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अलसी के उपयोग,फायदे और नुकसान

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अनियमित खान-पान के कारण जाने-अनजाने कई घातक बीमारियां शरीर में घर कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में तनिक भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। अपने आहार में एक छोटी सी चीज शामिल कर आप इन जोखिमों से खुद का बचाव कर सकते हैं। हम बात कर रहे हैं, तिल के समान दिखने वाली अलसी की। अलसी के छोटे-छोटे बीजों में शरीर के लिए जरूरी कई पोषक तत्वों का भंडार छिपा है, जो कई गंभीर रोगों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। यही कारण है कि इस लेख में हम आपको अलसी के फायदे और अलसी के औषधीय गुण से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं। हालांकि, यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि अलसी का उपयोग बताई जाने वाली समस्याओं से राहत तो दिला सकता है, लेकिन इसे उनका उपचार नहीं कहा जा सकता। किसी भी बीमारी के पूर्ण उपचार के लिए डॉक्टरी सलाह अतिआवश्यक है।

अलसी क्या होती है?
अलसी समशीतोष्ण प्रदेश (जहां सर्दी और गर्मी समान मात्रा में हो) में उगने वाला एक रेशेदार पौधा है। इसके रेशों को डोरी, रस्सी, टांट और मोटे कपड़े बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। वहीं, इसके बीजों को तेल निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका तेल काफी गाढ़ा होता है। इसलिए, यह तेल मुख्य रूप से वार्निश, रंग, साबुन और पेंट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत, अर्जेंटीना और अमेरिका में खासतौर पर अलसी के बीजों की पैदावार की जाती है। इसे हिंदी में अलसी या तीसी के नाम से पुकारा जाता है। वहीं, अंग्रेजी में इसे फ्लैक्स सीड्स के नाम से जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व उपस्थित होते हैं, जिस कारण इसे आयुर्वेद में एक औषधि माना गया है। अलसी में मौजूद पोषक तत्वों से जुड़ी जानकारी हम आपको आगे लेख में विस्तार से देंगे।

अलसी के औषधीय गुण – 
अलसी में मौजूद औषधीय गुणों के कारण ही इसे आयुर्वेद में एक उत्तम औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आइये, इसमें मौजूद कुछ अहम औषधीय गुणों पर एक नजर डाल लें, जो कुछ इस प्रकार हैं (1):
  • एंटीफंगल (फंगल इन्फेक्शन को खत्म करने वाला)
  • एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों के प्रभाव को कम करने वाला)
  • एंटीहाइपरटेन्सिव (बढ़े हुए बल्ड प्रेशर को कम करने वाला)
  • कोलेस्ट्रॉल लोवेरिंग इफेक्ट (कोलेस्ट्रोल को कम करने वाला)
  • एंटीडायबिटिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला)
  • एंटीथ्रोम्बिक (खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को धीमा करने वाला)
  • एंटीट्यूमर (बढ़ते हुए ट्यूमर की रोकथाम करने वाला)

अलसी के प्रकार –
अलसी के मुख्य दो प्रकार हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इन दोनों प्रकार में ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ ही पोषक तत्वों की मौजूदगी करीब-करीब समान ही होती है ।
  • भूरी अलसी
  • पीली या सुनहरी अलसी   

नोट:- पीली या सुनहरी अलसी का एक प्रकार है, सोलिन । इसमें अन्य के मुकाबले ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा काफी कम होती है।

अलसी के फायदे –
1. वजन घटाने में मददगार
बढ़े हुए वजन को कम करने में अलसी का उपयोग लाभदायक साबित हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक अलसी डायट्री फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। फाइबर की मौजूदगी के कारण यह शरीर में बढ़े हुए प्लाज्मा और कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद कर सकती है। साथ ही शरीर पर जमी अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी सहायक हो सकती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि वजन घटाने के लिए अलसी से तैयार ड्रिंक या ब्रेड सहायक साबित हो सकते हैं, बशर्ते अलसी खाने के फायदे हासिल करने के लिए उसके साथ ही अन्य वसायुक्त खाद्य पदार्थों से परहेज भी किया जाए।

