आज पृथ्वी से लाखों-करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ग्रहों, तारों तथा अन्य खगोलीय पिंडों के अन्वेषण में दूरबीनों का प्रयोग बहुत बढ़ गया हैं। दुनिया के अनेक देशों में विशालकाय दूरबीनें लगाई गई हैं और अंतरिक्ष की गहराई में और अधिक दूरतक देखने के लिए वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में भी दूरबीनें स्थापित की हैं। जैसे – हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन, स्पिट्जर अंतरिक्ष दूरबीन, फर्मी गामा-किरण दूरबीन आदि।
हालांकि, आज की विशालकाय और तकनीकी रूप से उन्नत दूरबीनों की तुलना विश्व की प्रारम्भिक दूरबीनों से नहीं कि जा सकती, फिर भी क्या आपको मालूम है कि विश्व की पहली durbin ka avishkar kisne kiya और कब? तो मैं बता दूं, विश्व की पहली दूरबीन सन् 1608 में नीदरलैंड के एक चश्मा बनाने वाले व्यक्ति- हेंस लिपरशी (Hans Lippershey) द्वारा बनाई गयी थी। लिपरशी ने उसे ‘kijker’ नाम दिया था। Kijker डच भाषा का शब्द है; जिसका मतलब होता है ‘देखनेवाला’। उनकी उस दूरदर्शी से किसी भी वस्तु को दो से तीन गुना बड़ा करके देखा जा सकता था।
लिपरशी द्वारा बनाई गई पहली दूरबीन दो लेंसों से मिलकर बनी थी, जिन्हें एक गोलाकार लंबी नली के दोनों ओर लगाया गया था। इसमें आइपीस के रूप में अवतल लेंस (concave) और ऑब्जेक्टिव लेंस के रूप में उत्तल लेंस (convex) का इस्तेमाल किया गया था।
उसी वर्ष हेंस लिपरशी ने अपने इस नये यंत्र के पेटेंट (किसी आविष्कार का पूर्ण अधिकार) के लिए नीदरलैंड की सरकार को एक आवेदन भेजा, जिसे सरकार ने जल्द ही स्वीकार कर लिया तथा इसकी उपयोगिता को देखते हुए पुरस्कार स्वरूप उन्हें 900 फ्लाॅरिन (नीदरलैंड की मुद्रा) भी दिये। दूरदर्शी की प्रसिद्धी बढ़ते ही 1608 के अंत तक यह फ्रांस तथा अन्य देशों में भी पहुंच गई।
उन दिनों प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी गैलीलियो गैलिली के सहयोगी Jacques Bovedere फ्रांस में ही रहा करते थे, इसलिए उन्हें जब हेंस लिपरशी के इस नये आविष्कार के विषय में पता चला तो उन्होंने तुरंत पत्र द्वारा गैलीलियो को सूचित किया। 1609 में जब गैलीलियो को लिपरशी की दूरदर्शी के बारे में पता चला; तब वे बिना लिपरशी की दूरबीन का मॉडल देखे ही जल्द अपनी दूरबीन बनाने में लग गए।
कुछ महीनों की कड़ी मेहनत के पश्चात गैलीलियो सार्थक बदलावों के साथ दूरदर्शी बनाने में सफल हो गए। उनकी उस दूरदर्शी से अब किसी भी चीज को लगभग 20 गुना अधिक बड़ा करके देखा जा सकता था।
अपनी इस उपलब्धी से उत्साहित होकर गैलीलियो ने 24 अगस्त, 1609 को उसे वेनिस के सीनेट के सामने प्रस्तुत किया। सीनेट भी उनकी उस दूरबीन और उससे सेना को होने वाले फायदों को जानकर बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्हें जीवन भर के लिए इटली के पाडुआ विश्वविद्यालय (University of Padua) का व्याख्याता बना दिया।
आगे चलकर गैलीलियो दूरबीनों का उपयोग कर खगोलीय अन्वेषण करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने। अपने टेलीस्कोप से देखकर ही उन्होंने चंद्रमा की सतह पर मौजूद क्रेटरों तथा चंद्रमा की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तृत चित्र बनाया और साथ ही सन् 1610 में बृहस्पति के चार चंद्रमाओं एवं शनि के छल्लों (rings of saturn) की खोज की।
दुनिया के 10 सबसे बड़े टेलीस्कोप
नीचे अपर्चर (aperture) के आकार के अनुसार दुनिया के 10 सबसे बड़े परावर्ती व रिफ्लेक्टिंग टेलीस्कोप की सूची दी जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि प्रकाशिकी में अपर्चर दूरबीन के सामने प्रकाश ग्रहण करने के लिए लगे दर्पण या लेंस के आकार को कहा जाता है।
रैंक | नाम | अपर्चर | देश | वर्ष |
1. | Large Binocular Telescope (LBT) | 11.9 मीटर | अमेरिका | 2004 |
2. | Gran Telescopio Canarias (GTC) | 10.4 मीटर | स्पेन | 2006 |
3. | Hobby-Eberly Telescope (HET) | 10 मीटर | अमेरिका | 1997 |
4. | Keck 1 | 10 मीटर | अमेरिका | 1993 |
5. | Keck 2 | 10 मीटर | अमेरिका | 1996 |
6. | Southern African Large Telescope (SALT) | 9.2 मीटर | दक्षिण अफ़्रीका | 2005 |
7. | Subaru | 8.2 मीटर | अमेरिका | 1999 |
8. | VLT UT1 – Antu | 8.2 मीटर | चिली | 1998 |
9. | VLT UT2 – Kueyen | 8.2 मीटर | चिली | 1999 |
10. | VLT UT3 – Melipal | 8.2 मीटर | चिली | 2000 |
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