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seo ke liye Internal linking kyo jaruri hai

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मित्रो  ऐसे बहुत से ब्लॉगर हैं जिन्हें internal linking करने का तरीका नहीं मालूम है वे गलत तरीके से करते है।  जिसके वजह से उनका वेबसाइट स्पैम  हो जाता  है और सर्च इंजन से ट्रैफिक मिलना बंद हो जाता है। इसलिए सभी ब्लॉगर्स के लिए यह  बहुत जरुरी है कि वो अपनेब्लॉग  पोस्ट में internal links को सावधानीपूर्वक एड  करें नहीं तो Negative SEO होने की वजह से बड़ी समस्या खड़ा हो सकता है। आज मै आप लोगो को इस आर्टिकल के माध्यम से यह जानकारी देने जा  कि  internal linking कैसे किया जाता है और internal links के क्या फायदे होते हैं ? हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके ज्ञान को बढ़ाने में बहुत ज्यादा मदद करेगा। 

मित्रो मैंने ऐसे बहुत से ब्लॉग देखे हैं जो किसी भी टॉपिक की पोस्ट में किसी भी टॉपिक की पोस्ट की लिंक एड  कर देते हैं जो कि पूरी तरह गलत है इसे negative SEO practice के रूप में माना जाता है। और इतना ही नहीं यदि किसी ब्लॉग पर इसी तरह की रणनीति को बार बार  दोहराया जा रहा हो और बहुत सारी पोस्टों में इसी तरह की linking किया गया हो तो गूगल ऐसी साईट को spam category में डाल देता है। और आपको इतना तो पता ही होगा कि यदि गूगल जैसे बड़े search engine किसी ब्लॉग को स्पैम मान ले तो उसका भविष्य कितना खतरे में पड़ जाता है इसकी कोई तुलना भी नहीं कर सकता, यहाँ तक कि उस ब्लॉग को shutdown भी करना पड़ सकता है या फिर Content को update करके Domain change भी करना पद सकता है। 

आंतरिक लिंकिंग  ( Internal Linking ) क्या होता है -

वैसे तो ज्यादातर लोग इसके बारे में जानते हैं लेकिन फिर भी मै आपको इसे शार्ट में बताना चाहूँगा कि, जब हम कोई नयी पोस्ट लिखते हैं तो उसमें हमें अपने ब्लॉग की कुछ पुरानी पोस्टों की लिंक को एड  करना होता है। इसी प्रक्रिया को ब्लॉगिंग में internal linking कहा जाता है। उदहारण के तौर पर आप मेरी कोई भी पोस्ट ओपन  करके देख सकते हैं उसमें जो दूसरी पोस्ट की लिंक एड किया गया वह internal links हैं और यह  किसी भी ब्लॉग के SEO को improve करने के लिए बहुत जरुरी होता  हैं। परन्तु यह साईट के लिए जरुरी तो हैं लेकिन यदि आपने भूलकर भी गलत तरीके से linking की तो बहुत बड़ा दुष्परिणाम भी सामने आता है। इस लिए इसे सही तरीके से करने के लिए इसके बारे में सही जानकारी होना ज्यादाम हत्वपूर्ण है, जिसके बारे में आगे बताने जा रहे है। 

Internal Linking  प्रयोग कैसे करे 

Internal linking को हम दो तरीके से कर सकते हैं जिसमें पहली है anchor text का प्रयोग करके और दूसरा है पोस्ट टाइटल  का प्रयोग  करके।  इसे  लिए आप पढ़े - ब्लॉगर के किसी भी पोस्ट में दूसरे पोस्ट के लिंक यूआरएल कैसे ऐड करे  ।   

एंकर टेक्स्ट का उपयोग करना -

जब भी आप कोई नया पोस्ट लिखें तो लिखते समय इस बात का पूरा ध्यान रखे कि आपकी इस नयी पोस्ट के टॉपिक से रिलेटेड जो भी पुराना पोस्ट हैं उनको ध्यान में रखते हुए आर्टिकल में उनका जिक्र किया जाये। इसको और आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं कि मान लीजिये आप कोई नया पोस्ट लिख रहे हैं और वो SEO केटेगरी से संबंधित है तो अब आपको इसी केटेगरी की पुराना पोस्ट को internal linking के लिए चुनना चाहिए। परन्तु यह हमेशा linking करते समय इस बात का ध्यान भी रखना जरुरी है कि बार बार एक ही anchor text पर लिंक एड  न की जाये। जैसे आपने किसी पोस्ट की लिंक के लिए किसी दूसरी पोस्ट में “SEO के फायदे”  यह एंकर टेक्स्ट पर लिंक एड किया  है तो अब आपको इसी एंकर टेक्स्ट पर नयी पोस्ट में लिंक भूलकर भी एड  नहीं करना चाहिए।  

