नाइट्रोजन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में (78%) पाया जाने वाला गैस व रासायनिक तत्व है। यह सभी प्राणियों के लिए भी अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तत्व जीवों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाले अमीनो एसिड तथा डीएनए का निर्माण करने वाले न्यूक्लिक एसिड बनाने में सहायक हैं। मानव शरीर में ऑक्सीजन, कार्बन और हाइड्रोजन के बाद चौथा सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व नाइट्रोजन ही है एवं शरीर के कुल भार में 3 प्रतिशत हिस्सा इसी का है।
लेकिन क्या आप बता सकते है कि धरती पर इतनी पर्याप्त मात्रा में पाया जाने वाले nitrogen ki khoj kisne ki और कब? तो मैं बता दूं; सबसे पहले स्वतंत्र रूप से इस गैस की खोज स्कॉटलैंड के चिकित्सक और केमिस्ट डेनियल रदरफोर्ड (Daniel Rutherford) ने सन् 1772 में कि थी।
इस गैस का नाम नाइट्रोजन तब पड़ा जब फ्रांसीसी रसायनज्ञ जीन एंटोनी चैपटल (Jean-Antoine Chaptal) को यह पता चला कि नाइट्रिक एसिड और नाइट्रेट में भी यह गैस मौजूद होता है। सन् 1790 में उन्होंने ही इस गैस का नाम नाईट्रोजन रखा था।
नाइट्रोजन गैस से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य
- डेनियल रदरफोर्ड के समय ही तीन और प्रसिद्ध रसायनज्ञों- कार्ल विल्हेल्म शीले, हेनरी कैवेंडिश और जोसेफ प्रीस्टले ने भी नाइट्रोजन गैस का पता लगाया था।
- 16वीं से 18वीं सदी तक नाइट्रोजन को दुनिया के कई भाषाओं, जैसे- फ्रेंच, इटालियन, पुर्तगाली, पोलिश, रशियन, अल्बानियाई, तुर्कीयाई आदि में ‘azote’ के नाम से जाना जाता था।
- सन् 1910 में लाॅर्ड रैले ने यह पता लगाया था कि नाइट्रोजन गैस में विद्युत विसर्जन करने से सक्रिय नाइट्रोजन [NOx] उत्पन्न होता है; जो बहुत ही अभिक्रियाशील होता है।
- नाइट्रोजन की परमाणु संख्या 7 है तथा इसके एक परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी 7 ही होती हैं।
- नाइट्रोजन के दो स्थिर समस्थानिक (isotope) हैं जिनका परमाणु भार क्रमशः 14 और 15 है।
- पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 78 प्रतिशत नाइट्रोजन है। हमारे सौर-मंडल तथा आकाशगंगा में यह बहुतायत में पाया जाने वाला 5वां या 7वां तत्व है। हालांकि पृथ्वी पर यह गैस बहुत सामान्य है लेकिन अन्य ग्रहों पर इसकी मात्रा बहुत कम है। जैसे- मंगल ग्रह के वायुमंडल में यह मात्र 2.6% ही है।
- नाइट्रोजन अधातु है। यह उष्मा तथा बिजली का खराब संवाहक है और ठोस रूप में धातु की तरह चमकता नहीं है।
- नाइट्रोजन गैस अपेक्षाकृत निष्क्रिय है, लेकिन मिट्टी में मौजूद जीवाणु इसे यौगिकीकरण की प्रक्रिया द्वारा इस रूप में परिवर्तित कर देते है कि पौधे तथा जानवर इससे अमीनो एसिड और प्रोटीन बना सकते है।
- पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में दिखाई देने वाली ध्रुवीय ज्योति (Aurora) नाइट्रोजन गैस के कारण ही नारंगी-लाल, नीला-हरा, नीला-बैंगनी और गहरा बैंगनी रंगों में दिखाई देती है।
- पूरे सौर-मंडल में केवल शनि ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा, टाइटन, का ही वायुमंडल सबसे घना है। उसके वायुमंडल में 98% से भी ज्यादा नाइट्रोजन है।
मीथेन गैस की खोज किसने की थी?
मीथेन की खोज सन् 1776 में इटली के भौतिक वैज्ञानिक एलेसेंड्रो वोल्टा (Alessandro Volta) द्वारा किया गया था।
दरअसल, वोल्टा को इस गैस को खोजने की प्रेरणा अमेरिकी वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन के ‘ज्वलनशील हवा’ पर लिखे गये एक लेख को पढ़कर मिली थी। उन्होंने इस गैस को ऐल्प्स पर्वतमाला के दक्षिण में स्थित मैगीगोर झील के दलदलों से निकलता हुआ पाया था।
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