साल 1985 में काशीनाथ के डायरैक्शन में बनी हिंदी फिल्म ‘अनुभव’ में हीरो का रोल शेखर सुमन और हीरोइन का रोल पद्मिनी कोल्हापुरे ने निभाया था.
इस फिल्म का हीरो एक दफ्तर में क्लर्क था जिस की शादी तय हो जाती है तो वह सेक्स की जानकारियों के लिए कामसूत्र जैसी किताबें पढ़ने लगता है.
फिल्म ‘अनुभव’ का वह सीन बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है जिस में हीरो निरोध खरीदने दुकान पर जाता है, तो बेहद घबराया हुआ रहता है और रास्तेभर इस बात की प्रैक्टिस करता हुआ जाता है कि दुकानदार से निरोध मांगना कैसे है.
इस फिल्म की हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुरे सयानी हो जाने के बाद भी बच्चों की तरह शरारत करती खेलती रहती है. वह शादी और सैक्स का मतलब ही नहीं समझती है.
फिल्म का एक और सीन दर्शकों को खूब हंसा गया जिस में पद्मिनी कोल्हापुरे अपने छोटे भाई के साथ मिल कर शेखर सुमन के सूटकेस से निरोध निकाल कर उन्हें गुब्बारों की तरह फुला कर आंगन में टांग देती है.
ऐसे आती है जागरूकता
इस एक फिल्म के कुछ सीन देख कर नौजवानों में कंडोम को ले कर न केवल जागरूकता आई थी, बल्कि वे छोटे परिवार की अहमियत भी समझने लगे थे. उस दौर में सरकार ने छोटे परिवार, परिवार नियोजन और निरोध का जम कर प्रचार किया था लेकिन उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली थी.
कंडोम बनाने वाली प्राइवेट कंपनियां जब मैदान में आईं तो उन्होंने सब से पहले प्रचार करने का तरीका बदला और तरह-तरह के लुभावने कंडोल बनाना शुरू किए, तो देखते ही देखते कंडोम के बाजार और कारोबार ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि अब लोगों को यह बताने की जरूरत नहीं रह गई है कि कंडोम से आप न केवल परिवार छोटा रख सकते हैं, बल्कि कई सैक्स रोगों से भी खुद को बचा कर रख सकते हैं.
लेकिन अभी भी गांवदेहात में रूढि़यों और लापरवाही के चलते कंडोम के प्रचार प्रसार की जरूरत है.
जरूरत तो इस बात की भी है कि कंडोम छोटी से छोटी जगह पर आसानी से मिले और सरकार व कंपनियां मिल कर इसे एक चैलेंज और मुहिम की शक्ल में लें.
कंडोम बनाने वाली कंपनियों ने लोगों को लुभाने के लिए तरहतरह के इश्तिहार बनाए और जब फिल्मी सितारों को भी अपना ब्रांड एंबैसेडर बनाना शुरू किया तो लोगों की झिझक भी कम होना शुरू हुई.
‘बिग बी’ को दिया कंडोम
हिंदी फिल्मों के ‘बिग बी’ अमिताभ बच्चन ने कभी कंडोम का इश्तिहार नहीं किया, लेकिन एक हिट फिल्म ऐसी भी थी जिस में उन्हें कंडोम थमाया गया था. यह फिल्म थी ‘सत्ते पे सत्ता’, जिस में अमिताभ नर्स बनी हेमामालिनी से इश्क कर बैठते हैं और उन से कोर्टमैरिज कर लेते हैं.
जब वे शादी के बाद रजिस्टर पर दस्तखत कर कुरसी से उठते हैं तो रजिस्ट्रार उन्हें बधाई देते हुए उन की हथेली पर कंडोम का पैकेट रख देता है.
इस छोटे से सीन में दर्शकों के लिए कई मैसेज छिपे थे, मसलन यह कि कंडोम का इस्तेमाल पहली रात यानी सुहागरात से ही कर देना चाहिए जिस से मियांबीवी दोनों सैक्स का लुत्फ बिना किसी डर और रुकावट के उठा सकें और पहले बच्चे के लिए जल्दबाजी न करें.
बिना कंडोम सैक्स नहीं
अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘पा’ एक अलग तरह की फिल्म थी जिस में उन का बेटा एक खतरनाक बीमारी प्रोगेरिया का शिकार रहता है और आम बच्चों की तरह नहीं रह पाता है और न ही जी पाता है. 13 साल के छोटे बच्चे का रोल अमिताभ बच्चन ने ही निभाया था.
इस फिल्म में विद्या बालन हीरोइन थी. प्रेमीप्रेमिका कभी भी बिना कंडोम के हमबिस्तरी नहीं करते थे, पर एक बार चूक हो गई. यह पहली फिल्म थी जिस में कंडोम न इस्तेमाल करने की वजह
से प्रेमी प्रेमिका अलग हुए क्योंकि प्रेमी विवाह को तब भी तैयार न हुआ, जब प्रेमिका पेट से हो गई.
देश की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, कुछ अनुमान तो यह है कि शायद इस मामले में 2022-23 में चीन से भी फतेह मिल जाएगी, जबकि जरूरत इस बात की है कि हम आबादी के नहीं बल्कि टैक्नोलौजी और कारोबार के मामले में चीन को पछाड़ें. शायद इसीलिए प्रधानमंत्री भी देशवासियों को कम से कम बच्चे पैदा करने का मशवरा देने लगे हैं.
और भी हैं मिसालें
फिल्म ‘अनुभव’ के बाद ‘पीके’ ऐसी फिल्म थी जिस में कंडोम सीन को लंबा दिखाया गया था. इस फिल्म में आमिर खान हीरो थे और दूसरे गोला यानी ग्रह से आए थे जो आम लोगों की दुनिया के तौरतरीकों से वाकिफ नहीं था. फिल्म में धार्मिक अंधविश्वासों को ले कर जम कर हमला किया गया था.
एक सीन में दिखाया गया था कि आमिर खान एक न्यूज चैनल के दफ्तर में बैठे हुए कुछ सोच रहे हैं तभी उन्हें कंडोम का पैकेट गिरा हुआ दिखता है, तो वे हर किसी से पूछते फिरते हैं कि यह आप का है क्या?
इस कौमेडी पर दर्शकों को भले ही खूब हंसी आई हो, लेकिन उन्होंने पहली दफा किसी हिट फिल्म में कंडोम का इतना खुला प्रचार देखा था.
इसी तरह गोविंद मेनन के डायरैक्शन में बनी हिंदी फिल्म ‘ख्वाहिश’ में हीरोइन मल्लिका शेरावत को कंडोम खरीदते हुए दिखाया गया था. इस सीन की अपनी अलग अहमियत थी कि अब लड़कियां भी बिना किसी लिहाज के कंडोम खरीदने लगी हैं.
विशाल मिश्रा के डायरैक्शन में बनी फिल्म ‘मरुधर ऐक्सप्रैस’ में भी एक अच्छा कंडोम सीन है, लेकिन यह सब काफी नहीं है. अभी कंडोम को ले कर और अच्छी फिल्मों की जरूरत है जिस से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता आए.
अगर सैनेटरी नैपकिन को ले कर जागरूकता फैलाती फिल्म ‘पैडमैन’ बन सकती है, तो कंडोम पर क्यों नहीं?
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