गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

दुर्भावना का फल - उत्तराखंड की लोक-कथा

Image SEO Friendly

गंगा नदी गौमुख से निकलकर उत्तरांचल में कुछ दूर तक जाह्नवी के नाम से भी जानी जाती है। उसी जाह्नवी नदी के किनारे एक महर्षि का गुरुकुल था, जहां धर्म और अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी जाती थी। वहां अनेक शिष्य आते। गुरुकुल में कड़ा अनुशासन था। गुरु की आज्ञा का पालन करना और आपस में मित्रता का व्यवहार करना वहां का पहला नियम था। गुरुकुल में अपने बच्चों को भेजने के बाद माता-पिता निश्चिंत हो जाते थे। उन्हें गुरु पर विश्वास था कि वे बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार देंगे।

उसी गुरुकुल में विभूति, दक्षेस, सुवास और नवीन भी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। विभूति और दक्षेस बहुत बुद्धिमान थे। हर विद्या सबसे पहले सीख लेते। बस एक ही कमी थी कि दोनों बहुत ईर्ष्यालु थे। किसी और की प्रशंसा न कर सकते थे, न सुन सकते थे। इसके विपरीत सुवास और नवीन साधारण बुद्धि के थे, पर सबसे मित्रता का व्यवहार करते। सबके गुणों का सम्मान करते। सुवास और नवीन ने अपने साथियों को समझाने का बहुत प्रयास किया, पर सब व्यर्थ। महर्षि को भी बहुत चिंता थी कि उन्हें कैसे सुधारा जाए? वे दोनों बालकों में अहंकार और ईर्ष्या की भावना को ख़त्म करना चाहते थे, पर उचित अवसर नहीं मिल रहा था।

जाह्नवी नदी के दूसरे किनारे पर एक बस्ती थी। वहां एक ज़मींदार थे, जिनकी शिक्षा-दीक्षा इसी गुरुकुल में हुई थी। उन्हीं दिनों वे गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ, जिन्हें उत्तरांचल के चार धाम कहा जाता है, की यात्रा करके लौटे। उन्होंने एक भोज का आयोजन किया। ज़मींदार ने सबसे पहले गुरुकुल में संदेश भेजा, “महर्षिवर, संदेशवाहक के साथ कृपया अपने दो योग्य शिष्य भेज देवें। उन्हें भोजन कराने के बाद ही भोज आरंभ होगा। साथ ही मैं उनकी योग्यता के लिए उन्हें सम्मानित भी करना चाहता हूं।"

गुरु ने कुछ सोचकर विभूति और दक्षेस को बुलाया और कहा, “नदी के उस पार रहने वाले ज़मींदार ने आश्रम के दो योग्य शिष्यों को दावत के लिए बुलाया है। दावत के पश्चात वे उनकी योग्यता के लिए उन्हें सम्मानित करना चाहते हैं। गुरुकुल में तुम्हारी विद्या बुद्धि को देखते हुए मैंने तुम दोनों को चुना है। आज ही वहां जाना है-क्या तुम जाओगे?”
“अवश्य,” दोनों ने एक साथ कहा।

दोनों शिष्य संदेशवाहक के साथ जमींदार के यहां पहुंचे । भोजन की सुगंध वातावरण में फैली थी। ज़मींदार ने उनका स्वागत करते हुए कहा, “भोजन तैयार है, आप दोनों दूर से आए हैं। पास ही कुआं है, वहां जाकर हाथ-पैर धो लें, फिर आसन ग्रहण करें। इसलिए कुएं का चबूतरा छोटा है एक समय में एक ही व्यक्ति खड़ा हो पाएगा, अतः आप में से पहले एक जाए फिर दूसरा।”

विभूति झटपट उठा और कुएं की ओर चला गया। दक्षेस वहीं बैठा रहा। ज़मींदार ने दक्षेस से पूछा, “जो कुएं की ओर गए हैं सुना है वे गुरुकुल के शिष्यों में सबसे श्रेष्ठ हैं और बहुत बड़े विद्वान हैं?”

“विद्वान! किसने कहा आपसे कि वह विद्वान है? अरे वह तो ख़च्चर है... पूरा खच्चर!” दक्षेस क्रोध से बोला।

यह सुनकर ज़मींदार ने कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद दोनों शिष्यों को भोजन के लिए बुलवाया गया। जब वे खाने के लिए बैठ तो उनके सामने जानवरों का भोजन भूसा, हरी घास और चने का दाना परोसा गया। उसे देखते ही दोनों क्रोध से उबल पड़े।

“आपने हमें क्या जानवर समझ रखा है, जो खाने के लिए घास-भूसा दिया है...?” चिल्लाते हुए दोनों शिष्य क्रोध से पैर पटकते तेज़ी से वहां से बाहर निकल पड़े। वे लगभग दौड़ते हुए गुरुकुल पहुंचे और सारी घटना महर्षि को बताई। अभी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि पीछे से ज़मींदार का संदेशवाहक हांफता हुआ पहुंचा । उसने महर्षि से क्षमा मांगते हुए कहा, “गुरुवर क्षमा करें, कहीं कुछ समझने में भूल हो गई। ज़मींदार स्वयं आते, पर हवेली मेहमानों से भरी है इसलिए नहीं आ पाए। आप शिष्यों को पुनः भेज दें। मैं उन्हें लेने आया हूं बिना शिष्यों को भोजन कराए अन्य मेहमानों को भोजन नही परोसा जाएगा।"

