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हिंदू धर्म में क्यों कहा जाता है गाय को माता?

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हिंदू धर्म इसलिए भी महान माना जाता है क्योंकि इसकी परंपराओं में जीव जंतुओ और वनस्पतियों को पूज्यनीय स्थान दिया गया है। पशुओं में गाय को हिंदू  धर्म में सबसे पवित्र पशु माना जाता है। और इसे माता कहकर सम्मान दिया जाता है। हमारे पौराणो में भी गाय की महता गाई गई है।
क्यों माना जाता है, गाय को पवित्र ?

पौराणिक महत्व
हिंदू धर्म के पौराणिक वर्णन के अनुसार सबसे पहले संसार में गाय की एक ही प्रजाति थी गुरु वशिष्ट नें गाय की प्रजातियों का विकास किया और नई प्रजातियां भी बनाई गई। उस वक्त गाय की लगभग 10 प्रजातियां थी। जिनमें कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी आदि कुछ खास नाम है। इनमें से कामधेनू गाय को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। कहा जाता है की इसके लिए गुरु वशिष्ट नें कई बार युद्ध किए मगर ये गाय किसी को नही दी।

पारंपरिक महत्व
प्राचीन समय से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और कृषि कार्यों में गाय से बढ कर कोई साथी नही हो सकती थी। किसान गायों को पालते थे जिनसे उन्हे दूध, घी, मक्खन आदि प्राप्त होता था। और साथ ही इसके बछड़े बड़े होकर हल को खीचने में काम आते थे। बैलो का प्रयोग खेतो में हल चलाने, रहट चलाने और सवारी गाड़ी खीचने में किया जाता था। प्राचीन काल में गाय को समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता था।

धार्मिक महत्व
धर्म कर्म पूजा अराधना में भी गाय का बड़ा महत्व माना जाता था। प्राचीन काल में होने वाले यज्ञ, हवन और पूजा पाठ में गाय के घी का प्रयोग करना काफी लाभदायक माना जाता था। गौ सेवा को एक धार्मिक क्रिया कलाप के रुप में अपनाने की हिंदु धर्म की प्राचीन परंपरा रही है। गाय को घर में रखना शुभ होता था और इसके साथ साथ समृद्ध व्यक्ति ब्राह्मणों को गाय दान देकर पून्य कमाने का काम भी करते थे। गौ दान का महत्व हमारे पौराणिक और ऐतिहासिक पुस्तकों में खूब दर्शाया गया है।

वैज्ञानिक महत्व
धार्मिक होने के साथ साथ गाय का हर उत्पाद स्वास्थकारी और लाभ प्रद होता है। गाय का दूध और इससे बने उत्पाद स्वास्थ्य के लिए बड़े लाभकारी सिद्ध होते हैं। साथ ही इनका इस्तेमाल कई प्रकार की बिमारियों के ईलाज के लिए भी किया जाता है। गाय के दूध के अलावा इसका मूत्र कई तरह की आयुर्वेदिक दवाओं मे काम आता है। साथ ही गाय का गोबर खेती में सबसे उपयुक्त खाद के रुप में तो काम आता ही है साथ ही इसका इस्तेमाल भी कई प्रकार की औषधियों में किया जाता है। इसमें चर्म रोगो से लड़ने का एक विशेष गुण होता है।

गाय कि नस्लें
वर्तमान मे भारत में गाय की लगभग 28 प्रजातियां पाई जाती है, मगर इनमें से सबसे श्रेष्ठ देसी और साहीवाल नस्ल की गायों का माना जाता है, क्योंकि वैज्ञानिख शौधों के हिसाब से इनका दूध को ए-2 श्रेणी का माना गया है जो कई प्रकार के रोगो को भगाने का काम करता है।
गउ सेवा  का महत्व

गउ सेवा को हिंदु धर्म में काफी महत्व दिया गया है। लोग अपने अपने तरीके से गउ की सेवा करते हैं, कोई घर में पाल कर तो कोई गउशालाएं खोल कर। इसके अलावा हिंदु धर्म में सबसे पहले गाय की रोटी सेकी जाती है। और उसे आदर एवं सम्मान के साथ गाय को खिलाया जाता है। गाय को घर में रखना और इसकी सेवा करना सिर्फ धार्मिक ही नही बल्कि वैज्ञानिक दृष्टी से भी उत्तम है।

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