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विटामिन की खोज किसने की और विटामिन कितने प्रकार के होते हैं?



vitaamin


विटामिन हमारे शरीर को बढ़ने और विकसित होने में सहायता करते हैं। यह चयापचय यानी metabolism, रोग-प्रतिरक्षा और पाचन जैसे कार्यों में भी अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शरीर की विटामिन की जरूरतों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप संतुलित आहार ले, जिसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ हो। शरीर में विटामिन की कमी अलग-अलग प्रकार की बीमारियों को निमंत्रण देती है। यदि हम अकेले भोजन के माध्यम से इसकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते, तो हमें पूरक आहार की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन vitamin ki khoj kisne ki thi? इसका उत्तर है- डच चिकित्सक क्रिस्टियान इज्कमैन (Christiaan Eijkman) ने।

क्रिस्टियान इज्कमैन एक डच चिकित्सक और शरीर विज्ञान के प्रोफेसर थे। सन् 1890 में बेरीबेरी जैसे कुपोषणजन्य रोग पर शोध करते हुए उन्होंने एंटीन्योरिटिक विटामिन (थायमिन) की खोज की थी। इस अतिमहत्वपूर्ण खोज के लिए उन्हें वर्ष 1929 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

कैसे हुई विटामिन की खोज?

इज्कमैन को खाद्य-पदार्थों में विटामिन जैसे तत्व के होने का पता अचानक ही चला था। दरअसल, सन् 1890 में उन्हें जावा, जो उस समय डच उपनिवेश था, के कैदियों में बड़े स्तर पर हो रही बेरीबेरी जैसी बीमारी के अध्ययन के लिए भेजा गया था।

जावा में कुछ महीनों तक बीमार कैदियों की जांच-पड़ताल करने पर उन्हें लगा कि इस बीमारी का कारण कोई अज्ञात बैक्टीरिया है। लेकिन एक दिन अचानक उनका ध्यान अपनी प्रयोगशाला की मुर्गियों की ओर गया। मुर्गियों को ध्यान से देखने पर उन्हें मालूम हुआ कि पहले जब इन मुर्गियों को कैदियों का बचा रासन चारे के रूप दिया जा रहा था, तब इनमें भी बेरीबेरी के लक्षण दिखाई दे रहे थे लेकिन जब से चारा बदल दिया गया है तब से कुछ महीनों के अंदर ही ये मुर्गियां पुनः पूरी तरह ठीक हो गई हैं।

आगे जब उन्होंने और जांच-पड़ताल की तो उन्हें पता चला कि मुर्गियां जब स्वस्थ थी तब उन्हें भूरा चावल (unpolished rice) चारे के रूप में दिया जाता था, वही जब उनमें कैदियों की तरह बेरीबेरी के लक्षण दिखने लगे थे, उस वक्त उन्हें कैदियों को दिया जाने वाला सफेद चावल (white rice) चारे के रूप में दिया जाता था।

मुर्गियों के चारे में हुई बदलाव की उस घटना से इज्कमैन ने यह निष्कर्ष निकाला कि सफेद चावल में भूरे चावल के विपरीत किसी आहार घटक या ऐसे तत्व की कमी होती है, जिसके शरीर में लगातार कमी से कैदियों के साथ-साथ मुर्गियों में भी यह बीमारी हो रही है। उन्होंने उस समय सफेद चावल में अनुपस्थित उस तत्व का नाम ‘anti-beriberi-factor’ रखा था।

हालांकि वर्ष 1895 में बीमार होने के कारण वह बेरीबेरी पर अपना अध्ययन जारी नहीं रख पाये। लेकिन आगे के वर्षों में उनके उस अध्ययन पर हुये शोध कार्यों से पता चला कि सफेद चावल में अनुपस्थित वह तत्व ‘थियामिन’ था, जिसे आज विटामिन बी1 के नाम से जाना जाता है। इसी विटामिन की कमी से शरीर में बेरीबेरी जैसा रोग होता है।

‘विटामिन’ शब्द का नामकरण किसने किया था?

विटामिन शब्द का नामकरण पोलिश बायोकेमिस्ट कैसिमिर फंक (Casimir Funk) ने 1912 में किया था। विटामिन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं – vita + amine. यहां ‘vita’ का अर्थ है जीवन एवं ‘amine’ शरीर में पाया जाने वाला एक यौगिक है। Vitamine को बाद में छोटा करके Vitamin लिखा जाने लगा।

विभिन्न प्रकार के विटामिनों (A,B,C…) की खोज किन वैज्ञानिकों ने की थी?