2. ब्लड प्रेशर को करे नियंत्रित
बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी तीसी खाने के फायदे उपयोगी साबित हो सकते हैं। कनाडा के सेंट बोनीफेस हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में माना गया कि अलसी में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, लिग्नैंस और डायट्री फाइबर संयुक्त रूप से एंटीहाइपरटेंसिव (ब्लड प्रेशर कम करने वाला) प्रभाव प्रदर्शित कर सकते हैं। इसी प्रभाव के कारण अलसी का सेवन ब्लड प्रेशर की समस्या से झूझ रहे रोगी को राहत पहुंचा सकता है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के उपचार के तौर पर अलसी के बीज के फायदे हासिल किए जा सकते हैं।

3. डायबिटीज में पहुंचाए राहत
डायबिटीज की समस्या की बात करें, तो इस समस्या से पीड़ित रोगियों के लिए भी अलसी खाने के लाभ कारगर साबित हो सकते हैं। जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा अलसी पर किए गए एक शोध में इस बात को माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि अलसी में मौजूद फाइबर और म्यूसिलेज (गोंद जैसा लसलसा पदार्थ) की मौजूदगी के कारण यह शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को नियंत्रित कर सकती है। इसी प्रभाव के कारण शोध में माना गया है कि अलसी में एंटीडायबिटिक (ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है ।

वहीं, अलसी से संबंधित चूहों पर किए गए एक अन्य शोध में जिक्र मिलता है कि अलसी में सेकोआइसोलैरिकइरेसिनोल डाईग्लूकोसाइड नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। अलसी में मौजूद यह खास तत्व टाइप-1 डायबिटीज होने के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका को भी कम कर सकता है । इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अलसी का उपयोग कर डायबिटीज का नियंत्रण करने और इससे होने वाले जोखिमों को दूर रखने में मदद मिल सकती है।

4. सर्दी-खांसी में कारगर
सर्दी-खांसी के प्राचीन घरेलू उपचार के तौर पर अलसी को एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। यह बात अलसी से संबंधित जर्नल ऑफ फार्मासूटिकल एंड साइंटिफिक इनोवेशन के एक शोध से सामने आती है। शोध में माना गया कि अलसी सर्दी-खांसी में आराम दिलाने का काम कर सकती है। वहीं, शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि अत्यधिक खांसी या ब्रोंकाइटिस (फेफड़ों में सूजन की एक स्थिति) की समस्या में अलसी की चाय फायदेमंद साबित हो सकती है । इसके लिए अलसी के बीजों को पानी में करीब 30 मिनट तक भीगने दें। समय पूरा होने पर बीजों को अलग कर पानी को गर्म करें और उसे सिप करके पिएं। बता दें अलसी खाने के फायदे से जुड़े यह तथ्य प्राचीन समय में उपयोग किए जाने वाले घरेलू उपचार पर आधारित हैं। इसलिए यह सर्दी-खांसी में कितना प्रभावी होगा इस बारे में अभी अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।

5. कोलेस्ट्रॉल को कम करे
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल की स्थिति को नियंत्रित करने में भी अलसी के बीज के फायदे लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। यह बात एनसीबीआई के एक शोध से प्रमाणित होती है। शोध में माना गया कि पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (नसों का पतला होना) और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों में अलसी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकती है। इस तरह यह हृदय से संबंधित जोखिमों को दूर रखने में भी सहायक साबित हो सकती है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि अलसी खाने के लाभ के तौर पर बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में भी मदद मिल सकती है।

6. हृदय के लिए फायदेमंद
अन्य स्वास्थ्य लाभों के साथ ही अलसी खाने के फायदे हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक हो सकते हैं। कनाडा के सस्केचेवान विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी विभाग द्वारा किए गए एक शोध में इस बात को स्वीकार्य किया गया है। दरअसल, अलसी में मौजूद लिगनेन कॉम्प्लेक्स और सेकोआइसोलैरिकइरेसिनोल डाईग्लूकोसाइड  इस काम में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। शोध में माना गया कि सेकोआइसोलैरिकइरेसिनोल डाईग्लूकोसाइड में हाइपोटेंसिव (ब्लड प्रेशर कम करने वाला) गुण मौजूद होता है। वहीं, लिगनेन कॉम्प्लेक्स और सेकोआइसोलैरिकइरेसिनोल डाईग्लूकोसाइड हृदय की नसों में पैदा होने वाले अवरोध के जोखिमों को कम कर सकते हैं । इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि तीसी खाने के फायदे काफी हद तक हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक साबित हो सकते हैं।

