दोस्तों न जाने हम दिन भर में कितनी ऐसी बकवास सुनते हैं. जिनका कोई भी महत्व नहीं होता और नी ही कोई मायने. फिर भी न जाने क्यों.. हमारे मन में एक लालसा बनी रहती है कि क्यों ना इनका जवाब ढूंढा जाए यानी उस बकवास का जवाब ढुंढने की इच्छा होती है. लेकिन सच कहूं तो हर किसी बकवास बात के पीछे भी कोई ना कोई कारण छिपा होता है. आज इसी को लेकर हम कुछ बात शेयर करना चाहते हैं… जिस बात को आप बचपन से सुनते आ रहे होंगे जिसकी पहुंच वैज्ञानिकों तक जा चुकी है. हर किसी को इसमें शामिल हो जाने का चस्का होने लगा कि आखिर इस तथ्य का जवाब क्या है.
शायद आप अभी तक जान चुके होंगे कि हम किस बारें में बात कर रहे हैं. जी हां, बिलकुल उसी बारे में जिस बारे में आप सोच रहे हैं. वहीं अंडा पहले आया या मुर्गी. ये अंडा और मुर्गी हमने कितना सुना है..अपने दोस्तों से और शर्त तक लगाई है. कि आखिर पहले मुर्गी आई या अंडा. इस बात को सुनते-सुनते कई बार तो बहस तक छिड़ जाती है कि इन दोनों में से पहले कौन आया. चलिए तो आज थोड़ा सा बचपन की बातों को दोहरा लिया जाए. हम भी थोड़ी चर्चा कर ही लेते हैं कि अंडा पहले आया या मुर्गी
सारे तथ्यों को देखते हुए और पढ़ते हुए. हमने जाना कि इस बारे में कई बार रिसर्च किया गया. जिससे पता लगाया जा सकें कि पहले मुर्गी या अंडा. लेकिन कुछ जो हाथ लगा वहा ये है- सबसे पहले जो रिसर्च किया.. शेफील्ड और वेवरिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने कहां कि उनके पास इस चीज का जवाब है. बस उसी जवाब को हमने भी जाना.
दरअसल, उन्होंने मुर्गी और अंडे की पहले आने के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि कंप्यूटर मॉडलिंग का प्रयोग करते हुए एक प्रोटीन का पता लगाया गया है. जिसे ओवोक्लाइडिन-17 या ओसी-17 के नाम से जाना गया. यह वहीं प्रोटीन है, जो तेजी से अंडे का खोल तैयार करने में सहायता करता है.
इस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि यदि अंडे का खोल तैयार होता है. तब इसमें मुर्गी का होना भी जरूरी है क्योंकि साथ ही ओसी-17 प्रोटीन की जरूरत होगी. जो सिर्फ मुर्गी के ओवेरी में होता है. जिस प्रकार से शिशु का जन्म मां के गर्भ से होता है उसी तरह प्रोटीन का निर्माण मुर्गी के ओवेरी से ही हो सकता है. कुल मिलाकर इस रिसर्च में कहा गया कि बिना मुर्गी के ना तो ओसी-17 प्रोटीन बन सकता है और ना ही अंडे का खोल. इसलिए सभी तथ्य को देखते हुए इस विश्वविद्यालय के रिसर्च में मुर्गी का पहले आना ही संभव माना गया.
शायद कुछ तो आपके समझ में आया होगा की इसका सही तर्क क्या निकल कर आता है… यह रिसर्च भी उतना ही पता लगा पाई कि मुर्गी की ओवेरी से ही अंडे बनते है ना कि अंडे से मुर्गी.
हमने तो आपको पहले ही कहा था कि कुछ बकवास को जानने की हमें उत्सुकता होती है.. और यह उन्हीं बकवास का एक हिस्सा ये मुर्गी और उसका अंडा भी है. जिसे हम बचपन से आज तक झेलते आ रहे हैं. लेकिन फिर भी कोई नहीं ऐसी बकवास रहनी चाहिए, जिनका सलूशन ना हो और जिस पर बहस भी छिड़ती रहे. ताकि जिंदगी ज्यादा सीरियस ना रहे और इसी बहाने थोड़ा हंसी मजाक भी हो जाए.
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