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बचपन की याद दिलाते 21 देसी खेल, जिनसे अनजान है आज के बच्चे

 
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( श्रीवास्तव सरिता )
भारत हमेशा से संस्कृति और परंपरा से समृद्ध रहा है! और खेल, हमेशा से ही भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहें हैं। चाहे भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती के बीच पचीसी का खेल हो, पांडवों द्वारा पासे के खेल में द्रौपदी को हार जाना या दोपहर के बाद शतरंज के खेल का आनंद लेने वाले मुगल; खेल और खेलने वाले हमेशा से भारत के इतिहास और पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आये हैं।

धीरे-धीरे समय बदल गया और इसके साथ ही बदलाव आये हमारे खेलों में भी। प्ले स्टेशन, वीडियो गेम और गैजेट के समय में, हम सभी भारत के पारंपरिक खेलों को शायद भूल ही गए हैं। याद है कैसे हम स्कूल खत्म होने तक का इंतजार नहीं कर पाते थे ताकि हम अपने दोस्तों के साथ जाकर किठ-किठ खेल सकें? तो चलिए आज इन्हीं सब खेलों को याद किया जाये। आज हम आपको बता रहें हैं भारत के 21 पारम्परिक खेलों के बारे में आप लोगो को जानकारी उपलब्ध करवा रहे है ।

01-पिट्टू का खेल: छोटे छोटे पत्थरों से टावर बनाने वाला ये खेल आपने भी खेला होगा 

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इस खेल को खेलने के लिए सात चपटे पत्थर और एक गेंद की जरुरत होती है। इसमें पत्थरों को एक के ऊपर एक जमाया जाता है। इस खेल में दो टीमें भाग लेती हैं, एक टीम का खिलाड़ी पहले गेंद से पत्थरों को गिराता है और फिर उसकी टीम के सदस्यों को पिट्ठू गरम बोलते हुए उसे फिर से जमाना पड़ता है। इस बीच दूसरी टीम के ख़िलाड़ी गेंद को पीछे से मारते हैं। यदि वह गेंद पिट्ठू गरम बोलने से पहले लग गयी तो टीम बाहर। इसके लिए हमें टेनिस या रबर बॉल की जरूरत होती है। बस ध्यान रहे कि यह बहुत भारी न हो, वरना चोट भी लग सकती है। पिट्ठू खेलने के लिए खुली जगह होनी चाहिए, जिससे खिलाड़ी आसानी से दूरी बनाते हुए अपनी पारी खेल सकें। मैदान की आउटर बाउंड्री तय कर लें और बीचोबीच एक सर्कल बनाकर पिट्ठू का टावर बनाएं। इस सर्कल के दोनों तरफ करीब 3 मीटर की दूरी पर छोटी लाइन खीचें। दो टीमें बनानी होंगी, जिनमें कम-से-कम तीन खिलाड़ी हों। लेकिन जितने ज्यादा खिलाड़ी होंगे, खेलने में उतना ही मजा आएगा।

