आप सोचते होंगे कि साइकिल जैसे साधारण दो पहिया वाहन को किसी ने बड़ी आसानी से कुछ दिनों में बना दिया होगा, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि साइकिल का जो स्वरूप हम आज देखते है वह उसमें 100 वर्षों में हुये अनेकों बदलाव का परिणाम हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है cycle ka avishkar kisne kiya tha? तो बता दे, साइकिल के आविष्कार का श्रेय जर्मनी के वन अधिकारी कार्ल वॉन ड्रैस (Karl von Drais) को दिया जाता है। दुनिया की पहली साइकिल वाॅन ड्रैस द्वारा ही आज से लगभग 200 वर्ष पहले सन् 1817 में बनाई गई थी।
कार्ल वाॅन ड्रैस यूरोप के बाइडेर्मियर काल के एक प्रसिद्ध आविष्कारक थे। उन्होंने साइकिल के अलावा सन् 1821 में कीबोर्ड वाला शुरूआती टाइपराइटर, सन् 1827 में 16 अक्षरों वाली स्टेनोग्राफ मशीन, सन् 1812 में कागज पर पियानो संगीत रिकॉर्ड करने वाला एक उपकरण, दुनिया का पहला मीट ग्राइंडर यानी क़ीमा बनाने वाली मशीन का भी आविष्कार किया था।
ड्रैस ने इस मानव चलित दो पहिया वाहन का निर्माण सन् 1815 में उत्पन्न हुई एक बड़ी समस्या के समाधान के रूप किया था।
दरअसल सन् 1815 में इंडोनेशिया में स्थित माउंट टैम्बोरा ज्वालामुखी में हुए भारी विस्फोट के कारण उसके राख के बादल पूरी दुनिया में फैल गये थे और वैश्विक तापमान में भारी गिरावट आ गई थी।
तापमान में गिरावट के कारण उत्तरी गोलार्ध के देशों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। भुखमरी के कारण लाखों घोड़ों एवं पालतू मवेशियों की मृत्यु हो गई। उस समय सामान ढोने तथा यातायात के साधन के रूप में पशुओं का ही इस्तेमाल किया जाता था। इसलिए जब इन पशुओं की मृत्यु हो गई तो ड्रैस ने उनके विकल्प के रूप में साइकिल का आविष्कार किया।
जैसा कि आप ऊपर के चित्र में देख सकते है, वह शुरुआती साइकिल पूरी तरह लकड़ी की बनी हुई थी। उसका वजन 23 किग्रा. था। उसमें न कोई पैडल था न ही गियर। उसे चलाने वाला व्यक्ति उस पर बैठकर अपने पैरों से आगे बढ़ने कि उल्टी दिशा में धक्का दिया करता था। इसमें हाथों को सहारा देने के लिए एक दफ्ती भी लगी थी। पहली बार वाॅन ड्रैस ने उसे 12 जून, 1817 को जर्मनी के दो शहरों मैनहेम और रिनाउ के बीच चलाकर लोगों के सामने प्रदर्शित किया था। उन्हें वह 7 किमी. की दूरी तय करने में लगभग एक घंटे से ज्यादा का समय लगा था।
उन्होंने अपनी उस नई मशीन का नाम जर्मन में ‘ल्युफ़मशीन’ (Laufmaschine) रखा था; जिसका अर्थ होता है- दौड़ने वाली मशीन, लेकिन बाद में यह यूरोप के अन्य देशों में वेलोसिपेड, ड्रेसियेन, हॉबी-हॉर्स और डैन्डी-हाॅर्स जैसे लोकप्रिय नामों से जाना गया। [जाने- Motorcycle का आविष्कार कब और किसने किया था?]
सन् 1818 में डेनिस जाॅनसन नामक एक व्यक्ति ने उसी प्रकार कि साइकिल खरीद उसमें कई बदलाव किये और एक अच्छा मॉडल ‘पेडेस्ट्रियन करिकल’ के नाम से लोगों के सामने प्रस्तुत किया। जॉनसन सन् 1819 में लगभग 300 पेडेस्ट्रियन करिकल का निर्माण किया। जॉनसन का वह माॅडल बहुत किमती था, इसलिए उसे ज्यादातर उच्चे पदों के कुलीन लोग मनोरंजन के लिए या सुबह-शाम सैर करने के लिए खरीदते थे।
सन् 1820 तक यह दो पहिया वाहन लोगों के बीच चर्चा का विषय तो बना रहा लेकिन आगे 40 वर्षों तक इस क्षेत्र में कोई उन्नति नहीं हुई। सन् 1866 के बाद कई व्यक्तियों ने व्यावसायिक स्तर पर, कई प्रकार के सुधारों के साथ साइकिलों का निर्माण शुरू किया, जिससे यह बहुत लोकप्रिय हुआ। [जाने- यात्री ट्रेन का आविष्कार किसने किया था?]
