गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

पत्रकारिता क्या है!

Image SEO Friendly

पत्रकारिता क्या है ? पत्रकारिता समाचारो और सूचनाओ को एकत्र करने,आकलन करने,बनाने और प्रस्तुत करने की गतिविधि है। निश्चित पहचान योग्य विशेषताओ और प्रथाओ द्वारा पत्रकारिता को अन्य गतिविधियो और उत्पादो से अलग किया जा सकता है। यह तत्व  न केवल संचार के अन्य रूपो से पत्रकारिता को अलग करते है। जो इसे लोकतान्त्रिक समाजो के लिए अपरिहार्य बनाते है। इतिहास बताता है कि एक समाज जितना अधिक लोकतान्त्रिक होता है। उतनी ही अधिक खबरे और सूचनाएं उसके पास होती है। 

पत्रकारिता क्या है ? पत्रकारिता सभी माध्यमो प्रिन्ट और नान-प्रिन्ट के लिए समाचार संम्बन्धी विषयो के बारे में लिखने का कार्य है। यह जानकारी लेने और इसके  माध्यम से सथानांतरित करने,जानकारी संपादित करने और इसे संदर्भ देने की भी जटिल प्रक्रिया है। पत्रकार हमेशा चयन और प्रस्तुति में शामिल होता है। जिसे वह उललेखनीय मानता है और रिर्पोर्टिग में सच्चाई और इमानदारी के मानक को पूरा करता है। 

पत्रकारिता क्या है! पत्रकारिता राजनीति और सार्वजनिक मामलो की कछिन खबरो से लेकर नरम पक्ष तक सब कुछ जीवन शैली संदेश,चिकित्सा,मौसम,विज्ञान,शिक्षा और बहुत कुछ वितरित करती है। 

पत्रकारिता क्या है! पत्रकारिता की प्रक्रिया के कई चरण है जो स्थानीय,राष्ट्रीय,या विश्व समुदाय से समाचार एकत्र करने के साथ शुरू होते है। इनमें रेडियो और टेलीविजन,समाचार पत्र और पत्रिकाएं और इन्टरनेट शामिल है। 

पत्रकारिता क्या है ? वैश्विक आबादी का अधिकांश भाग पत्रकारिता पर निर्भर करता है। पत्रकार,समाज का आंख,और कान होता है। एक बात निश्चित है। पत्रकारिता एक विस्तार का पेशा है। 

तो आज हम जानगें कि पत्रकारिता क्या है ? आध्ुानिक भारतीय पत्रकारिता के जनक कौन थे ? हिन्दी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है ? पत्रकारिता का अर्थ ? पत्रकारिता की भाषा ? पत्रकारिता के प्रकार ? पत्रकारिता का स्वरूप ? पत्रकारिता के क्षेत्र ? पत्रकारिता के सिद्धान्त ? पत्रकारिता का उद्देश्य ? पत्रकारिता का महत्व ? आदि। 

भारतीय पत्रकारिता के जनक कौन है ?

Image SEO Friendly
भारतीय पत्रकारिता  के जनक या संस्थापक राजा राममोहन राय है। इनका जन्म 22 मई सन् 1772 ई0 में बंगाल के एक धार्मिक ब्राम्हण परिवार में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा बांग्ला भाषा में हुई थी। इनके पिता फारसी भाषा के विद्वान थे। इन्होने फारसी भाष का ज्ञान अपने पिता के माध्यम से प्राप्त किया। साथ ही अरबी व अग्रेजी भाष का भी ज्ञान प्राप्त किया। मां के अनुरोध पर संस्कृत सीखी। इय प्रकार लगभग सात प्रकार की देशी-विदेशी भाषाओ के जानकार थे। 

 राजा राममोहन राय ऐसे पहले भारतीय थे। जिन्होने समाचार पत्रो की स्थापना,संपादन तथा प्रकाशन का कार्य किया। इन्होने अग्रेजी,बा्रंग्ला तथा उर्दू में अखबार निकाले। राजा राममोहन राय को स्वतंन्त्र पत्रकारिता का जनक भी कहा जाता है। राजा राममोहन राय ने धार्मिक एवं समाजिक विचारो के प्रसार के लिए 20 अगस्त सन् 1828 ईसवी में कलकत्ता में ब्रम्ह समाज की स्थापना की। 

हिन्दी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है ?
हिन्दी पत्रकारिता दिवस 30 मई को मनाया जाता है। 30 मई 1826 में,पंडित युगल किशोर शुक्ला ने पहले हिन्दी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड का प्रकाशन और संपादन शुरू किया। इस प्रकार,भारत में हिन्दी पत्रकारिता की नींव पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने रखी। उदंत र्मार्तण्ड  कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में आरंम्भ हुआ था।  उस समय अग्रेजी,फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र प्रकाशित हो रहे थे। लेकिन हिन्दी में एक भी पत्र प्रकाशित नही होता था। तब उदंत मार्तण्ड का प्रकाशन शुरू हुआ। शुरूआती दौर में इसकी केवल 500 प्रतियां ही छपा हुआ थ। नलेकिन यह समाचार पत्र ज्यादा दिन तक नही चल सका। 4 दिसम्बर 1826 को इसका प्रकाशन बंद हो गया। 

पत्रकारिता का अर्थ ?
पत्रकारिता मुख्य रूप से समाचार पत्र से सम्बन्धित है। समाचार शब्द के चार अक्षरो का उपयोग चारो दिशाओ में समाचार को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। 

  •     N: North - पूर्व- 
  •     E: EAST - पश्चिम-
  •     W: WEST- उत्तर-
  •     S : SOUTH - दक्षिण-

