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दिल को स्वस्थ रखने के लिए फायदेमंद हैं ये 5 योगासन

 
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सेहतमंद रहने के लिए हृदय का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। आजकल देश में हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसलिए इस स्थिति में बहुत जरूरी है कि आप अपने हृदय को स्वस्थ रखने के उपायों पर गौर करें। हेल्दी हार्ट के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद योग होता है। 

आज के समय में योग न केवल आपको तंदुरुस्त बनाता है, बल्कि विभिन्न विकारों से भी बचाता है। यह शरीर, मन और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाने में सहायक है, इसीलिए योग को विश्व स्तर पर अपनाया गया है। दुनिया भर में लगभग 300 मिलियन (30 करोड़) लोग योग करते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे योगासनों के बारे में जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

मार्जरासन
  • जमीन पर दोनों हथेलियों और घुटनों को स्पर्श करने वाली पोजीशन में आ जाएं (पंजे पीछे की तरफ और हाथ एकदम सीधे होने चाहिए)।
  • अब धीमे-धीमे सांस को छोड़ते हुए सिर को छाती की तरफ लाएं और पीठ को ऊपर छत की ओर अर्ध गोल अवस्था में ले जाएं। इससे पीठ में खिंचाव आएगा। 
  • अब इसके विपरीत करें, यानी सांस लेते हुए सिर को छत की तरफ ले जाएं और पीठ को अंदर यानी जमीन की तरफ अर्ध गोल अवस्था में लाएं। 
  • इसे पांच बार दोहराएं।
  • जितनी बार आपको ठीक लगे, यह दोनों मुद्रा दोहराएं। शुरुआत में 2-3 मिनट से ज्यादा ना करें। 
उत्थित त्रिकोणासन
  • सीधे खड़े हो जाएं। सांस अंदर लें और 3.5 से 4 फीट तक पैरों को खोल लें।
  • सबसे पहले अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर ले आएं। 
  • अपने बाएं पैर को पूरी तरफ से बाईं ओर मोड़ें और दाहिने पैर को सामने की ओर रहने दें। 
  • अब बाएं हाथ को धीमे से नीचे ले जाएं ताकि बाएं पैर के पंजे को या फिर जमीन को छू सकें, जबकि दाहिने हाथ को ऊपर यानी छत की ओर सीधा ले जाएं। इस दौरान दाहिने हाथ की उंगलियों को देखने की कोशिश करें।
  • अब प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं। इसलिए सबसे पहले पैर के पंजों की तरफ देखिए। 
  • सीधे खड़े हो जाइए। अब यही प्रक्रिया दाईं तरफ कीजिए। 
  • कुल मिलाकर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप इस आसन को 30 से 60 सेकेंड तक कर सकें। आप समय बढ़ा भी सकते हैं लेकिन 90 सेकेंड से ज्यादा ना करें।
ऊर्ध्व मुख श्वानासन
  • पेट के बल लेट जाएं। पैरों के तलवे ऊपर की तरफ हों तथा जमीन को छू रहे हों लेकिन बाकी का धड़ जमीन से थोड़ा उठा होना चाहिए। 
  • हाथों को छाती के नजदीक रखें। अब कंधों को उपर उठाएं और हाथों को एकदम सीधा कर लें। 
  • इस दौरान पैरों की उंगलियां जमीन को छूती रहनी चाहिए। अब सिर को सामने की ओर कीजिए और पीठ जितनी मुड़ पाए (कर्व), सिर्फ उतनी ही मोड़ने की कोशिश करें। 
  • कुल मिलाकर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे-धीरे जैसे आपके शरीर में ताकत और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं लेकिन 90 सेकेंड से ज्यादा ना करें। 
भुजंगासन
  • पेट के बल लेट जाएं। पैरों के तलवे छत की ओर होने चाहिए।
  • हथेलियां छाती के समीप रखें, अपनी छाती को धीमे -धीमे उठाएं, इस मुद्रा में आपके हाथ पूरी तरह सीधे नहीं किए जाते हैं।  
  • इस दौरान ध्यान रहे कि सिर से लेकर पेट के निचले हिस्से को हवा में उठाना है जबकि कमर से नीचे का हिस्सा जमीन पर ही रहना चाहिए। 
  • पैरों को उंगलियों के बल ही टिका रहने दें। पीठ जितनी आराम से मोड़ सकें, उतनी ही मोड़ें। 
  • कुल मिलाकर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे-धीरे जैसे आपके शरीर में ताकत और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं लेकिन 90 सेकेंड से ज्यादा ना करें।
धनुरासन
  • जमीन पर दरी, चटाई या मैट बिछा कर पेट के बल लेट जाएं।
  • दोनो पैरों के घुटनों को इतना मोड़ लें कि एड़ियां कूल्हे को छुएं। इस दौरान दोनों हाथो से पंजों को पकड़ कर रखना है। 
  • जितना हो सके आप अपनी जांघों और छाती को ऊपर उठाएं, लेकिन पंजों को पकड़कर ही रखें। 
  • ऐसा करने से आपका सिर और छाती दोनों ऊपर की ओर उठ जाएंगें। 
  • इस मुद्रा को 30 से 60 सेकेंड तक के लिए करें। 
  • प्रारंभिक स्थिति में आने के लिए सारे स्टेप विपरीत क्रम में करें।

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