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गोण्डा-माध्यमिक शिक्षा परिषद के तुगलकी बयान पर भारी असंतोष, आनन-फानन में किया आदेश में बदलाव

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 -एक और अव्यवहारिक एवं तानाशाहीपूर्ण आदेश
-स्पष्ट गाइडलाइन न होने से शिक्षा जगत में भारी आक्रोश’
-अधिकारियों को मिलेगा विद्यालय वालों का अनावश्यक उत्पीड़न करने का मौका’
गोण्डा। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी 17 मई की सायं आदेश में कहा गया है कि हाई स्कूल परीक्षार्थियों का अर्धवार्षिक एवं प्री बोर्ड अंको का विवरण बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए उसके लिए समय केवल 1 दिन अर्थात 18 मई की सायं ही रखा गया है। दिनांक 18 मई 2021 को यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा 2021 के लिए आकस्मिक आए अव्यावहारिक एवं अविवेकपूर्ण आदेश से पूरा प्रदेश परेशान है। हाईस्कूल की अर्द्धवार्षिक एवं प्री बोर्ड परीक्षाएं 70-70 अंक की होती हैं, इसमें से कोई भी परीक्षा इस बार कायदे से संपन्न नहीं हो पाई है। अब आज की तारीख में वह अर्द्धवार्षिक परीक्षा 70 तथा प्री बोर्ड परीक्षा 70 की चढाएगा तो यह कहीं गलत न हो जाए यह असमंजस कि स्थित बना हुआ है, क्योंकि वह 30 अंक का आंतरिक मूल्यांकन पहले ही अपलोड करा चुका है। वैसे भी हाईस्कूल परीक्षा के अंक ऑनलाइन कराने ही थे तो कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए था जिससे यह कार्य अव्यवस्था की भेंट न चढ़ता। 20 मई तक लाकडाउन तथा महीनों से वेतन न मिलने की वजह से शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी तो छोड़ो, कई विद्यालयों के प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए दिहाड़ी मजदूरी एवं सब्जी बेचने का काम कर रहे हैं। ऐसे में एकदम 12 घंटे के अंदर आकर के वह सारे अंक डिजिटल इंडिया पर चढ़ा देंगे तथा अंक पारदर्शी होंगे यह सोचना भी समझ से परे है। वैसे भी अभी तक जब इण्टरमीडिएट परीक्षा नहीं हुई है तो हाईस्कूल परीक्षा की बहुत जल्दी नहीं होनी चाहिए थी। इण्टर के बच्चे तो संपूर्ण देश एवं विश्व की विभिन्न यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए जाते हैं उनके लिए टाइम बॉउंडेशन तो समझ में आता है,लेकिन हाईस्कूल के लिए तो इस प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी। बोर्ड के अधिकारियों एवं शासन के लोगों ने इस बात पर क्यों विचार नहीं किया, यह भी समझ से परे है। वैसे हम ही नहीं उनके अपने विधायक गण भी कह रहे हैं कि ’वह जो कहें, वही सही है’ सरकार अपने अलावा किसी की सुन नहीं रही है। बहरहाल  शिक्षा व्यवस्था को कोरोना के चलते भी खराब हुई हंे उसके अलावा तुगलकी फरमान में अर्धवार्षिक व प्री बोर्ड अंको का डाटा मांगने को लेकर साफ जाहिर होता है कि हाई स्कूल की परीक्षा सीबीएसई की तरह  नहीं कराने का सरकार मूड बना चुकी है जिससे प्रदेश के मेधावी छात्रों पर बहुत भारी प्रभाव पड़ेगा । ऐसे प्रमाण को लेकर माध्यमिक शिक्षक पद विद्यालयों की ओर से शिकायतें भी शुरू हो गई हैं लेकिन इस समय या अल्प समय में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है  फिलहाल कुछ विद्यालयों में व्यक्त साइटों पर अपना काम शुरू तो कर दिया है लेकिन पूरे प्रदेश के लाखों छात्रों का डाटा एक साथ विद्यालय द्वारा अपलोड किए जाने पर व्यवसाय का बुरा हाल हो रहा है माध्यमिक शिक्षा विभाग चाहे जितनी मेहनत व प्रयास कर ले 1 दिन में लाखों बच्चों का डाटा फीड करा पाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है। जिसमें 50ः थी भी पूरा हो जाए तो अच्छा है क्योंकि कोरोना के चलते अधिकांश विद्यालय संकटग्रस्त हो चुके हैं इस बारे में । 
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-क्या कहते है अशोक कुमार राठौर
प्रदेशीय शिक्षक नेता उ.प्र. की ओर से जारी बयान में उ.प्र. सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले में कम से कम 15 दिन का समय दिया जाए जिससे कि हाईस्कूल के अंकों का मामला, जो छात्रहित से जुड़ा हुआ है कहीं से भी अव्यवस्थित न हो।

इनसैट 
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माध्यमिक शिक्षा परिषद के तुगलकी बयान पर भारी असंतोष को देखते हुए शिक्षा विभाग की ओर से मंगलवार की दोपहर बाद दूसरा आदेश जारी हुआ जिसमें 20 तारीख तक हाई स्कूल परीक्षार्थियों का अर्धवार्षिक पेपर प्री बोर्ड परीक्षा अंक विवरण लोड करने को निर्देशित किया गया। 18 तारीख के दोपहर बाद जारी निर्देश  शिक्षकों में कुछ राहत की सांस ली। 

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