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मंगलवार व्रत कथा

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सुख-सम्पत्ति, यश और संतान प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का व्रत उन्हें करना चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह निर्बल हो और जिसके चलते वह शुभ फल नहीं दे रहा हो।

मंगलवार व्रत की कथा इस प्रकार से है। प्राचीन समय में ऋषिनगर में केशवदत्त ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था। केशवदत्त को धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। सभी लोग केशवदत्त का सम्मान करते थे, लेकिन कोई संतान नहीं होने के कारण केशवदत्त बहुत चिंतित रहा करता था। पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से दोनों पति-पत्नी प्रत्येक मंगलवार को मंदिर में जाकर हनुमानजी की पूजा करते थे। विधिवत मंगलवार का व्रत करते हुए उन लोगों को कई वर्ष बीत गए, पर उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। केशवदत्त बहुत निराश हो गए, लेकिन उन्होंने व्रत करना नहीं छोड़ा. कुछ दिनों के पश्चात् केशवदत्त पवनपुत्र हनुमानजी की सेवा करने के लिए अपना घर-बाड़ छोड़ जंगल चला गया और उसकी धर्मपत्नी अंजलि घर में ही रहकर मंगलवार का व्रत करने लगी। इस प्रकार से दोनों पति-पत्नी पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से मंगलवार का विधिवत व्रत करने लगे।

एक दिन अंजलि ने मंगलवार को व्रत रखा लेकिन किसी कारणवश उस दिन वह हनुमानजी को भोग नहीं लगा सकी और सूर्यास्त के बाद भूखी ही सो गई। तब उसने अगले मंगलवार को हनुमानजी को भोग लगाये बिना भोजन नहीं करने का प्रण कर लिया। छः दिन तक वह भूखी-प्यासी रही। सातवें दिन मंगलवार को अंजलि ने हनुमानजी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की, लेकिन तभी भूख-प्यास के कारण वह बेहोश हो गई। अंजलि की इस भक्ति को देखकर हनुमानजी प्रसन्न हो गए और उसे स्वप्न देते हुए कहा- उठो पुत्री, मैं तुम्हारी पूजा से प्रसन्न हूं और तुम्हें सुन्दर और सुयोग्य पुत्र होने का वर देता हूं। यह कहकर पवनपुत्र अंतर्धान हो गए। तब तुरंत ही अंजलि ने उठकर हनुमानजी को भोग लगाया और स्वयं भी भोजन किया।

हनुमानजी की अनुकम्पा से कुछ महीनों के बाद अंजलि ने एक सुन्दर बालक को जन्म दिया। मंगलवार को जन्म लेने के कारण उस बच्चे का नाम मंगलप्रसाद रखा गया। कुछ दिनों के बाद केशवदत्त भी घर लौट आया। उसने मंगल को देखा तो अंजलि से पूछा- यह सुन्दर बच्चा किसका है? अंजलि ने खुश होते हुए हनुमानजी के दर्शन देने और पुत्र प्राप्त होने का वरदान देने की सारी कथा सुना दी, लेकिन केशवदत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसके मन में यह कलुषित विचार आ गया कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है और अपने पापों को छिपाने के लिए झूठ बोल रही है।

केशवदत्त ने उस बच्चे को मार डालने की योजना बनाई। एक दिन केशवदत्त स्नान करने के लिए कुएं पर गया, मंगल भी उसके साथ था। केशवदत्त ने मौका देखकर मंगल को कुएं में फेंक दिया और घर आकर बहाना बना दिया कि मंगल तो कुएं पर मेरे पास पहुंचा ही नहीं। केशवदत्त के इतने कहने के ठीक बाद मंगल दौड़ता हुआ घर लौट आया। केशवदत्त मंगल को देखकर बुरी तरह हैरान हो उठा। उसी रात हनुमानजी ने केशवदत्त को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर पुत्रजन्म का वर मैंने प्रदान किया था, फिर तुम अपनी पत्नी को कुलटा क्यों समझते हो। उसी समय केशवदत्त ने अंजलि को जगाकर उससे क्षमा मांगते हुए स्वप्न में हनुमानजी के दर्शन देने की सारी कहानी सुनाई।  केशवदत्त ने अपने बेटे को ह्रदय से लगाकर बहुत प्यार किया। उस दिन के बाद सभी आनंदपूर्वक रहने लगे।