7. गर्भावस्था में अलसी
अलसी के बीज के फायदे गर्भावस्था में भी कारगर सिद्ध हो सकते हैं। दरअसल, साल 2015 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल पैथोलॉजी द्वारा अलसी के तेल पर किए शोध में इसे गर्भावस्था के लिए फायदेमंद माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि बढ़े हुए बल्ड शुगर के प्रभाव को कम कर यह बच्चे के विकास और उसके सामान्य वजन को बनाए रखने में मदद कर सकती है। कारण यह है कि अलसी के तेल में गर्भावस्था के लिए जरूरी ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें अन्य पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो गर्भावस्था के लिए जरूरी हैं । वहीं, इसके विपरीत एनसीबीआई के एक शोध, जो कि साल 2013 में किया गया था, उसमें गर्भावस्था या गर्भावस्था के बाद के समय में अलसी का अधिक सेवन करने से स्तन कैंसर होने की आशंका जताई गई है ।

साल 2015 की रिपोर्ट अलसी को गर्भावस्था के लिए लाभदायक करार देती है। इस लिहाज से हम गर्भावस्था के दौरान अलसी या अलसी के तेल के सेवन को कुछ हद तक लाभदायक कह सकते हैं। फिर भी दूसरे शोध में सामने आई स्तन कैंसर की आंशका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए, गर्भावस्था या स्तनपान के समय में अलसी का सेवन करने से पूर्व डॉक्टर से सलाह लेना ही बेहतर होगा।

8. लिवर के लिए लाभकारी
अलसी का उपयोग कर नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज से ग्रस्त रोगियों को भी राहत मिल सकती है। दरअसल, अलसी से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में पाया गया कि अगर खान-पान और दैनिक दिनचर्या में संतुलन के साथ अलसी का सेवन किया जाता है, तो फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी हद तक राहत मिल सकती है । वहीं, इससे संबंधित एक अन्य शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर अलसी लिवर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती है। इस काम में अलसी में मौजूद अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और लिनोलेनिक एसिड मुख्य भूमिका अदा कर सकते हैं । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि लिवर स्वास्थ्य को बनाए रखने में अलसी के बीज खाने के फायदे लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं।

9. कैंसर से करे बचाव
अलसी के बीज खाने के फायदे में कैंसर के जोखिमों को कम करना भी शामिल किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक अलसी में सेकोआइसोलैरिकइरेसिनोल  नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। इसी खास तत्व की मौजूदगी के कारण ही अलसी एंटीकैंसर (कैंसर के प्रभाव को कम करने वाला) गुण प्रदर्शित कर सकती है। यह गुण मुख्य रूप से हार्मोन में गड़बड़ी से होने वाले कैंसर (जैसे:- स्तन कैंसर, गर्भाशय के कैंसर और स्पर्म ग्रंथि के कैंसर) के जोखिम को कम करने में सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही शरीर के अन्य विभिन्न भागों में होने वाले कैंसर के ट्यूमर की वृद्धि को कम करने में भी यह सहायक साबित हो सकती है।

इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि कैंसर के बढ़ते प्रभाव में अलसी के बीज के फायदे कुछ हद तक सहायक साबित हो सकते हैं। हालांकि, आपको ध्यान रखना होगा कि कैंसर एक घातक बीमारी है। इसलिए, कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टरी उपचार अतिआवश्यक है। वहीं, कैंसर के लिए अलसी के उपयोग से पहले डॉक्टरी परामर्श भी अवश्य ले लें।

10. गैस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) के लिए अलसी
बेनिफिट्स ऑफ अलसी में गैस्ट्राइटिस की समस्या से राहत भी शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार ओमेगा-3 ग्रेस्ट्राइटिस से बचाव का काम कर सकता है और अलसी में ओमेगा की अच्छी मात्रा पाई जाती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अलसी का उपयोग कुछ हद तक पेट की सूजन में मददगार हो सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

11. बुखार और सामान्य सर्दी में दिलाए आराम
जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि सामान्य सर्दी-खांसी में अलसी के सकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। वहीं, दूसरी ओर एक अन्य शोध से इस बात की पुष्टि होती है कि अलसी से होने वाले स्वास्थ्य लाभों में सामान्य बुखार से राहत भी शामिल है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि बुखार की समस्या में भी बेनिफिट्स ऑफ अलसी लाभदायक साबित हो सकते हैं।