महर्षि ने इस बार दूसरे दो शिष्यों सुवास और नवीन को संदेशवाहक के साथ भेजा। वे दोनों ज़मींदार के यहां पहुंचे तो ज़मींदार ने उनसे भी बारी-बारी कुएं पर जाकर हाथ-पैर धोने के लिए कहा। पहले नवीन कुएं की ओर गया। सुवास को अकेला देखकर ज़मींदार ने वही बात फिर कही, “सुना है कि वे जो कुएं की ओर गए हैं, गुरुकुल में सबसे श्रेष्ठ और बहुत विद्वान हैं।"

सुवास ने कहा, “आपने ठीक सुना है। गुरुकुल में रहकर गुरुवर से हमें रोज़ अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं।"
ज़मींदार ने फिर पूछा, “आपने यह नहीं बताया कि आप दोनों में श्रेष्ठ कौन है?"
“श्रेष्ठ तो नवीन है," सुवास ने बेहिचक कहा।
“और आप?" ज़मींदार ने पुनः पूछा।
“मैं तो उसके सामने कुछ भी नहीं हूं," सुवास ने उत्तर दिया।

तभी नवीन लौटा और सुवास कुएं की ओर गया। ज़मींदार ने वही प्रश्न नवीन से किया। नवीन ने उत्तर दिया, “सुवास तो सूर्य है, मैं तो उसकी विद्‌वता के सामने एक दीपक भर हूं।”

ज़मींदार उनके उत्तर से संतुष्ट हुए और दोनों का यथोचित सत्कार किया। दक्षिणा में उन्हें पांच-पांच गायें, पुरस्कार स्वरूप चांदी की खड़ाऊं भेंट कीं। वे दोनों जब गुरुकुल लौटे तो बहुत प्रसन्‍न थे।

यह देखकर विभूति और दक्षेस का क्रोध और बढ़ गया। वे महर्षि के पास पहुंचे और कहा, “हम दोनों आपके इन शिष्यों से अधिक बुद्धिमान हैं फिर भी हम अपमानित हुए। आप सब जानकर भी चुप हैं और नवीन एवं सुवास की प्रशंसा कर रहे हैं।”
गुरु महर्षि ने उत्तर दिया, “यह तो ज़मींदार ही बता सकते हैं।”

“तो आप चलकर उनसे पूछते क्‍यों नहीं?” दक्षेस ने हठ किया। महर्षि अनमने से चारों शिष्यों को साथ लेकर चल पड़े। ज़मींदार ने दौड़कर गुरु की अगवानी की और चारों शिष्यों को आसन दिया।

महर्षि ने आने का कारण बताते हुए कहा, “वत्स, आपने शिष्यों के साथ भेदभाव क्यों किया? दक्षेस और विभूति का कहना है कि उनका अपमान हुआ है। आपको इसका उचित कारण बताना ही होगा अन्यथा...!”

ज़मींदार ने गंभीर स्वर में कहा, “महर्षि, मैंने आपसे दो सुयोग्य विद्वान भेजने का आग्रह किया था। पर आपने मेरे यहां बैल और ख़च्चर भेज दिए। जब मैंने आपके पहले भेजे हुए शिष्यों से प्रश्न पूछा तो इन्होंने एक-दूसरे का यही परिचय दिया। अत: मैंने दोनों के लिए जानवरों वाले प्रिय भोजन परोसे। मुझसे कोई भूल हो गई हो तो मैँ क्षमा...!"

ज़मींदार की बात ख़त्म होने से पहले विभूति और दक्षेस का सिर शर्म से झुक गया। उन्हें अपनी भूल महसूस हुई, उन्होंने ज़मींदार से क्षमा मांगी।

तब गुरु महर्षि ने कहा, “अहंकार और ईर्ष्या के कारण तुम दोनों में प्रेम नहीं है, पारस्परिक सदभाव नहीं है। इसी कारण तुम दोनों योग्य होकर भी अयोग्य सिद्ध हुए और सभा में अपमानित हुए। वहीं सुवास और नवीन तुम दोनों की अपेक्षा कम योग्य हैं पर वे विनम्र, शिष्ट और एक-दूसरे के प्रति मित्रता का भाव रखते हैं। इसी कारण आज यहां सम्मानित हुए। सबकी भावना की कद्र करना, सबसे प्रेम करना और सबका सम्मान करना ही शिष्य को योग्य बनाता है।"

इसे सुनकर वहां उपस्थित लोगों ने गुरु की प्रशंसा की और गुरु को यह विश्वास हो गया कि अब उनके चारों शिष्य एक समान योग्य होकर घर लौटेंगे।

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"