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Boiler का आविष्कार किसने किया

 
boilair-

दोस्तो आज हम जब भी बाजार जाते है तो हमे बाजार में बिकने वाली अनेक चीजे दिखाई देती है । मजो हमारे मन और दिल को काफी भाती हैं । हम उनका स्वाद बहुत ही पसन्द आता है । हम इनके स्वाद के दीवाने होते है । जी हाँ मॉइ बात कर रहा हूँ सुबह सुबह खाये फए वाले पोहो कि और कभी भी खाए जाने वाले मोमोज की । तो दोस्तो इन दोनों चीजो का आनंद आपने लिया होगा घर पर या रेस्टोरेंट में और आप इसके बारे में जानते ही होंगे कि ये किस प्रकार बनाए जाते है ।दोस्तो जिस बायलर में ये बनाये जाते है । आज हम उस बॉयलर की बात Boiler क्या है और Boiler का आविष्कार किसने किया इस आर्टिकल में करने वाले है । आज हम इस आर्टिकल में आपको बायलर से जुड़ी हर एक बात की जानकरी से आपको अवगत करवाने की पूरी कोशिश  करेंगे । दोस्तो आपके घर मे काम आने वाला बॉयलर सिर्फ अंडे उबलने या ओर कोई डिश बनाने के ही काम आता होगा । लेकिन दोस्तो अगर मॉइ आपसे कहूँ की बॉयलर की खोज मानव सभ्यता की सबसे बड़ी खोजो में से एक है तो आपको शायद ही विश्वास हो ।  इसी के दम पर मानव सभ्यता ने एक बड़ी यात्रा तय की हैं । इसी बॉयलर कि मदद से ही मानव सभ्यता के विकास का विकास चक्र घूमना शुरू हुआ था और आज भी इसी के दम पर घूम रहा हैं ।

बॉयलर क्या है-

यह एक प्रकार का टैंक या फिर कहे बर्तन होता हैं । जिसका काम पानी को वाष्प में बदलना होता हैं । इसमी पानी का उपयोग किया जाता है और उस पानी को टप ऊर्जा की सहायता से उबाला जाता हैं । पानी को इतना ज्यादा उबाला जाता है कि यह वाष्प में बदल जाता है और इसी स्टीम का उपयोग हम खाना पकाने , ऊर्जा उतपन्न करने में करते हैं । पानी से स्टीम यानी कि भाप पैदा करने के कारण इसे स्टीम जनरेटर भी कहते हैं ।

बॉयलर का अविष्कार किसने किया था और कब किया था

बायलर का इतिहास की बात करे तो इसके बारे में सब कुछ सही सही कह पाना मुमकिन नही है । क्योकि ऐसा माना जाता है कि जब से मनुष्य ने आग को काम लेना सीखा है तब से ही वह इस ऊर्जा का उपयोग अनेक कार्यो को पूरा करने में करते आ रहा हैं। इसके अलावा भारत मे सबसे पहली मानव सभ्यता का विकास माना  जाता है और भारत मे व्यंजन की एक बहुत ही लम्बी श्रृंखला रही हैं । अनेको व्यंजन सिर्फ पानी की भाप से ही बनाये जाते हैं ।  इस लिए  ये कह पाना की बॉयलर का आविष्कार सबसे पहले किस देश में हुआ था और कब हुआ था सम्भव नही हैं । फिर भी बॉयलर का इतिहास देखे तो इनका लिखित प्रमाण यूरोप में रोम सम्राज्य में देखने को मिलता हैं । आधुनिक बॉयलर के विकास ने एक बहुत ही लम्बी विकास यात्रा को तय किया है और इसी के बाद आज का बॉयलर अस्तित्व में आया । भाप के इंजन की कहानी भी बॉयलर पर ही टिकी हैं । ऐसा माना जाता है कि सर्दियों के दिन में जेम्स वाट अपनी माँ के साथ घर मे थे और उनकी माँ ने चूल्हे पर कुछ उबालने के  लिए कुछ रखा हुआ था ।  जेम्स वाट भी वही बैठा इसे देख रहा था । कुछ देर के बाद उसमें देखा कि केतली का ढक्कन ऊपर नीचे हो रहा है और इसके कारण आवाज पैदा हो रही हैं । जेम्स ने जब पास जाकर देखा तो उसे आश्चर्य हुआ कि पानी की भाप में कितनी ज्यादा शक्ति है ।  जो एक धातु के ढक्कन को आसानी से ऊपर उठा पा रही है और फिर क्या इसके बाद दुनिया जानती है कि जेम्स वाट ने दुनिया का पहला भाप से चलने वाला इंजन बनाया था ।

उनके आविष्कार के बाद भाप के इंजन के दम  पर ही मानव ने एक बहुत ही बड़ी विकास यात्रा को बहुत ही कम समय मे पूरा कर लिया । अभी कुछ सालों पहले की ही बाते है कि रेलगाड़ियां पटरियों पर भाप के इंजन के दम पर ही दौड़ती थी ।

प्रारम्भ जो बॉलर बनाये जाते थे । उन बॉयलरों के डिजाइन पर किसी का ध्यान नही गया । हर एक व्यक्ति उसे अपने अनुसार और अपने काम के हिसाब से उसका आकार रखते थे ।

