भारतीय सनातन धर्म में मंत्रोच्चारण का बड़ा महत्व है। और सभी मन्त्रो का उच्चारण ओम से शुरु किया जाता है। ओम एक ऐसा शब्द जिसे हिंदु सनातन धर्म का मूल आधार कहा गया है। हिंदु धर्म परंपराओं के अनुसार ओम सिर्फ एक शब्द नही है बल्कि इस एक शब्द में इस संसार के रचियता का समावेश है। सदियों से हमारे ऋषि मुनि ओम का उच्चारण करके तप योग और साधना करते आए हैं। इस एक शब्द के उच्चारण से धर्म के अलावा अन्य भी महत्व हो सकते हैं। आईए जानते हैं इनके बारे में
ओम शब्द का अर्थ
ओम शब्द तीन अक्षरों से बना हुआ है अ,उ और म। यहां अ का अर्थ होता है उतपन्न होना, उ का मतलब होता है उठना यानि विकास और म का मतलब होता है मौन यानी की ब्रह्म लीन हो जाना।
ॐ ओम का उच्चारण क्या है -
ओम का शब्द संभवतः अपने प्रतीक ॐ से ज़्यादा पहचाना जाता है, परंतु जब भी ओम के उपयोग की बात आती है, ओम का उच्चारण ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वैदिक परंपरा सिखाती है कि ध्वनियों को किसी उद्देश्य के साथ बनाया गया था, इसलिए उच्चारण के नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनुनाद अर्थ से जुड़ा हुआ है। रोज़मर्रा की जिंदगी में हम सभी जानते हैं और महसूस करते हैं कि संगीत चाहे वो कैसा भी हो, हमारी मनोस्थिति को प्रभावित करता है। इसी तरह, वैदिक ध्वनियों और ओम जैसे शब्दों का उच्चारण, पारंपरिक निर्देशों के अनुसार किया जाना चाहिए, ताकि नकारात्मक अनुनाद से बचने के साथ ही इच्छित परिणाम पा सकें।
दरअसल ओम का ध्यान करने से कोई भी मौजूदा मानसिक अशांति या परेशानी से राहत मिलती है। जैसा कि आगे भी समझाया जाएगा, जब ओम के अर्थ को दिमाग़ में रख कर इसका जाप किया जाता है, तो आपको अपने मानसिक और स्वाभाविक रूप के बारे में जागरूकता मिलती है, जो हर समय सभी प्रकार की सभी सीमाओं से मुक्त है।
इन कारणों की वजह से यह समझना महत्वपूर्ण है कि ओम का ध्यान करते हुए इसे अपने तीन अक्षरों में नहीं तोड़ना चाहिए, बल्कि इसका उच्चारण दो अक्षर की भाँति ही करना चाहिए। और न ही ओम का जाप करते हुए ध्वनि को खींचना चाहिए।
ॐ ओम का जाप या ध्यान कैसे करें -
पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार, ओम का जाप या ध्यान इसका अर्थ और महत्व दिमाग़ में रखते हुए करना चाहिए। चूंकि ओम ईश्वर की प्रतिनिधि ध्वनि और प्रतीक है, इसलिए ओम का जाप करते हुए ईश्वर का ध्यान रखना जरूरी है। ओम का जाप करने की विधि इस प्रकार है:
- किसी भी आरामदायक ध्यान करने के आसन में बैठ जायें, जैसे की पद्मासन, सुखासन, या सिद्धासन। रीढ़ की हड्डी, सिर, और गर्दन बिल्कुल सीधी रखें।
- आंखों को बंद कर लें और एक गहरी साँस लें। अब साँस छोड़ते हुए ओम बोलना शुरू करें।
- नाभि क्षेत्र में "ओ" आवाज़ से होने वाली कंपन को महसूस करें और इस कंपन को उपर की तरफ बढ़ते हुए महसूस करें।
- जैसा आप मंत्र जारी रखते हैं, कंपन को गले की ओर बढ़ते हुए महसूस करें।
- जैसे कंपन गले के क्षेत्र में पहुंचती हैं, ध्वनि को "म" की एक गहरी ध्वनि में परिवर्तित करें।
- कंपन तब तक महसूस करें जब तक वह सिर के मुकुट तक ना पहुँचे।
- आप इस प्रक्रिया को दो या ज़्यादा बार दोहरा सकते हैं।
- अंतिम मंत्र जाप के बाद भी बैठे रहें और पूरे शरीर में ओम की ध्वनि की कंपन को महसूस करें - शरीर के हर एक कोशिका में महसूस करें।
ॐ ओम का जाप या ध्यान करने के फायदे -
ओम का जाप एक कंपन उत्पन्न करता है जो पुर शरीर को एक सौम्य अनुभव देता है। ओम को जब श्रद्धालु दृश्यता से मन में देखा जाता है यह मान को स्थिरता और शांति प्रदान करता है। अगर आप ओम का मतलब समझ कर ओम का ध्यान करें तो यह प्रभाव अधिक होता है, किंतु इसके बिना भी आप ओम के जाप का ध्यान अवश्य पाएँगे। ओम का जाप निरंतर करना आपको शांति से भर देता है। जब हम यह समझ कर ओम का ध्यान करते हैं कि ओम ईश्वर का प्रतीक है, तो यह हमें अपनी वास्तविक प्रकृति के करीब लाता है, हमें हमारे शुद्ध रूप से परिचित कराता है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, ओम प्रथम ध्वनि है और यह सारी सृष्टि इस रहस्यवादी ध्वनि की एक अभिव्यक्ति है। इन विचारों पर ध्यान देने से हम अन्य मनुष्यों के करीब आ सकते हैं और आपसी दूरियाँ और ख़तम कर सकते है।
ॐ योग में ओम का क्या महत्व है -
