यह कहानी है ग्रीस के एक राजा मिडास की। वह बड़ा लालची था। उसका सबसे प्रिय काम था, जयादा से ज्यादा सोना जमा करना और उन्हें गिनते रहना। वह बड़े से महल में रहता था, पर उसे और ज्यादा बड़ा महल चाहिए था। ढेर सारे नौकर-चाकर थे, पर और नौकर चाहिए थे। और उसकी एक प्यारी सी बेटी थी, जिससे वह सबसे ज्यादा प्यार करता था। उसके महल के आगे एक सुन्दर सा बगीचा था। उसकी बेटी को उस बगीचे में खेलना-कूदना बहुत पसंद था। सुन्दर-2 फल-फूल उसे बहुत अच्छे लगते थे। पर मिडास उन्हें देखकर सोचता कि ये सब सोने के होते तो कितना अच्छा होता। दिन का ज्यादा समय वह अपने खजाने में ही बीतता और सोचता रहता कि किसी तरह उसे और ज्यादा खजाना मिल जाये।
एक दिन उसके सामने एक देवता प्रकट हो गए । उन्होंने पुछा, “मिडास, इतना सबकुछ तो है तुम्हारे पास, फिर तुम दुखी क्यों रहते हो?”
“क्योंकि मैं और ज्यादा पाना चाहता हूँ ।” मिडास ने हाथ जोड़कर कहा।
“ठीक है, फिर माँगो तुम्हे क्या चाहिए?” देवता ने फिर पुछा ।
देवता की बात सुनकर मिडास बहुत खुश हुआ। वह सोचने लगा कि वह देवता से ऐसा क्या मांगे जिस से कि उसे ज्यादा से ज्यादा फायदा हो। थोड़ी देर दिमाग के घोड़े दौड़ाने के बाद बोला, “मुझे तो बहुत ज्यादा चाहिए। क्या ऐसा हो सकता है कि मेरे छूने से कोई सामान सोने में बदल जाए? तब मैं बहुत सारा सोना जमा कर लूँगा।”
“बिल्कुल हो सकता है। अगर तुम्हे यही चाहिए तो ठीक है। कल सुबह सोकर उठने के बाद, तुम जो कुछ स्पर्श करोगे, वह सोने में बदल जायेगा।” देवता ने कहा और गायब हो गए।
मिडास को अपने कानों पर और अभी-2 उसने जो देखा, उस पर यकीन नहीं हो रहा था।एक देवता उसे इतना बड़ा वरदान देकर गए थे ! उसे इतनी उत्तेजना हो रही थी कि रात में उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे लग रहा था कि कब सवेरा हो और वह हर चीज़ को छू-चुकार सोने का बना दे। सोने का महल, सोने का बगीचा, सबकुछ चारों तरफ सोने का होगा, वह दुनिया में सबसे अमीर बन जायेगा। यह सब सपना देखते हुए आखिरकार वह सो गया। सुबह आँख खुली तो देवता की बात उसे याद आ गयी। वह उठने लगा तो उसका पलंग सोने का बन गया। यह देखकर वह ख़ुशी से उछाल पड़ा। वह दौड़-दौड़कर अपने कमरे में रखी हर चीज़ छूने लगा और पल भर में वह चीज़ सोने में बदलकर जगमगाने लगती। वह पागल जैसा हो गया, कमरे के बाहर दौड़ा और हर चीज़ को छु-छु कर सोने का बनाने लगा। उसका पूरा महल सोने का हो गया। वह ख़ुशी से ज़ोर-ज़ोर से ठहाका लगाने लगा, “मैं बन गया दुनिया का सबसे अमीर आदमी!” फिर वह बगीचे की तरफ दौड़ा, और वहाँ भी उसने सारे फूल, पत्ते, पेड़, पौधे, पूरा बगीचा सोने का बना दिया।
इतनी भागा दौड़ी में उसे तेज़ भूख लग गयी। वह महल के अंदर दौड़ा खाना खाने के लिए। खाने की मेज़ पर तरह-तरह के पकवान सजे थे। जल्दी से कुछ अंगूर उठाकर उसने अपने मुँह में डाला। पर, यह क्या उसके मुँह में तो सोने के अंगूर थे! उसके दाँत टूटते-टूटते बचे। वह जो कुछ भी खाने की कोशिश करता वह सोने में बदल जाती और वह खा नहीं पा रहा था। फिर उसने पानी पीने की कोशिश की तो जैसे उसके मुँह में पिघला हुआ सोना था, उसे तुरंत बहार फेंकना पड़ा और दुखी होकर बैठ गया कि अब वह खाना कैसे खाये? तभी बहार से उसकी बेटी रोती हुई आयी, “पिताजी-2, मेरा प्यारा सुन्दर बगीचा पूरा बर्बाद हो गया। फूल-पत्ते अब रंग-बिरंगे और खुशबूदार नहीं हैं, सबकुछ पीला और सख्त है।” यह कहती हुई वह रोते-२ आयी और मिडास के गले आ लगी। वह कुछ बोल पाटा इस से पहले ही उसकी प्यारी बेटी उसकी आँखों के सामने बन गयी सोने की।
यह देखकर मिडास फूट-फूटकर रोने लगा और चीखते हुए बोला, “हे देवता ! मुझे यह वरदान नहीं चाहिए। कृपा कर के, यह वरदान वापस ले लो।” इस तरह से वह बहुत देर तक रोता रहा और देवता को याद करता रहा। देवता फिर से उसके सामने प्रकट हुए और उसे उसके महल के पास वाली नदी में जाकर नहाने के लिए कहा । नहाते वक़्त जादू उसकी हाथों से बहकर नदी के पानी में जा मिला, और वह जादू से मुक्त हो गया।
वापस जब वह अपने बगीचे में आया तो उसे यह देखकर बड़ी ख़ुशी हुई कि सबकुछ पहले जैसा हो गया था। उसकी जीती-जागती बेटी उसे अंदर से आती नज़र आयी तो उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए। उसने सबक सीख लिया था कि लालच बहुत बुरी बला है और यह भी कि रंगबिरंगी दुनिया और प्यार सोने से कहीं अधिक मूल्यवान है।
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