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DNA की खोज किसने की थी?

 
dna

एक सामान्य सूक्ष्मजीव से लेकर विशाल वृक्ष एवं प्राणी जो इस पृथ्वी पर निवास करते है, ये सभी अपने अस्तित्व के लिए डीएनए पर ही निर्भर है। डीएनए के अंदर जीव से जुड़ी सभी सूचनाएं और जीवन को चलाने के जरूरी सभी निर्देश होते हैं। लेकिन कोशिका के अंदर मौजूद इस अतिमहत्वपूर्ण संरचना, DNA ki khoj kisne ki thi और कब? तो इसका उत्तर है, सबसे पहले इसकी खोज स्विट्जरलैंड के रसायनज्ञ जोहन फ्रेडरिक मिशर (Johannes Friedrich Miescher) ने सन् 1869 में किया था।

इस वर्ष डीएनए की खोज के 150 वर्ष पूरे हो चुके है। जीवविज्ञान के क्षेत्र में इस आनुवंशिक द्रव्य की खोज, एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

डीएनए एक अणु है, जो एक घुमावदार सीढ़ी की तरह दिखता है। डीएनए का पूरा नाम ‘deoxyribonucleic acid’ है। हमारे शरीर की हर कोशिका में लगभग एक जैसा डीएनए पाया जाता है। कोशिका में ज्यादातर डीएनए कोशिका के केन्द्रक (nucleus) में पाए जाते हैं, लेकिन कुछ मात्रा में ये कोशिका के माइटोकॉन्ड्रिया में भी होते हैं।

माइटोकाॅन्ड्रिया, कोशिका के अंदर ऐसी संरचना होती है जो भोजन द्वारा प्राप्त ऊर्जा को उस रूप में परिवर्तित कर देती है, जिस रूप में कोशिका इसका प्रयोग आसानी से कर सके । यहां मैं आपको बता दूं कि Mitochondria की खोज भी स्विट्जरलैंड के ही एक वैज्ञानिक अल्बर्ट वॉन कोलिकर ने 1857 में किया था।

डीएनए के वास्तविक खोजकर्ता के बारे में भ्रम : 

कई बार लोग डीएन का वास्तविक खोजकर्ता James Watson और Francis Crick को मान लेते है, लेकिन यह सच नहीं है। इन दो वैज्ञानिकों ने डीएनए की नहीं बल्कि उसकी संरचना; जिसे Double helix कहा जाता है कि खोज की थी। इन वैज्ञानिकों ने अनेक पूर्व वैज्ञानिकों द्वारा डीएनए पर किये गए महत्वपूर्ण शोधकार्यों के बल पर ही इसकी संरचना का पता लगाया था, जिसके लिए इन्हें वर्ष 1962 में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

डीएनए की सीढ़ीनुमा संरचना (Double Helix)

मानव शरीर में लगभग 37,00,000 करोड़ से लेकर 40,00,000 करोड़ तक कोशिकाएं होती हैं। प्रत्येक कोशिका के अंदर एक केन्द्रक होता है। केन्द्रक के अंदर पाई जाने वाली धागेनुमा संरचनाओं को गुणसूत्र (Chromosome) कहा जाता है।

मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 46 गुणसूत्र होते हैं, जिनमें 23 गुणसूत्र पिता के शुक्राणु (sperm) द्वारा एवं 23 गुणसूत्र माँ के डिंब (ovum) द्वारा आते हैं। एक सूक्ष्म गुणसूत्र, जिसे Y गुणसूत्र कहा जाता है, वह केवल पुरूष में ही पाया जाता है। जब यह गुणसूत्र मौजूद रहता है, तब भ्रूण (embryo) का विकास एक पुरुष के रूप में होता है और इसकी अनुपस्थिति से भ्रूण एक स्त्री के रूप में विकसित होता है।

आणविक स्तर पर देखने से हमें पता चलता है कि प्रत्येक गुणसूत्र की संरचना प्रोटीन एवं न्यूक्लिक एसिड से मिलकर बनी होती है। यह न्यूक्लिक एसिड, डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड व संक्षेप में डीएनए है।

डीएनए एक दो तंतुओं से बना एक सीढ़ीनुमा संरचना है, जिसका आधार-स्तंभ Sugar एवं Phosphate से बना होता है। ये दोनों तंतु चार मूल इकाइयों से बने होते हैं, जिन्हें बेस कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती है –
  • एडिनीन (A)
  • गुआनिन (G)
  • थायमिन (T)
  • साइटोसिन (C)
ये बेस जिस क्रम में डीएनए में मौजूद होते हैं, वही जीव की रचना एवं उसे बनाए रखने के लिए उपलब्ध जरूरी सूचनाओं का निर्धारण करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हिंदी या अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों को एक निश्चित क्रम में रखकर शब्दों और वाक्यों को लिखा जाता हैं।