योग सूत्र के अध्याय 1 (समाधि पद) में, पतंजलि हमें ईश्वर की अवधारणा के रूप में "ईश्वर सर्वोच्च सर्वोपरि है, किसी भी बीमारी, क्रिया, कार्यों के फल या इच्छाओं के किसी भी आंतरिक छाप से अप्रभावित"। निम्नलिखित सूत्र हमें योग में ओम के महत्व के बारे में बताते हैं:
- सूत्र 1.27: "ईश्वर का अभिव्यक्ति शब्द रहस्यवादी ध्वनि ओम (प्रणव) है"
- सूत्र 1.28: "इसके अर्थ को समझ कर ध्यान करना चाहिए"
- सूत्र 1.29: "ओम का ध्यान करने से सभी बाधाएं गायब हो जाती हैं और साथ ही खुद को समझना आसान हो जाता है।"
- सूत्र 1.30: "रोग, निराशा, संदेह, आलस्य, कामुकता, झूठी धारणा, अनिश्चय - यह सब मन की बाधाएं हैं। ओम का ध्यान करने से सब दूर होती हैं"
- सूत्र 1.31: "मानसिक विकृतियों के साथ शारीरिक दर्द, शरीर में कंपन, और साँस लेने में परेशानी शामिल हैं। यह ओम के ध्यान से दूर होती हैं"
ॐ हिंदू धर्म व अन्य धर्मों में ओम का क्या महत्व है -
हिंदू धर्म में ओम सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रतीकों में से एक है। यह आत्मा (स्वयं के भीतर) और ब्रह्म (परम वास्तविकता, ब्रह्मांड, सर्वोच्च आत्मा) को संदर्भित करता है। ओम वेद, उपनिषद और अन्य ग्रंथों के अध्यायों की शुरुआत और अंत में पाया जाता है। यह पूजा और निजी प्रार्थनाओं के दौरान, शादियों के अनुष्ठान के समारोहों में, शादी के समय, और कभी-कभी ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास से पहले और दौरान ओम का ध्यान किया जाता है।
पौराणिक संबन्ध
कहा जाता है की संसार के अस्तित्व में आने से पहले जिस प्राकृतिक ध्वनि की गूंज थी वह ओम की थी। प्राचीन योगियों के अनुसार ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थाई नही है, जब संसार का भी अस्तीत्व खत्म हो जाएगा तब ध्वनि की गूंज ब्रह्मांड में मौजूद रहेगी। क्योंकि इस ध्वनि का आरंभ तो है मगर अंत नही है। इस ओम को ब्रह्मांड की आवाज कहा गया है।
चिकित्सीय महत्व
जब कोई इंसान नियमानुसार ओम का उच्चारण करता है तो इस उच्चारण के जरिए शरीर में एक कंपन्न पैदा होता है जिससे हमारे तन और मन को कई प्रकार के विकारों से मुक्ति मिलती है। ओम का जब मानसिक, शारीरिक, अध्यात्मिक और बौद्धिक शांति प्रदान करता है। इसके उच्चारण से शरीर में नई चेतना और उर्जा का विकास होता है। शरीर की मृत कोशिकाएं जीवित होती है जिससे तन मन पर सकारात्मक प्रभान पड़ता है।
थाईराईड पर नियन्त्रण - ओम के उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होता है जो थाईराईड ग्रंथी पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
तनाव को मिटाता है - ओम का उच्चारण दिमाग से विषैले तत्वों को निकालता है और इसके दोषों को दूर करता है। कुछ देर ओम का उच्चारण करने से मन से सभी विकार दूर होते है जिससे तनाव और दिमाग की थकान दूर होती है।
अनिद्रा को दूर करता है - अगर आप अनिद्रा जैसी परेशानी के शिकार हो रहे हैं तो तुरंत ओम का उच्चारण शुरु कर दें इसके उच्चारण सें तनाव कम होगा मन में सकारात्मक उर्जा आएगी और आप अच्छी निंद्रा ग्रहण करेगें।
घबराहट को कम करता है - ओम के उच्चारण से मन के साथ साथ दिमाग पर भी सकारात्मक असर होता है। ओम से उत्पन्न होने वाले कंपन से दिल की धड़कनें सामान्य होती है और आपके अंदर की घबराहट दूर होती हैं।
पाचन शक्ति बढाता है - ओम का उच्चारण शरीर में उर्जा का संचरण करता है, जिसके कारण हमारे खून का प्रवाह अच्छा होता है और साथ ही पाचन शक्ति मजबूत होती है।
थकान को मिटाता है - ओम का उच्चारण मांसपेशियों की स्थिलता को कम करता है जिससे हमारे शरीर की थकान दूर होती है और हमें अधिक मेहनत करने की शक्ति मिलती है।
कैसे करें ओम का उच्चारण
ओम का उच्चारण करने के लिए साफ स्वच्छ और खुला वातावरण ठीक रहता है, क्योंकि जब हम इस शब्द का उच्चारण करते हैं तो हमारी सांसे तेज होती है और शरीर ज्यादा आक्सीजन ग्रहण करता है। खुले स्थान पर इसका उच्चारण करने से स्वच्छ हवा हमारे शरीर में जाती है जिससे शरीर को काफी लाभ होते हैं। भारतीय योग विद्या के अनुसार ओम के उच्चारण सुखासन, पद्मासन, वज्रासन आदि मुद्रा में बैठ कर 5,7,11 या 21 बार ओम का उच्चारण करना उपयोगी माना गया है।
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