आयुर्वेद को एक पवित्र ग्रन्थ भी कहा जा सकता है क्योंकि आयुर्वेद में कई बड़ी से बड़ी बिमारियों का समाधान है। जैसे मधुमेह, दाद, फोड़े –फुंसी, ह्रदय रोग संबंधी बीमारियाँ आदि। आयुर्वेद ग्रन्थ में रामबाण दवाइयां है जिनसे कई बीमारियाँ जड़ से समाप्त हो जाती हैं। आयुर्वेद में किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त तो किया जा सकता है लेकिन इसके लिए परहेज की आवश्यकता होती है। और आयुर्वेद में इलाज का समय थोडा लम्बा होता है। लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा के कोई दुष्परिणाम नहीं है।
आयुर्वेद में प्रमेह है जिनमें एक है मधुमेह यहनाम से मधु अर्थात मीठा से होता है और मधुमेह को डायबिटीज कहा जाता है। अनियंत्रित जीवनशैली, मिठाई, चावल, आलू,गरिष्ठ भोजन एवं आलसी स्वाभाव वाले व्यक्ति को ही होता है। इसकी रामबाण दबा तो आयुर्वेद में भरी पडी है। पर दबा से ज्यादा फायदा और नियंत्रण तभी सम्भव है जब रोगी दिनचर्या को ठीक करे। एक घन्टा पैदल घूमना एवं खान-पान मिठाई और चाय काफी का त्याग मधुमेह को नियंत्रण करने में बडी सहायक है। दबा के लिये कोई भी कडबी चीज जैसे मैथी,तेजपत्र, जामुन की गुठली का चूर्ण बना ले और इसे नियमित रूप से खली पेट सुबह लें। या चन्द्र प्रभाबटी भधुमेह बटी या बसंत कुसमाकर में से कोई एक ली जा सकती है। यह रोग खत्म नही नियंत्रित होता है जो घटता बढता रहता है। बस मरीज को खुद पर लगाम लगाना होगा।
आयुर्वेद ग्रन्थ के अनुसार मधुमेह को पूर्ण रूप से ख़त्म किया जा सकता है लेकिन उसके लिए थोडा समय और थोड़ी दैनिक दिनचर्या को परिवर्तित करना होगा। योग को आज के समय में बहुत सराहा जा रहा है और इसके अनुसार चलने से कई प्रकार की बीमारियाँ भी समाप्त की जा सकती है यह भी आयुर्वेद का एक हिस्सा ही है। सुबह की दिनचर्या को बदलें और योग करें या पैदल चलें। चाय और मीठी चीज़ों पर नियंत्रण रखें। जो दवाएं ऊपर बताई गयी हैं नियमित उनका सेवन करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो 45 दिनों के अन्दर आपको इसका असर दिखाई पड़ने लगेगा। और आपको आपका मधुमेह ख़त्म होता दिखाई देगा। मधुमेह के साथ-साथ कई और भी ऐसी बीमारियाँ हैं जिसकी चिकित्सा का विस्तार आयुर्वेद ग्रन्थ में है।
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