12. गले की खराश में लाभकारी
बेनिफिट ऑफ अलसी के बीज से संबंधित एक यूनानी शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि अन्य स्वास्थ्य लाभों के साथ ही गले की खराश के लिए भी अलसी फायदेमंद साबित हो सकती है । हालांकि, गले की खराश में यह किस प्रकार लाभकारी है, इस बारे में कोई पुष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

13. अस्थमा में प्रभावी
न्यूयॉर्क मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा श्वसन तंत्र से संबंधित विकारों पर किए गए एक शोध में अलसी को अस्थमा में फायदेमंद पाया गया है। दरअसल, शोध में जिक्र मिलता है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य का उपयोग अस्थमा की समस्या में लाभकारी साबित हो सकता है । वहीं, एनसीबीआई के अन्य शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि करीब 30 मिनट अलसी के बीज को पानी में भिगोकर बीजों को पानी से निकाल लें। अब उस पानी को गरम करके चाय की तरह पिएं। इससे अस्थमा में राहत मिल सकती है। इन तथ्यों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बेनिफिट ऑफ अलसी के बीज अस्थमा में भी सहायक साबित हो सकते हैं।

14. दांत दर्द में सहायक
दांत दर्द की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए भी अलसी का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है। दरअसल, इलाहाबाद डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा अलसी के तेल पर किए एक शोध में पाया गया कि इसमें दर्दनिवारक और सूजन को कम करने वाला गुण मौजूद होता है। इन्हीं दोनों गुणों की मौजूदगी के कारण अलसी का तेल मसूड़ों में सूजन और दांत में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकता है ।

15. आर्थराइटिस में दिलाए आराम
आर्थराइटिस की समस्या से होने वाली परेशानी में भी अलसी का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक अलसी में एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है। इस प्रभाव का आर्थराइटिस के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस कारण ऐसा माना जाता है कि अलसी में एंटीआर्थराइटिक (आर्थराइटिस को कम करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है। हालांकि, इस संबंध में स्पष्ट प्रमाण न होने के कारण अभी इस पर और शोध किए जाने की आवश्यकता है ।

16. कब्ज में असरदार
जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक शोध में जिक्र मिलता है कि कब्ज की समस्या में अलसी राहत पहुंचा सकती है। शोध में माना गया कि अलसी में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। यह फाइबर मल को ढीला कर कब्ज की समस्या में आराम दिलाता है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अलसी कब्ज की समस्या से राहत पाने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।

17. पाचन में सहायक
जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि अलसी का उपयोग कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है, जो पाचन से संबंधित एक विकार है। वहीं, अलसी से संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मोटिलिटी में भी सहायक है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मोटिलिटी वह प्रक्रिया है, जिसके तहत खाद्य पदार्थ संपूर्ण पाचन प्रक्रिया से होकर गुजरता है (1)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में भी फ्लेक्स सीड के फायदे मददगार साबित हो सकते हैं।

18. त्वचा का रखे ख्याल
अलसी के औषधीय गुण से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि यह त्वचा स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती है। शोध में माना गया है कि त्वचा को नर्म, मुलायम और चमकदार बनाए रखने के साथ ही अलसी रूखी, सूखी और बेजान त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकती है । इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अलसी का उपयोग कर त्वचा की देखभाल रखने में मदद मिल सकती है।

19. बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखे
अलसी के फायदे बालों के लिए भी काफी लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं। बालों से संबंधित अलसी पर किए गए एक शोध में पाया गया कि अलसी का तेल बालों को मजबूती और विकास प्रदान कर सकता है। साथ ही यह गंजापन और बाल झड़ने की समस्या की रोकथाम करने में भी सहायक हो सकता है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि बालों के लिए भी अलसी का उपयोग लाभदायक साबित हो सकता है। हालांकि, बालों के लिए फ्लेक्स सीड के फायदे किस प्रकार लाभदायक है, इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

अलसी के लड्डू के फायदे और बनाने का तरीका
फायदे की बात करें तो मोटापा, ब्लड प्रेशर और आर्थराइटिस जैसी कई शारीरिक समस्याओं में अलसी का सेवन लाभदायक साबित हो सकता है। इस बारे में लेख में पहले ही बताया जा चुका है। वहीं, अलसी में मौजूद पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। तो आइए, अब हम आपको अलसी के लड्डू खाने के फायदे हासिल करने के लिए अलसी के लड्डू बनाने का एक आसान तरीका बताने जा रहे हैं।