इन बेसों की रासायनिक संरचना इस तरह होती है कि एक तंतु का A बेस दूसरे तंतु के T बेस के साथ, इसी प्रकार एक तंतु का G बेस दूसरे तंतु के C बेस के साथ मिलकर हाइड्रोजन बाॅण्ड बनाता है। कभी भी ऐसा नहीं होता कि A बेस G अथवा C बेस के साथ मिलकर एवं T बेस G अथवा C के साथ मिलकर हाइड्रोजन बाॅण्ड बना सके। इसलिए, यदि हम किसी डीएनए के एक तंतु के बसोें का क्रम जानते हैं, तो हम डीएनए के अन्य तंतु में बेसों के क्रम का अनुमान लगा सकते हैं, जिसे पूरक तंतु कहा जाता है।

डीएनए से जुड़े 13 रोचक तथ्य

  • अगर हम शरीर की सारी कोशिकाओं में मौजूद डीएनए को निकालकर एक लंबाई में सजा दे, तो यह पृथ्वी से सूर्य तथा सूर्य से पृथ्वी तक 600 बार आ-जा सकता है।
  • किसी माता-पिता और उनके बच्चों का डीएनए 99.5% एक जैसा ही होता हैं।
  • हमारा डीएनए वनमानुष (Chimpanzee) के साथ 98% और केले के साथ 50% मिलता-जुलता है।
  • डीएनए के एक छोटे भाग को जीन (Gene) कहा जाता है तथा जीनों के अनुक्रम को जीनोम कहा जाता है। जीनोम में ही सारे अनुवांशिक निर्देश कूट संकेत के रूप में दर्ज होते हैं। अगर आप 60 शब्द प्रत्येक मिनट, हर रोज 8 घंटे टाइप करते है तो आपको आदमी के पूरे जीनोम को टाइप करने में लगभग 50 वर्ष का समय लगेगा।
  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का मानना हैं कि आदमी का डीएनए बिना रीढ़ की हड्डी वाले जीवों में सबसे ज्यादा कीचड़ के कीड़ों से मिलता-जुलता हैं।
  • हालांकि फ्रेडरिक मिशर ने 1869 में ही डीएनए की खोज कर दी थी लेकिन फिर भी वैज्ञानिक 1943 तक यह नहीं समझ पाये थे कि यह कोशिका में विद्यमान एक अनुवांशिक पदार्थ है। सन् 1943 से पहले वैज्ञानिकों का यह मानना था कि सारी अनुवांशिक सूचनाएं प्रोटीन में संग्रहित होती हैं।
  • डीएनए अत्यंत स्थायी होता है। उम्र के साथ डीएनए में कोई बदलाव नहीं आता है।
  • मनुष्य और बंद गोभी का डीएनए लगभग 40-50% एक जैसा ही होता है।
  • डीएनए को हजारों साल पुराने जैविक-अवशेषों, यहां तक कि 25 लाख वर्ष पुराने जीवाश्मों, जैसे Amber (कहरूवा) में फंसे कीट आदि से प्राप्त किया जा सकता है।
  • आज विश्व में उपलब्ध सारी डिजिटल सूचनाओं को मात्र 2 ग्राम डीएनए में स्टोर किया जा सकता है।
  • “Bdelloid rotifers” एक ऐसी मछली है, जो बाहर से आए डीएनए को खाकर ही ऊर्जा प्राप्त करती है। यह मछली एक सूक्ष्म जीव है; जो ज्यादातर साफ पानी में पायी जाती है। इसका आकार 150 से 700 µm (माइक्रोमीटर) तक होता है।
  • मनुष्य का जीनोम लगभग 3 अरब क्षार युग्मों (base pairs) से बना होता है, जिसमें मात्र 3% डीएनए अनुक्रम ही प्रोटीनों का कूटलेखन (encoding) कर सकते हैं। अन्य 97% डीएनए अक्रियाशील होते हैं, जिन्हें “Junk DNA” कहा जाता है।
  • ऐसे जुड़वा बच्चें, जिनका जन्म एक ही भ्रूण (embryo) के विभाजन से होता है उनका डीएनए 100% एक जैसा होता है। ऐसे जुड़वा बच्चों को “Monogenic Twins” कहा जाता है।


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