खेल के नियम-
  • दो टीमें होंगी। टीम 1 बैटिंग करेगी यानी बॉल से पिट्ठू टावर तोड़ेगी और सबसे बचते हुए इसे दोबारा बनाएगी। टीम-2 फील्डिंग करेगी यानी टीम 1 के खिलाड़ियों को पिट्ठू टावर बनाने से रोकेगी।
  • खेलते हुए मैदान की आउटर बाउंड्री से बाहर जाने पर फाउल होगा और वह खिलाड़ी टीम से बाहर होगा।
  • मैदान के बीच बने सर्कल के एक तरफ की पैरलल लाइन से परे होकर टीम-1 का एक खिलाड़ी खड़े होकर पिट्ठू तोड़ेगा और दूसरी तरफ टीम-2 का खिलाड़ी बॉल कैच करने के लिए खड़ा होगा।
  • पिट्ठू टावर तोड़ने के लिए टीम के हर खिलाड़ी को तीन चांस दिए जाते हैं, जब तक वह टीम आउट नहीं हो जाती। अगर वह टीम एक बार भी पिट्ठू तोड़ने में कामयाब नहीं होती तो दूसरी टीम की बारी आ जाती है। टावर तोड़ते वक्त अगर फील्डर टीम-2 के खिलाड़ी बॉल सीधी कैच कर लेते हैं तो वह टीम आउट हो जाती है।
  • दूसरे खिलाड़ी मैदान में दूरी पर खड़े रहते हैं और टावर दोबारा बनाने के लिए बचते हुए भागते हैं। टीम-2 के खिलाड़ी उनके आसपास रहते हैं और एक खिलाड़ी तो बीच के सर्कल के पास ही खड़ा रहता है ताकि वे उन्हें पिट्ठू टॉवर दोबारा बनाने से रोक सकें और उन्हें बॉल से हिट करके आउट करने की कोशिश करते हैं।
  • इसके लिए वे अपनी टीम के खिलाड़ियों को भी बॉल पास कर सकते हैं। एक फील्डर ज्यादा-से-ज्यादा 50 सेकंड के लिए बॉल पकड़ सकता है। बैटिंग टीम के खिलाड़ियों को आउट करने के लिए उसे बॉल अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी को पास करनी पड़ेगी।
  • फील्डर टीम के खिलाड़ी को केवल घुटनों के नीचे ही बॉल से हिट कर सकते हैं।
  • पिट्ठू टॉवर टूटने पर टीम-1 के खिलाड़ी अपना बचाव करते हुए उसे दोबारा बना लेते हैं तो उन्हें जोर से बोलकर पिट्ठू बनाने की सूचना देनी चाहिए। इससे उन्हें पॉइंट ही नहीं मिलता, एक बार और खेलने का मौका भी मिलता है।
  • लेकिन अगर टीम-2 के खिलाड़ी अपने साथियों को बॉल पास करके टीम-1 के किसी भी खिलाड़ी को हिट कर देते हैं तो टीम-1 की बारी खत्म हो जाती है और दूसरी टीम को पॉइंट मिलेगा। टॉवर तोड़ने के लिए टीम-1 के तीन चांस हो जाने के बाद दूसरी टीम की बारी आ जाती है।
  • इसके बाद टीम-2 बैटिंग करती है और पिट्ठू टॉवर बनाती है। टीम-1 फील्डिंग करती है, जिसके पॉइंट ज्यादा बनते हैं, वह जीतता है।

02-गुट्टे या किट्ठु-

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यह पारंपरिक खेल बच्चों और बड़े दोनों द्वारा खेला जाता है। इस साधारण खेल के लिए 5 छोटे पत्थरों की आवश्यकता होती है। आप हवा में एक पत्थर उछालते हैं और उस पत्थर के जमीन पर गिरने से पहले अन्य पत्थरों को चुनते हैं। यह गेम कितने भी लोगों के साथ खेला जा सकता है।

03-कंचा-

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बच्चों के बीच कंचा खेलना सबसे प्रसिद्द खेल होता था। इस खेल को मार्बल से खलते हैं, जिसे ‘कंचा’ कहते हैं। इस खेल में सभी कंचे इधर-उधर कुछ दुरी पर बिखेर दिए जाते हैं। खिलाडी एक निश्चित दुरी से एक कंचे से दूसरे कंचों को हिट करता है। जो खिलाडी सभी कंचों को हिट कर लेता है वह विजेता होता है। आखिर में सभी कंचे विजेता को दे दिए जाते हैं।

04-खो-खो-

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यह भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। इसमें दो टीम होती हैं। एक टीम मैदान में घुटनों के बल बैठती है। सभी खिलाडी एक-दूसरे के विपरीत दिशा में मुंह करके बैठते हैं। जो भी टीम सभी सदस्यों को टैप करके सबसे कम समय में खेल खत्म करती है वही विजयी होती है।

