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ज्यामिति या रेखागणित की खोज किसने और कब किया ?

geometry


गणित के क्षेत्र में 0 की खोज कि तरह ही ज्यामिति की खोज भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह गणित के शुरूआती समय से ही अध्ययन का उत्कृष्ट विषय रहा है। आज इसका प्रयोग कला, वास्तुकला, खगोलशास्त्र आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा हैं। लेकिन गणित की इस विशिष्ट शाखा, Geometry ki khoj kisne ki और कब? तो उत्तर है, यूनान के महान गणितज्ञ यूक्लिड (Euclid) को ज्यामिति का जन्मदाता कहा जाता है।

ईसा से लगभग 300 वर्ष पूर्व ज्यामिति से संबंधित जो भी सामग्री उपलब्ध थी, उन सबको एकत्रित करके उन्होंने नियमबद्ध तरीके से 13 पुस्तकों में प्रस्तुत किया। इन किताबों को यूक्लिड का मूल तत्व (Euclid’s Elements) कहा जाता है। विशेषज्ञों का विचार है कि शायद मात्र बाइबिल ही एक ऐसा ग्रंथ है, जिसकी यूक्लिड के मूल तत्व से अधिक प्रतियां प्रकाशित हुई हो। इस तथ्य से ही पता लग जाता है कि यूक्लिड कितने महान गणितज्ञ थे। ज्यामिति या रेखागणित और पढ़े -विकिपीडिया पर

यूक्लिड और ज्यामिति
आज लगभग 2300 वर्ष बीत जाने पर भी आरंभिक कक्षाओं में जो रेखागणित पढ़ाया जाता है, वह यूक्लिड के ग्रंथ पर ही आधारित है। वास्तव में ज्यामिति और यूक्लिड एक दूसरे के पर्याय बन गये है।

यद्यपि यूक्लिड का ग्रंथ अपने आप में और विश्व की दृष्टि में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है फिर भी इस महान गणितज्ञ के जीवन के विषय में केवल इतना भर कहा जा सकता है कि वे ईसा से 300 वर्ष पूर्व सिकन्दरिया (Alexandria) में रह रहे थे। उन्होंने टॉलेमी के राज्यकाल में (Ptolemaic period) सिकन्दरिया में एक विद्यालय की स्थापना की और वहीं पर अपने ग्रंथ की रचना की।

यूनानी भाषा में यूक्लिड का नाम यूक्लिड्स था। कहा जाता है कि इनकी शिक्षा प्लेटो की अकादमी में हुई। उन दिनों यह अकादमी गणित की शिक्षा के लिए बहुत ही प्रसिद्ध थी। राजनीतिक उथल-पुथल के कारण यह गणितज्ञ सिकन्दरिया चला गया। सिकन्दरिया का शासक टाॅलेमी एक विद्वान व्यक्ति था, जो कवियों, कलाकारों, ज्योतिषियों और गणितज्ञों का बहुत आदर करता था।

टाॅलेमी ने सिकन्दरिया में एक संग्रहालय की स्थापना की थी, जो वक्त के साथ एक ग्रंथालय में परिवर्तित हो गया। इस संग्रहालय में लगभग 7 लाख पुस्तकें जमा हो गई थीं। ये सभी पुस्तकें एक प्रकार के भोजपत्र पर लिखी गई थी। समय की उलट-पुलट में यह संग्रहालय नष्ट हो गया।

यूक्लिड की पुस्तक – “Euclid’s Elements”
सिकन्दरिया में यूक्लिड के नाम का डंका चारों ओर बजता था। यूनानी भाषा में इनके द्वारा लिखे गये ग्रंथ का नाम ‘स्टोइकेइया’ था। 12वीं शताब्दी में अरबी में लिखे इस ग्रंथ का लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया और इसका नाम बदल कर ‘Elements’ रख दिया गया। यह ग्रंथ 13 पुस्तकों या अध्यायों में बंटा हुआ है।

प्रथम पुस्तक में बिन्दु, रेखा, वृत्त, त्रिभुज आदि की परिभाषायें दी गई हैं तथा कुछ postulates दिये गये हैं। दूसरी पुस्तक में ज्यामितीय बीजगणित द्वारा रेखागणित की विभिन्न आकृतियों को बनाने के तरीके दिये गये हैं। तीसरी और चौथी पुस्तक वृत्त (Circle) संबंध रखती है। पांचवीं और छठी पुस्तक में अनुपात सिद्धांत और उसके उपयोगों को प्रस्तुत किया गया है।
 
सातवीं, आठवीं और नवीं पुस्तकों में अंकगणित विषय प्रस्तुत किया गया है। ग्यारवीं, बारहवीं और तेरहवीं पुस्तकें ठोस ज्यामिति से संबंधित हैं। इन पुस्तकों में घन (cube), पिरामिड, अष्टफलक (Octahedron), गोला (sphere) आदि का विवरण प्रस्तुत किया गया है।

यूक्लिड ने इन ग्रंथों में पाइथागोरस, हिप्पोक्रेटिस, थियोडोरिस आदि प्राचीन गणितज्ञों की खोजों का समावेश किया है। इस पुस्तक में यूक्लिड ने अपने से पहले किये गये सभी गणितज्ञों के कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया ही है साथ ही साथ अपने अनुसंधानों को भी शामिल किया है।

यह केवल एक पाठ्य-पुस्तक नहीं है वरन् यूक्लिड द्वारा प्राप्त जानकारी और अनुसंधानों का प्रस्तुतीकरण है। इस ग्रंथ की विशेषता यह है कि उस समय तक ज्ञात समस्त ज्यामितीय ज्ञान को एक तार्किक रूप में प्रस्तुत किया है। साथ ही साथ इसमें यूक्लिड द्वारा खोजे गये अनेक गणितीय तथ्य दिये गये हैं।
 
अधिकतर विशेषज्ञों का मत है कि रेखागणित का इस ग्रंथ के रूप में भवन खड़ा करने की प्रेरणा यूक्लिड को महान दार्शनिक अरस्तू से मिली, लेकिन इस ग्रंथ का अध्ययन करने से पता लगता है कि यह सब कुछ उनकी अपनी सूझबूझ के द्वारा ही संभव हो पाया।

यूक्लिड के इस ग्रंथ ने ज्यामिति के प्रचार एवं प्रसार में पिछले 2,300 वर्षों में जो योगदान दिया है, उनसका वर्णन कर नाना लगभग असंभव है। इसके साथ ही इस ग्रंथ ने आधुनिक युग में अनेक नये मार्ग भी सुझाये हैं। इसमें दी गई ज्यामिति ‘Euclidean Geometry’ के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध हो गई है।

आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक ने भी सापेक्षता के सिद्धांत के प्रतिपादन के लिए इस ज्यामिति का सहारा लिया। आइंस्टीन ने यूक्लिड की महान प्रतिभा के विषय में बहुत कुछ लिखा है। उनके शब्दों में –

यूक्लिड का योगदान केवल ज्यामिति में ही नहीं बल्कि प्रकाशिकी (Optics), विभाजन सिद्धांत आदि विषयों में भी था। यूक्लिड की श्रेणी के महान गणितज्ञ विरले ही पैदा होते हैं।

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