खबर शब्द सूचना के अर्थ में ही फाारसी समाचार को इगिंत करती है। खबर का बहुवचन अखबार बहुत सारी दिशाओ की सूचना का संकलन है। दैनिक जीवन और समाज के बदलते रूपो और उसमें होने वाली घटनाओ की जानकारी अखबार से प्राप्त की जाती है। अखबार वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की घटनाओ के बारे में भी जानकारी को दर्शाता है। एक विद्वान ने कहा कि-समाचार एक आसाधारण घटना तत्काल जानकारी को संदर्भित करता है। जिसके बारे में लोग पहले  से कुछ भी नही जानते है। लेकिन जिसे तुरन्त ही जानने की ज्यादा से ज्यादा लोगो में रूचि हो। वह समाचार पत्र कहलाता है। 

यदि हम इसे सार रूप में देखे तो समाचार-पत्र वह है। जिससे समाज और मनुष्य के जीवन के एक बडे भाग का लेखा-जोखा हो, जो किसी स्थान विशोष से नियत अवधि और मूल्य में प्रकाशित हो। इसके विषय समाचार,राजनीति,खेल,वाणिज्य,बच्चे,महिलाएं,कृषि व समाज आदि होते है। उपर्युक्त समग्र रूपो का मिला जुला संग्रह ही पत्रकारिता है। 

पत्रकारिता की परिभाषा- 
पत्रकारिता शब्द अंग्रेजी के जर्नलिज्म का हिंदी रूपांतर है। शब्दार्थ की दृष्टि से जर्नलिज्म शब्द जर्नल से निर्मित है और इसका आशय है दैनिक। अर्थात जिसमें दैनिक कार्यों व सरकारी बैठकों का विवरण हो। आज जर्णल शब्द मैगजीन का द्योतक हो चला है। यानी, दैनिक, दैनिक समाचार-पत्र या दूसरे प्रकाशन, कोई सर्वाधिक प्रकाशन जिसमें किसी विशिष्ट क्षेत्र के समाचार हो। ( डॉ॰ हरिमोहन एवं हरिशंकर जोशी- खोजी पत्रकारिता, तक्षशिला प्रकाशन ) पत्रकारिता लोकतंत्र का अविभाज्य अंग है। प्रतिपल परिवर्तित होनेवाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता द्वारा ही संभंव है। परिस्थितियों के अध्ययन, चिंतन-मनन और आत्माभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही पत्रकारिता को जन्म दिया। 

सी. जी. मूलर ने बिल्कुल सही कहा है कि-
सामायिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। इसमें तथ्यों की प्राप्ति उनका मूल्यांकन एवं ठीक-ठाक प्रस्तुतीकरण होता है।

डॉ॰ अर्जुन तिवारी के कथानानुसार-
ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारों के कार्यो, कर्तव्यों और लक्ष्यों का विवेचन होता है। पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है।

डॉ बद्रीनाथ कपूर के अनुसार - 
पत्रकारिता पत्र पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख एकत्रित तथा संपादित करने, प्रकाशन आदेश देने का कार्य है । 

हिंदी शब्द सागर के अनुसार- 
पत्रकार का काम या व्यवसाय पत्रकारिता है। 

श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी के अनुसार- 
पत्रकारिता विशिष्ट देश, काल और परिस्थिति के आधार पर तथ्यों का, परोक्ष मूल्य का संदर्भ प्रस्तुत करती है । 
टाइम्स पत्रिका के अनुसार-
पत्रकारिता इधर-उधर उधर से एकत्रित, सूचनाओं का केंद्र, जो सही दृष्टि से संदेश भेजने का काम करता है, जिससे घटनाओं का सहीपन को देखा जाता है। 

डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र के अनुसार- 
पत्रकारिता वह विद्या है जिसमें पत्रकारों के कार्यों, कर्तव्यों, और उद्देश्यों का विवेचन किया जाता हैद्य जो अपने युग और अपने संबंध में लिखा जाए वह पत्रकारिता है। 

डॉ भुवन सुराणा के अनुसार-
पत्रकारिता वह धर्म है जिसका संबंध पत्रकार के उस धर्म से है जिसमें वह तत्कालिक घटनाओं और समस्याओं का अधिक सही और निष्पक्ष विवरण पाठक के समक्ष प्रस्तुत करता है।

उपरोक्त परिभाषाएं के आधार पर हम कह सकते हैं कि पत्रकारिता जनता को समसामयिक घटनाएं वस्तुनिष्ठ तथा निष्पक्ष रुप से उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण कार्य है । सत्य की आधार शीला पर पत्रकारिता का कार्य आधारित होता है तथा जनकल्याण की भावना से जुड़कर पत्रकारितासामाजिक परिवर्तन का साधन बन जाता है। 

पत्रकारिता का स्वरूप और विशेषतायें-
सामाजिक सरोकारों तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर ही पत्रकारिता सार्थक बनती है। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा पाया (स्तम्भ) भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं हासिल किया है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्त्व को देखते हुए समाज ने ही दर्जा दिया है। कोई भी लोकतंत्र तभी सशक्त है जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे। सार्थक पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी की भूमिका अपनाये।

पत्रकारिता के इतिहास पर नजर डाले तो स्वतंत्रता के पूर्व पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य था। स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलन और स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारिता ने अहम और सार्थक भूमिका निभाई। उस दौर में पत्रकारिता ने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने के साथ-साथ पूरे समाज को स्वाधीनता की प्राप्ति के लक्ष्य से जोड़े रखा।

इंटरनेट और सूचना के आधिकार (आर.टी.आई.) ने आज की पत्रकारिता को बहुआयामी और अनंत बना दिया है। आज कोई भी जानकारी पलक झपकते उपलब्ध की और कराई जा सकती है। मीडिया आज काफी सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। पत्रकारिता की पहुँच और आभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यापक इस्तेमाल आमतौर पर सामाजिक सरोकारों और भलाई से ही जुड़ा है, किंतु कभी कभार इसका दुरपयोग भी होने लगा है।