05-गिल्ली-डंडा-

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भारतीय गांवों की गलियों में खेले जाने वाला यह खेल बच्चों का सबसे पसंदीदा खेल है। इसमें दो छड़ें होती हैं, एक थोड़ी बड़ी, जिसे


डंडे के रूप में प्रयोग किया जाता है और छोटी छड़ को गिल्ली के लिए। गिल्ली के दोनों तरफ के छोर को चाक़ू से नुकीला किया जाता है।

डंडे से गिल्ली के एक छोर पर चोट की जाती है, जिससे कि वह हवा में उछले और हवा में फिर से एक बार गिल्ली पर चोट करते हैं जिससे वह दूर जाकर गिरती है। इसके बाद खिलाडी पहले बिंदु को छूने के लिए दौड़ता है ताकि दूसरे खिलाडी के गिल्ली लाने से पहले वह पहुंच सके।

06-पोशम्पा-

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इस खेल में दो लोग अपने सिर से ऊपर कर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खड़े होते हैं। साथ में वे एक गाना भी गाते हैं। बाकी सभी बच्चे उनके हाथों के नीचे से निकलते हैं। गाना खत्म होने पर दोनों अपने हाथ नीचे करते है और जो भी बच्चा उसमे फंसता है वह खेल से आउट हो जाता है।

07-चौपड़/पचीसी-

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इसमें सभी खिलाडियों को अपने विरोधी से पहले अपनी चारों गोटियों को बोर्ड के चारों और घुमाकर वापिस अपने स्थान पर लाना होता है। चारों गोटियां चौकरनी से शुरू होकर चौकरनी पर खत्म होती हैं।

08-किठ-किठ-
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इस खेल घर के अंदर, बाहर और गली में खेला जा सकता है। आपको बस एक चौक से जमीन पर रेक्टैंगल डिब्बे बनाने हैं और उनमें नंबर लिखने होते हैं। हर एक खिलाडी बाहर से एक पत्थर एक डिब्बे में फेंकता है और फिर किसी भी डिब्बे की लाइन को छुए बिना एक पैर पर (लंगड़ी टांग) उस पत्थर को बाहर लाता है।

इस खेल को कई और नामों से भी जाना जाता है, जैसे की कुंटे, खाने आदि।

09-धोपकेल-
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असम का यह लोकप्रिय खेल धोपकेल कबड्डी के जैसे खेला जाता है। धोप एक रबड़ की बॉल को कहते हैं। मैदान में एक लाइन बनाकर, उस लाइन के दोनों तरफ टीमें खड़ी होती हैं। हर एक टीम का खिलाडी विरोधी टीम के पाले में जाता है और धोप को कैच करके वापिस अपने पाले में लाने की कोशिश करता है। जिसे उसकी टीम दूसरे पाले में फेंकती है।

10-पलांगुली-
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इस बोर्ड गेम में 14 कप होते हैं। हर एक कप में छह बीज रखे जाते हैं। खिलाड़ी इन बीजों को अन्य कपों में तब तक वितरित करते हैं जब तक कि सारे बीज खत्म न हो जाएँ। वह व्यक्ति जो बीज के बिना लगातार दो कप तक पहुंचता है उसे खेल से बाहर निकलना पड़ता है।

11-आंख-मिचौली -
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खेल आंख-मिचौली एक मजेदार खेल है। इस खेल को लड़के-लड़कियां एक साथ या अलग-अलग टोलियां बनाकर खेल सकते हैं। इस खेल में किसी एक खिलाड़ी के आंख में एक कपड़े की पट्टी बांध दी जाती है। यह खिलाड़ी पट्टी बांधे-बांधे अपने आसपास के खिलाड़ियों को पकड़ने की कोशिश करता है जिसे वह पकड़ लेता है तो फिर पट्टी उसके आंखों में बांधी जाती है। कुछ याद आया आपको, बचपन में ये खेल हम अपने दोस्तों के साथ ऐसे ही मजेदार तरीके तरीके से खेलते थे। इसी को कहीं-कहीं दूसरे तरीके से खेला जाता है। जिसके आंख में पट्टी बंधी होती है उसके सिर पर कई लोग एक-एक करके थप्पी देते हैं। सबसे पहले थप्पी किसनें दी उसका नाम पट्टी बांधने वाले खिलाड़ी को बताना होता है। इस खेल में खिलाड़ियों की संख्या कितनी भी हो सकती है।

