस तरह की जानकारी कभी सुनने को मिली होगी तो आप नीचे दी गई हमारी Barcode  के अविष्कार के बारे में जानकारी ध्यान से पढ़िए.

अगर हम सीधी भाषा में आपको बताएं Barcode किसे कहते हैं तो Barcode मशीनों के द्वारा समान के ऊपर लगाया जाता जो कि गणित के कुछ अंकों और उस काली पतली लाइनों के अंदर छुपा होता है .और उन काली लाइनों और नंबर के रूप में ही वह कोड होता है और यह सामान के पीछे की तरफ लिखा हुआ या छपा हुआ होता है. और यह किसी भी बिजनेस के लिए बहुत ही ज्यादा मददगार साबित होता है क्योंकि इससे किसी भी तरह की समान में दिक्कत नहीं होती है बड़ी-बड़ी कंपनियों में किसी भी तरह के प्रोडक्ट को ट्रैक करने के लिए इस कोड का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि इससे कंपनी के अंदर जो माल बन रहा है. उसके रेट और जो कंपनी में Stocks Level है. उसके बारे में बहुत ही आसानी से पता चल जाता है और इससे कंपनी को बहुत फायदा होता है. इसलिए यह कोड कंपनियां अपने सामान के ऊपर लगती है.और इस कोड का इस्तेमाल करके कंपनी अपनी उत्पादकता और दक्षता को बढ़ा सकती है.

और ये काली लाइन बस और कुछ नहीं होती सिर्फ यह एक कोड ही होता है जो कि समान के ऊपर लगा होता है और इस कोड को मशीनों द्वारा लगाया जाता है और कंपनी अपने कोड स्कैनर द्वारा देखकर अपने प्रोडक्ट को पहचान लेती है और उसके अंदर किसी तरह की गलती होने की भी चांस कम होते हैं वह जो कोड के अंदर डाटा होता है उसे कंप्यूटर में भी आसानी से डाला जा सकता है.

बारकोड के आविष्कार से पहले 1890 में पंच कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था और पंचकार्ड और पंचकार्ड से प्रोडक्ट का ट्रैक रख पाना बहुत मुश्किल था 1948 में एक सुपर मार्के Exactive Drexel University में आकर College Dean से बात रहे थे की अगर प्रोडक्ट का कोड सिस्टम होता तो ट्रैक करने में बहुत आसानी होती. और इन दोनों को बात करते हुए Joseph Woodland सुन लिए और उन्होंने अपने दोस्त Bernard Silver को कहा कि हमें इस चीज का समाधान ढूंढना चाहिए.

और इन दोनों ने मिलकर Ultraviolet Inc. का इस्तेमाल करके कोड बनाना चाहा लेकिन यह बहुत ज्यादा महंगा था और बहुत जल्द ही मिट जाता और Joseph Woodland ने सोचा कि यह आविष्कार आगे जाकर बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है इसलिए Drexel University के अपनी जॉब को छोड़ कर उन्होंने Barcode Concept के ऊपर काम करना शुरु कर दिया Joseph Woodland  Morse Code का Concept ले कर Barcode को बनाना शुरू किया. Morse Code में डॉट और डैश का इस्तेमाल किया जाता है और एक दिन Joseph Woodland  के समुन्द्र किनारे पर बैठे हुए थे.और उन्होंने अपने उंगलियों से कुछ लकीरें बना दी और उसी समय उनके दिमाग में यह तरीका आया कि Morse Code में से डॉट और डैश को हटाकर पतली और मोटी लाइन्स का इस्तेमाल करके कोड बनाया जा सकता है Joseph Woodlandऔर Bernard Silver ने मिलकर 1949 में Classifying Apparatus And Method के नाम से पेटेंट दर्ज करवाया इस पेशेंट को 1952 इशू किया गया जो कि Shirking Shape में Bulls Eye जैसा था.

1951 में Joseph Woodland  IBM कंपनी को बारकोड स्कैन करने वाली टेक्नोलॉजी डेवलप करने को कहा लेकिन उस समय टेक्नोलॉजी नहीं थी इसलिए IBM बारकोड स्कैनर को बना नहीं पाए 1960 में लेजर के आविष्कार के बाद Joseph Woodland IBM कंपनी के साथ मिलकर बारकोड स्केनर को बनाना शुरू किया इसी समय में 1963 में 38 साल की उम्र के Bernard Silve की मृत्यु हो गयी.

1962 में Woodland ने अपने आविष्कार का पेटेंट 15000 डॉलर में Philco कंपनी को बेच दिया इसी साल के अंदर Philco कंपनी ने रेडियो कॉर्पोरेशन ऑफ अमेरिका (RCA) को बेच दिया 1967 में नेशनल एसोसिएशन ऑफ फूड चेंज (NAFC) ने पहली बार बारकोड को टेस्ट किया उस समय में बारकोड को मैन्युअली प्रोडक्ट के ऊपर लगाया जाता था. इसी साल में Association Of American Railroads (AAR) में बारकोड को Railroad Car के पहचान के लिए Blue और Red Color से बनाया गया और Car ट्रक सिस्टम को इस्तेमाल किया. जो की इस्तना सफल नहीं रहा. 1971 में IBM के एंप्लॉय जॉर्ज जे लौरेर ने Rectangle Barcode को बनाया. सबसे पहले 1974 में एक च्विंगम के पैकेट के ऊपर  बारकोड को स्कैनर किया गया और यादगार के तौर पर इस पैकेट को आज भी नेशनल म्यूजियम ऑफ अमेरिकन हिस्ट्री में रखा गया है. और लोग उसको देखते भी है.


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