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बच्चों में दिल की बीमारी के कारण एवं लक्षण एवं उपचार

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आज के समय में बुजुर्गों से ज्यादा युवा और बच्चे खतरनाक बिमारियों का शिकार हो रहे हैं। और इसके कई कारण हैं। आप देख सकते हैं कि बच्चों में कई प्रकार की बीमारियाँ हो रही है जैसे दमा, एनीमिया और हृदय रोग भी। आज के समय में कई बच्चे हृदय रोगों से पीड़ित हैं। इसकी वजह क्या है यह जानना बहुत आवश्यक है। क्या माता-पिता की वजह से ऐसा है या फिर वजह कुछ और ही है यह जानना जरुरी है। और समय पर इसका इलाज करवाना भी बहुत जरुरी है। यहाँ हम बात करने जा रहे हैं बच्चों में दिल की बीमारी के कारण एवं लक्षण के बारे में। बुर्जुग जब किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं तो समझ आता है कि उम्र के साथ बीमारी ने उन्हें घेरा है लेकिन जब कोई बच्चा हृदय रोग जैसी बीमारी से ग्रसित होता है तो पूरा परिवार तनाव में आ जाता है।

हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं। हृदय रोग एक जानलेवा बीमारी है एवं यह किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। कई बार हम सोचते हैं कि तनाव के कारण ऐसा होता है या ऐसी बीमारियाँ होती हैं। लेकिन जब बच्चा छोटा होता है तब वह ऐसे किसी भी तनाव में नहीं होता फिर भी वह हृदय रोग जैसी बिमारियों से ग्रसित हो जाता है। तो किसी भी बीमारी के अनेक कारण हो सकते हैं हम ये नहीं कह सकते कि किसी एक कारण की वजह से ही कोई बीमारी हुई है।

ऐसे ही आज हम बात करने जा रहे हैं कि बच्चों में हृदय रोगों के लक्षण और कारण क्या होते हैं और इन्हें रोकने के क्या उपाय हो सकते हैं। हम सभी जानते हैं कि बच्चों का हृदय या दिल बहुत ही नाजुक होता है इसलिए अगर उनको हृदय रोग है तो उसका पूर्ण रूप से ध्यान रखना होता है।

बच्चों में दिल की बीमारी के कारण:
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जन्मजात दिल की बीमारी:
अधिकतर मामलों में बच्चों को दिल की बीमारी जन्मजात ही होती है। जन्म के समय ही इस बीमारी के बारे में पता चल जाता है। इस जन्मजात बीमारी के कई कारण होते हैं वो बच्चे के माता पिता से जुड़े ही रहते हैं। तो यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बीमारी की वजह न चाहते हुए भी बच्चों के माता पिता बनते हैं। कैसे माता-पिता कारण होते हैं बच्चे की दिल की बीमारी का यह जानना भी जरुरी है।

धूम्रपान:
धम्रपान सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। अगर माता अत्यधिक धूम्रपान वाले स्थान पर समय व्यतीत करती है या किसी कारणवश उन्हें ऐसा करना पड़ता है या फिर वे बहुत ज्यादा धूम्रपान करती हैं तो बच्चे को जन्म से ही दिल की बीमारी होने का खतरा होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को तो शराब, सिगरेट जैसी चीज़ों से बहुत दूर रहना चाहिए। इससे बच्चे की सेहत और स्वयं की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

महिलाओं की कम उम्र में शादी होना:
बच्चे की दिल की बीमारी का यह भी एक बड़ा कारण है। आज के समय में तो लोग शादी विवाह के मामलों में काफी सतर्क रहने लगे हैं। लेकिन पहले के समय में लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती थी और कम उम्र में ही वे गर्भधारण कर लेती थी। इस कारण से महिला और बच्चे दोनों को ही कई बिमारियों और कठिनाईओं का सामना करना पड़ता था। बच्चे को दिल की बीमारी होने का एक कारण यह भी है।

ख़राब जीवनशैली:
कई बार महिलाएँ अपने आहार पर ध्यान नहीं देती और उचित जीवनशैली का प्रयोग नहीं करती जिस वजह से उनका शरीर कई बिमारियों से घिर जाता है और जब वह गर्भावस्था में होती हैं तो यही चीज़ें शिशु को भी प्रभावित करने लगती हैं।  ख़राब जीवन शैली की वजह से शिशु को जन्म से ही दिल की बीमारी होने की सम्भावना होती है ऐसे कई मामले सामने आये हैं।

बच्चों में होने वाले हृदय रोग:
वैसे तो किसी भी प्रकार का हृदय रोग बच्चों में पाया जा सकता है लेकिन अधिकतर दिल में छेद होने के मामले सामने आये हैं। बच्चों में बचपन में ही दिल में छेद होने के मामलों को देखा जा सकता है इसके संकेत शिशु के जन्म के समय ही सामने आ जाते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब बच्चे को बार-बार खांसी होती, जुकाम होता है या सांस लेने में दिक्कत होती तब इस बीमारी का पता चलता है। कई बार वाल्ब से जुडी हुई समस्याएँ भी बच्चों में देखी जाती हैं। यही दो आम प्रकार के हृदय रोग बच्चों में अधिकतर देखे जाते हैं।

बच्चों में दिल की बीमारी के लक्षण:
हर बीमारी पहले अपने कुछ लक्षण या संकेत देती है जिसको हमें पहचानना होता है। लेकिन कई बार हम इन बिमारियों को नज़रअंदाज कर देते हैं और बाद में हमें पछताना पड़ता है। आज हम बात करने जा रहे हैं बच्चों में दिल की बीमारी के लक्षण क्या हो सकते हैं के बारे में।

सर्दी, जुकाम और खांसी:
बच्चे को अगर जन्म से ही सर्दी, जुकाम और खांसी की समस्या है और लगातार या परेशानी बनी हुई है तो यह बच्चे में दिल की बीमारी का बहुत बड़ा संकेत है। वैसे तो जब बच्चे के जन्म के समय यह लक्षण दिखाई देते हैं तो इसके बारे में डॉक्टर जाँच करके उसी समय बता देते हैं लेकिन कुछ मामलों में इसका पता थोड़ा बाद में चलता है।

दूध पीने में परेशानी:
जब बच्चे को स्तनपान में बहुत ही अधिक दिक्कत हो रही होती है इसका मतलब होता है बच्चा दिल की बीमारी से ग्रसित है इसकी जाँच तुरंत ही करवाना चाहिए यह बहुत ही जरुरी होता है।

सांस लेने में परेशानी:
अगर सर्दी, जुखाम और खांसी के साथ-साथ बच्चा ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है और साँसों की आवाज बहुत तेज़ आ रही है इसका मतलब है कि बच्चे को हृदय रोग हो सकता है। अधिकतर मामलों में जाँच के दौरान यह सिद्ध भी हुआ है। इसलिए इसके प्रति भी थोड़ा सतर्क रहे।

उपचार:
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जिन बच्चों को हृदय रोग होते हैं उनका उपचार संभव है। हृदय रोगों में अधिकतर सर्जरी ही एक उपचार होता है। अगर दिल में छेद है तो उसका यही एक मात्र उपचार है। और यह जल्दी से जल्दी करवा लेना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में बच्चे की जान भी जा सकती है। साथ ही महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए और संतुलित जीवनशैली का पालन करना चाहिए।

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