12-लंगड़ी टांग खेल -
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ज्यादातर यह खेल लड़कियां खेलती हैं, कई बार लड़के भी इस खेल का मजा लेने से पीछे नहीं हटते। इस खेल को हर जगह अलग-अलग तरीके से खेला जाता है जिसमें एक तरीका ये भी है। इस खेल को खेलने के लिए चौपाल या कहीं भी खुली जगह में नौ खाने बनाने होते हैं। तीन-तीन खानों की तीन लाइनें होती हैं। जो बीज का गोला होता है इसमें क्रास का निशाँ लगा देते हैं। पहले खाने से लेकर आठ खाने तक बारी-बारी खेलना पड़ता है।

खेल की शुरुआत पहले खाने से करते हैं, घर में फूटे मिट्टी के घड़े की एक गोल गुप्पल बनाते हैं। पहले खाने से लेकर उसे क्रास वाले खाने तक एक टांग से खड़े होकर सरकाना पड़ता है। जब क्रास वाले खाने में गुप्पल और खिलाड़ी दोनों पहुंच जाएं तो वहां दोनों पैर रख सकते हैं। इसके बाद उस गुप्पल हो एक पैर से इतनी तेज मारना पड़ता है जिससे वो उन नौ खानों के बाहर निकल जाए। इसके बाद खिलाड़ी को उस क्रास वाले खाने से फांदकर गुप्पल को पैरों से छूना होता है। तबी कहीं जाकर पहला राउंड पूरा होता है अगर इस दौरान ये गुप्पल किसी भी लाइन में छू गयी तो दूसरे खिलाड़ी को मौका मिलता है। इसमें दो या उससे अधिक खिलाड़ी खेल सकते हैं।

13-लब्बो-डाल खेल-
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ये खेल पेड़ों पर चढ़कर खेला जाता है। जिसमें एक खिलाड़ी को छोड़कर सभी पेड़ों की अलग-अलग डाल पर बैठ जाते हैं। एक खिलाड़ी नीचे रहता है, एक गोल गोला करके इसमें एक दो हाथ के एक डंडे को रखा जाता है। जो खिलाड़ी नीचे होता है उसे ऊपर चढ़े किसी खिलाड़ी को छूना होता है इसके बाद उस लकड़ी को पकड़ कर चूमना होता था। अगर खिलाड़ी छूने के बाद लकड़ी पकड़कर न चूम पाए और इस दौरान दूसरा खिलाड़ी उस लकड़ी को दूर फेक दें तो उसे ये प्रक्रिया दोबारा करनी पड़ती है। जो खिलाड़ी पकड़ जाता है तो फिर उसे दूसरे खिलाड़ियों को ऐसे ही पकड़ना होता है।


14-छुपन-छुपाई -

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खेल ये खेल पहले सर्दियों में खूब खेला जाता था। पुआल के और लकड़ियों के ढेर में कहीं भी छुप जाओ दूसरा साथी खोजता रहता था। एक साथी 100 तक गिनती गिनता तबतक आस-पास सभी साथी छिप जाते। एक-एक करके सभी साथियों को खोजना होता है, अगर इस दौरान जो खिलाड़ी खोज रहा है उसे छुपा हुआ कोई भी साथी पीछे से उसके सिर को छू ले तो उसे दोबारा पूरे साथियों को खोजना होता है।