सामग्री
  • 100 ग्राम गेंहू का आटा
  • 200 ग्राम अलसी
  • 250 ग्राम देशी घी
  • आधा कटोरी गोंद
  • 50 ग्राम पोस्ता दाना
  • एक कप कटा हुआ मेवा
  • 300 ग्राम गुड़

बनाने का तरीका 
  • सबसे पहले एक कढ़ाही लेकर उसे गैस पर गर्म होने के लिए चढ़ा दें।
  • अब इसमें अलसी डालकर भून लें।
  • अच्छी तरह अलसी भून जाने के बाद इसे किसी बर्तन में अलग निकाल कर रख दें।
  • अब कढ़ाही में आटा डालकर अच्छी तरह भूनें।
  • जब आटा हल्का लाल हो जाए और भीनी-भीनी खुशबू देने लगे, तो इसे भी किसी बर्तन में अलग करके रख लें।
  • अब कढ़ाही में देशी घी डाल कर गर्म करें।
  • जब घी गर्म हो जाए, तो उसमें गोंद डाल के अच्छे से भून लें और उसे भी किसी बर्तन में निकाल कर अलग रख लें और गैस बंद कर दें।
  • अब अलसी को मिक्सर में डालकर बारीक पीस लें।
  • अब तैयार अलसी के पाउडर में घी डालें और दोनों को अच्छे से मिला लें।
  • अब इसमें आटा, पोस्ता दाना और कटा हुआ मेवा भी मिला लें। साथ ही गुड़ को भी अच्छे से कूट कर इसमें मिला लें।
  • सभी चीजें अच्छी तरह मिक्स होने के बाद हाथों की सहायता से सामान्य आकार के लड्डू बना लें।
  • सभी लड्डू तैयार होने के बाद इन्हें ऐसे ही किसी बर्तन में रख करीब एक घंटे के लिए खुला छोड़ दें और इन्हें ठंडा हो जाने दें।
  • समय पूरा होने पर अब तैयार हुए लड्डू किसी एयर टाइट डिब्बे में बंद करके रख दें।

नोट– शुगर की समस्या से पीड़ित अलसी के लड्डू का सेवन न करें।

अलसी के लड्डू के फायदे और उन्हें बनाने की विधि के बाद, लेख के अगले भाग में अब हम आपको अलसी के उपयोग के सही समय और तरीके के बारे में बताएंगे।

अलसी का उपयोग – खाने का सही समय और सही तरीका
अलसी के लाभ जानने के बाद, अगर इसे अपने आहार में शामिल करने का सोच रहे हैं, तो इसके सेवन करने के बारे में भी विस्तार से जान लें। अलसी के बीज का अगर सेवन करते हैं, तो हो सकता है कि यह शरीर से बिना पचे ही निकल जाए। अलसी खाने के फायदे तब और ज्यादा बढ़ जाएंगे, जब आप इसे सही समय और सही तरीके से खाएंगे। यहां हम आपको अलसी खाने का सही समय और सही तरीका बता रहे हैं।

  • अलसी को पाउडर के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। इससे अलसी में मौजूद सारे पोषक तत्व मिलेंगे।
  • अलसी के बीजों को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगो दें और फिर उसका सेवन करें।
  • अगर ठंडे पानी में अलसी के बीज भिगो रहे हैं, तो दो से तीन घंटे के लिए भिगोएं।
  • ध्यान रहे कि अलसी के बीज के साथ खूब पानी पिएं।
  • अलसी के लड्डू खाए जा सकते हैं।
  • नाश्ते के साथ, स्मूदी के साथ या सलाद के साथ भी अलसी खाई जा सकती है।
  • अलसी के पाउडर को दही व दलिये में डालकर खा सकते हैं।

अलसी को खाने का सबसे अच्छा वक्त सुबह का है। सुबह नाश्ते के साथ अलसी का सेवन किया जा सकता है।
मात्रा – अलसी पाउडर की बात करें, तो सामान्य तौर पर प्रतिदिन करीब 40 ग्राम तक अलसी का सेवन किया जा सकता है । हालांकि, शारीरिक बनावट और पोषक तत्वों की मौजूदगी लोगों में प्रथक हो सकती है। इसलिए, किसी विशेष बीमारी या समस्या की स्थिति में इसकी ली जाने वाली मात्रा के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श कर लें।