शरीर के लिए जरूरी अभी तक कुल 13 विटामिनों की खोज हो चुकी हैं। वर्तमान में ज्ञात सभी विटामिनों की पहचान वैज्ञानिकों द्वारा 1913 और 1948 के बीच ही कर लिया गया था। नीचे 10 जरूरी विटामिनों के तथा उनके खोजकर्ताओं का नाम दिया जा रहा है –

विटामिनखोजकर्तावर्ष
Aएल्मर वी. मैकुलम और मार्गुराइट डेविस1912-1914
Bएल्मर वी. मैकुलम1915-1916
B1कैसिमिर फंक1912
B2डी.टी. स्मिथ और ई.जी. हेंड्रिक1926
B3 (नाइयासिन)काॅनरैड एलवेजम1937
B9 (फोलिक एसिड)लुसी विल्स1933
B6पाॅल जियोर्जी1934
Cए. होइस्ट और टी. फ्रेलिच1912
Dएडवर्ड मेलानबी1922
Eहर्बर्ट इवांस और कैथरीन बिशप1922
कृत्रिम रूप से पहली बार किस विटामिन को प्रयोगशाला में बनाया गया था?
विटामिन C कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में संश्लेषित होने वाला पहला विटामिन था। विटामिन C को कृत्रिम रूप से बनाने की प्रक्रिया की खोज 1935 में ज्यूरिख के स्विस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रसायनशास्त्री तेदुसेज रिचस्टीन (Dr. Tadeusz Reichstein) ने किया था।

विटामिन कितने प्रकार के होते है?
विटामिन दो प्रकार के होते हैं- (1.) वसा में घुलनशील विटामिन (2.) पानी में घुलनशील विटामिन

#1. वसा में घुलनशील विटामिन (Fat-soluble vitamins) : ये विटामिन शरीर में वसा के साथ घुलनशील होते हैं। ये हमारे शरीर के उन fat globules द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं, जो छोटी आंत के lymphatic system के माध्यम से सामान्य blood circulation में यात्रा करते हैं। इस प्रकार के विटामिन आतौर पर यकृत और वसायुक्त ऊतकों में भविष्य में उपयोग के लिए संग्रहित हो जाते हैं। वसा में घुलनशील ये विटामिन हैं- A, D, E और K

#2. पानी में घुलनशील विटामिन (Water-soluble vitamins) : पानी में घुलनशील विटामिन वसा में घुलनशील विटामिनों के विपरीत हमारे शरीर में जमा नहीं होते, जिस कारण आवश्यक पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए शरीर को उनकी निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है। एक बार पानी से जब आवश्यक पोषक तत्व सोख लिये जाते हैं, तो शरीर से अतिरिक्त मात्रा बाहर निकल जाती है।

पानी में घुलनशील ये विटामिन हैं- C, B1, B2, B3, B6, B9 और B12

Antivitamin क्या है?
एंटीविटामिन विटामिन के विपरीत कार्य करते हैं। ये ऐसे यौगिक होते हैं, जो हमारे शरीर में विटामिनों के अवशोषण (absorption) तथा कार्यों को धीमा कर देते हैं।

उदहारण के लिए विटामिन K रक्त के थक्के बनाकर अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है; वही Warfarin एक ऐसी एंटीविटामिन दवा है, जो शरीर में खून के जमने या blood clotting की प्रक्रिया को धीमा या निष्क्रिय कर देता है। [जाने- किस वैज्ञानिक ने डीएनए की खोज की थी?]

सभी 13 आवश्यक विटामिनों का रासायनिक नाम क्या हैं?
सभी 13 विटामिनों का रासायनिक नाम-

विटामिन A – रेटिनोल
विटामिन B1 – थियामीन
विटामिन B2 – राइबोफ्लेविन
विटामिन B3 – नियासिन
विटामिन B5 – पैंटोथैनिक एसिड
विटामिन B6 – पाइरिडोक्सिन
विटामिन B7 – बायोटिन
विटामिन B9 – फोलिक एसिड
विटामिन 12 – कोबालमिन
विटामिन C – एस्कॉर्बिक एसिड
विटामिन D – कैल्सिफैरोल
विटामिन E – टोकोफेरॉल
विटामिन K – फाइटोनडाइओन (Phytonadione)

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