15-विष-अमृत-
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ये खेल विदेशी खेल लॉक एंड की का भारतीय रूप है। खेल में एक खिलाड़ी के पास विष देने का अधिकार होता है। ये खिलाड़ी जिस भी खिलाड़ी को छू दे, वो अपनी जगह पर फ्रीज़ हो जाता है, जबतक कि उसके साथ खिलाड़ी आकर उसे छू ना दे, यानि अमृत ना दे दे। खेल तब ख़त्म होता है, जब सारे खिलाड़ी पकड़े जाते हैं, और उन्हें अमृत देने के लिए कोई खिलाड़ी नहीं बचता।


16-लूडो, सांप सीढ़ी -
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खेल लूडो, सांप सीढ़ी एक ऐसा खेल है जिसे शहर और गांव हर जगह खेला जाता है। बाकी खेलों की अपेक्षा ये खेल अभी प्रचलन में है। लूडो इसलिए अभी भी प्रचलित है क्योंकि ये अब मोबाइल में भी डाउनलोड करके खूब खेला जाता है। सांप-सीढ़ी में एक से 100 तक की गिनती होती है। इसमें जगह-जगह छोटे बड़े कई सांप होते हैं और कई सीढ़ियां भी। सीढ़ियों से ऊपर जाने का मौका मिलता है सांप से नीचे आ जाते हैं।

17-रस्सी कूदना खेल -
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इस खेल को भी ज्यादातर लड़कियां खेलती हैं। इसे पेट कम करने या बजन घटाने का एक अच्छा व्यायाम भी माना जाता है। एक रस्सी को टुकड़े से लगातार कूदना होता है अगर बीच में रुक गये या रस्सी पैरों में फंस गयी तो दूसरे खिलाड़ी को मौका मिलता। दूसरा तरीका ये भी है कि दो लड़कियां रस्सी के एक-एक छोर को पकड़ लें और तीसरी लकड़ी बीच में कूदती है। जो सबसे ज्यादा बिना रुके कूदती है जीत उसी की मानी जाती है।


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लट्टू लकड़ी से बना हुआ एक गोलाकार संरचना वाला खिलौना होता है, जिसमें सिरे की ओर एक नुकीली कील लगी होती है। जिसका नुकीला सिरा ज़मीन की तरफ होता है। जब सूत अथवा किसी अन्य तरह की डोर को गोल लट्टू में लपेटा जाता है, तथा एक झटके के साथ डोर को पीछे खींचा जाता है, तब कील का नुकीला सिरा जमीन में टकराता है, और लट्टू पूरी तेज़ी के साथ घूमने लगता है। कई बार लट्टू को पहले हाथ में घुमाया जाता है। और झटके के साथ ज़मीन पे छोड़ा जाता है।

लट्टू प्रायः लकड़ी का बना होता है। आजकल अन्य प्रकार की धातुओं से बने लट्टू भी बाजार में उपलब्ध हैं। इसमें अलग-अलग प्रकार की रंगीन धारियां होती है, जो की लट्टू को घुमाने बेहद आकर्षक लगती हैं। और खेल में एक नया रोमांच भर देती हैं। यह खेल बच्चों में बेहद लोकप्रिय है। जिसका भी लट्टू ज़मीन में अधिक समय तक घूमता है, उसे इस खेल में विजेता घोषित किया जाता है। यह कितनी देर घुमेगा ये उसकी गुणवत्ता और खेलने वाले के अनुभव पर निर्भर करता है।