संचार क्रांति तथा सूचना के आधिकार के अलावा आर्थिक उदारीकरण ने पत्रकारिता के चेहरे को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। विज्ञापनों से होनेवाली अथाह कमाई ने पत्रकारिता को काफी हद्द तक व्यावसायिक बना दिया है। मीडिया का लक्ष्य आज आधिक से आधिक कमाई का हो चला है। मीडिया के इसी व्यावसायिक दृष्टिकोन का नतीजा है कि उसका ध्यान सामाजिक सरोकारों से कहीं भटक गया है। मुद्दों पर आधारित पत्रकारिता के बजाय आज इन्फोटेमेंट ही मीडिया की सुर्खियों में रहता है।

इंटरनेट की व्यापकता और उस तक सार्वजनिक पहुँच के कारण उसका दुष्प्रयोग भी होने लगा है। इंटरनेट के उपयोगकर्ता निजी भड़ास निकालने और अतंर्गततथा आपत्तिजनक प्रलाप करने के लिए इस उपयोगी साधन का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं। यही कारण है कि यदा-कदा मीडिया के इन बहुपयोगी साधनों पर अंकुश लगाने की बहस भी छिड़ जाती है। गनीमत है कि यह बहस सुझावों और शिकायतों तक ही सीमित रहती है। उस पर अमल की नौबत नहीं आने पाती। लोकतंत्र के हित में यही है कि जहाँ तक हो सके पत्रकारिता हो स्वतंत्र और निर्बाध रहने दिया जाए, और पत्रकारिता का अपना हित इसमें है कि वह आभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग समाज और सामाजिक सरोकारोंके प्रति अपने दायित्वों के ईमानदार निवर्हन के लिए करती रहे।

पत्रकारिता के प्रकार-
Image SEO Friendly
आज पत्रकारिता केवल समाचार पत्रो तक सीमित नही है,बदलते समय के साथ,इसक विस्तार जनसंचार के नए और आधुनिक क्षेत्र में हुआ है। आज,देश की विभिन्न समस्याएं,समाज और मनुष्य की प्रगति,विकास की योजनाएं,आदि के लिए पत्रकारिता प्रभावी हो रही है। उसी के अनुरूप पत्रकारिता के रूझाान एवं प्रकारो में भी बदलाव आया है। 21 वी-सदी चुनौती के अनुरूप कुछ प्रभावी रूप निम्नलिखित प्रकार से है।-

खोजी पत्रकारिता-
मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। उसे वह सब जानना अच्छा लगता है जो सार्वजनिक नहीं हो अथवा जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही हो। मनुष्य यदि पत्रकार हो तो उसकी यही कोशिश रहती है कि वह ऐसी गूढ़ बातें या सच उजागर करे जो रहस्य की गहराइयों में कैद हो। सच की तह तक जाकर उसे सतह पर लाने या उजागर करने को ही हम अन्वेषी या खोजी पत्रकारिता कहते हैं।

खोजी पत्रकारिता एक तरह से जासूसी का ही दूसरा रूप है जिसमें जोखिम भी बहुत है। यह सामान्य पत्रकारिता से कई मायनों में अलग और आधिक श्रमसाध्य है। इसमें एक-एक तथ्य और कड़ियों को एक दूसरे से जोड़ना होता है तब कहीं जाकर वांछित लक्ष्य की प्राप्ति होती है। कई बार तो पत्रकारों द्वारा की गई कड़ी मेहनत और खोज को बीच में ही छोड़ देना पड़ता है, क्योंकि आगे के रास्ते बंद हो चुके होते हैं। पत्रकारिता से जुड़ी पुरानी घटनाओं पर नजर दौड़ायें तो माई लाई कोड, वाटरगेट कांड, जैक एंडर्सन का पेंटागन पेपर्स जैसे आंतरराष्ट्रीय कांड तथा सीमेंट घोटाला कांड, बोफोर्स कांड, ताबूत घोटाला कांड तथा जैसे राष्ट्रीय घोटाले खोजी पत्रकारिता के चर्चित उदाहरण हैं। ये घटनायें खोजी पत्रकारिता के उस दौर की हैं जब संचार क्रांति, इंटरनेट या सूचना का आधिकार (आर.टी.आई) जैसे प्रभावशाली अस्त्र पत्रकारों के पास नहीं थे। इन प्रभावशाली हथियारों के आस्तित्व में आने के बाद तो घोटाले उजागर होने का जैसे एक दौर ही शुर हो गया हाल के कुछ चर्चित घोटालों में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, आदर्श घोटाला, ताज कारीडोर घोटाला आदि उल्लेखनीय हैं। जाने-माने पत्रकार जुलियन असांज के ‘विकीलिक्स’ ने तो ऐसे-ऐसे रहस्योद्घाटन किये जिनसे कई देशों की सरकारें तक हिल गई।

इंटरनेट और सूचना के आधिकार ने पत्रकारों और पत्रकारिता की धार को अत्यंत पैना बना दिया लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि पत्रकारिता की आड़ में इन हथियारों का इस्तेमाल ’ब्लैकमेलिंगश् जैसे गलत उद्देश्य के लिए भी होने लगा है। समय-समय पर हुये कुछ ’स्टिंग ऑपरेशनश् और कई बहुचर्चित सी. डी. कांड इसके उदाहरण हैं।

स्टिंग पत्रकारिता के संदर्भ में फोटो जर्नलिज्म या फोटो पत्रकारिता से जुड़े जासूसों जिन्हें पापारात्सी कहते हैं, की चर्चा भी जरूरी है। प्रिंसेस डायना की मौत के जिम्मेदार ’पैदराजा ही थे। समाज की बेहतरी और उसकी भलाई के लिए खोजी पत्रकारिता का एक आवश्यक अंग जरर है, लेकिन इसे भी अपनी मर्यादाओं के घेरे में रहना चाहिए। खोजी पत्रकारिता साहसिक तक तो ठीक है, लेकिन इसका दुस्साहस न तो पत्रकारिता के हित में है और न ही समाज के।

इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता-
इन माध्यमो हेतु पत्रकार को सजग व चैकस निगाहो के साथ बुद्धि कौशल की आवश्यकता होती है।  किसी भी घटना के दृश्यो को पकडना और उन्हे प्रस्तुत करना इसी में इन माध्यमो का कौशल परिलक्षित होता है। रेडियो में तो समाचार को श्रोता सिर्फ सुन सकता है। इस लिए सजग होकर घटना का विवरण को इसके केन्द्र में रखा जाता है।  लेकिन दूरदर्शन दृश्य माध्यम में दृश्य का महत्वपूर्ण पक्ष होता है। इसके लिए विवके व घटना की खासी पकड होनी चाहिए। 

ग्रामीण पत्रकारिता-
इस पत्रकारिता का उद्देश्य ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओ को इगिंत या संकेत करना है। परिवार एवंज न-कल्याण,साक्षरता,कृषि की उन्नत विधियां,महिला बालविकास की स्थितियों का आकलन,नवीन योजनाओ की जानकारी व गांवो को विकास की मुख्य धाराा से जोडना इनमें शामिल है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत की आत्मा गांवो में बसती है। आज भी देश का 80 प्रतिशत हिस्सा गांव है और पूरे देश को खाने-पीने की चीजो की आपूर्ति गांवो से ही होती है। अतः ग्रामीण पत्रकारिता न केवल गांवो के सत्य को उजागर करती है। बल्कि गांव व शहरो के पारस्पिरक सम्बन्ध पर सेतु या पुल का कार्य करती है।

बाल-पत्रकारिता
बाल-मन स्वभावतः जिज्ञासु और सरल होता है। जीवन की यह वह अवस्था है जिसमें बच्चा अपने माता-पिता, शिक्षक और चारो तरफ के परिवेश से ही सीखता है। यही वह उम्र होती है जिसमें बच्चे के मास्तिष्क पर किसी भी घटना या सूचना की आमिट छाप पड़ जाती है। बच्चे के आस-पास की परिवेश उसके व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक समय था जब बच्चों को परीकथाओं, लोककथाओं, पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक कथाओं के माध्यमसे बहलाने-फुसलाने के साथ-साथ उनका ज्ञानवर्ध्दन किया जाता था। इन कथाओं का बच्चों के चारित्रिक विकास पर भी गहरा प्रभाव होता था।

आज संचार क्रांति के इस युग में बच्चों के लिए सूचनातंत्र काफी विस्तृत और अनंत हो गया है। कंप्यूटर और इंटरनेट तक उनकी पहुँच ने उनकी जिज्ञास को असीमित बना दिया है। ऐसे में इस बात की भी आशंका और गुंजाइश बनी रहती है कि बच्चों तक वे सूचनायें भी पहुँच सकती हैं, जिससे उनके बालमन के भटकाव या विकृती भी संभव है। ऐसी स्थिती में बाल पत्रकारिता की सार्थक सोच और दिशा बच्चों को सही दिशा की ओर अग्रसर कर सकती है। बाल पत्रकारिता की दिशा में प्रिंट और विजुअल मीडिया (द्दश्य-माध्यम) के साथ-साथ इंटरनेट की भी अहम और जिम्मेदार भूमिका हो सकती है।

ध्रूमपान,अनैतिक व्यवहार-आदि की ओर एक बडे वर्ग का ध्यान खिचती है। बच्चो को वह उन पहलुओ से परिचित भी कराती है। जिससे उनका कौतूहल और जिज्ञासा का भाव समझ विकसित कर सके। वह उन्हे भटकाव से निकाकर अंधविश्वास व रूढियो से दूर सृजन व ज्ञान के उजाले में ले जाती है। 

विज्ञान पत्रकारिता-
विज्ञान के बिना आज समाज की कल्पना नही की जा सकती है। आज छोटे से छोटे संसाधन से लेकर बडी से बडी उपलब्धि तक विज्ञान का हाथ है। विज्ञान ही वी धरी है। जिस पर समाजिक जीवन का चक्र घूमता है। यही कारण है कि प्रत्तेक पत्र समाचारो में विज्ञान समाचार को प्रमुखता देते है। नवीन शोधो,औषधियो,यंत्रो,अविष्कारो व मशीनरी नवीनतम सामग्री देखने को मिलती है। विज्ञान-प्रगति,अविष्कार व साइंस टुडे जैसे पत्र-पत्रिकाएं आज के युग में विज्ञान की उपयोगिा को रेखाकिंत करती है। विज्ञान-पत्रकारिता मांग करती है कि उसमें तकनीकी शब्दो की दुरूहता से बचते हुए सरल प्रस्तुति दी जाए ताकि जनमानस में वह रोचकता के साथ प्रस्तुत हो सके। 

आर्थिक पत्रकारिता
कोई भी ऐसा व्यापारिक या आर्थिक व्यवहार जो व्यक्तियों, संस्थानों, राज्यों या देशों के बीच होता है, वह आर्थिक पत्रकारिता के सरोकारों में शामिल है।

आर्थिक पत्रकारिता आर्थिक व्यवहार या अर्थ-व्यवस्था के व्यापक गुण-दोषों की समीक्षा और विवेचना की धुरी पर केंद्रित है। जिस प्रकार पत्रकारिता का उद्ददेश्य किसी भी व्यवस्था के गुण-दोषों को व्यापक आधार पर प्रचारित प्रसारित करना है, उसी प्रकार आर्थिक पत्रकारिता की भूमिका तभी सार्थक है जब वह अर्थ व्यवस्था के हर पहलू पर सूक्ष्म नजर रखते हुए उसका विश्लेषण करे और समाज पर पड़ने वाले उसके प्रभावों का प्रचार-प्रसार करने में सक्षम हो। अर्थ-व्यवस्था के मामले में आर्थिक पत्रकारिता व्यवस्था और उपभोक्ता के बीच सेतु का काम करने के साथ-साथ एक सजग प्रहरी की भूमिका भी निभाती है।