अब आप नया पोस्ट  के लिए फ्रेश एंकर टेक्स्ट का चुनाव करेंगे लेकिन उसमें आपकी पोस्ट का main कीवर्ड आना चाहिए जैसे “SEO के लाभ”। इसी तरह अगली बार जब आप इसी कैटेगरी के लिए नया पोस्ट लिखेंगे और उसी पुराने पोस्ट की लिंक को internal links के लिए प्रयोग करना हो तो इस बार फिर से आपको ऐसे एंकर टेक्स्ट का   चयन करना होगा जिसमें उस पुरानी पोस्ट का main keyword भी आ जाये और एंकर टेक्स्ट भी unique हो जैसे “SEO करने के फायदे” या “SEO profits in Hindi” इत्यादि। इसी तरह हर बार प्रत्येक internal link के लिए एक unique anchor text का चयन करना अत्यंत आवश्यक है इससे ब्लॉग के सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़  का जबरदस्त फायदा मिलता है।  

पोस्ट टाइटल का उपयोग करना –

पोस्ट लिखने की भी एक कला होता है बहुत कम लोग ऐसा आर्टिकल लिख पाते है जिनमें पुराने पोस्ट के लिए एंकर टेक्स्ट को शामिल हो और कभी कभी सही कंटेंट के अभाव में भी एंकर टेक्स्ट को शामिल नहीं कर पाते। परन्तु नया पोस्टके लिए internal links तो बहुत जरुरी हैं तो इसका यही समाधान है कि आप पुराने पोस्ट के main keyword का प्रयोग करके एक बढ़िया सा fresh title बनाकर “Read Also” या “Other Useful Info” लिखकर एक दो पुरानी पोस्ट की linking कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे हमेशा unique title हो और उसमें पुरानी पोस्ट का main keyword भी शामिल हो। और इन internal links को वहाँ एड करें जहाँ पर इन टॉपिक से रिलेटेड बात हो रहा हो।

इसमें मामले में भी एक और बात क्लियर कर देता हूँ कि हमेशा सिर्फ रिलेटेड टॉपिक वाले ही लिंक एड करना है, दूसरे कैटेगरी या अन्य टॉपिक वाले पुराने आर्टिकल को internal linking के लिए भूलकर भी प्रयोग  न करें। मेरे हिसाब से पोस्ट की linking कैसे करना होता है यह क्लियर हो गया है फिर भी यदि आपको कोई समस्या है तो बेझिझक होकर कमेंट में पूछ लेना। चलिए अब थोड़ा इस बात पर भी प्रकाश डाल लेते हैं कि internal linking से ब्लॉग को क्या फायदे होते हैं।

इंटरनल लिंकिंग करने के क्या फायदे होते है -

इंटरनल लिंकिंग से सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के हिसाब से निम्नलिखित फायदा मिलता है। 

इंटरनल लिंकिंग पृष्ठ रैंक में सुधार करें – जब हम अपने ब्लॉग की किसी नयी पोस्ट में पुरानी पोस्ट की links को add करते हैं तो उन posts के लिए new post से link juce पास होता है जिससे उन्हें और ज्यादा शक्ति मिलती है जिससे उनकी पेज रैंक improve होती है और उनकी search engine में visibility भी बढ़ जाती है।

क्रॉलिंग और अनुक्रमण में सुधार करें- Improve Crawling & Indexing जब किसी नए पोस्ट में internal links को एड करते हैं तो  इंजन बॉट्स आपकी सारी लिंक को इंडेक्स  कर लेते हैं जिससे इंडेक्सिंग की समस्या समाप्त  हो जाती है और इसके लिए आपको कोई अन्य कार्य  भी नहीं करना पड़ता है, सब कुछ ऑटोमैटिक  हो जाता है।

बाउंस दर कम करें-  Reduce Bounce Rate – जब आप किसी भी पोस्ट में रिलेटेड लिंक्स सही तरीके से सही जगह एड करते करते हैं तो इससे आपके ब्लॉग का जो बाउंस दर है वो कम हो जाता है और जिस साईट का बाउंस दर सही हो उसकी रैंकिंग में ऑटोमैटिक सुधार की होता चला जाता है। इसके साथ ही बाउंस रेट कम होने पर खोज दृश्यता में व्यापक रूप से सुधार देखा जाता है।

पृष्ठदृश्यों में सुधार करें- Improve Pageviews – जो ब्लॉगर अपने ब्लॉग  में बढ़िया तरीके से जैसा कि मैंने ऊपर बताया है इंटरनल लिंकिंग को सही जगह पर हेरफेर करते हैं उनके पृष्ठदृश्य प्रतिदिन बढ़ते चले जाते हैं, और जिस साईट के अच्छे पेज व्यूज होते हैं उसको खोज इंजन परिणाम पृष्ठ (SERP) में भी प्राथमिकता में सुधार होता चला जाता है।  जिससे उस ब्लॉग का ट्रैफिक हर दिन सुधार  होता जाता है।

मित्रो मुझे अब उम्मीद है कि आप लोगो ने एसईओ के लिए इंटरनल लिंकिंग क्यों जरुरी है  को अच्छी तरह से समझ गये होगें। फिर भी यदि आप लोगो को इस आर्टिकल से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न होता है। तो आप लोग इसके लिए हमें ईमेल के माध्यम से या कमेन्ट करके या दूरभाष पर सम्पर्क करके अपने समस्या को साझा कर सकते है। जिससे आपके समस्या का निदान हो सके। यदि आप एसईओ के लिए इंटरनल लिंकिंग क्यों जरुरी है के लिए दिए गये तकनीकों को सीखते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी करें, या दूसरों की मदद करने के लिए इस लेख को साझा करें। 


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