अलसी को लम्बे समय तक सुरक्षित कैसे रखें
कई लोगों के मन में सवाल आता होगा कि अलसी को सुरक्षित कैसे और कितने दिनों तक रख सकते हैं। इस बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
  • अलसी के बीजों को किसी एयर टाइट जार में डालकर, अच्छे से बंद करके फ्रिज में स्टोर करके रख सकते हैं।
  • अलसी के बीजों का पाउडर बनाकर उसे भी एयर टाइट कंटेनर में बंद करके फ्रिज में रख सकते हैं।
  • इसके अलावा, अलसी खरीदने जाएं, तो उसकी पैकिंग की तिथि और कब तक इस्तेमाल कर सकते हैं, वो तिथि भी देख लें।
  • इसके अलावा, अगर अलसी के बीज का सेवन या उसका उपयोग ज्यादा नहीं करते हैं, तो कोशिश करें कि उसका छोटा पैकेट ही खरीदें।

अलसी किन-किन लोगों को नहीं खानी चाहिए
निम्न समस्या होने की स्थिति में अलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • जिन लोगों को किसी खाद्य विशेष से एलर्जी की शिकायत हो, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए ।
  • अलसी में ब्लड प्रेशर को कम करने वाला प्रभाव पाया जाता है, इसलिए लो ब्लड प्रेशर की शिकायत वालों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • यह ब्लड शुगर को कम कर सकती है, इसलिए लो ब्लड शुगर से पीड़ित इसका सेवन न करें ।
  • अलसी में लैक्सेटिव प्रभाव पाया जाता है, इसलिए दस्त या डायरिया से पीड़ित इसका सेवन बिलकुल भी न करें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण यह खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। इसलिए, जो लोग खून को पतला करने वाली दवा का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके सेवन से पूर्व डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए ।
  • बाइपोलर डिसऑर्डर (जैसे :- डिप्रेशन) की समस्या से पीड़ित लोगों को अलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

अलसी के नुकसान – 
वैसे तो अलसी कई मामलों में सेहत और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, लेकिन अधिक सेवन कुछ मामलों में अलसी के नुकसान भी प्रदर्शित हो सकते हैं, जो निम्न प्रकार हैं ।
  • वैसे तो अलसी कब्ज की समस्या में लाभकारी परिणाम देती है, लेकिन जरूरत से अधिक सेवन गंभीर कब्ज का भी कारण बन सकता है।
  • खून पतला करने वाली दवा के साथ या मासिक चक्र के दौरान इसका अधिक सेवन ब्लीडिंग की समस्या पैदा कर सकता है।
  • इसके अधिक सेवन से दस्त या डायरिया की स्थिति भी पनप सकती है।
  • दो चम्मच से अधिक कच्ची अलसी का सेवन विषाक्ता का कारण बन सकता है। क्योंकि, इसमें कुछ मात्रा में साइनाइड भी मौजूद होता है, जो पकाने के बाद नष्ट हो जाता है।
  • बिना किसी खाद्य में मिलाए सीधे अलसी का अधिक सेवन किया जाता है, तो यह शरीर में ओमेगा-6 फैटी एसिड की कमी का कारण बन सकती है।
  • शुगर की समस्या में अगर जरूरत से अधिक अलसी उपयोग में लाई जाती है, तो ओमेगा-3 फैटी एसिड की मौजूदगी के कारण यह समस्या को और भी गंभीर कर सकती है। इसलिए, अलसी के नुकसान से बचने के लिए डायबिटीज से पीड़ित मरीज इसके सेवन से पूर्व डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।

अलसी के औषधीय गुण कितने हैं, यह तो आप अच्छे से समझ गए होंगे। साथ ही आपको अलसी के लाभ पाने के लिए अलसी के सही उपयोग की जानकारी भी हासिल हो चुकी होगी। तो फिर अधिक क्या सोचना, लेख में बताए गए तरीकों पर अमल कर अलसी को अपने जीवन में शामिल करें। साथ ही अलसी के नुकसान और इससे जुड़ी सावधानियों पर भी जरूर ध्यान रखें, ताकि आपको अलसी का सही लाभ हासिल हो सके। उम्मीद हैं कि स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को हल करने में यह लेख उपयोगी साबित होगा।

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कमेन्ट पालिसी
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