आर्थिक उदारीकरण और विभिन्न देशों के आपसी व्यापारिक संबंधों ने पूरी दुनिया के आर्थिक परिद्दश्य को बहुत व्यापक बना दिया है। आज किसी भी देश की अर्थ-व्यवस्था बहुत कुछ आंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर निर्भर हो गई है। दुनिया के किसी कोने में मची आर्थिक हलचल या उथल-पुथल अन्य देशों की अर्थ-व्यवस्था को प्रभावित करने लगी है। सोने और चांदी जैसी बहुमूल्य धातुओं तथा कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव से आज दुनिया की कोई भी अर्थ व्यवस्था अछूती नहीं रही।

यूरो, डॉलर, पाउंड, येन जैसी मुद्रायें तथा सोना, चाँदी और कच्चा तेल आज दुनिया की प्रमुख अर्थ व्यवस्थाओं की नब्ज बन चुकी हैं। कहने का तात्पर्य यह कि आज भले ही सभी देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं के नियामक और नियंत्रक हों किन्तु विश्व की आर्थिक हलचलों से वे अछूते नहींहैं। हम कह सकते हैं कि आर्थिक परिद्दश्य पर पूरा विश्व व्यापक तौर पर एक बाजार नजर आता है। सभी देशों की अर्थ व्यवस्थायें आज इसी वैश्विक बाजार की गतिविधियों से निर्धारित होती हैं। मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों में होनेवाले महत्त्वपूर्ण आर्थिक परिवर्तनों से दुनिया के प्रमुख देश भी प्रभावित होते है। आर्थिक पत्रकारिता के लिए विश्व का आर्थिक परिवेश एक चुनौती है। आर्थिक पत्रकारिता का यह दायित्व है कि विश्व की अर्थव्यवस्था को पभावित करनेवाले विभिन्न कारकों का विश्लेषण वह लगातार करती रहे तथा उनके गुण-दोषों के आधार पर एहतियाती उपयों की चर्चा आर्थिक पत्रकारिता का व्यापक हिस्सा बने।

आर्थिक पत्रकारिता के समक्ष एक बड़ी चुनौती करवंचना, कालाधन और जाली नोटों की समस्या है। कालाधन आज विकसित और विकासशील देशों के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। काला धन भ्रष्टाचार से उपजता है और भ्रष्टाचार को ही बढ़ाता है। भ्रष्टाचार की व्यापकता अंततः देश के विकास में बाधक बनती है। कालाधन और आर्थिक अपराधों को उजागर करनेवाली खबरों के व्यापक प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी भी आर्थिक पत्रकारिता का हिस्सा है।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में हमारी अर्थ व्यवस्था काफी कुछ कृषि और कृषि उत्पादों पर निर्भर है। भारत में तेजी से विकसित हो रहे नगरों और महानगरों के बावजूद आज भी देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में ही बसती है। देश के बजट प्रावधानों का एक बड़ा हिस्सा कृषि एवं ग्रामीण विकास के मद में खर्च होता है। आर्थिक पत्रकारिता का एक महत्त्वपूर्ण आयाम कृषि एवं कृषि आधारित योजनाओं तथा ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों का कवरेज भी है। ग्रामीण विकास के बिना देश का विकास और आर्थिक पत्रकारिता का उद्ददेश्य अधूरा ही रहेगा। व्यापार के परंपरागत क्षेत्रों के अलावा रिटेल, बीमा, संचार, विज्ञान एवं तकनीक जैसे व्यापार के आधुनिक क्षेत्रों ने आर्थिक पत्रकारिता को व्यापक क्षितिज और नया आयाम दिया है। देश की अर्थव्यवस्था को सही दिशा देकर उसे सुचार और सुद्दढ़ बनाना आर्थिक पत्रकारिता के लिए चुनौती तो है ही उसकी सार्थकता भी इसी में निहित है। 

फिल्म पत्रकारिता-
भारत में फिल्मो की भूमिका क्रान्तिकारी रही है। लगभग हर माह वर्तमान दौर में औसतन कोई न कोई फिल्म रिलीज होती है। बदलती तकनीक,विषयो एवं प्रस्तुतिकरण ने फिल्मी -फंतासी दुनिया के रंगीन मायाजाल को इस कदर समाज पर हावी कर दिया है कि इसके जादू से शायद ही कोई बचा हो। फिल्मो के नक्शे-कदम पर चलकर ही टेलीविजन पर आने वाली धारावाहिक भी चकाचैध के नए आयाम परोसने लगे है। 

शैक्षिक पत्रकारिता-
शिक्षा मनुष्य की बुनियादी जरूरत है। बिना शिक्षा के मनुष्य व प्शु में बहुत फर्क नही होता है। शिक्षा के क्षेत्र विस्तृत है। शैक्षिक-जगत की हलचल,परीक्षा परिणाम,विभिन्न रोजगार परक क्षेत्रो के लिए शैक्षिक संस्थानो का लेखा-जोखा,रोजगार और शिक्षा के उपयोगी और आवश्यक शैक्षिक क्षेत्र,विभिन्न उच्च अध्ययन संस्थान और विश्वविद्यालय जैसे क्षेत्रो की सूचनांए शैक्षिक पत्रकारिता में संकलिंत की जाती है। शिक्षको का समस्याएं,विद्यार्थियो की परेशानी,परीक्षा पद्धति के पारूप् की खामियां जैसे मुद्दे भी यो समाहित होते है। यदि शैक्षिक पत्रकारिता का सही व सार्थक रूप् लिया जाए तो समाज लोगो को बेहतर मनुष्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल की जा सकती है। 

खेल पत्रकारिता
खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि वह अच्छे स्वास्थ्य, शारीरिक दमखम और बौद्धिक क्षमता का भी प्रतीक है। यही कारण है किं पूरी दुनिया में आति प्राचीनकाल से खेलों का प्रचलन रहा है। मल्ल-युद्ध, तीरंदाजी, घुड़सवारी, तैराकी, गुल्ली डंडा, पोलो रस्साकशी, मलखंभ, वॉल गेम्स, जैसे आउटडोर या मैदानी खेलों के अलावा चैपड़, चैसर या शतरंज जैसे इन्डोर खेल प्राचीनकाल से ही लोकप्रिय रहे हैं। आधुनिक काल में इन पुराने खेलों के अलावा इनसे मिलते जुलते खेलों तथा अन्य आधुनिक स्पर्धात्मक खेलों ने पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व कायम कर रखा है। खेल आधुनिक हों या प्राचीन, खेलों में होनेवाले अद्भुत कारनामों को जगजाहिर करने तथा उसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने में खेल पत्रकारिता का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। आज पूरी दुनिया में खेल यदि लोकप्रियता के शिखर पर हैं तो उसका काफी कुछ श्रेय खेल पत्रकारिता को भी है।

