माइक्रोस्कोप शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों- mikros (छोटा) + skopein (देखना) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है छोटा देखना। इस उपकरण का प्रयोग अतिसूक्ष्म व ऐसी चीजों को देखने के लिए किया जाता है जिन्हें आँखों से देखना असंभव है। वर्तमान में इतनी उन्नत सूक्ष्मदर्शियों का विकास किया जा चुका है जो किसी भी सूक्ष्म वस्तु को लाखों गुना बड़ा करके दिखा सकती हैं।
फिर भी क्या आप बता सकते है दुनिया के पहले microscope ki khoj kisne ki और कब? इसका उत्तर है, इसके आविष्कार का श्रेय चश्मा बनाने वाले नीदरलैंड निवासी ज़ैकैरियस जैनसेन (Zacharias Janssen) को दिया जाता है। उन्होंने ने ही आज से लगभग 430 वर्ष पूर्व सन् 1590 में नीदरलैंड के शहर मिडिलबर्ग में अपने पिता हैन्स जैनसेन की सहायता से बनाया था।
सूक्ष्मदर्शी द्वारा की गई महत्वपूर्ण खोजें
- शुरुआती सूक्ष्मदर्शियों को ‘पिस्सू आईना’ (flea glasses) कहा जाता था क्योंकि उस समय इसका प्रयोग सिर्फ छोटे कीट-पतंगों का अध्ययन करने के लिए किया जाता था।
- दुनिया में पहली बार किसी पुस्तक या समाचार पत्र में ‘माइक्रोस्कोप’ शब्द का प्रयोग सन् 1625 में किया गया था
- सही अर्थों में वैज्ञानिक खोज के लिए पहली बार सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग सन् 1661 में किया गया, जब मार्सेलो माल्पीगि ने मेढ़क के सूखे हुए फेफड़े में सबसे पतली रक्त वाहिनियों, केशिका (capillaries) की खोज की थी।
- सन् 1665 में अंग्रेज प्राकृतिक वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने सूक्ष्मदर्शी से काॅर्क की संरचना को देखा; जो मधु के छत्तों जैसा था। उसे उन्होंने कोशिका (cell) का नाम दिया। हुक ने उसी वर्ष अपनी प्रसिद्ध पुस्तक- माइक्रोग्राफिया भी प्रकाशित कि थी, जिसमें उन्होंने 100 से भी ज्यादा नमूनों का जटिल रेखा-चित्र बनाया था।
- डच वैज्ञानिक एंटोनी वॉन ल्यूवेन्हॉक ने सन् 1676-1677 में सूक्ष्मदर्शी से जीवाणु, शुक्राणु और लाल रक्त कोशिका का पता लगाया था।
- 1879 में जर्मन जीव-विज्ञानी, वाल्थर फ्लेमिंग ने सूक्ष्मदर्शी द्वारा कोशिका विभाजन (cell division) की प्रक्रिया की खोज की थी।
- अंग्रेज चिकित्सक एवं जीव-विज्ञानी जन इन्गेनहोज़ (Jan Ingenhousz) ने सन् 1779 में सूक्ष्मदर्शी की सहायाता से प्रकाश-संश्लेषण और कोशिकीय श्वसन की क्रिया की खोज की थी।
इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का आविष्कार किसने किया और यह प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी से कैसे अलग है?
पहले इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार 1931 में जर्मनी के दो वैज्ञानिकों अर्न्स्ट रुस्का और मैक्स नोल द्वारा बर्लिन के टेक्निकल यूनिवर्सिटी में किया गया था। उनकी उस पहली इलेक्ट्राॅन सूक्ष्मदर्शी से सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु को 400 गुना ज्यादा बड़ा करके देखा जा सकता था।
एक प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी का प्रकाश-स्रोत प्राकृतिक प्रकाश होता है वही एक इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी ऐसी सूक्ष्मदर्शी होती है जो प्रकाश के स्रोत के रूप में इलेक्ट्राॅन के त्वरित किरण पुंज का इस्तेमाल करती है और जैसा की हम जानते है इलेक्ट्राॅन का तरंगदैर्ध्य प्रकाश के फोटॉन के तरंगदैर्ध्य से 1,00,000 गुना छोटा होता हैं; जिससे इसकी कोणीय विभेदन (resolving power) की क्षमता प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी से कहीं अधिक हो जाती है और यह अति सूक्ष्म चीजों की संरचना भी आसानी से प्रकट कर देता है। इसकी आवर्धन (magnification) क्षमता 10,00,000x से भी ज्यादा होती है, यानी आप किसी भी चीज को 10,00,000x गुना ज्यादा बड़ा करके देख सकते है!
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