पित्त दोष के लिए आयुर्वेदिक इलाज जानने से पहले हम यह जानेगे कि पित्त दोष होता क्या है। पित्त का पाचन क्रिया से सीधा संबंध होता है एवं यह एक प्रकार का पाचक रस है। पित्त दोष को इन लक्षणों से पहचाना जाता है पित्त प्रकोप होते खट्टी डकारें। जब बार-बार प्यास और पुरे बदन में जलन महसूस होती है एवं उल्टी में खट्टा पीला तत्व निकलता हैं। उससे पित्त कहा जाता है। ऋतु परिर्वतन होने पर संचय और प्रकोप होना स्वाभाविक होता है इनका बाल अवस्था, युवावस्था, बृद्दावस्था एवं दिन-रात भोजन की अवस्थाओं पर निर्भर करता है। किसी एक का कम ज्यादा होना पित्त दोष या कफज बातज का निर्णय करता है। पीलापन का मतलब ही पित्त है। आंख पीली, पेशाब का रंग गहरा पीला एवं जलनयुक्त इसकी सरल पहचान है। पित्त दोष के लिए कुछ सटीक आयुर्वेदिक इलाज हैं जिनसे इसे नष्ट किया जा सकता है।
पित्त दोष का आयुर्वेद इलाज है:
इलायची:
इलायची के बारे में तो सभी जानते होंगे। इलायची आसानी से सभी घरों में उपलब्ध हो जाती है। ऐसे ही पित्त दोष से ग्रसित लोगों के लिए इलायची रामबाण की तरह कार्य करती है। इलायची लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाने में सक्षम है। 10 ग्राम इलायची, 10 ग्राम दालचीनी एवं 10 ग्राम पीपल लें और इन्हें महीन पीस लें और मिश्री के साथ मिला लें। फिर दिन में कम से कम 3 बार मक्खन के साथ इसका सेवन करें। इससे पित्त रोग में आराम मिलता है।
त्रिफला:
त्रिफला पेट के सभी रोगों को दूर करने में कारगार होती है। त्रिफला को आयुर्वेदिक इलाज के दौरान पेट की समस्याओं के समाधान के लिए उपयोग किया जाता है। पित्त दोष को नष्ट करने के लिए त्रिफला, हरड़, आंवला और बहेड़ा इन सभी का चूर्ण बना लें। और एक चम्मच सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ इसे लें। कुछ ही दिनों में पित्त दोष की समस्या पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगी।
केसर और शतावरी:
केसर पित्त दोष को नाश करने में बहुत कारगार है। केसर का रोज रात को दूध में डालकर सेवन करने से यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और यह कैंसर जैसी बिमारियों के लिए भी कारगार है। वहीँ शतावरी पित्त रोग से लड़ने में पूर्ण रूप से सक्षम है। इसके सेवन से पित्त और भी पेट की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। ये आयुर्वेदिक इलाज, पित्त दोष को समाप्त करने में पूर्णता सक्षम है।
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