आज स्थिति यह है कि समाचार पत्रों या पत्रिकाओं के अलावा किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का स्करप तब तक परिपूर्ण नहीं माना जाता जब तक उसमें खेलों का भरपूर कवरेज नहीं हो। खेलों के प्रति मीडिया का यह रुझान ’डिमांडश् और ’सप्लाईश् पर आधारित है। आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का है जिसकी पहली पसंद विभिन्न खेल स्पर्धायें हैं, शायद यही कारण है कि पत्र-पत्रिकाओं में अगर सबसे आधिक कोई पन्ने पढ़ जाते हैं तो वह खेल से संबंधित होते है। प्रिंट मीडिया के अलावा टी. वी. चैनलों का भी एक बड़ा हिस्सा खेलों प्रसारण से जुड़ा होता है। खेल चैनल तो चैबीसों घंटे कोई न कोई खेल लेकर हाजिर ही रहते हैं। लाइव कवरेज या सीधा प्रसारण की बात तो छोड़िये रिकॉर्डेड पुराने मैचों के प्रति भी दर्शकों का रझान कहीं कम नहीं दिखाई देता। पाठकों और दर्शकों की खेलों के प्रति दीवनगी का ही नतीजा है कि आज खेल की दुनिया में अकूत धन बरस रहा है। धन, जो विज्ञापन के रप में हो चाहे पुरस्कार राशि के रप में न लुटानेवालों की कमी है न पानेवालों की। यह स्थिति आज की है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब खेलों में धनदौलत को कोई नामोनिशान नहीं था। प्राचीन ओलिम्पिक खेलों जैसी विख्यात खेल स्पर्धा में भी विजेता को जैतून की पत्तियों के मुकुट का पुरस्कार दिया जाता था लेकिन वह ताज भी अनमोल हुआ करता था।

खेलों में धन-वर्षा का प्रारंभ कार्पोरेट जगत के इसमें प्रवेश से हुआ। कार्पोरेट जगत के प्रोत्साहन से कई खेल और खिलाड़ी प्रोफेशनल होने-लगे और खेल-स्पर्धाओं से लाखों करोड़ो कमाने लगे। आज टेनिस, फुटबॉल, बास्केट बॉल, बॉक्सिंग, स्क्वाश, गोल्फ जैसे खेलों में पैसोंकी बरसात हो रही है।

खेलों की लोकप्रियता और खिलाड़ियों की कमाई की बात करें तो आज क्रिकेट ने, जो दुनिया के गिने-चुने ही देशों में खेला जाता है, लोकप्रियता की नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। किक्रेट में कारपोरेट जगत के रझान के कारण नवोदित क्रिकेटर भी अन्य खिलाड़ियों की तुलना में अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

खेलों में धन की बरसात में कोई बुराई नहीं है। इससे खेलों और खिलाड़ियों के स्तर में सुधार ही होता है, लेकिन उसका बदसूरत पहलू यह भी है कि खेलों में गलाकाट स्पर्धा के कारण इसमें फिक्सिंग और डोपिंग जैसी बुराइयों का प्रचलन भी बढ़ने लगा है। फिक्सिंग और डोपिंग जैसी बुराईयाँ न खिलाड़ियों के हित में हैं और न खलों के। खेल-पत्रकारिता की यह जिम्मेदारी है कि वह खेलों में पनप रही उन बुराईयों के किरध्द लगातार आवाज उठाती रहे। खेलों में खेल भावना की रक्षा हर कीमत पर होनी चाहिए। खेल पत्रकारिता से यह उम्मीद भी की जानी चाहिए कि आम लोगों से जुड़े खेलों को भी उतना ही महत्त्व और प्रोत्साहन मिले जितना अन्य लोकप्रिय खेलों को मिल रहा है।

महिला पत्रकारिता
पत्रकारिता जैसे व्यापक और विशद विषय में महिला पत्रकारिता की अवधारणा भले ही कुछ अटपटी लगती है, किंतु नारी स्वातंत्र्य और समानता के इस युग में भी आधी दुनिया से जुड़े ऐसे अनेक पहलू हैं जिनके महत्त्व को देखते हुए महिला पत्रकारिता की अलग विधाकी आवश्यकता महसूस होती है।

पुरुष और नारी के भेद का सबसे बड़ा आधार तो उनकी अलग शारीरिक संरचना है। प्रकृति ने पुरुष को एक सांचे में ढाला है तो नारी को उससे अलग। एक समय था जब समाज पुरुष प्रधान हुआ था। पुरुष प्रधान समाज ने अपनी सुविधानुसार नारी को अबला बनाकर घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया था। विकास के निरंतर तेज गति से बदलते दौर ने महिलाओं को प्रगति का समान अवसर दिया और महिलाओं ने अपनी प्रतिभा और लगन के बलबूते पर समाज के हर क्षेत्र में अपनी आमिट छाप छोड़ने का जो सिलसिला शुर किया वह लगातार जारी है। आज के दौर में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ महिलाओं की सशक्त उपस्थिति नहीं महसूस की जा रही हो। वर्तमान दौर में राजनीति, प्रशासन, सेना, शिक्षण, चिकित्सा, विज्ञान, तकनीक, उद्योग, व्यापार, समाजसेवा आदि प्रमुख क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा और क्षमता के आधार पर अपनी राह खुद बनाई है। कई क्षेत्रों में तो कड़ी स्पर्धा और कठिन चुनौती के बावजूद महिलाओं ने अपना शीर्ष मुकाम बनाया है। भारत की इंदिरा नूई, नैनालाल किद्वाई, चंदा कोचर आदि महिलाओं ने सफलता के जिस शिखर को छुआ है वे सभी कड़ी स्पर्धावाले क्षेत्र माने जाते हैं।

तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश तथा महिला पुरुष समानता के इस दौर में महिलाएँ अब घर की दहलीज लाँघकर बाहर आ चुकी हैं। प्रायः हर क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति और भागीदारी नजर आती है। शिक्षा ने महिलाओं को अपने आधिकारों के प्रति जागरक बनाया है। अब महिलायें भी अपने करियर के प्रति सचेत हैं। महिला जागरण की इस नवचेतना के साथ-साथ महिलाओं के प्रति अत्याचार और अपराध के मामले भी बढ़े हैं। महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत सारे कानून बने हैं और आवश्यकतानुसार उसमें समय-समय पर संशेधन भी किये जाते रहे हैं। महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा दिलाने में महिला पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। महिला पत्रकारिता की आज अलग से जररत ही इसलिए हैं कि उसमें महिलाओं से जुड़े हर पहलू पर गौर किया जाए और महिलाओं के सर्वांगीण विकास में यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सके। महिला पत्रकारिता की सार्थकता महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से जुड़ी है। 
पत्रकारिता के अन्य विविध रूप

  •     ग्रामीण पत्रकारिता
  •     व्याख्यात्मक पत्रकारिता
  •     विकास पत्रकारिता
  •     संदर्भ पत्रकारिता
  •     संसदीय पत्रकारिता
  •     रेडियो पत्रकारिता
  •     दूरदर्शन पत्रकारिता
  •     फोटो पत्रकारिता
  •     विधि पत्रकारिता
  •     अंतरिक्ष पत्रकारिता
  •     सर्वादय पत्रकारिता
  •     चित्रपट पत्रकारिता
  •     वॉचडॉग पत्रकारिता
  •     पीत पत्रकारिता
  •     पेज थ्री पत्रकारिता
  •     एडवोकेसी पत्रकारिता
  •     कृषी पत्रकारिता

पत्रकारिता का स्वरूप- 
हिन्दी पत्रकारिता की शुरूआत ही राष्ट्रीय चेतना,लोक कल्याण और समाज-सुधार के उद्देश्य से हुई थी। इसमें सम्पादक-प्रकाशक की व्यक्तिगत लाभ-हानि के बजाय,स्वार्थ,आत्मकेन्द्रण आदि के बजाए राष्ट्रीय व सामाजिक दायित्वो की पुर्ति ही एक महान उद्देश्य था। पत्रकारिता को तीन उद्देश्यो के लिए बनाया गया है। 

    01-सूचना
    02-शिक्षा
    03-मनोरंजन

वस्तुतः पत्रकारिता का स्वरूप् भी यही है। पत्रकार के लिए पत्रकारिता लगातार एक चुनौती बनी रहती है। उसे लगातार देश व समाज पर निगाह रखनी होती है। कई मुद्दासे पर उसे स्वस्थ उद्देश्यो के लिए जूझाना होता है। यदि हम इस स्वरूप् को देखे तो निष्कर्ष इस प्रकार होगें। 
  • 01-हर दिन घटने वाली घटनाओ का सटीक व सही ढंग से प्रकाशन
  • 02-समाचार-पत्र व पाठक के विचारो के आदान-प्रदान का सफल माध्यम। 
  • 03-आलेखों,समीक्षाओं,स्तम्भो,चित्रो,समाचारो आदि के माध्यम से सही-स्वस्थ्य सोच व जनमत का निर्माण। 
  • 04-सुलझा व स्वस्थ्य,रूचिकर मनोरंजन।
  • 05-आर्थिक,सामाजिक,शैक्षिक,सास्कृतिक विकास हेतु राह दिखलाना।
  • 06-आपसी भाईचारे को बढाना। नुष्य-मनुष्य के बीच विश्वास पनपाना,जनसंचार करना। 
  • 07-राष्ट्र की एकता और अ,ांण्डता के लिए मानसिकता का निर्माण। 
  • 08-सामाजिक बुराइयो जैसेः अशिक्षा,बालश्रम,छुआछुत,गरीबी,विकास संचार आदि के प्रतिकार के लिए वैचारिक आधार का निर्माण व सामूहिक प्रयास। 

पत्रकारिता के क्षेत्र-
Image SEO Friendly
पत्रकारिता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा समाचार-पत्र है। स्वतंन्त्रता के पूर्व से लेकर वर्तमान तक मुद्रित शब्दो की शक्ति ने इसका स्वरूप् सिद्ध कर दिया है। आजादी के बाद निरंन्तर विकास और बढती सुविधाओ ने समाचार-पत्र के स्वामित्व का प्रतिशत इस प्रकार है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कैमरा,फोटोग्राफी,फोटो पत्रकारिता आदि की जानकारी होनी आवश्यक है। 

  •     निजी-66  प्रतिशत
  •     समितियां-16.70 प्रतिशत
  •     साझेदारी-4 प्रतिशत
  •     संयुक्त पूंजी कम्पनियां-4.20 प्रतिशत
  •     सरकारी-2.91 प्रतिशत
  •     अन्य-6.19 प्रतिशत

आकाशवाणी,दुरदर्शन,समाचार-पत्र,समाचार-पत्रिका,फिल्मे,विज्ञापन,वेबमीडिया आदि। 

पत्रकारिता के सिद्धान्त-
01-सत्य और सटीकता-  पत्रकार हमेशा सत्य की गारंटी नही दे सकते है,लेकिन तथ्यो को सही साबित करना पत्रकारिता का प्रमुख सिद्धान्त है। पत्रकार को हमेशा घटना का या खबर का सही सत्यता और सटीकता को ध्यान में रखते हुए,अपने पाटक,श्रोता और दर्शको को सही समाचार दे। 

