कई बार इस बारे में शोध किया गया है कि क्या तनाव डिप्रेशन का कारण है? और इस बात की पुष्टि की गई है कि डिप्रेशन का कारण तनाव ही होता है। तनाव किसी भी प्रकार का हो सकता है। तनाव वाला व्यक्ति हर समय किसी न किसी चिंता में डूबा रहता है। और यह चिंता व्यक्ति को पूर्ण रूप से प्रभावित करती है। चिंता से तात्पर्य है मन में उठ रहे ऐसे विचार जिनको रोक पाना आपके बस में न हो और यह विचार अधिकतर नकारात्मक होते हैं। यह विचार किसी भी बात से जुड़े हुए हो सकते हैं जैसे नौकरी, व्यापार, सम्बन्ध इत्यादि। जब ये विचार दिमाग को अत्यधिक प्रभावित करने लगते हैं तो व्यक्ति मायूस होने लगता है और व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आने लगता है। यह परिवर्तन है:
- चिड़चिड़ा होना
- किसी से बात न करना
- बात-बात पर गुस्सा होना
- भूख न लगना
- अत्यधिक भूख लगना
- बात-बात पर रोना
- किसी से बात न करना
- उदास बैठे रहना
ये सभी लक्षण होते हैं तनाव के, जो धीरे-धीरे अवसाद में परिवर्तित हो जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति को स्वयं में या किसी और में ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं इसका मतलब है कि वह व्यक्ति तनाव का शिकार है। और इसे रोके जाना बहुत ही जरुरी है। तनाव के दौरान व्यक्ति कि चिंता इतनी अधिक बड़ जाती है कि व्यक्ति कभी-कभी आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेता है। और यह डिप्रेशन का बहुत बड़ा लक्षण होता है।
अगर हम बात करें शहरी जीवन की, तो शहरों में लोगों का जीवन बहुत ही व्यस्त है वहाँ लोगों को न तो किसी से बात करने का समय है न ठीक से खाना खाने का। और इन्हीं सबके बीच में व्यक्ति कब तनाव का शिकार हो जाता है वह स्वयं भी नहीं समझ पाता। शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में लगने वाला समय। उसके बाद नौकरी में लगने वाला समय, अगर कोई कार्य गलत हो गया या देर से हुआ तो अपने अधिकारी की डांट ये सब कभी-कभी व्यक्ति को तोड़ कर रख देते हैं। और व्यक्ति तनाव महसूस करने लगता है। अगर यह तनाव निरंतर बना रहता है तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
इसलिए यह कहना गलत नहीं है कि तनाव डिप्रेशन का कारण है। तनाव ही डिप्रेशन को जन्म देता है और तनाव से ही कई प्रकार की बीमारियाँ भी होत्ती हैं जैसे पागलपन। व्यक्ति का दिमाग संतुलित नहीं होता और इस कारण से व्यक्ति कई बार गलत कदम उठा लेता है।
क्या तनाव को रोका जाना संभव है:
जी हाँ तनाव और डिप्रेशन दोनों पर काबू पाया जा सकता है। लेकिन उसके लिए आपको प्रयास स्वयं ही करना होगा। कभी-कभी जब अवसाद बहुत अधिक बढ़ जाता है तो व्यक्ति अपना संतुलन खो बैठता है उस स्थिति से निकलने के लिए उसे किसी न किसी कि आवश्यकता होती है। तो अगर आप या आपका करीबी तनाव और अवसाद की स्थिति में हैं तो उस पर ध्यान दें। इसे रोकने का प्रयास करें तभी आप इस जीवन में खुशियाँ बटोर पाएंगे और परेशानियों से खुद को बचा पाएंगे।
खुश रहना सीखें:
दुनिया में कई प्रकार की परेशानियाँ आती हैं और जाती है लेकिन इन परेशानियों के कारण जीवन चलना बंद नहीं हो जाता। व्यक्ति में इन परेशानियों का सामना करने की हिम्मत होना बहुत ही जरुरी है। अगर व्यक्ति खुश रहना सीख जाये तो कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो व्यक्ति आसानी से उस समस्या का समाधान निकाल सकता है। इसलिए व्यक्ति को खुश रहना सीख लेना चाहिए यह उसके जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत सहायक होगा।
योग को अपनाएं:
योग एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा बड़े से बड़े रोगों को दूर किया जा सकता है। तनाव जैसे तत्वों को दूर करने के लिए योग से अच्छा निदान और कोई नहीं है। व्यक्ति चाहे तो योग से स्वयं को पूर्णतः बदल सकता है। योग से जीवन में कई प्रकार के बदलाव आते हैं जैसे व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से संतुलित रहता है, व्यक्ति खुश रहता है, एकाग्रता बढ़ती है इत्यादि।
मैडिटेशन:
दिमाग की शांति के लिए मैडिटेशन को सर्वोच्च माना गया है। अगर व्यक्ति मैडिटेशन करता है तो तनाव को दूर किया जाना संभव है। तनाव और डिप्रेशन को दूर करने के लिए मैडिटेशन भी एक उम्दा उपचार है इससे मानसिक स्थिरता आती है। व्यक्ति को मानसिक शांति और एकाग्रता की बहुत आवश्यकता होती है जिससे व्यक्ति तनाव का शिकार नहीं होता और किसी भी समस्या को आसानी से हल कर लेता है।
सामाजिक कार्यों में बने रहना:
सामाजिक होना मतलब सोशल होना बहुत ही जरुरी है। अगर व्यक्ति सामाजिक कार्यों में नहीं है तो भी व्यक्ति का उदास होना संभव है। लोगों के साथ घुलने मिलने से व्यक्ति को ख़ुशी मिलती है। अगर व्यक्ति किसी के साथ घुलता मिलता नहीं है तो व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है और इसी वजह से वह वेवजह की चिंता में खोया रहता है।
इस प्रकार से तनाव और डिप्रेशन को रोका जाना संभव है। तनाव को रोकने के लिए व्यक्ति को ख़ुशी वाले कार्य करने चाहिए। व्यक्ति को ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे वह खुश रह सके। तभी जाकर व्यक्ति तनाव को रोक पायेगा और अगर तनाव को रोक लिया जाये तो डिप्रेशन पर अपनेआप ही नियंत्रण पाया जा सकता है। लेकिन अगर व्यक्ति तनाव में होता है तो व्यक्ति कि स्थिति दिनोदिन गंभीर होती जाती है जिसे रोकना बहुत ही जरुरी होता है क्योंकि कई बार यह स्थिति व्यक्ति के लिए जानलेवा भी साबित होती है।
डिप्रेशन में होने के कारण व्यक्ति अजीब सी हरकतें करता है जैसे खुद को थप्पड़ मारना या आत्महत्या का प्रयास करना इत्यादि। पहले अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करता था तो उसके लिए कड़ी सजा होती थी लेकिन अब पहले व्यक्ति की मानसिक स्थिति को देखा जाता है उसके बाद ही वह इस प्रकार की किसी सजा का पात्र होता है। और अगर व्यक्ति तनाव या डिप्रेशन में है तो उस व्यक्ति का इलाज करवाया जाता है। डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है जिसका इलाज करवाना चाहिए।
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