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सुरबग्घी खेल में 32 गिट्टियों की ज़रूरत पड़ती हैं, जिसमें 16 गोटियां एक खिलाड़ी के पास होती हैं और बाकी 16 गोटियां दूसरे खिलाड़ी के पास। दोनों पक्षों की गिट्टियों का रंग अलग होता है। खेल भले ही घर के अंदर खेला जाता है, लेकिन इसमें दिमाग की कसरत बहुत अच्छी होती है। आपकी एक गलत चाल आपको हरा सकती है, इसलिए खेल खेलने वाले दोनों खिलाड़ियों को बड़े ध्यान से खेल खेलना पड़ता है। इस खेल में बनाई गई चौकौर बिसात में प्वाइंटों (Points) के सहारे एक पंक्ति पर गोटियां चली जाती हैं। मान लीजिए कि आपकी और आपके विपक्षी खिलाड़ी की गिट्टी अगल-बगल है और तीसरा प्वाइंट खाली है तथा आपकी गिट्टी बीच में है और अब चाल अगले खिलाड़ी की है।

अगर विपक्षी खिलाड़ी आपकी गिट्टी को काट कर आगे के प्वाइंट पर अपनी गिट्टी रख देता है, तो आपकी गिट्टी कट जाएगी और दूसरा खिलाड़ी बाज़ी जीत जाएगा। गाँव के बड़े-बुज़ुर्ग मानते थे कि सुरबग्घी का खेल न सिर्फ हमारी मानसिक शक्ति को बढ़ाने का काम करता है, बल्कि खाली समय में यह खेल मनोरंजन के अच्छे साधन की तरह भी काम करता है। पुराने समय में ग्रामीण सजावट के तौर पर सुरबग्घी को अपने घर की ज़मीन या फिर दीवारों पर बनवाते थे। इसके नियम चाईनीज़ चेकर के समान हैं, लेकिन सुरबग्घी में प्यादे (Pawns) बाहर हो जाते हैं।

20-कबड्डी का खेल -
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कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसे लड़का और लड़की दोनों ही खेल सकते हैं. इसे गाँव और शहर दोनों जगह खेल जाता है परन्तु इस खेल को गाँव में ज्यादा खेलते हैं. गाँव में रहने वाले बच्चों के बचपन की शुरूआत कबड्डी के खेल से होती है. यह खेल शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चो को स्वस्थ बनाता है. कबड्डी के खेल में युवा अब करियर बना सकते हैं. राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह खेल खेला जाता है। 


21-घोडा जमाल खा पीछे देखे मार खा -
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घोडा जमाल खा पीछे देखे मार खा एक ऐसा खेल है जिसे लड़का और लड़की दोनों ही खेल सकते हैं. इसे गाँव और शहर दोनों जगह खेल जाता है परन्तु इस खेल को गाँव में ज्यादा खेलते हैं. गाँव में रहने वाले बच्चों के बचपन की शुरूआतघोडा जमाल खा पीछे देखे मार खा  के खेल से होती है।  यह खेल शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चो को स्वस्थ बनाता है। 

इस खेल एक साथ कई लोग खेल सकते है।  इस खेल में एक बच्चा एक कपडा को लेकर एक तरफ उसमे गांठ मार देता है। इसके बाद सभी एक गोलाई में बैठ जाते है। एक बच्चा उस कपडे को लेकर किसी के पीछे छुपा देता है। इसके बाद गोलाई में बैठे हुए सभी बच्चो के पीछे चक्कर लगाता है। इस बीच यदि जिसके पीछे रखा कपडा यदि बच्चा जान जाता है तो वह उस कपडे से पीछे रखने वाले बच्चे के पीठ पर मारता हुआ दौड़ता है। जब बच्चा उसके जगह पर आकर बैठ जाता है। .इसके बाद पुनः दूसरा बच्चा इसी प्रक्रिया को दोहराता है। यह खेल गांव में अधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित था। 

आवश्यक सुझाव-
यदि आप बचपन की याद दिलाते 21 देसी खेल, जिनसे अनजान है आज के बच्चे की जानकारी प्राप्त करते है। , या किसी अन्य खेल के बारे में आपको कोई नई जानकारी हो तो आप उसे हमें झट लिख भेजे हमारे ईमेल पर - gondalivenews@gmail.com या कृपया नीचे टिप्पणी करें, या दूसरों की मदद करने के लिए इस लेख को साझा करें।



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