02-स्वतंत्रता- एक पत्रकार को स्वतंन्त्रता से खबर को छाापना चाहिए। किसी का भी न्यूज हो निडर भाव से समाज में आना चाहिए। राजनीतिक,कार्पोरेट या सांस्कृतिक विशेष हितो की ओर से औपचारिक रूप् से या अनौपचारिक रूप् से कार्य नही करना चाहिए। 

 03-मानवता- एक पत्रकार को यह ध्यान में रखना चाहिए की ऐसी कोई भी खबर ना छापे। जिससे मानवता को ठेस पहुचे। पत्रकार किसी घटना को जब लिखे तो उसे मानवता को ध्यान में रख कर लिखना चाहिए। 

 04-जवाबदेही-अगर एक पत्रकार से खबर छपने में कोई त्रुटियां होती है। तब एक पत्रकार की जिम्मेदारी होती है   वह  अपने त्रुटियों का जवाबदेह रखने की क्षमता रखता हो। 

 05-स्रोत- एक पत्रकार का अपना स्रोत होना ही चाहिए। बिना स्रोत का पत्रकार को किसी भी घटना का पता नही चलता है। 

 06-निष्पक्षता- पत्रकार को किसी भी घटना क्रम को निष्पक्ष होकर खबर लिखना चाहिए।

पत्रकारिता के दायित्व-
-सामाजिक जनमत को अभिव्क्ति देना।
-समाज को उचित दिशा-निर्देशित करना।
-जन-जन को स्वस्थ्य मनोरंजन की सामाग्री देना।
-सामाजिक कुरीतियो जैसे-बाल-विवाह,विघवा-उपेक्षा,दहेज,बहू-हत्या,वेश्यावृत्ति,अंधविश्वास आदि को मिटाने की दिशा में प्रभावी कदम उठना। 
-धार्मिक और सास्कृतिक पक्षो का दो टूक विवेचन करना।
-सामान्य जन को उनकी ही भाषा में उनके अधिकारो को समझाना
-कृषि-जगत की उपलब्धियो को साधारण जनता तक पहुचाना। 
 -उद्योग-जगत की उपलब्धियो को जन-जन तक पहुचाना।
 -सरकारी नीतियो का विश्लेषक एवं प्रसारण।
 -महिला-जगत,बाल-जगत,क्रीडा-जगत,चलचित्र-जगत के विविध कार्यक्रमो का प्रसार।
 -स्वास्थ्य-जगत,परिवार कल्याण के प्रति नागरिको को सचेत करना।
 -शिक्षा,शिक्षक,विद्यार्थी वर्ग को समीचीन मार्ग बतलाना।
 -वसुधैव कुटुम्गकम् की भावना का प्रसार करना। 
पत्रकारिता का उद्देश्य-
पत्रकारिता का उद्देश्य-समाचार संचार का वह हिस्सा है जो हमें बाहर की दुनिया में बदलती घटनाओ,मुद्दो और चरित्रो से अवगत कराता है। हालाकिं यह दिलचस्प या मनोरंजक भी हो सकता है। समाचार का सबसे महत्वपूर्ण मूल्य सूचना को सशक्त बनाने के लिए एक उपयोगिता के रूप में है। इस प्रकार पत्रकारिता का उद्देश्य नागरिको को उनके जीवन ,उनके समुदायो,उनके समाजो और उनकी सरकारो के बारे में सर्वोत्तम संम्भव निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना है। यह कहना लगभग असंम्भव है कि पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य है। यह सुनिश्चित करना समाज को अच्छी तरह से सूचित करता है और उन्हे विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना अविश्वसनीय रूप् से महत्वपूर्ण है। बिना पक्षपात किए या पक्ष लेते हुए,स्रोत पर सही,सटीक समाचार पहुचाना भी एक पत्रकार का कर्तव्य होता है। पत्रकारिता का उद्देश्य इस प्रकार है। 

पत्रकारिता का महत्व-
विकासशील देश में समाज के सम्मुख अनेकानेक समस्याएं आती है और स्वस्थ्य समाज की दिशा में अग्रसर रहने के लिए उन समसयाओ का उचित निवारण करना आवश्यक होता है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की होती है कि पत्रकारिता उस मिशन को सफल बनाए। भारत भी वर्तमान में आतंकवाद जैसे गंम्भीर समस्या से जूझ रहा है। भारत-पाकिस्तान के मध्य हालात बार-बार युद्ध जैसे बनते रहते है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि पत्रकार जनता के समाने इस परिस्थितयों से मुक्ति पाने की सही राह बताएं। भारतीय-पत्रकारिता का महत्व दइसी तथ्य से उजागर हो जाता है कि हमारे पत्रकारो ने किसी भी आपदा के समय पूरे समाज को देशहित में सदैव संगठित किया है। उसके मनोबल को उच्च बनाए रखा है। यही कारण है कि देश आतंकवाद जैसी समस्याओ को चुनौती देता रहा है। हालाकिं उसे अपने प्राणो तक को जोखिम में डालना पडता है। हर-क्षण खतरे के साए में रहना होता है पर विपत्तियां उसके मनोबल को तोड नही पाती बल्कि हर विपत्ति उसे भविष्य के प्रति पत्रकारिता निर्भीक पत्रकार के लिए चुनौती है। उसे राष्ट्र की नब्ज पर लगातार अंगुली रखनी होती है। संक्षेप में पत्रकारिता के महत्व को समझ सकते है। 

  •     01-दिन-प्रतिदिन की घटनाओ का सुरूचिपूर्ण प्रकाशन
  •     02-वैचारिक आदान-प्रदान का सफल माध्यम बनाना।
  •     03-समाचारो,समीक्षाओ,सतंम्भो,लेखो,अग्रलेखो द्वारा स्वस्थ्य जनमत का निर्माण। 
  •     04-समाजोपयोगी एवं स्वस्थ्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराना। 
  •     05-राष्ट्रीय एवं समाजिक एकता में योगदान एवं सकारात्मक तत्वो को बढावा। 
  •     06-साहित्यक,सांस्कृतिक,औद्योगिक विकास को बढावा। 


No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"