मंगलवार का विधिवत व्रत करने से केशवदत्त और उनके परिवार के सभी कष्ट दूर हो गए। इस तरह जो स्त्री-पुरुष विधिवत रूप से मंगलवार के दिन व्रत रखते हैं और व्रत कथा सुनते हैं, अंजनिपुत्र हनुमानजी उनके सभी कष्टों को दूर करते हुए उनके घर में धन-संपत्ति का भण्डार भर देते हैं और शरीर के सभी रक्त विकार के रोग भी नष्ट हो जाते हैं।

मंगलवार व्रत की विधि -
यह व्रत कम से कम लगातार 21 मंगलवार तक किया जाना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें। उसके बाद घर के ईशान कोण में किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस दिन लाल कपड़े पहनें और हाथ में पानी ले कर व्रत का संकल्प करें। हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान पर फूल माला या फूल चढ़ाएं।

फिर रुई में चमेली के तेल लेकर बजरंगबली के सामने रख दें या मूर्ति पर तेल के हलके छीटे दे दें। इसके बाद मंगलवार व्रत कथा पढ़ें। साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। फिर आरती करके सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर, खुद भी लें। दिन में सिर्फ एक पहर का भोजन लें। अपने आचार-विचार शुद्ध रखें। शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें। इस व्रत में गेहूं और गुड़ का ही भोजन करना चाहिये। एक ही बार भोजन करें। नमक नहीं खाना है। लाल पुष्प चढ़ायें और लाल ही वस्त्र धारण करें।

मंगलवार व्रत उद्यापन -
21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22 वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करके उन्हें चोला चढ़ाएं। फिर 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें।

मंगलवार व्रत का महत्व -
इस व्रत से कुंडली का मंगल ग्रह शुभ फल देने वाला होता है। मंगलवार व्रत से हनुमान जी की अशीम कृपा मिलती है। यह व्रत सम्मान, बल, साहस और पुरुषार्थ को बढ़ाता है। संतान प्राप्ति के लिए भी है यह व्रत बहुत लाभकारी है। इस व्रत के फलस्वरूप पापों से मुक्ति मिलती है। जो यह व्रत करते हैं उन पर भूत-प्रेत, काली शक्तियों का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

मंगलवार व्रत के नियम -
  • मंगलवार का व्रत करने वाले व्यक्ति को मंगलवार के व्रत वाले दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
  • नित्यक्रिया से निवृत होकर स्नान आदि कर अपना शुद्धि कारण करना चाहिए।
  • मंगलवार दिन लाल रंग और नारंगी रंग के साफ़ व् स्वच्छ वस्त्र धारण करना।
  • तत्पश्चात हनुमानजी को लाल फूल, सिन्दूर, वस्त्रादि चढ़ाने चाहिए।
  • श्रद्धा- भक्ति पूर्वक हनुमान जी की मूर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर सुंदरकांड का पाठ या हनुमान चालीसा पढ़नी चाहिए।
  • संध्या के समय हनुमान जी को बेसन के लड्डु या खीर का भोग लगाना चाहिए और स्वयं बिना नमक का भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • मगलवार व्रत कथा पूरी तरह साफ सुथरा होना चाहिए ।
  • मंगलवार के दिन मंगलवार का व्रत करने वाले सभी मनुष्य को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
आरती:-
आरती कीजै हनुमान लला की।  दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।। 

जाके बल से गिरवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। 
अंजनी पुत्र महा बलदाई । सन्तन के प्रभु सदा सुहाई ।। 

दै बीड़ा रघुनाथ पठाये । लंका जारि सिय सुधि लाये ।। 
लंका सी कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार ना लाई।। 

लंका जारि असुर संहारे । सिया राम के काज संवारे ।। 
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे।  लाये संजीवन प्राण उबारे ।। 

पैठि पाताल तोरि यम कारे ।  अहिरावन की भुजा उखारे ।। 

बाये भुजा असुर संहारे । दाहिने भुजा संत जन तारे ।। 
सुर नर मुनि आरती उतारे । जै जै जै हनुमान उचारें ।। 

कंचन थार कपूर जलाई। आरति करत अंजना माई ।। 
जो हनुमान जी की आरती गावै ।  बसि बैकुंठ परमपद पावै ।। 

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