बॉयलर का कसना हिस्सा मजबूत होना चाहिए और कौनसा हिस्सा ज्यादा दाब सहन कर सकता है इसकी जानकारी सबसे पहले ट्रेविथिक ने दी थी । जब उन्होंने पहली बार भाप से चलने वाले ऐसे बॉयलर का आविष्कार किया जो काफी अधिक दाब शहन कर सकता था ।

बॉयलर के प्रकार –

आज के समय मे अनेक प्रकार बॉयलर उपलब्ध है । इन बॉयलरों को अनेक भागों में अलग अलग आधार पर बांटा जा सकता हैं ।   जैसे कि
  1. ट्यूब पर आधारित बॉयलर
  2. फुरेन्स की स्तिथि ओर आधारित बायलर
  3. बायलर को काम लेने की स्तिथि के आधार पर
  4. पानी और उससे बनने वाली स्टीम की मात्रा के आधार पर
  5. फ्यूल के आधार पर
  6. दाब के आधार पर
  7. फ्यूल के दहन के आधार पर
  8. फ्यूल फीडिंग के आधार
ट्यूब के आधार पर –
दोस्तो बायलर में काम आने वाली ट्यूब के आधार पर बॉयलर को दो भागों में बंटा जा सकता है।

1.  फायर ट्यूब बायलर –
इस प्रकार के बॉयलरों में ट्यूब के अंदर आग रहती है और इन ट्यूब के चारों तरह पानी रहता हैं । ट्यूब के अंदर रहने वाली आग की सहायता से बाहर की ओर बहने वाले पानी को भाप में बदला जाता हैं । इस बायलर का उपयोग ऐसी जगहों पर किया जाता है । जहां पर हमें कम  दाब की स्टीम की आवश्यकता होती है ।

2. वाटर ट्यूब बायलर –
इस प्रकार के बॉयलर में ट्यूब के अंदर पानी बहता है और बाहर की तरफ आग रहती हैं । इससे ट्यूब में बहने वाला पानी ज्यादा स्टीम पैदा करता हैं । इस प्रकार के स्टीम का उपयोग ऐसी जगहों पर किया जाता है जहाँ पर हमें अधिक दाब की आवश्यकता  होती हैं ।

फुरुरेन्स के आधार पर बायलर –
इस प्रकार के बॉयलर को भी हम दो भागों में बांट सकते हैं ।

1. एक्सटरनल फायर्ड बायलर –
इस प्रकार के बायलर में आग को अलग रखा जाता है और पानी को अलग रखा जाता है ।  ईसलिये इसे एक्सटर्नल फायर्ड बायलर कहते है । इसमें आग को फ़्यूरेन्स के बाहर रखते हैं ।

2. इंटर्नलय फ़ायर्ड बायलर –
यह बायलर एक्सटर्नल के एक दम विपरीत होता हैं । इस प्रकार के बायलर में  फ़्यूरेन्स के अंदर की तरफ आग रहती है और पानी बाहर की तरह बहता हैं।

स्तिथि के आधार पर बॉयलर –
काम आने की स्तिथि के आधार पर बायलर को तीन भागों में बांटा जा सकता हैं ।
  • वर्टिकली बायलर
  • होरिज़ॉनटल बायलर
  • इंकलैण्ड बायलर

4. स्टेटेनरी बायलर –
यह बॉयलर एक जगह पर फिक्स होते है, यह अपनी पोजीशन में बदलाव नही कर सकते है। स्टेटिनोर बायलर में वह सभी बड़े बड़े बॉयलर आते है, जिसको कंपनी की बिल्डिंग में बनाया जाता है।

अगर हम इसके उदाहरण की बात करे तो एफबीसी बायलर , सीएफबीसी बायलर , पीएफबीसी बायलर यह भी स्टेशनरी बायलर के ही उदाहरण है, यह सभी बॉयलर एक ही जगह फिक्स रहते है।

पोर्टेबल बायलर – 
पोर्टेबल बॉयलर को मोबाइल बायलर भी बोला जाता है। मरीन बायलर इस प्रकार के बायलर का एक उदाहरण है, यह बायलर पानी के जहाज में उपयोग लिया जाता है।

इस प्रकार मरीन बायलर जहाज में होने की वजह से अपनी पोजीशन को एक जगह से दूसरी जगह पर बदलता रहता है। तो इसी प्रकार के बायलर को ही पोर्टेबल बायलर और मोबाइल बायलर कहा जाता है।

पानी ओर स्टीम के बहने की गति के आधार पर बायलर –
पानी और स्टीम के बहने की स्तिथि के आधार ओर बॉयलर को नेचुरल सर्कुलर बायलर और फोर्स्ड सर्कुलर बायलर में बांटा जा सकता हैं ।

फ्यूल के आधार पर –
बायलर में काम आने वाले ईंधन के आधार पर बायलर को हम कई भागों में बांट सकते हैं ।
  • कोल से चलने वाले बायलर
  • गैस  से चलने वाले बॉयलर
  • विद्युत ऊर्जा से चलने वाले बायलर
  • न्यूक्लियर ऊर्जा से चलने वाले बायलर
  • सोलर ऊर्जा से चलने वाले बॉयलर
  • गर्म गैस से चलने वाले बायलर

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