नीचे साइकिल में बाद के वर्षों में हुए विकास के विषय में तथ्यों के माध्यम से बताया गया है। इन्हें भी जरूर जाने।
साइकिल से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य
- पहली पेडल वाली साइकिल सन् 1863 में फ्रांस के एक मैकेनिक पियरे लालीमेंट (Pierre Lallement) द्वारा बनायी गयी थी। उन्होंने साइकिल के सामने वाले चक्के में पेडल लगाया था। लालीमेंट पेरिस में बच्चों और अपंग लोगों के लिए कैरेज बनाने वाले के यहां काम किया करते थे। वहां उन्होंने किसी को ड्रेसियेन चलाते हुए देखा था, जिसे देखकर उन्हें उसमें पेडल लगाने का विचार आया।
- पेरिस के पियरे मिचैक्स ने ओलिवियर बंधुओं (Rene & Aime) के साथ मिलकर पहली बार 1867 में पेडल वाली साइकिल का व्यावसायिक स्तर पर निर्माण शुरू किया था। वे हर महीने 200 से ज्यादा साइकिल बेचा करते थे।
- साइकिल के स्पोक वाले पहिये का आविष्कार फ्रांस के मैकेनिक यूजीन मेयर (Eugène Meyer) ने सन् 1869 में किया था। यूजीन मेयर ने ही 1880 में Penny-farthing जैसी लोकप्रिय साइकिल को भी बनाया था। Penny-farthing का सामने का पहिया बहुत बड़ा और पीछे का पहिया छोटा होता था। नीचे चित्र देखे-
- सन् 1880 में इंग्लैंड के मैनचेस्टर शहर में हंस रेनोल्ड (Hans Renold) ने साइकिल के रोलर चेन का आविष्कार किया था।
- ब्रिटिश आविष्कारक जेम्स स्टारली को साइकिल के डिज़ाइन और इसके अलग-अलग भागों में महत्वपूर्ण बदलाव कर बड़े स्तर पर निर्माण के कारण “साइकिल व्यवसाय का पितामह” (Father of the Cycle Trade) कहा जाता है।
- हम जो आज साइकिल का डिज़ाइन देखते है, उसे बनाने का श्रेय जेम्स स्टारली के भतीजे जाॅन केम्प स्टारली को जाता है। जाॅन केम्प ही सन् 1885 में पहली बार आज की तरह दिखने वाली साइकिल को बाजार में लाये थे।
- पहली बार साइकिल के लिए Bicycle शब्द का प्रयोग भारी-भरकम शब्द vélocipède de pedale के स्थान पर यूरोप में सन् 1868 में किया गया था। Bicycle शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों ‘by’ और ‘cycle’ से मिलकर बना है। बाइ का मतलब होता है ‘दो’ और साइकिल का मतलब होता है चर्क।
- सन् 1895 में ब्रिटेन में 8,00,000 से ज्यादा बाइसाइकिल तथा सन् 1899 में संयुक्त राज्य अमेरिका में 11,00,000 से ज्यादा बाइसाइकिल का निर्माण किया गया था।
- आज भी नीदरलैंड में छोटी दूरी की लगभग 27% यात्राएं साइकिल द्वारा ही पूरी की जाती हैं।
- नीदरलैंड के हर 8 में से 7 व्यक्ति; जिसकी उम्र 15 साल से ज्यादा है उसके पास एक साइकिल है।
- अमेरिका के डेनिस मुलर कोरेंक (Denise Mueller-Korenek) विश्व के सबसे तेज साइकिलिस्ट है। उन्होंने 16 सितंबर, 2018 को 269 km/hr की रफ्तार से साइकिल चलाकर यह खिताब हासिल किया।
- आज दुनिया में 1 अरब से ज्यादा साइकिलें हैं। चीन में सबसे ज्यादा साइकिलों का निर्माण और प्रयोग होता है।
- दुनिया की सबसे लंबी साइकिल की लंबाई 20 मीटर हैं। इस पर एक साथ 35 लोग बैठ सकते हैं।
- सन् 1888 में आयरलैंड के जॉन बॉयड डनलप ने साइकिल को सुचारू रूप से चलाने के लिए हवा भरे रबर के टायरों का आविष्कार किया था।
- दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक बाइसाइकिल (e-bike) अमेरिका के ओग्डेन बोल्टन ने 1895 में बनाई थी। इसके पिछले पहिये में एक इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल किया गया था, जिसे 10 वोल्ट की बैटरी से चलाया जाता था।
- साइकिल में लगने वाले बाॅल बियरिंग को अमेरिकी मैकेनिक जूल्स पियरे सुरीरे ने सन् 1869 में बनाया था।
- सन् 1869 में फ्रांस के पेरिस में विश्व का पहला साइकिल रेस हुआ था। इस साइकिल रेस के विजेता विश्व-प्रसिद्ध साइकिलिस्ट जेम्स मूर (James Moore) थे।
- भारत में साइकिल का आयात अंग्रेजों द्वारा इंग्लैंड से किया जाता था। अंग्रेजों ने भारत में 1910 में लगभग 35,000 साइकिलों, 1940 में लगभग 70,000 और 1950 में लगभग 2,00,000 साइकिलों का आयात किया था।
- अमेरिका के फ्रेड बिर्चमोर ने वर्ष 1935 में साइकिल से पूरी दुनिया का चक्कर लगाया था। इस यात्रा की 40,233 Km की दूरी उन्होंने साइकिल चला कर पूरी की थी। इस बीच उन्होंने साइकिल के कुल 14 टायर बदले थे।
- भारत में साइकिल का निर्माण वर्ष 1942 में शुरू हुआ था। साइकिल बनाने वाली पहली कंपनी ‘हिंद साइकिल’ मुंबई में स्थापित कि गई थी।
- वर्ष 1962 में जर्मनी के एक इंजीनियर एलेक्स मोल्टन ने वजन में हल्की और फोल्ड होने वाली साइकिल का निर्माण किया था, जिसमें अपने भार से 10 गुना अधिक भार उठाने की क्षमता थी।
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